रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः ब्रम्हानंद एस सिंह और आनंद चैहाण

निर्देशकः ब्रम्हानंद एस सिंह और तनवी जैन

कलाकारः बोमन ईरानी,तनिष्ठा चटर्जी,संजय सूरी,जौयसेन गुप्ता, दिव्या दत्ता.

अवधिः एक घंटा 59 मिनट

‘बचपन बचाओ’का संदेश देने के लिए नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के कार्यों से प्रेरित होकर ब्रम्हानंद एस सिंह और तनवी जैन फिल्म ‘‘झलकी’’ लेकर आए हें. निर्देशकद्वय ने एक बाल मजदूर जैसे अति गंभीर विषय पर अपनी तरफ से गंभीर प्रयास किया है, मगर विषयवस्तु को लेकर सीमित सोच के चलते फिल्म अपना प्रभाव झोड़ने में नाकाम रहती है.

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कहानीः     

फिल्म की कहानी गौरया नामक चिड़िया की एक पुरानी लोककथा के एनपीमेान मे काध्यम से शुरू होती है. गौरैया ,जिसका एक दाना बांस की खोल में फंस जाता है,जिसे पाने के लिए वह बढ़ई,राजा, उसकी रानी,सांप,एक छड़ी,आग, समुद्र और एक हाथी तक गुहार लगाती है. हाथी तक पहुंचने से पहले सभी उसे भगा देते हैं.मगर जब हाथी उसकी मदद के लिए उसके साथ चलता है, तो सभी मदद के लिए तैयार हो जाते हैं और गौरैया को उसका दाना मिल जाता है.

फिर मूल कहानी शुरू होती है. कहानी है उत्तर प्रदेश के एक गाँव से रामप्रसाद(गोविंद नामदेव) नियमित रूप से बच्चों को श्रम के लिए शहर में ले जाता है. इसके लिए वह बच्चों के गरीब माता पिता को एलईडी टार्च या एफएम रेडियो अथवा कुछ पैसे देकर उनकी भलाई का नाटक करता है.पर उसी गॉंव की एक नौ साल की लड़की झलकी( बेबी आरती झा)को रामप्रसाद पसंद नहीं. वह हर हाल में अपने छोटे भाई सात साल के बाबू(गोरक्षक सकपाल)को रामप्रसाद से बचाकर रखना चाहती है.

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