रेटिंगः एक स्टार

निर्माताः रौनी स्क्रूवाला

निर्देशकः स्नेहा तौरानी

कलाकारः सनी कौशल, रूखसार ढिल्लों, जयति भाटिया व श्रिया पिलगांवकर

अवधिः दो घंटे 13 मिनट

भांगडा नृत्य और पष्चिमी नृत्य के बीच समायोजन बैठाने के लिए बुनी गयी लाचर कहानी, लाचर निर्देशन का परिणाम है फिल्म ‘‘भांगड़ा पा ले’’. पहले यह फिल्म 13 सितंबर, फिर एक नवंबर को रिलीज होने वाली थी, पर अब 3 जनवरी 2020 को रिलीज हुई है.

कहानी

फिल्म के शुरू होते ही द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान धूल भरे युद्ध के मैदान में एक सैनिक एक ढोल (ड्रम) को ऊपर खींचता है, और एक धुन निकालते हुए गीत गाता है, जिसे सुनकर हताश सैन्य कंपनी के अदंर जोश आ जाता है. कई सैनिक घायल होते हैं और ढोल बजाने वाले का एक पैर कट जाता है. अगला दृश्य अमृतसर के एक आधुनिक कौलेज का है, जहां लड़कियां भांगड़ा मंडली में एक प्रतियोगिता के लिए औडीशन दे रही हैं.

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वास्तव में फिल्म में दो कहानियां हैं, एक कहानी 1944 के विष्वयुद्ध के दौरान के एक सैनिक कैप्टन (सनी कौषल) की है और दूसरी कहानी 2019 के भांगड़ा नृत्य में माहिर युवक जग्गी (सनी कौषल) की है. दोनों कहानियों का जुड़ाव यह है कि जग्गी के दादाजी थे कैप्टन. फिल्म के आगे बढ़ने पर कई टुकड़ों में जग्गी, सिमी को अपने दादा जी यानी कि कैप्टन की कहानी सुनाता है. कैप्टन के पिता व दादा ने जंग के मैदान पर नाम रोशन किया था, पर कैप्टन को भांगड़ा नृत्य में रूचि है. लेकिन पिता की इच्छा के चलते वह सैनिक बन जाता है.

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