Top 10 Best Winter Tips In Hindi: टॉप टेन बेस्ट विंटर टिप्स हिंदी में

Top 10 Best Winter Tips In Hindi: सर्दियों के मौसम में ठंड की वजह से आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. स्किन की नमी गायब होने लगती है.  सर्दियों के मौसम में विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस मौसम में आपको अपने स्किन के साथ-साथ खान-पान का भी ख्याल रखना चाहिए. तो आज इस आर्टिकल में आपको सरस सलिल की  Top 10 Best Winter Tips के बारे में बताएंगे. जिससे आप सर्दियों के मौसम में होने वाली समस्याओं  से बच सकते हैं.

1. सर्दियों में हेल्दी रहने के लिए जरूर खाएं ये 5 चीजे

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सर्दियों के मौसम में सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. सर्दी से बचने के  लिये केवल गर्म कपड़े ही काफी नहीं है. बल्कि जरूरी है कि शरीर में अंदरूनी गर्माहट बनी रहे जिस के लिये हमें  अपने खान पान का ध्यान रखना अति आवश्यक है. अगर हमारा आहार पौष्टिक और शरीर को गर्माहट देने वाला होगा तो हमारी सेहत भी ठीक रहेगी व हम अपने शरीर को सर्दी से होने वाले संक्रमण से भी बचा सकते हैं. ज्यादातर लोगों  के साथ यह परेशानी होती है की सर्दी जुखाम, खासी की गिरफ्त में जल्दी ही आ जाते हैं. इसका कारण इम्युनिटी सिस्टम का कमजोर होना भी  होता है सर्दियों में  खास तौर पर बच्चों का ध्यान अधिक रखना होता है.

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2. सर्दियों के मौसम में इस तरह रखें अपने बालों का ख्याल

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सर्दियों के मौसम (Winter Season) में  हमारे बाल रूखे होने लगते हैं. और ऐसे में डैंड्रफ (Dandruff) की समस्या होने लगती है. पर इस मौसम में भी आप अपने बालों को हेल्दी टच दे सकते हैं. तो आइए जानते हैं, सर्दियों के मौसम में बालों का किस तरह देखभाल करनी चाहिए.

स्कैल्प में होने वाली खुजली को दूर करने के लिए, एलोवेरा लगाएं. इसे स्कैल्प और बालों पर रगड़ें और अपने बालों के रोम को हाइड्रेट करें. इसे 30 मिनट के लिए लगा रहने दें, एक हल्के सल्फेट मुक्त शैम्पू का इस्तेमाल करके बालों को धोएं.

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3. सर्दियों का मौसम साथ लाता है कई तरह की एलर्जी, जानें उपाय

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सर्दियों की ऐलर्जी आप को बीमार कर सकती है. इस से आप की नाक बहनी शुरू हो जाती है अथवा बंद हो जाती है, साथ ही गले में खराश भी हो जाती है. आंखों में खुजलाहट और लाली आ जाती है और छींक और कफ की समस्या बढ़ जाती है. फफूंदी, धूलमिट्टी, जानवरों की खुश्की और परफ्यूम जैसी चीजें ऐलर्जी की समस्या बढ़ाने का काम करती हैं और सर्दी के मौसम में आप के शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है. इस मौसम की सर्दीजुकाम एक मामूली समस्या होती है, लेकिन ऐलर्जी लंबे समय तक परेशान करती है.

फफूंदी, धूलमिट्टी व जानवरों की खुश्की जैसी चीजें वैसे तो पूरे साल वातारवण में मौजूद रहती हैं, लेकिन ठंड के मौसम में ये इसलिए ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं क्योंकि लोग कमरे की सारी खिड़कियां और दरवाजे आदि बंद कर लेते हैं और ठंड के बचाव के लिए रूम हीटर आदि चला लेते हैं. ऐसे में कमरे का वातावरण इन चीजों के पनपने के लिए अनुकूल हो जाता है.

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4. होंठ की नमी बनाए रखने के लिए अपनाएं ये 4 आसान टिप्स

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सर्दी के मौसम में  होंठ फटना (Dry Lips) आम बात है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मौसम में ही होंठ फटने की समस्या क्यों होने लगती है.

इस समस्या के बारे में डौक्टर्स  का कहना  है  कि शरीर में पानी की कमी होने पर ऐसा होता है. दरअसल, सर्दियां आते ही अक्सर आप पानी की खपत कम कर देते हैं, जिसकी वजह से ड्राइनेस स्किन और होंठ फटने की समस्या होने लगती है.

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5. जानकारी: डॉक्टर से ऑनलाइन परामर्श कैसे लें

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औनलाइन डाक्टरी परामर्श से आप अपने मर्ज का निदान पा सकते हैं. डाक्टर की सलाह से आप पूरी तरह संतुष्ट होना चाहते हैं, तो परामर्श लेने से पहले क्या और कैसे पूछना है, यह आप को पता होना चाहिए.

डाक्टर्स ऐप की शुरुआत लोगों की व्यस्त जीवनशैली को देखते हुए की गई थी. बिना किसी अपौइंटमैंट के आप अपनी हैल्थ के बारे में घर बैठे डाक्टर से औनलाइन परामर्श ले सकते हैं.

आज कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल जाने के बारे में सोचते हुए ही लोगों के मन में दहशत सी होने लगती है. कारण साफ है, एक तो अस्पताल जाना अपनेआप को संक्रमण से ग्रसित होने की दावत देने के समान है, दूसरा, अस्पतालों में मरीजों की भीड़ और अव्यवस्थित स्थिति है.

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6.  हेल्दी नाश्ता करना है शरीर के लिए बेहद जरूरी

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प्रोटीन हमारे शरीर की ग्रोथ के लिए महत्त्वपूर्ण है. इस के लिए अंकुरित दालें  विविध प्रकार के पोषक अनाज लिए जा सकते है. ऐंटीऔक्सीडैंट पदार्थों का सही मात्रा में सेवन करें. इस के लिए ग्रीन टी जरूर नाश्ते में शामिल करें. प्रतिदिन मौसमी जैसे फलों को अपने ब्रेकफास्ट में लेना न भूलें. जूस और शेक को नाश्ते की लिस्ट में जरूर रखें. पैक्ड जूस की जगह ताजे जूस का प्रयोग करें.

नाश्ते में कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन, फैट और मिनरल्स का होना जरूरी है. सुबह सुबह की भागादौड़ी में अधिकतर महिलाएं अपने नाश्ते को ले कर लापरवाही करती हैं. या तो वे टालमटोल करती रहती हैं या नाश्ता करना भूल ही जाती हैं.

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7. रेड वाइन है सेहत के लिए फायदेमंद, जानें कैसे

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हाल ही में एक रिसर्च के अनुसार रेड वाइन में मौजूद एक ऐसा यौगिक (Compound) पाया है जो डीप्रेशन और टेंशन से निपटने की क्षमता रखता है. इस वाइन को रोज अगर आप सिमित मात्रा में ले तो आप काफी रोगों से सुरक्षित रहेंगे. रेड वाइन रेसवेराट्रोल का होता है. इस कंपोउंड में एंटीऔक्सिडेंट गुण होता है जो आपको टेंशन से दूर रखता हैं. ध्यान देने वाली बात ये है की रेड वाइन में अल्कोहल होता है- जिसका अगर अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो यह आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. रेड वाइन का कभी-कभार सेवन जब आप थोड़ा बहुत तनाव महसूस करते हैं तो सहायक हो सकता है.

अब तक, कंपाउन्ड में एंटी-डिप्रेसेंट के समान प्रभाव पाए गए थे. लेकिन इसके संबंध फौस्फोडाइस्टरेज़ 4 के साथ थे, जोकि स्‍ट्रेस हार्मोन कौर्टिकौस्टेरौन से प्रभावित एक एंजाइम थे.

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8. यूं संवारे अपने बालों को, अपनाएं ये खास टिप्स

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गांवदेहात में पहले नौजवानों का अमूमन एक तरह का ही हेयर स्टाइल होता था, फौजी की तरह बिलकुल छोटे बाल रखना. इस से उन्हें रोजमर्रा के काम करते हुए दिक्कत नहीं होती थी और चूंकि उन की बौडी भी सौलिड होती थी, तो वे बाल उन पर जंचते भी थे.

पर, अब माहौल बदल गया है. गांवदेहात के बच्चे पढ़लिख कर शहरों में नौकरी करने लगे हैं और जब से मोबाइल फोन का दौर आया है, तब से उन्हें भी बालों के नए से नए फैशन की जानकारी होने लगी है और वे बालों को ले कर सजग भी रहने लगे हैं.

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9. प्रदूषण से बढ़ती हैं एलर्जी, जानें उपाय

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प्रदूषण चाहे हवा का हो, पानी का हो या जमीन का, रोगों के पनपने का बड़ा कारण है. यह प्रकृति के नियमों में परिवर्तन करता है, प्रकृति के क्रियाकलाप में बाधा डालता है. प्रदूषण हवा, पानी, मिट्टी, रासायनिक पदार्थ, शोर या ऊर्जा किसी रूप में भी हो सकता है. इन सभी तत्त्वों का हमारे परिस्थितिकी तंत्र पर बुरा असर  पड़ता है जिस का प्रभाव मनुष्य के साथसाथ जानवरों और पेड़पौधों पर भी पड़ता है. चूंकि बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा संवेदनशील होते हैं, इसलिए इन जहरीले तत्त्वों का असर उन पर सब से अधिक पड़ता है.

प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं, जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मिट्टी का प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण. इन से कई प्रकार की खतरनाक बीमारियां और एलर्जी भी होती है.

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10. बच्चों के खाने में कैसे रखें न्यूट्रिएंट्स का भरपूर ख्याल, जानने के लिए पढ़ें ये खबर

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यह सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है कि बच्चों को हर न्यूट्रिएंट्स की सही मात्रा मिले. न्यूट्रिएंट्स के मामले में विभिन्न आयु-वर्ग के बच्चों की जरूरत भिन्न होती है और हमें दोनों बातों का ख्याल रखना पड़ता है यानी न तो इनकी कमी होने पाये और न ही अधिकत छोटे बच्चे के लिए यह बिल्कुल सामान्य बात है कि वह अचानक तय कर ले कि उसे कौन सी पसंदीदा चीजें खानी है. ऐसे में, बच्चे भले ही एक ही किस्म की चीज बार- बार खाते रहें लेकिन वे दूसरी चीजों को छूने से भी मना कर देते है.

भले ही, वे उनकी सेहत के लिए कितनी भी अच्छी क्यों न हों. इस व्यवहार के पीछे कई कारण है, जिनमें से कुछ कि उनके विकास की अवस्था से जुड़े होते है. ऐसे कारणों से खुलासा होता है कि 1 से 3 साल की उम्र में बच्चे खाने के मामले में इतने चूजी क्यों होते है? ये तथ्य इन बच्चों के खानपान के पैटर्न पर असर डालते है.

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