सौरव गांगुली का बीसीसीआई अध्यक्ष बनना, बीजेपी की प. बंगाल में बैक डोर एंट्री है!

राजनीति में कोई भी दोस्त या दुश्मन नहीं होता. विलियम शेक्सपियर का एक मशहूर कोट है ‘Everything is Fair Love And War’. अब तो राजनीति के हालात हैं उसमें इस कोट को बदलकर Everything is Fair Love, War and Politics’. पिछले कुछ सालों में जिस तरह से बंगाल की राजनीति में बदलाव देखा गया वो बाकी अन्य राज्यों में देखने को नहीं मिला. भाजपा ने जिस तरह से बंगाल की राजनीति में एंट्री की है उसने ममता दीदी के माथे में चिंता की लकीरें खींच दी हैं. फिलहाल यहां हम बात करेंगे पूर्व क्रिकेटर और प्रिंस ऑफ कोलकाता कहलाने वाले सौरव गांगुली का. गांगुली ने बीसीसीआई अध्यक्ष पद की कमान संभाल ली है. भारतीय क्रिकेट के लिए तो ये एक स्वर्णिम वक्त है. लगभग 60-65 सालों के बाद कोई भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान इस पद पर बैठा है. लेकिन उनके इस पद से ममता दीदी काफी परेशान हैं. उनको लग रहा है कि अगर गांगुली बीजेपी के खेमे में गए तो ममता दीदी के हाथ से सत्तासुख छिन सकता है.

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गांगुली का केवल 10 महीने के लिए बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के लिए तैयार होना भी कई सवाल भी खड़े कर रहे हैं. दरअसल, अध्यक्ष बनना गांगुली के लिए फायदा से ज्यादा नुकसान वाली डील है. अध्यक्ष बनने के बाद गांगुली को कमेंट्री और मीडिया कॉन्ट्रैक्ट से मिलने वाले करीब 7 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. जब वह बीसीसीआई अध्यक्ष बन जाएंगे तो ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे. इसके अलावा टीम इंडिया की कोचिंग का उनका सपना भी दूर की कौड़ी हो जाएगी. बता दें कि गांगुली कई मौकों पर कह चुके हैं कि वह भारतीय टीम का कोच बनने के ख्वाहिशमंद हैं. कहा जा रहा है कि गांगुली अध्यक्ष बनने के लिए इसलिए तैयार हुए हैं क्योंकि वह बंगाल में बीजेपी का मुख्यमंत्री का चेहरा बनने का ऑफर स्वीकार करेंगे. जबतक बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर उनका कार्यकाल खत्म होगा तबतक बंगाल में विधानसभा चुनाव करीब आ जाएंगे.

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देश के गृहमंत्री अमित शाह ने इन दिनों कई न्यूज चैनलों को इंटव्यू दिया है. इस इंटरव्यू में एक सवाल कॉमन रहा. वो सवाल था क्या सौरव गांगुली बीजेपी ज्वाइन कर लेंगे. शाह ने भी बड़ी ही चालकी से इस बात का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अभी ऐसी कोई बात नहीं हुई है लेकिन आगे कुछ भी हो सकता है. कई पत्रकारों ने घुमा फिराकर इस सवाल को कई बार दागा लेकिन शाह का जवाब टस्स से मस्स नहीं हुआ. जब गांगुली से जब पूछा गया कि क्या वह 2021 में बीजेपी का बंगाल में चेहरा होंगे, गांगुली ने कहा, ‘कोई राजनेता मेरे संपर्क में नहीं है और यही हकीकत है. जहां तक ममता दीदी की बात है तो मैं उनका बधाई संदेश पाकर काफी खुश हूं.’ लेकिन एक हकीकत यह भी है कि गांगुली अमित शाह, अनुराग ठाकुर और हेमंत बिस्वा शर्मा से मिले हैं.

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केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी साफ कर दिया कि बंगाल में बीजेपी का चेहरा कौन होगा यह अभी तय नहीं है. इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है. लेकिन जनता ने यह तय कर लिया है कि ममता बनर्जी सरकार को हटाना है. बता दें कि बीजेपी बंगाल में सरकार बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने काफी कोशिश की थी लेकिन ममता बनर्जी विजेता बनकर उभरीं थी. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें जीती थीं. अब 2021 में बंगाली में विधानसभा होने जा रहे हैं. बीजेपी इन चुनावों में ममता सरकार को गिराने के लिए गांगुली का सहारा ले सकते हैं.

पश्चिम बंगाल में 42 संसदीय सीटें हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में तृणमूल उनमें से 34 सीटें हासिल कर लोकसभा में तीसरी सबसे पार्टी बनी थी. ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव में अगर तृणमूल इससे अच्छा कुछ करती है तो किंगमेकर होने के साथ ममता की पीएम उम्मीदवारी भी मजबूत होगी, लेकिन 2011 विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा यहां मुख्य विपक्षी दल बन कर उभरी. 2014 लोकसभा चुनाव में स्थिति और मजबूत हुई. पहली बार भाजपा को पश्चिम बंगाल से दो सीटें मिलीं. अब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 2019 चुनाव के लिए बंगाल से 23 सीटों का लक्ष्य तय किया था लेकिन भाजपा ने यहां 18 सीटें जीती थी और कई सीटें मामली अंतर से हारी थी.

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आखिरकार सौरव गांगुली विश्व के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड यानी बीसीसीआई के अध्यक्ष बन गए. वैसे तो बीसीसीआई स्वतंत्र संस्था है जिसपर किसी की भी हस्तक्षेप नहीं रहा लेकिन राजनीति से ये कभी अछूती नहीं रही. चाहे हो जगमोहन डालमिया हो या फिर अनुराग ठाकुर हों या श्रीनिवासन.

लेकिन इस बार एक अच्छी बात ये है कि 1954 के बाद पहली बार कोई भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान इस अहम पद पर बैठने जा रहा है. गांगुली पर जिम्मेदारी भी बहुत है क्योंकि अगले साल ही टीम को टी-20 विश्व कप और एशिया कप खेलना है. साथ ही सीओए के साथ तालमेल बैठाना भी बड़ी जिम्मेदारी होगी.

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मुंबई में क्रिकेट संघों की कई राउंड मीटिंग के बाद सौरव गांगुली के नाम पर सहमती बनी थी क्यूंकि उन्होंने साफ तौर पर बता दिया था की अध्यक्ष पद के अलावा उनका किसी और पद में कोई रूचि नहीं है. माना जा रहा है कि गांगुली को भारत सरकार के मंत्री अनुराग ठाकुर का भी समर्थन प्राप्त था. अध्यक्ष पद खोने के बाद बृजेश पटेल ने आईपीएल का चेयरमैन बनने पर सहमति दे दी. गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह को सचिव जबकि अरुण सिंह ठाकुर, जो अनुराग ठाकुर के छोटे भाई है, को कोषाध्यक्ष बनाए जा सकते हैं.

चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद पूर्व भारतीय कप्तान का कार्यकाल 10 महीने का होगा. फिलहाल गांगुली के लिए ये एक छोटा कार्यकाल होगा क्योंकि नए नियमों के तहत जुलाई 2020 से उनकी कूलिंग ऑफ़ अवधि शुरू हो जाएगी. वह पिछले पांच वर्षों करीब दो महीने से क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल में पद संभाल रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित लोढ़ा कमेटि के नियमों के मुताबिक एक प्रशासक केवल छह साल के अंतराल पर सेवा दे सकता है.

गांगुली, जिन्होंने अपनी आक्रामक कप्तानी के साथ भारतीय क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत की, वो बोर्ड के शीर्ष पद संभालने वाले दूसरे भारतीय कप्तान होंगे. बीसीसीआई के अध्यक्ष बनने वाले एकमात्र अन्य भारतीय कप्तान विजयनग्राम या विज्जी के महाराजकुमार थे, जिन्होंने 1936 में इंग्लैंड दौरे के दौरान 3 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम का नेतृत्व किया था.

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वे 1954 में बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे. गांगुली कभी भी नेतृत्व की भूमिका निभाने से कतराते नहीं हैं. विश्व क्रिकेट में सबसे सफल कप्तानों में से एक के रूप में अपना करियर खत्म करने के बाद, उन्होंने बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया के संरक्षण में सीएबी में प्रशासन में प्रवेश किया.

जब गांगुली ने 2000 में भारत के कप्तान के रूप में पदभार संभाला था, तो भारतीय क्रिकेट गर्त में था. मैच फिक्सिंग कांड के बाद बोर्ड की आईसीसी में दबदबा काफी कम हो गया था. बतौर कप्तान उन्होंने भारतीय क्रिकेट को विश्वास दिलाया कि भारत विदेशों में भी जीत सकता है.

गांगुली के सामने अब कई चुनौती होंगी. उन्हें सीओए के साथ कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट को भी सुधारना होगा. नामांकन दाखिल करने के बाद गांगुली ने पत्रकारों से कहा था, ‘‘हितों का टकराव का मुद्दा बड़ा है. और मुझे यह नहीं पता है कि मैं सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों की सेवाएं ले पाऊंगा या नहीं क्योंकि उनके पास दूसरे विकल्प भी मौजूद होंगे.’’

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गांगुली ने साफ किया कि ‘एक व्यक्ति एक पद’ के मौजूदा नियम क्रिकेट के पूर्व दिग्गजों को प्रशासन में आने से रोकेगा क्योंकि उन्हें अपनी आजीविका कमाने की भी जरूरत होगी. इसके साथ ही फर्स्ट क्लास क्रिकेट पर भी गांगुली का ध्यान होगा. गांगुली के सामने टी-20 विश्व कप के समय तक टीम को बेहतरीन बनाना भी बड़ा मुद्दा है. क्योंकि टी-20 में अभी भी भारतीय टीम को सुधार करने की बड़ी जरूरत है.

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