जानें क्यों प्राइवेट पार्ट की सफाई है जरूरी

पूरे बदन की साफ-सफाई के प्रति लापरवाही न बरतने वाले मर्द भी अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई पर खास ध्यान नहीं देते हैं, जिस की वजह से वे कई तरह के खतरनाक इंफैक्शन के शिकार हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि प्राइवेट पार्ट की साफसफाई कैसे की जाती है और उस से होने वाले फायदों के बारे में

बालों की छंटाई करें

प्राइवेट पार्ट के आसपास के अनचाहे बालों की समयसमय पर सफाई करनी चाहिए, वरना बाल बड़े हो जाते हैं. इस की वजह से ज्यादा गरमी पैदा होती है और इन बालों की वजह से ज्यादा पसीना निकलने लगता है. बदबू भी आने लगती है. बैक्टीरिया पैदा होने से इंफैक्शन फैल जाता है. इस वजह से चमड़ी खराब हो जाती है. खुजली, दाद वगैरह की समस्या पैदा हो जाती है. देखा गया है कि अनचाहे बाल लंबे व घने हो जाने से उन में जुएं भी हो जाती हैं, इसलिए उन्हें समयसमय पर साफ करते रहना चाहिए. प्राइवेट पार्ट के अनचाहे बालों की सफाई के लिए कैंची से छंटाई करना अच्छा उपाय है. इस के अलावा ब्लेड  या हेयर रिमूवर क्रीम का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

सावधानी

प्राइवेट पार्ट के अनचाहे बालों की सफाई जल्दबाजी, हड़बड़ी या डर कर न करें. छंटाई के लिए छोटी धारदार कैंची का इस्तेमाल करें. अनचाहे बालों को अगर रेजर से साफ करना चाहते हैं, तो नए ब्लेड का इस्तेमाल करें. पहले इस्तेमाल किए ब्लेड से बाल ठीक तरह से नहीं कटते हैं. उलटा ब्लेड कभी न चलाएं, इस से चमड़ी पर फोड़ेफुंसी होने का डर रहता है. हेयर रिमूवर क्रीम का इस्तेमाल करने से पहले एक बार टैस्ट जरूर कर लें. अगर उस से एलर्जी होती है, तो इस्तेमाल न करें.

अंग दिखेगा बड़ा

प्राइवेट पार्ट के एरिया में बाल बड़े हो जाने से अंग उन में छिप जाता है, जिस से उस का आकार छोटा दिखाई देने लगता है. अनचाहे बालों को साफ करने से अंग का आकार बड़ा दिखने लगता है. इसे देख कर आप की पार्टनर ज्यादा मोहित होती है. प्यार के पलों के समय वह ज्यादा सहज महसूस करती है.

सेहतमंद महसूस करेंगे

प्राइवेट पार्ट के एरिया को साफ रखने से अंग सेहतमंद दिखाई देता है. आप भी संतुष्ट महसूस करते हैं, क्योंकि आप निश्चिंत हो जाते हैं कि अब आप को किसी तरह का इंफैक्शन नहीं है.

यह भी करें

अंग की नियमित सफाई करें. अंग के ऊपर की त्वचा को सावधानी के साथ पीछे की ओर ले जाएं. वहां सफेदपीला क्रीमनुमा चीज जमा होती है. यह पूरी तरह से कुदरती होती है. इस की नियमित सफाई न करने से बदबू आने या इंफैक्शन फैलने का डर बना रहता है. रोजाना नहाते समय कुनकुने पानी से इसे साफ करना चाहिए.

पेशाब करने के बाद अंग को अच्छी तरह से हिला कर अंदर रुके पेशाब को जरूर निकाल दें. इसे अपनी आदत में शुमार करें, क्योंकि अंग के अंदर रुका हुआ पेशाब बुढ़ापे में प्रोटैस्ट कैंसर के रूप में सामने आ सकता है. माहिर डाक्टरों का कहना है कि अगर अंग के अंदर का पेशाब अच्छी तरह से निकाल दिया जाए, तो प्रोटैस्ट कैंसर का डर खत्म हो जाता है.

अंडरगारमैंट्स पर ध्यान दें

रोजाना नहाने के तुरंत बाद ही अपने अंडरगारमैंट्स को  बदलें. कई दिनों तक इस्तेमाल किए गए अंडरगारमैंट्स पहनने से प्राइवेट पार्ट के एरिया में इंफैक्शन फैलने का डर बढ़ जाता है. दूसरों के अंडरगारमैंट्स, साबुन वगैरह इस्तेमाल न करें. इस से भी इंफैक्शन फैलने का डर रहता है. नहाने के बाद इस एरिया को तौलिए से अच्छी तरह से सुखा लें. हमेशा सूती अंडरगारमैंट्स पहनें. नायलौन के अंडरगारमैंट्स कतई न पहनें, क्योंकि उन में से हवा पास नहीं हो पाती है. इस वजह से प्राइवेट पार्ट के एरिया को भी अच्छी तरह से हवा नहीं मिल पाती है, जिस से कई तरह की बीमारियां पैदा हो सकती हैं.

सेक्स संबंध बनाने के बाद

सेक्स संबंध बनाने के बाद अंग को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए, क्योंकि सेक्स के समय व बाद में इस के अंदर कई तरह के स्राव बनते हैं. इन्हें साफ न करने पर इंफैक्शन हो सकता है. इस एरिया को पानी से साफ करें. सफाई करने के बाद अंग को अच्छी तरह से पोंछ कर सुखा लें.

वजाइना की साफ सफाई और उससे जुड़ी अहम बातें

देश में ज्यादातर नौजवानों के नौकरीपेशा होते दौर में शादी की औसत उम्र बढ़ती जा रही है, लेकिन शारीरिक संबंध बनाना तो कुदरती जरूरत है. लिहाजा, आपसी सम?ादारी से शादी से पहले ही सैक्स संबंध बन रहे हैं.

लड़केलड़कियों के एकसाथ काम करने और बदलती सोच के चलते नौजवान शादी से पहले सैक्स संबंधों को बनाना खराबी नहीं मानते हैं. ऐसे में शादी से पहले लड़कियों को रीवर्जिनटी या वजाइना को पुराने आकार में लाने के लिए सर्जरी की शरण में जाना पड़ता है.

पहले लोअर क्लास की लड़कियों के पास रीवर्जिनिटी कराने के लिए पैसे नहीं होते थे और अपर क्लास को इन चीजों से कोई मतलब नहीं रहता. पर अब लोअर क्लास में लड़कियां भी कामकाजी होने लगी हैं, इसलिए वे खुद इस सर्जरी का खर्च जुटा सकती हैं.

लड़की के घर वाले शादी तक दहेज की चिंता में ही जुटे रहते हैं. वहीं अपर क्लास सोसाइटी में कपल्स को पता रहता है कि स्कूलकालेज टाइम में सभी के अफेयर रहते ही हैं.

इस सोसाइटी के नौजवानों का टीनऐज में अगर किसी का अफेयर न हो, तो ऐसे मामलों में घर वाले और रिश्तेदार चिंता तक करने लगते हैं. ऐसे में कपल्स यही मान कर शादी करते हैं कि उन के पुराने अफेयर्स रहे होंगे. मिडिल क्लास ही नैतिकता की इस कशमकश में फंसा रहता है. इसी क्लास के लड़कों की कुंआरी दुलहनों की डिमांड रहती है.

दिल्ली व एनसीआर में इस तरह की सर्जरी कराने के लिए ज्यादातर लड़कियां हरियाणा की आती हैं. यों तो दिल्ली ही आसपास के छोटे शहरों और राज्यों का मैडिकल हब है और यहां हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब समेत कई राज्यों के छोटेबड़े शहरों के लोग इलाज कराने आते हैं.

इस के अलावा देश की राजधानी होने के चलते बाकी राज्यों के मुकाबले यहां हाई क्लास मैडिकल सुविधाएं मौजूद हैं. दूसरे देशों के मुकाबले इलाज सस्ता होने के चलते यह शहर मैडिकल टूरिज्म का भी हब है. फिर भी इन सभी राज्यों और देशों के मुकाबले यह सर्जरी कराने में हरियाणा की लड़कियां नंबर वन हैं. यह सर्जरी कराने वाली कुल लड़कियों में से तकरीबन 40 फीसदी लड़कियां अकेले हरियाणा की होती हैं.

पोर्नोग्राफी ने बढ़ाया बिजनैस

भारत में पोर्न फिल्में देखने का चलन बढ़ने के बाद से अपने प्राइवेट पार्ट को घूरने और निहारने का चलन भी बढ़ा है. पोर्न फिल्मों के मौडलों और ऐक्टरों के डिजाइनर प्राइवेट पार्ट को देख कर लड़कियां और किशोरी अपनी वजाइना को उन की वजाइना से कंपेयर करती रहती हैं, तभी सर्जरी कराने की जरूरत महसूस होती है.

देश में पोर्न फिल्मों के चलन से पहले तक तो प्राइवेट पार्ट्स के आसपास उगने वाले बालों प्यूबिक हेयर की सफाई तक का चलन नहीं था, पर अब हर ब्यूटी पार्लर में इसकी सुविधा है और ब्राइडल पैकेज में तो इसे खासतौर पर शामिल किया जाता है.

इस तरह पोर्न फिल्मों से भी हाइमनोप्लास्टी और डिजाइनर वजाइना (लेबियाप्लास्टी) का चलन बढ़ा है. पोर्न फिल्मों की तरह वजाइना से अपने पार्टनर की यौन संतुष्टि के लिए भी लड़कियां सर्जरी का रास्ता अपना रही हैं.

सखी बनती है हमराज

यह लेखिका जब कौस्मैटिक सर्जरी करने वाले एक क्लिनिक पहुंची, तो वहां डाक्टर को आने में थोड़ी देरी थी. तब तक बातोंबातों में वहां की रिसैप्शनिस्ट अलका ने बताया कि लड़कियां वर्जिनिटी सर्जरी सैंटरों में मजबूरी में ही आती हैं और सैंटर पर फोन कर वे कहती हैं कि उन्हें प्राइवेट पार्ट की सर्जरी के बारे में पता करना है.

डाक्टर के मुताबिक, कम उम्र की लड़कियां इस सर्जरी के लिए अपने घर वालों के साथ नहीं आती हैं. इस राज को वे अपनी सहेली के साथ ही बांटती हैं. वहीं, बड़ी उम्र की लड़कियां या औरतें अपने परिवार के साथ भी आती हैं. तलाकशुदा या रेप सर्वाइवर इस सर्जरी के लिए घर वालों को ले कर आती हैं. जाहिर है, दोनों तरह की लड़कियों की अपनी मजबूरी हैं, जिस में वे मौके के हिसाब से अपने राजदार को चुनती हैं.

जानें यह भी

चेहरे की त्वचा पर जैसे साबुन व पानी नुकसान पहुंचाता है, तो वहीं वजाइना की स्किन पर इस का क्या असर पड़ता होगा. साबुन या दूषित पानी वजाइना के एसिड संतुलन को खराब करते हैं.

वजाइना का पीएच बैलेंस 3.5 से 4.5 और इस अनुकूलित संतुलन में लैक्टोबैक्ली और दूसरी फायदेमंद कोशिकाएं बनती हैं. पानी (पीएच 7) और साबुन (पीएच 8 से 11) दोनों से सफाई करेंगे तो संतुलन बिगड़ जाएगा. संतुलन के बिगड़ने से सूखापन, बदबू, संक्रमण की संभावना हो सकती है. पीरियड के दौरान पीएच 7.4 हो जाता है, असुरक्षित सैक्स (स्पर्म पीएच 7.1) और हार्मोनल बदलाव से खुजली और सूजन हो जाती है.

माहिरों की मानें, तो लड़कियां साफसफाई के बारे में चर्चा भी नहीं करतीं. वजाइना को लैक्टिक एसिड से साफ करना चाहिए, ताकि पीएच बैलेंस रहे और माइक्रोफ्लोरा ज्यादा न बढ़े.

कई लोगों का मानना है कि प्राइवेट पार्ट के ढीले होने के चलते उन्हें सैक्सुअल संतुष्टि नहीं मिलती?

हां, बहुत ज्यादा सैक्स करने पर या कई बच्चों के जन्म के बाद फीमेल प्राइवेट पार्ट का ढीला होना स्वाभाविक है. यह सोच गलत है कि ज्यादा बार सैक्स करने से प्राइवेट पार्ट ढीला होता है.

वजाइना की दीवार बेहद लचीली होती है. यह कुदरती रूप से फैलने और फिर अपने आकार में आ जाने की प्रवृत्ति होती है. महिला सैक्सुअल संबंध के प्रति उत्तेजित हो तो वजाइना लुब्रिकेटिड हो जाता है और इस का भीतरी दोतिहाई भाग फैल जाता है. इस के फैलने के चलते ही मर्दों को यह लगता है कि यह हिस्सा ढीला है, जबकि ऐसा नहीं होता.

बच्चे को जन्म देने के बाद भी वजाइना का ढीला होना स्वाभाविक है. नौर्मल डिलीवरी में बच्चा इसी रास्ते से बाहर आता है, जिस से वजाइना की वौल्स बहुत ज्यादा फैलती हैं और ढीली पड़ती हैं, पर यह भी जरूरी नहीं कि यह शिकायत भी सभी औरतों को हो. गायनोकोलौजिस्ट के अनुसार, बच्चे के जन्म के बाद वजाइना को अपने आकार में वापस आने में तकरीबन 6 महीने का समय लग सकता है.

क्या ज्यादा सैक्स करने से फीमेल प्राइवेट पार्ट में ढीलापन आता है?

ऐसा कुछ नहीं है. कितनी बार भी संबंध बनाए जाएं, पर वजाइना की मासंपेशियां अपने दोबारा आकार में लौट ही आती हैं.

कैसे जानें नौर्मल हैं आप

जरूरी नहीं है कि जैसी वजाइना पोर्न फिल्मों में दिखाई जाती है, वही आदर्श वजाइना है. हर किसी का प्राइवेट पार्ट उस की शारीरिक संरचना के हिसाब से होता है. जिस तरह सभी लड़कियों की आंखें या नाक एकजैसी नहीं हो सकती, उसी तरह उन की वजाइना भी एकजैसी नहीं हो सकती है. अगर आप को समय पर पीरियड होते हैं, प्राइवेट पार्ट में उत्तेजना महसूस होती है तो आप नौर्मल हैं.

इस के अलावा लड़कियों में एक डर यह भी रहता है कि वह फर्स्ट नाइट को ‘?ोल’ पाएंगी या नहीं. इस के लिए चिंतित होने की जरूरत नहीं है. वजाइना की संरचना ऐसी होती है कि उत्तेजित होने पर वह अपने आकार से दोगुनी हो जाती है.

वैसे, वजाइना का साइज 3 से 4 इंच होता है और सैक्सुअल ऐक्साइटमैंट के दौरान साइज दोगुना फैलता है, इसलिए ज्यादा समय तक फोरप्ले ऐक्साइटमैंट को बढ़ाता है.

ये सर्जरी अपनी शारीरिक बनावट को ज्यादा खूबसूरत बनाने के लिए कर रही हैं.

2014 में ‘द डेली स्टार’ में छपी वजाइना की हकीकत

* वजाइना 3 से 4 इंच होती है और उत्तेजना के दौरान यह दोगुना बड़ी हो जाती है.

* क्लूपेरिस में 8,000 तंत्रिकाएं होती हैं, जबकि मर्दाना अंग में 4,000 होती हैं.

* एक शोध के मुताबिक, आमतौर पर हर 5 में से एक औरत की वजाइना में कैंडिड फंगस पाया जाता है.

* गंध, गीलापन, डिस्चार्ज होने पर परफ्यूम न डालें, यह नुकदानदायक होता है.

* वजाइना खुद को साफ रखती है, इस के लिए किसी उत्पाद की जरूरत नहीं होती.

* सैक्स के दौरान वजाइना की आंतरिक वौल अंब्रेला की तरह खुल जाती है.

* वजाइना में नैचुरल लुब्रिकैंट होता है.

* एक घंटे में महिलाओं को 134 बार और्गेनिज्म होता है, जबकि मर्दों को 16 बार ही होता है.

* प्यूबिक हेयर की लाइफ  3 हफ्ते तक होती है, जबकि सिर के बालों की लाइफ  7 साल तक.

* वजाइना से आने वाली गंध आप के खानेपीने की डाइट पर बहुत निर्भर करती है.

मेरी बीवी का अंग बेहद कसा है, संबंध बनाते समय मेरे अंग की चमड़ी चारों तरफ से फट जाती है, क्या करूं?

सवाल
मैं 35 साल का हूं. 9 साल व 7 साल के 2 बच्चों का पिता हूं. बीवी 30 साल की है. बीवी का अंग बेहद कसा है. संबंध बनाते समय मेरे अंग की चमड़ी चारों तरफ से फट जाती है. क्या करूं?

जवाब
शादी के 10-11 सालों बाद आप को यह दिक्कत हो रही है यानी आप के अंग में कोई खराबी आ गई होगी. आप माहिर डाक्टर को अपनी तकलीफ बता कर इलाज कराएं.

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सैक्स में और्गेज्म की है बड़ी भूमिका, आप भी जानिए

सैक्स की सफलता और्गेज्म पर टिकी होती है. अत: पतिपत्नी दोनों को ही और्गेज्म तक पहुंच सैक्स का आनंद लेना चाहिए. यदि सहवास के दौरान पतिपत्नी दोनों लगन के साथ सैक्स क्रिया का लुत्फ लेते हैं, तो और्गेज्म तक पहुंचना दोनों के लिए आसान हो जाता है. यदि और्गेज्म तक नहीं पहुंचते हैं तो दोनों में तनाव रहता है, झगड़े होने लगते हैं.

दिलीप जब पत्नी रूपा के साथ संबंध बनाते हैं तो फोरप्ले पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं, जबकि उन की पत्नी फोरप्ले के साथ तन्मयता से सैक्स करना चाहती हैं. दिलीप के ऐसा न करने से रूपा और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाती. अकसर दोनों में इस बात को ले कर झगड़ा होता है.

क्या है और्गेज्म

और्गेज्म सैक्स संबंध की मजबूत कड़ी है. मैडिकल साइंस के अनुसार सहवास के समय शरीर में होने वाले विभिन्न बदलावों और चरमसुख को ही और्गेज्म कहा जाता है. नईनई शादी होने पर सैक्स करने पर महिलाएं और्गेज्म का लुत्फ नहीं उठा पातीं. पर कुछ समय बाद लगातार सैक्स संबंध बनाने पर और्गेज्म पर पहुंच पाती हैं. सर्वे के अनुसार महिलाओं में फर्स्ट और्गेज्म के लिए सही उम्र 18 साल ही है.

गहरीगहरी सांसें लें: और्गेज्म के लिए पतिपत्नी के मन में दृढ़शक्ति और जिज्ञासा होनी जरूरी है. इस का आनंद पूरा शरीर उठाता है. इस की शुरुआत सांसों से होती है. सैक्स संबंध के समय सांसों पर ध्यान दें.

और्गेज्म के समीप पहुंचने पर गहरी सांसें लें और छोड़े. औक्सीजन शरीर में रक्त प्रवाह को तेज करती है. जितनी औक्सीजन लेते हैं सैक्स सुख उतना ही मजेदार बन जाता है.

सैक्स खिलौना: सैक्स टौयज की मदद से बिलकुल अलग तरह का आनंद अनुभव होता है. यह और्गेज्म तक पहुंचने का सब से आसान उपाय है. सैक्ससुख को अनुभव करने के लिए सैक्स टौयज की जरूरत नहीं होती है, लेकिन यह सहवास में उत्तेजना बढ़ाने में सहायक होता है.

कल्पनाओं का सहारा लें: सैक्सी सपने देख कर भी चरमसुख की प्राप्ति होती है. यह सहवास क्रिया को मजेदार और उत्तेजक बनाने में सहायक होता है. यदि पार्टनर के साथ उत्तेजना महसूस नहीं हो रही हो तो ऐसी स्थिति में कल्पना और्गेज्म तक पहुंचाती है.

कामोत्तेजक अंगों से खेलें: सहवास के दौरान अपने शरीर को ऐक्टिव रखें. ज्यादातर महिलाएं शरीर को कड़ा कर लेती हैं, जो गलत है. और्गेज्म के लिए शरीर का भरपूर इस्तेमाल करें.

अलगअलग आसन अपनाएं: सहवास करते वक्त केवल साधारण और आसान तरीके से सैक्स न करें पार्टनर के साथ अलगअलग सैक्स आसन अपना कर सहवास करें. ऐसा करने से और्गेज्म तक पहुंचना आसान हो जाता है.

सैक्स क्रिया में शरीर को लिप्त करें: रिलैक्स रहने की कोशिश करें. संबंध बनाते समय शरीर के 1-1 पार्ट को लिप्त करने की कोशिश करें. कामोत्तेजना के कारण मांसपेशियां सिकुड़ रही हैं तो रिलैक्स रहने की कोशिश करें. फ्रैश मूड से सहवास कर और्गेज्म तक पहुंचें.

फोरप्ले को स्थान दें: सैक्स से पहले चुंबन, स्पर्श, सहलाना, आलिंगन क्रिया करें, क्योंकि इस से कामवासना जाग्रत होती है.

डा. चंद्रकिशोर के मुताबिक पुरुषों की सैक्स इच्छा केवल शरीर तक ही सीमित होती है, जबकि महिलाएं सहवास को भावना से जोड़ती हैं. अत: फोरप्ले से और्गेज्म तक पहुंच कर इंटरकोर्स का सही आनंद लें.

हैल्थ चैकअप कराएं: यदि ये सब कर के भी सहवास में संतुष्टि नहीं मिल रही है, और्गेज्म तक नहीं पहुंच पा रही हैं, तो तुरंत डाक्टर से चैकअप करवाएं. कई बार ज्यादा दवा का सेवन भी और्गेज्म तक नहीं पहुंचने देता है. और्गेज्म तक न पहुंचने से आपसी रिश्ते खोखले होने लगते हैं. आपस में झगड़े होने लगते हैं, मानसिक तनाव होता है, यहां तक कि मैरिड लाइफ खतरे में पड़ जाती है. इसलिए पतिपत्नी दोनों ऐसे संबंध बनाएं कि दोनों ही चरमोत्कर्ष तक पहुंचें.

सैक्स दांपत्य जीवन का अहम हिस्सा है. इसे नजरअंदाज न करें. पतिपत्नी के संबंध को जिस तरह आपसी व्यवहार व सहयोग मधुरता देता है, ठीक उसी तरह सुखी सैक्स भी संबंध को और प्रगाढ़ बनाता है.

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