‘‘फिल्म‘हिप्पी’से हर युवा रिलेट करेगा..’’ दिगांगना सूर्यवंशी

अमूूमन टीवी या फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में अभिनय करियर की शुरूआत करने वाले कलाकार युवा होते ही गायब हो जाते हैं. मगर छह साल की उम में टीवी सीरियलों में बाल कलाकार के रूप में करियर शुरू करने वाली दिगांगना सूर्यवंशी अब 21 साल की उम्र में फिल्मो में हीरोईन बन चुकी हैं. बाल कलाकार के रूप में जबरदस्त शौहरत बटोरने के बाद 14 साल की उम्र में उन्होंने सीरियल ‘‘वीरा-ंवीर एक अरदास’ में लीड किरदार निभाया. 18 साल की उम्र में वह ‘बिग बाौस’’में नजर आयीं. अब 21 साल की उम्र में ‘फ्रायडे’,‘जलेबी’और ‘रंगीला राजा’ यह तीन फिल्में बतौर हीरोइन रिलीज हो चुकी हैं. यह एक अलग बात है कि इन तीनों फिल्मों ने बाक्स आफिस पर पानी नहीं मांगा. पर अब सात जून को उनकी पहली तेलगू फिल्म ‘‘हिप्पी’’रिलीज हो रही है,जिसमें वह तेलगू फिल्मों के स्टार कार्तिक के साथ हीरोइन हैं. इतना ही नही दिगांगना सूर्यवंषी ने 16 व-नुवजर्या की उम्र में ही अंग्रेजी भा-नुवजयाा में एक उपन्यास ‘‘निक्सी द मरमेड एंड द पावर आफ लव’’ लिखा था, जिसे काफी लोकप्रियता मिली थी.दिगांगना के दो कविता संग्रह छप चुके हैं. वह अब तक दो से अधिक गीत लिख चुकी हैं. कुछ गीत अपने ही संगीत निर्देशन में रिकार्ड भी किया है.दो फिल्मों की पटकथाएं भी लिख रखी हैं.

 

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अक्सर देखा गया है कि बाल कलाकार युवावस्था में सफल नहीं हो पाते?

इमानदारी से कहूं तो मैं सिर्फ अपने बारे में ही बात कर सकती हूं. दूसरे कलाकारों पर कोई प्रतिक्रिया दे पाना मेरे लिए संभव नहीं है. अभिनय को एक रचनात्मक काम समझकर मैने बाल कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू किया था. उस वक्त मेरे दिमाग में यह नहीं था कि इससे पैसा कमा सकते हैं या इससे शौहरत मिलेगी. लोग मेरे प्रशंशक बनेंगे. मु-हजये अच्छी तरह से याद है कि मेरी लगभग आठ साल की उम्र रही होगी और उस वक्त तक बाल कलाकार के तौर पर मेरे दो सीरियल आ चुुके थे.एक दिन मैने पाया कि स्कूल में मेरे लिए अलग से बेंच रखी गयी थी. मैने सोचा कि अरे अचानक ऐसा क्या हुआ कि मुझे इतना स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. जबकि सात आठ साल की उम्र में आपको कोई गंभीरता से नहीं लेता.दूसरी बात मैं अपने स्कूल के बच्चों के बीच वैसे ही लोकप्रिय थी.मैने अपनी बेंच अपने दूसरे साथियों के साथ ही मिला ली. इतना ही नहीं कई टीवी एड करके भी मैं काफी लोकप्रिय हो गयी थी.पर जब मैं थोड़ी बड़ी हुई, तो मुझे टीवी एड मिलने कम हो गए. क्योंकि हम बच्चों की उम्र वाले ब्रैकेट में फिट नही बैठते थे. तब मुझे अहसास हुआ कि अब मैं बड़ी हो गयी हूं. उसके बाद समय आया जब मेरी उम्र चैदह साल की थी.न मैं छोटी थी और न ही बड़ी थी. यह अजीब सा दौर था. तब मेरे माता पिता ने सम-हजयाया कि यह एक यात्रा है. बाल कलाकार के तौर पर करियर शुरू किया और 14 साल की होते होते मैंने छोड़ दिया. मैने मान लिया था कि अब मैं बाल कलाकार नही रही. फिर मैंने तय किया कि अब मु-हजये टीवी नही करना है. जब मेरा सीरियल‘वीरा’ काफी हिट हुआ,तभी मेरी 12वीं की परीक्षाएं आ गयी. लोगों ने कहा कि 12 वीं की परीक्षा देने की क्या जरुरत. तुम तो वैसे ही स्टार बन चुकी हो. तब मैंने सबसे कहा कि मैं गंवार नही रह सकती. मुझे पढ़ाई करनी है. मैंने परीक्षा षुरू होने से दस दिन पहले किताबें खरीदी थी. मुझे पचास पचास पन्ने के संवाद आसानी से याद हो जाते हैं.मु-हजये हमेशा लगता है कि अभी मुझे और भी कुछ करना है. कुछ और बेहतर करना है. 20 साल की उम्र मे मैने फिल्मों  में बतौर हीरोईन काम करते हुए फिल्म‘‘फायडे’’ साइन की थी.

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