रेटिंग: ढाई स्टार

निर्माताः ‘‘आनंदी इंटरप्राइजेज ‘‘,‘‘जंपिंग टोमेटो मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड ‘‘और ‘‘7 कलर्स सिने विजन ‘’

निर्देशकः अमोल अरविंद भावे

कलाकार: प्रेम बोरहडे, मनीषा भोर, अमोल

पंसारे, विनिता संचेती, सिद्धेश्वर सिद्धेश व अन्य.

अवधिःएक घंटा 43 मिनट

प्रेम, मासूमियत, अज्ञानता, विश्वास, भाग्य और अंधविश्वास के साथ ग्रामण समाज का वास्तविक चित्रण करने वाली मराठी भाषा की फिल्म‘पीटर’ फिल्मकार अमोल अरविंद भावे लेकर आए हैं,जो कि 22 जनवरी को सिनेमाघरों में प्रदर्षित हुई है.इस फिल्म में धर्म और साधु-संतों पर भी कटाक्ष के साथ इस बात का भी चित्रण है कि जब आस्था,अंधश्रृद्धा में परिवर्तिर्त हो जाती है,तो उसके किस तरह के दुष्परिणाम होते हैं.

कहानीः

फिल्म ‘पिटर‘ 10 वर्षीय बालक धन्या (प्रेम बोरहाडे) और बकरी के बच्चे की बीच की दोस्ती को बयां करने के साथ दिल को छू लेने वाली कहानी है. एक दिन धन्या के दादाजी, धन्या के चाचा को एक संत के पास ले जाते हैं. क्योंकि धन्या के चाचा की शादी के 5 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी कोई संतान नहीं है. संत कहते हैं कि उन्हें भगवान सोनोबा को बकरे की बलि देनी पड़ेगी.फिर बकरे के मांस से बनी दावत पूरे गांव को दी जानी चाहिए.अब धन्या के पिता सोपन व चाचा दोनों बकरे की तलाश शुरू कर देते हैं.

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मगर गांव में फेस्टिवल के चलते बकरे खत्म हो गई है. आसपास के 4 गांव में तलाश करने के बाद उन्हें एक घर के सामने बकरी का एक बच्चा मिलता है, जिसकी मां सांप के काटने के कारण मर चुकी है. बकरी के बच्चे को भगवान सोनोबा को बलि नहीं दी जा सकती. ऐसे में निर्णय लिया जाता है कि बकरी के बच्चे को घर ले जाकर पांच छह माह तक पाल पोस कर बड़ा करेंगे,उसके बाद उसे सोनोबा भगवान को समर्पित कर देंगे. लेकिन घर आने के बाद धन्या, बकरी के बच्चे यानी कि बकरे के साथ खेलना शुरू कर देता है.

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