इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद बौलीवुड से जुड़ने के लिए जब विक्की कौशल फिल्म ‘गैंग्स औफ वासेपुर’ में अनुराग कश्यप के असिस्टैंट के तौर पर काम कर रहे थे, तब किसी को अंदाजा नहीं था कि एक दिन वे अपनी ऐक्टिंग के दम पर एक नैशनल, 2 फिल्मफेयर समेत कई अवार्ड अपनी झोली में डालने के साथसाथ ‘फोर्ब्स’ पत्रिका में भी अपना नाम दर्ज कराने में कामयाब हो जाएंगे.

बतौर हीरो फिल्म ‘मसान’ से शुरू हुआ विक्की कौशल का ऐक्टिंग सफर फिल्म ‘रमन राघव 2.0’, ‘राजी’, ‘संजू’, ‘उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक’, ‘सरदार ऊधम’ से होते हुए ‘गोविंदा नाम मेरा’ तक पहुंच चुका है. पेश हैं, विक्की कौशल से हुई लंबी बातचीत के खास अंश :

फिल्म ‘मसान’ से ‘गोविंदा नाम मेरा’ तक के अपने फिल्म सफर को आप किस तरह से देखते हैं?

मैं बहुत ही आदर के साथ देखता हूं. मेरा हमेशा से मानना रहा है कि इस इंडस्ट्री में मुझ से भी ज्यादा टैलेंटेड लोग रहे हैं और आगे भी आते रहेंगे. मुझे सही समय पर कुछ अच्छी फिल्में मिलती गईं और मैं भी अपनी तरफ से मेहनत कर के अच्छा काम करता गया. इस तरह मैं लोगों से जुड़ पाया और दर्शकों का प्यार बटोर सका. कभीकभी तो यह सब सपने जैसा लगता है क किरदार को निभाते समय

2 चीजें खास होती हैं, आप की कल्पनाशक्ति और जिंदगी के निजी अनुभव. आप किसी किरदार को निभाते समय इन में से किस चीज का कितना इस्तेमाल करते हैं? किसी भी किरदार को निभाने के

2 हथियार होते हैं, एक कल्पनाशक्ति और दूसरा जिंदगी के अनुभव. मेरे लिए जिंदगी का अनुभव काफी अहमियत रखता है.

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