सुनील शर्मा
विराट कोहली ने टैस्ट क्रिकेट टीम की कप्तानी अचानक छोड़ दी है. दक्षिण अफ्रीका से 3 टैस्ट मैचों की सीरीज 2-1 से हारने के बाद उन्होंने 15 जनवरी, 2022 को यह कदम उठाया है.
बता दें कि विराट कोहली का पिछले दिनों वनडे की कप्तानी छीने जाने को ले कर भी बीसीसीआई से विवाद हुआ था. इस के बाद उन्होंने पत्रकारों के सामने सार्वजनिक रूप से अपना पक्ष रखा था और बीसीसीआई को कठघरे में खड़ा किया था.
अब टैस्ट कप्तानी छोड़ते हुए विराट कोहली ने जो चिट्ठी लिखी है, उस में भी काफी नपेतुले शब्दों में उन्होंने बहुत कम लोगों का जिक्र करते हुए अपनी बात रखी है. कभी के जु झारू खिलाड़ी और कोच रह चुके अनिल कुंबले के साथसाथ किसी और साथी खिलाड़ी को ज्यादा भाव नहीं दिया गया है. हां, रवि शास्त्री और महेंद्र सिंह धौनी का खासतौर पर शुक्रिया अदा किया गया है.
इस में कोई दोराय नहीं है कि विराट कोहली एक आक्रामक बल्लेबाज और जु झारू खिलाड़ी हैं, जिन का गुस्सा उन के बल्ले और जबान से मैदान पर बखूबी दिखता है, पर यह भी एक कड़वा सच है कि बतौर बल्लेबाज वे पिछले तकरीबन 2 साल से जू झ रहे हैं. नवंबर, 2019 से अब टैस्ट कप्तानी छोड़ने तक उन्होंने इंटरनैशनल क्रिकेट में एक भी सैकड़ा नहीं बनाया है.
इस के बावजूद विराट कोहली के अब तक के खेल आंकड़े चौंकाने वाले हैं. 99 टैस्ट मैचों में उन्होंने 50.4 की औसत से 7,962 रन बनाए हैं. 254 वनडे मैचों में 59.1 की औसत से 12,169 रन बटोरे हैं, जबकि 95 ट्वैंटी20 मैचों में 52.0 की औसत से 3,227 रन अपने नाम किए हैं.
विराट कोहली ने 68 टैस्ट मुकाबलों में भारतीय टीम की कप्तानी की है. इन में से 40 मुकाबलों में टीम को जीत मिली, 17 मुकाबलों में हार मिली और 11 मैच बेनतीजा रहे. कुलमिला कर टीम का जीत फीसदी 58.82 रहा.
विराट कोहली ने 68 टैस्ट मैचों की 113 पारियों में 54.80 की औसत से 5,864 रन बनाए हैं. उन्होंने बतौर कप्तान 20 सैंचुरी जड़ी हैं और 18 हाफ सैंचुरी लगाई हैं.
भले ही टीम इंडिया विराट कोहली की कप्तानी में पहला वर्ल्ड टैस्ट चैंपियनशिप का खिताब जीतने से चूक गई, लेकिन फिर भी टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कई सीरीज जीतीं. उन की कप्तानी में भारत ने सब से ज्यादा टैस्ट मुकाबले जीते हैं.
अब सवाल उठता है कि विराट कोहली टीम के लिए बतौर बल्लेबाज जरूरी हैं या कप्तान? आज की तारीख में वे एकलौते ऐसे बल्लेबाज हैं, जो सचिन तेंदुलकर के बनाए गए रिकौर्डों की बराबरी करने का माद्दा रखते हैं और फिलहाल चाहे वे अपनी फौर्म से जू झ रहे हैं, पर उन की तकनीक और आक्रामकता आज भी वही है.
विराट कोहली बल्लेबाजी में जितने चाकचौबंद हैं उतने ही चपल फील्डर भी हैं. फिटनैस में कोई उन का सानी नहीं है और मैदान पर वे एक चीते की तरह चौकस दिखाई देते हैं.
एक समय था, जब सचिन तेंदुलकर कप्तानी में सिरे से फेल हो गए थे और वे उस का दबाव झेलने की हालत में नहीं थे, इसलिए उन्होंने कप्तानी छोड़ते हुए अपनी बल्लेबाजी पर नए जोश के साथ फोकस किया था.
विराट कोहली अभी 33 साल के हैं और उन में कई साल का खेल बचा है. वे सचिन तेंदुलकर को देख कर क्रिकेट की दुनिया में आए हैं, लिहाजा, उन्हें ‘लिटिल मास्टर’ को ही आदर्श मान कर अब कप्तानी के बजाय अपनी बल्लेबाजी पर फोकस करना चाहिए, ताकि वह उन का ‘मास्टरस्ट्रोक’ साबित हो सके.