सिनेमा में आ रहे बदलाव के चलते अब गरीब किसान परिवार से जुड़े लोग भी फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं. भले ही इसके लिए उन्हे लंबा संघर्ष ही क्यो न करना पड़ रहा हो. बैंग्लोर के नजदीक एक गांव के किसान परिवार में जन्में बहुमुखी प्रतिभा के धनी राम गौड़ा ने भी अभिनेता बनने का सपना देखा था. पर उन्हे मजबूर आज से 15 वर्ष पहले ड्राइवर के रूप में नौकरी करनी पड़ी थी. लेकिन उन्होने हिम्मत हारने की बजाय अपना संघर्ष जारी रखा. उनकी मेहनत  रंग लायी.

एक दिन वह सहायक निर्देशक बन गए. फिर उन्होंने कन्नड़, तमिल, तेलगु व बंगाली आदि सभी भाषाओं की फिल्मों में लगभग फिल्म के हर विभाग में काम किया. लेकिन अब उनकी मेहनत और तकदीर के चमत्कार के चलते बतौर हीरो पहली फिल्म ‘‘दिलमार‘‘ मिली है. इसे कन्नड़, तमिल, तेलगु व हिंदी में एक साथ प्रदर्शित किया जाएगा. इस फिल्म का निर्देशन ‘केजीएफ’, ‘केजीएफ 2’ जैसी सफलतम फिल्म व आने वाली फिल्म ‘‘सालार’’ के संवाद लेखक एम. चंद्रमौली ने किया है.

राम गौड़ा की बतौर हीरो अपनी पहली फिल्म ‘‘दिलमार‘‘ के बारे में बात करते हुए कहते हैं-‘‘ यह एक एक्शन, रोमांस से भरपूर मसाला फिल्म है. इसमें मेरा किरदार थोड़ा टप्पोरी टाइप का है. जो कि अनाथ है यानी कि माँ बाप नहीं है. इसमें मेरे साथ तेलगु फिल्मों की लोकप्रिय अदाकारा डिम्पल हयाथी ने काम किया है. फिल्म जल्द ही रिलीज होने वाली है.‘‘

ड्राइवर की नौकरी करने से लेकर फिल्म के हीरो बनने की अपनी यात्रा के बारे में अभिनेता राम गौड़ा कहते है,‘‘ मैं हमेशा काम में व्यस्त रहना पसंद करता हूँ.मेरे लिए कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं है. इसलिए मैंने हर तरह का काम किया और तकदीर ने साथ दिया कि मैं आज हीरो बन गया.जीवम में मेहनत के साथ लक का होना जरुरी है. मैं सभी को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने यहाँ तक पहुंचने में मेरी मदद की.‘‘

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