श्वेता मेहता : हादसों से हार नहीं मानती यह जांबाज लड़की

टैलीविजन पर आने वाले एक स्टंट बेस्ड शो ‘एमटीवी रोडीज’ के बारे में तो आप जानते ही होंगे, जिस में किसी इनसान की जिस्मानी और दिमागी ताकत का कड़े से कड़ा इम्तिहान लिया जाता है. लड़केलड़कियों के इस खेल में बाजी मारना लोहे के चने चबाने जैसा है.

साल 2017 के इस शो में ‘रोडीज राइजिंग’ का खिताब हरियाणा के एक छोटे से शहर फतेहाबाद की रहने वाली श्वेता मेहता ने जीता था. इस से पहले उन्होंने 3 बार पहले भी इस कांटैस्ट के लिए आडिशन दिया था, पर कामयाब नहीं हो पाई थीं. लेकिन उन्होंने अपना हौसला नहीं गंवाया और आखिरकार विजेता बन कर ही आईं.

इस के बाद से श्वेता मेहता की जिंदगी पूरी तरह बदल गई. अब वे पूरी तरह से एक फिटनैस दीवा बन चुकी हैं. इतना ही नहीं, वे फिटनैस से जुड़ी कई प्रतियोगिताएं भी जीत चुकी हैं. हालांकि, वे अपनी फिटनैस को ले कर पहले से दीवानी थीं और अपने इस जुनून के लिए उन्होंने बीटैक करने के बाद बैंगलुरु की एक आईटी कंपनी की अपनी बढि़या नौकरी छोड़ दी थी.

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फिटनैस से जुड़ा एक वाकिआ बताते हुए श्वेता मेहता ने कहा, ‘‘मेरी कमर में दर्द रहता था. डाक्टर ने मुझ से कहा था कि आप को जिम तो जाना पड़ेगा. अपनी कमर के मसल्स मजबूत करने पड़ेंगे, ताकि आप का पोश्चर पूरी जिंदगी के लिए ठीक रहे.

‘‘शुरू में मुझे जिम जाना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था. बाद में धीरेधीरे मेरा रुझान बढ़ा और मुझे लगा कि इसी फील्ड में कुछ करना चाहिए. मैं ने नौकरी के साथसाथ फिटनैस कंपीटिशन की तैयारी की, जो बहुत मुश्किल मानी जाती है और भारत में तो महंगी भी मानी जाती है.

‘‘अच्छी तरह प्रैक्टिस करने के बाद मैं ने साल 2015 में एक कंपीटिशन में हिस्सा लिया था, जिस में मेरा तीसरा नंबर आया था. तब मुझे लगा था कि तीसरा नंबर नहीं चाहिए, मुझे तो फर्स्ट आना है. इस के बाद मैं ने और मेहनत की और साल 2016 में मैं ‘जिरौय क्लास वुमन फिजिक’ की विजेता बन गई. इस के बाद मैं ने नौकरी छोड़ दी.

‘‘उस के साथसाथ एक और चीज चल रही थी और वह थी रोडीज. साल 2014, साल 2015 और साल 2016 में मुझे ‘एमटीवी रोडीज’ के आडिशन में ही निकाल दिया था, पर मैं ने हिम्मत नहीं हारी और साल 2017 में मैं ने आडिशन क्लियर किया और बाद में वह शो ही जीत लिया.’’

श्वेता मेहता ने आगे बताया, ‘‘मेरी जिंदगी जीने का नजरिया बहुत ही पौजिटिव है. जो चीज चाहिए, वह मुझे लेनी ही है. मैं अपने इस रवैए को कभी बदलूंगी नहीं. अगर कोई काम करना है तो उसे अच्छे से करो, जीजान लगा दो और जीत जाओ.

‘‘पिछले कुछ महीनों में मैं ने बहुतकुछ खोया है, पर हिम्मत नहीं खोई है. दरअसल, 6 सितंबर, 2019 को सूरत में ट्रैंपोलिन पार्क में मेरा एक एक्सिडैंट हुआ था. वहां पर सेफ्टी की कोई दिक्कत थी और मेरी गरदन टूट गई थी.

‘‘मेरी बड़े लैवल की सर्जरी हुई थी. डाक्टरों ने तब कह दिया था कि मैं फिटनैस में दोबारा वे चीजें नहीं कर पाऊंगी, जिन के बिना मेरी जिंदगी ही अधूरी है. कम से कम एक साल तक तो मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती.

‘‘लेकिन, मैं खुद को मरीज की तरह नहीं देख सकती हूं, इसलिए मैं हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश करती रहती हूं. लिहाजा, मैं ने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा वर्कआउट करने लगी हूं. डाक्टर हैरान रह गए हैं कि इस लड़की की इच्छाशक्ति इतनी ज्यादा कैसे है, यह तो आयरन से भी ज्यादा मजबूत है.

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‘‘इस एक्सिडैंट से मेरा बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. 6 सितंबर, 2019 को यह हादसा हुआ था, जबकि मुझे कई रिएलिटी शो करने थे. 15 अगस्त, 2019 को मैं ने अपना पहला पंजाबी म्यूजिक अलबम ‘चिट्टा सूट’ किया था, पर उस के बाद ही हादसा हो गया. मैं ने उस के बाद बहुतकुछ खो दिया, लेकिन हिम्मत नहीं खोई.

‘‘मैं ने एक फेसबुक ग्रुप भी शुरू किया है, जिस का नाम है ‘कमबैक विद श्वेता’. इसे शुरू करने की एक वजह यह भी है कि बहुत से लोग बड़ी जल्दी हिम्मत हार जाते हैं. इसी के चलते किसी का तलाक हो जाता है, किसी की अपने बौयफ्रैंड से लड़ाई हो जाती है, पैसे की तंगी या फिर कोई दूसरा हादसा हो जाता है और लोग उस हादसे के सदमे से बाहर नहीं आ पाते हैं.

‘‘मुझे ही देख लो. चोट लगने से पहले मैं 100 पुशअप्स लगा लेती थी, पर अब मुझे शुरू से शुरू करना है. आप मानोगे नहीं, मुझे 143 दिन लगे एक पुलअप को दोबारा करने में. बहुत से लोग हैं, जो दोबारा शुरू करने की कोशिश ही नहीं करते हैं. मैं चाहती हूं कि अकेली मैं ही कमबैक न करूं, बल्कि और भी लोग करें. वे खुद पर भरोसा रखें और बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना पूरे दमखम के साथ करें.’’

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