टाइगर श्रौफ की फिटनैस का राज खोला उन के ट्रेनर जिले सिंह मवई ने

कोई हरियाणा का लड़का किसी काम से मुंबई जाए और किसी ‘सैलेब्रिटी किड’ के कहने पर अपनी जिंदगी के कई साल मुंबई में ही बिता दे, क्या ऐसा हो सकता है? एकदम फिल्मी सा लगता है न? पर यह एकदम सच है और ऐसा ही हुआ फरीदाबाद के जिले सिंह मवई के साथ.

वह ‘सैलेब्रिटी किड’ था आज का फिल्म स्टार टाइगर श्रौफ, जिसे जिले सिंह मवई की अनजाने में दी गई कुछ फिटनैस टिप्स ने अपना दीवाना बना लिया था. फिर सिलसिला शुरू हुआ एक ऐसे ट्रेनिंग सफर का, जिस ने जिले सिंह मवई और टाइगर श्रौफ दोनों की जिंदगी बदल दी.

पर जिले सिंह में ऐसी क्या खासीयत थी, जो वे टाइगर श्रौफ के फिटनैस ट्रेनर बन गए? इन दोनों की मुलाकात कैसे हुई? ऐसे ही कुछ दिलचस्प सवालों के जवाब जिले सिंह मवई ने एक बातचीत में दिए. पेश हैं, उसी के खास अंश :

आप फिटनैस की दुनिया में कब और कैसे आए ?

मैं जिम्नास्टिक का खिलाड़ी था और नैशनल लैवल पर मैं ने गोल्ड मैडल जीता था. नैशनल लैवल पर मैं ने फ्लोर ऐक्सरसाइज में टौप किया हुआ है. एक बार जिम्नास्टिक की प्रैक्टिस करते हुए लैंडिंग के समय मैट पर मेरे पैर फिसल गए थे, जिस से मेरी कमर में चोट लग गई थी. डाक्टर ने कहा कि आपरेशन कराना होगा.

मैं ने डाक्टर से पूछा कि आपरेशन के बाद मैं खिलाड़ी बना रहूंगा न? वे बोले कि खड़े रहोगे यही गनीमत होगी. ह्वीलचेयर पर भी आ सकते हो. मैं ने वह आपरेशन नहीं कराया और धीरेधीरे अपनी कमर को ठीक करने में जुट गया. जब मैं थोड़ा ठीक हुआ तो दूसरे लोगों को ऐक्सरसाइज कराना शुरू कर दिया.

फिर मैं सिंगापुर गया और अपनी कमर और कोर (पेट और नाभि का हिस्सा) की ट्रेनिंग ली. वहां से लौटा तो मैं एक अच्छा फिटनैस ट्रेनर बन चुका था.

 

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टाइगर श्रौफ से आप कैसे मिले और फिर उन का ट्रेनर बनने का मौका आप को कैसे मिला?

धीरेधीरे मैं ने ऐसे जिम्नास्ट की टीम बना ली थी, जो खेल के दौरान चोटिल हो गए थे और उन का जिम्नास्टिक में कोई भविष्य नहीं रह गया था. हम सब मस्ती के लिए फ्री रनिंग करते थे, जिसे ‘पारकोर’ बोलते हैं. इसे जिम्नास्ट का करप्ट रूप कह सकते हैं. भागते हुए कहीं फ्लिप कर दिया या कहीं दीवार को फांद दिया वगैरह.

इसी मस्तीमस्ती में मैं ने आज से तकरीबन 15 साल पहले यूट्यूब पर एक चैनल बनाया और अपने ‘पारकोर’ के वीडियो उस पर अपलोड कर दिए. वे वीडियो देख कर एक दिन मुंबई से डांस कोरियोग्राफर वैभवी मर्चेंट का फोन आया. वे फिल्म ‘लेडीज वर्सेज रिकी बहल’ के एक गाने ‘कुडि़यां नू ठग ले…’ में हमारे ‘पारकोर’ को इस्तेमाल करना चाहती थीं.

मेरी टीम मुंबई गई. वहां 2 दिन का काम था. काम पूरा होने के बाद तीसरे दिन हम सब बीच पर घूम रहे थे. वहां हम ने देखा कि कोई अंगरेज लड़का जिम्नास्टिक की प्रैक्टिस कर रहा था. कोई लोकल मराठी उसे ट्रेनिंग दे रहा था.

मैं ने अपनी टीम से कहा कि और किसी से तो कर नहीं पाते, चलो इस अंगरेज से इंगलिश में बात करते हैं. फिर मैं ने उस से इंगलिश में बात करनी शुरू की, जो मुझे आती नहीं थी.थोड़ी देर में वह अंगरेज मुझ से बोला कि आप हिंदी में बात करें, मुझे बड़ी अच्छी हिंदी आती है. यह सुन कर हमें झटका लगा.

मैं ने उस से कहा कि आप का ट्रेनर आप की ताकत का पूरा इस्तेमाल नहीं कर रहा है और इन की टैक्निक भी गलत है, जबकि उस अंगरेज की बौडी शानदार थी. एकएक मसल अलगअलग दिख रही थी.

उस अंगरेज ने कहा कि मुझे एक टैक्निक बताइए, जिस से पता चले कि मैं अपनी ताकत का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पा रहा हूं. मैं ने उसे 2-3 चीजें बताईं, जो उसे अच्छी लगीं.

फिर हम वहां से चले गए. इतने में पीछे से एक लड़का आया. उस का नाम विक्रम था, जो मुंबई में डांस टीचर था. उस ने मुझ से पूछा कि आप उन्हें जानते हो. मैं ने कहा कि बहुत अच्छा अंगरेज है, हिंदी बोलता है.

विक्रम ने तब बताया कि वह जैकी श्रौफ का बेटा टाइगर श्रौफ है. वह आप का फोन नंबर मांग रहा है. उसे बड़ा अच्छा लगा है आप से मिल कर.

मैं ने नंबर दे दिया. रात को 9 बजे टाइगर श्रौफ का मेरे पास फोन आया और उन्होंने मेरे बारे में पूरी जानकारी ली. फिर वे बोले कि आप ने जो टैक्निक बताई थी, उसे मैं भूल नहीं पा रहा हूं. अगर आप मुझे सही टैक्निक सिखा दोगे, तो मेरी लाइफ बन जाएगी.

मैं अगले दिन टाइगर श्रौफ से मिला. मैं ने कहा कि मैं और मेरी टीम आप को ट्रेनिंग देगी. वे बोले कि ठीक है और आप सब का सारा खर्चा मैं उठाऊंगा.

फिर हम 20 दिन बाद हरियाणा से मुंबई शिफ्ट हो गए और 10-12 दिन के ट्रायल के बाद टाइगर श्रौफ की ट्रेनिंग शुरू कर दी. अगले 4 साल में फिल्म इंडस्ट्री में सब जान गए कि टाइगर श्रौफ बहुत अच्छी मार्शल आर्ट और जिम्नास्टिक करता है. उसे कोई हरियाणा का बंदा जिले सिंह मवई ट्रेनिंग दे रहा है.

जब किसी सैलेब्रिटी को फिटनैस ट्रेनिंग दी जाती है, तो क्या कोई खास बात दिमाग में रखनी पड़ती है?

हम जब किसी की फिटनैस ट्रेनिंग शुरू करते हैं, तो उस की जौइंट्स की हैल्थ देखते हैं, उस की बौडी के पैरामीटर देखते हैं, बोन डैंसिटी देखते हैं, मसल्स की ताकत देखते हैं, हार्ट लैवल देखते हैं, स्पीड और पावर देखते हैं.

आजकल के ज्यादातर ट्रेनर लोगों की स्पीड और पावर पर पहले काम शुरू कर देते हैं, जिस से चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है. इस से लोगों का कसरत के प्रति रवैया बदल जाता है.

जितने भी सैलेब्रिटी हैं, वे ट्रेनर की पढ़ाई देखते हैं, उस का ऐक्सपीरियंस देखते हैं. वे उस का आईक्यू लैवल देखेंगे, क्रिएटिविटी देखेंगे और यह भी देखेंगे कि वह कितना मेहनती है. आलसी लोग किसी को पसंद नहीं.

टाइगर श्रौफ कैसे स्टूडैंट हैं और वे दूसरों से कैसे अलग हैं?

टाइगर श्रौफ बहुत अच्छे स्टूडैंट हैं. अपने वादे के पक्के हैं. अगर उन्होंने बोल दिया कि आप को सुबह 6 बजे मिलूंगा, तो 6 बज कर 1 मिनट कभी नहीं होता. आज भी उन्हें ट्रेनिंग कराता हूं, तो लगता है कि 10-12 साल पुराना वही टाइगर श्रौफ है.

दूसरे सैलेब्रिटी से अगर टाइगर श्रौफ की तुलना करूं, तो वे मुझे कोच समझते हैं और बाकी सर्विस देने वाला ही मानते हैं. उन लोगों के साथ कोई इमोशनल टच नहीं है. वे दुख या सुख में साथ नहीं देते, जबकि टाइगर हमारी तकलीफ और खुशी दोनों में साथ देते हैं.

लौकडाउन में टाइगर श्रौफ हर दूसरेतीसरे दिन फोन कर के पूछते थे कि आप ठीक हो? पैसे की कोई तकलीफ तो नहीं है? मेरे पास किसी और आदमी का कभी फोन नहीं आया. टाइगर श्रौफ बहुत इमोशनल इनसान हैं.

 

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टाइगर श्रौफ के साथ ट्रेनिंग के दौरान का कोई रोचक किस्सा?

हम कांदिवली स्पोर्ट्स कौंप्लैक्स में टाइगर श्रौफ को ट्रेनिंग कराते थे. एक दिन वहां हमारा किसी के साथ झगड़ा हो गया था. मैं ने टाइगर श्रौफ से बोला कि आप निकल जाओ. अगर मीडिया वाले आ गए तो दिक्कत हो जाएगी.

वे बोले कि मुझे झगड़ा देखना है. फिर मैं फिल्मों में ऐसे ही लड़ा करूंगा. मैं ने उन्हें समझाया कि यह लड़ाई फिल्मों से अलग है, आप चले जाओ. उन्होंने हमारी बात मान ली थी.

आम लोगों की फिटनैस के लिए आप क्या कर रहे हैं?

हम ने ऐसे लोगों के लिए ‘नैचुरल अप्रोच’ नाम से एक प्रोग्राम बनाया है, जिन्हें बौडी बिल्डर नहीं बनना, जिन्हें एथलीट नहीं बनना, स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लेना, पर उन्हें अपनी सेहत बहुत अच्छी रखनी है. इस प्रोग्राम के जरीए हम किसी ऐक्सरसाइज को बहुत आसान बना देते हैं.

फिटनैस को अगर कोई रोजगार के नजरिए से अपनाना चाहता है, तो क्या स्कोप है?

आज एक फिटनैस ट्रेनर फिजियोथैरेपिस्ट से ज्यादा पैसा कमा लेता है. वह एक सैशन का 400 से 2,000 रुपए तक ले लेता है. अच्छा फिटनैस आप की समस्या की जड़ में जा कर ट्रेनिंग देता है.

आज हमारा लाइफ स्टाइल ऐसा हो गया है कि फिटनैस ट्रेनर की जरूरत पड़ती ही है. कोई अच्छी कदकाठी का या चोट की वजह से खेल से दूर होने वाला खिलाड़ी किसी कंपनी की सिक्योरिटी में जाने से बेहतर है कि अगर फिटनैस का कोर्स कर ले तो ज्यादा पैसा कमा सकता है. अगर वह मेहनत कर ले तो 50,000 रुपए महीने से ज्यादा की कमाई भी कर सकता है. मेरे पास ऐसे ट्रेनर हैं, जो महीने के सवा लाख रुपए कमा लेते हैं.

क्या आप भी इस दिशा में कोई काम कर रहे हैं?

अगर किसी खिलाड़ी को चोट लग जाए और उस का कैरियर खत्म हो जाए, तो उसे हम अपने इंस्टीट्यूट में कुछ महीने की ट्रेनिंग देते हैं, फिर हम ही काम देते हैं.

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