Sexual Health: सैक्स न करने की वजह से हो सकते हैं आप के शरीर में नुकसान

Sexual Health: अपनी बौडी को हैल्दी और फिट रखने के लिए कई लोग जिम जाते हैं, पार्क जाते हैं, ऐक्सरसाइज करते हैं, हैल्दी डाइट लेते हैं और भी कई ऐसी चीजें करते हैं जिस से कि वे लंबे समय तक फिट रह सकें, लेकिन इन सब के साथ हमें फिट रखने के लिए एक और चीज की जरूरत पड़ती है. जी हां, सैक्स हमें फिजिकली और मैंटली दोनों तरीके से फिट रखने में मदद करता है.

कुछ लोग अपने काम की वजह से या अन्य किसी वजहों से अपनी सैक्स लाइफ को बिलकुल ही इग्नोर करने लगते हैं जो गलत है. लंबे समय तक सैक्स न करने से हमारे शरीर को काफी नुकसान पहंचता है. तो चलिए आज हम आप को बताएंगे कि सैक्स न करने से या कभीकभी करने से हमारे शरीर को किस तरह से नुकसान पहुंच सकता है.

स्ट्रैस का बढ़ना

सैक्स एक ऐसा प्रोसैस है जिसे चाहे महिला हो या पुरुष दोनों ही काफी ऐंजौय करते हैं और ऐसा माना भी गया है कि सैक्स करने से हमारे माइंड का जितना भी स्ट्रैस है, रिलीज हो जाता है. इसी के चलते अगर हम लंबे समय तक सैक्स नहीं करते हैं, तो हमारे शरीर और दिमाग में इस का गहरा असर होता है और तनाव बढ़ने के चांस ज्यादा हो जाते हैं.

स्किन का डल होना

सैक्स करने से हमारा मन काफी खुश रहता है और हैल्दी सैक्स लाइफ का मतलब है आप अपने शरीर के साथ साथ मन से भी खुश रहोगे और जो इनसान मन से खुश रहता है उस की त्वचा अपनेआप ही ग्लो करने लगती है. ऐसे में लंबे समय तक सैक्स न करने से आपकी स्किन डल और बेजान दिख सकती है.

दूसरों में बढ़ सकती है दिलचस्पी

पार्टनर्स को एकदूसरे के साथ समय जरूर बिताना चाहिए, क्योंकि अगर किसी कारण से महिला और पुरुष अपने काम के चलते अपने पार्टनर को टाइम नहीं दे पा रहे हैं और दोनों पार्टनर्स के बीच एक हैल्दी सैक्स लाइफ नहीं बन पा रही है, तो ऐसे में संभव है कि उन की दिलचस्पी बाहर किसी और में पैदा होने लगे. जब इनसान को सैक्स का सुख घर में नहीं मिलता है, तो उसे मजबूरन बाहर जाना ही पड़ता है.

इसी के साथ ही सैक्स न करने से या महीने में केवल एक या 2 बार ही सैक्स करने से इस के अलावा और भी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं जैसे कि प्राइवेट पार्ट्स में ड्राइनैस, ब्लड प्रैशर की प्रौब्लम, इम्यूनिटी का वीक होना, प्रोस्टैट कैंसर का खतरा आदि. ऐसे में जरूरी है कि आप अपने पार्टनर के साथ जितना हो सके उतना क्वालिटी टाइम बिताएं और अपनी सैक्स लाइफ को मजबूत बनाएं.

Masturbation : किशोरों में Porn Videos और मस्‍टरबेशन की लत

Masturbation :  आज के समय में हर उम्र के लोगों के हाथ में स्मार्टफोन है. वे जब चाहें कुछ भी सर्च कर सकते हैं. आजकल इंटरनैट पर सबकुछ उपलब्ध है और ऐसे में बङों की तो छोङिए, छोटे बच्चे और टीनएजर्स (teenagers) भी वे सब देखने लग जाते हैं जो उन को नहीं देखना चाहिए.

बढ़ती उम्र के बच्चों में कई सारे हारमोनल बदलाव होते हैं। ऐसे में वे इंटरनैट पर पौर्न वीडियोज सर्च कर देखने लगते हैं. न सिर्फ पौर्न वीडियोज बल्कि पौर्न वीडियोज (Porn videos) देख कर मास्टरबेट यानि हस्तमैथुन (masturbation) भी करने लगते हैं। इस से उन का किसी और चीज में मन नहीं लगता.

आने लगते हैं गलत विचार

जिस उम्र में बच्चों को सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए उस उम्र में बच्चे खुद को अकेला पा कर पौर्न वीडियोज देखने लग जाते हैं. यों मास्टरबेट करना कोई गलत बात नहीं है बल्कि कई मामलों में इस कार्य को हैल्दी भी माना गया है पर जब कोई चीज हद से ज्यादा हो जाए तो नुकसानदायक भी साबित हो सकती है.

अधिक मास्टरबेट करने से बच्चों के मन में बहुत जल्दी गलत विचार आने लगते हैं और फिर वे लड़कियों को देख उन के साथ वही सब करने का सोचने लगते हैं जो उन्होंने पौर्न वीडियोज में देखा होता है.

बच्चों के दें सैक्स ऐजुकेशन

पेरैंट्स को इस बात की जानकारी जरूर होनी चाहिए कि उन का बच्चा अपने फोन में क्या क्या चीजें सर्च करता है या किस तरह की चीजें देखता है. भारतीय पेरैंट्स अपने बच्चों से खुल कर बात नहीं कर पाते जोकि काफी गलत है. उन्हें शुरुआत से ही बच्चों को सही और गलत के बारे में बताना चाहिए और खासतौर पर जब बच्चे अपनी टीनऐज में आ जाएं तब उन्हें सैक्स संबंधित जानकारी भी देनी चाहिए।

जानें अपने बच्चों के विचार

वैसे तो हस्तमैथुन (masturbation) की लत के बारे में हमारा दिमाग हमें खुद ही सावधान कर देता है क्योंकि अधिक हस्तमैथुन शरीर में कई सारे बदलाव लाता है. जल्दी थक जाना, सारा वक्त कमजोरी महसूस करना और किसी और चीज में ध्यान न लग पाना इस बात का संकेत देते हैं कि अधिक हस्तमैथुन नहीं करना चाहिए.

टीनऐज में पेरैंट्स को इस बात का खास खयाल रखना चाहिए कि उन के बच्चे का ध्यान पढ़ाई में लग भी पा रहा है या नहीं और पेरैंट्स को अकसर बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए जिस से कि वे जान सकें कि उन के बच्चों के मन में किस तरह के विचार आते हैं.

कुदरती प्रकिया है Masturbation

बच्चों को डराना या डांटना बिलकुल नहीं चाहिए क्योंकि यह सब चीजें इस उम्र में काफी सामान्य और कुदरती हैं. बच्चों को इन्हीं सब बातों के बारे में समझाना चाहिए कि उन के लिए इस समय क्या जरूरी है और क्या नहीं.

याद रखें, हस्तमैथुन एक सामान्य क्रिया जरूर है मगर हद से अधिक करना मानसिक बीमारियों की वजह भी बन जाता है.

अच्छा यही होगा कि teenagers को सैक्स ऐजुकेशन के बारे में बताएं ताकि उन का ध्यान सैक्स से अधिक पढ़ाई पर हो. एक उम्र के बाद ही सैक्स लाइफ जीना उचित रहता है और उस समय तो कतई नहीं जब वक्त कैरियर बनाने की हो.

Alcohlic : मेरे पति शराब के अलावा चरस गांजे का भी नशा करते हैं

Alcohlic : अगर आप भी अपनी समस्या भेजना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें..

सवाल –

मेरे शादी को अभी कुछ ही समय हुआ है और शादी के समय मेरे ससुराल वालों ने मुझसे और मेरे घरवालों से यह बात छिपाई थी कि मेरे होने वाले पति कोई भी नशा नहीं करते और इसी शर्त पर मैं उनके साथ शादी करने के लिए मानी थी. शादी के बाद मेरे कुछ दिन तो बिल्कुल अच्छे निकले लेकिन अब मुझे धीरे धीरे पता चला है कि मेरे पति ना सिर्फ शराब (alcohlic) पीते हैं बल्कि चरस गांजा तक पीते हैं और इसी वजह से वे अक्सर अपने दोस्तों के साथ देर रात तक बाहर रहते हैं और उनकी इन आदतों के बारे में उनके घरवालों को भी पता था. जब मैंने उनके इस बारे में बात की तो उन्होनें पहले तो मेरी बात का ठीक से जवाब नहीं दिया पर उसके बाद उन्होनें साफ कह दिया कि हां मैं यब सब चीज़ें करता हूं. ऐसे में अब हमारे रोज लड़ाई-झगड़े होते हैं और मैं इस लड़ाई-झगड़ों से परेशान आ चुकी हूं. मेरा अपने पति के साथ रहने का बिल्कुल मन नहीं करता. मुझे क्या करना चाहिए ?

जवाब –

अक्सर मां-बाप शादी के समय अपने बच्चों की खामियां उनके ससुराल वालों से छिपा जाते हैं जो कि बेहद गलत है. हमें सबसे पहले अपने बच्चों की सारी अच्छी बुरी आदतें उनके होने वाले लाइफ पार्टनर से डिस्कस करनी चाहिए क्यूंकि अक्सर घर टूटने और तलाक की वजह यही बातें होती है.

लड़के के मां-बाप को लगता है कि शादी के बाद जिम्मेदारी आने पर लड़का अपने आप सुधर जाएगा या उसकी पत्नी उसे सुधार देगी पर वह इस बात को नहीं समझते कि शादी के बाद भी अगर उनका लड़का नहीं सुधरा तो आने वाली लड़की की जिंदगी भी खराब हो सकती है.

आपके केस में आपसे आपके पति की बुरी आदतें छिपाई गई हैं जो कि बिल्कुल गलत है. आपको सबसे पहले अपने सास-ससुर के पास जाना चाहिए और उन्हें उनके बेटे की सारी आदतों के बारे में बताना चाहिए. हो सकता है कि उन्हें अपने बेटे की सारी आदतों का ना पता हो या फिर उन्हें लगता तो कि अब उनका बेटा सुधर गया है. आप अपने सास-ससुर को बताएं कि आपके समझाने के बावजूद आपके पति नशे नहीं छोड़ रहे.

अगर आपके सास-ससुर के समझाने पर आपके पति समझ जाते हैं तो अच्छी बात है लेकिन अगर आपके पति फिर भी नहीं सुधरते तो आप अपने पति को धमकी दे सकती हैं कि अगर उन्होनें नशों की बुरी आदतें नहीं छोड़ी तो आप उन्हें छोड़ कर चली जाएंगी. ऐसे में उनको डराने के लिए आप 3-4 दिन या एक हफ्ते के लिए अपने मायते रहने चले जाइए जिससे कि आपके पति को एहसास हो कि वे जो कर रहे हैं वे बिल्कुल गलत है और इससे उनका घर कभी नहीं बस सकेगा.

अगर आपके पति नशे छोड़ना चाहते हैं और वे चाह कर भी नशे (alcohlic) नहीं छोड़ पा रहे तो आप उन्हें किसी अच्छे डौक्टर के पास ले कर जाएं ताकि उन्हें नशे छोड़ने में मदद मिल सके.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर पर 9650966493 भेजें.

SEX कबसे करना सही होगा, महीनेभर पहले वाइफ की डिलीवरी हुई है

सवाल

बच्चा होने के कितने महीने बाद सेक्स करना चाहिए?

जवाब

इस का कोई तय नियम नहीं है. बच्चा होने के बाद जब बीवी जिस्मानी तौर पर पूरी तरह से सेहतमंद हो जाए, तभी सेक्स करना चाहिए.

शारीरिक व मानसिक थकान

बच्चे के जन्म के बाद मानसिक व शारीरिक तौर पर एक औरत का थकना स्वाभाविक है. चूंकि प्रैग्नैंसी के 9 महीनों के दौरान उसे कई तरह के उतारचढ़ावों से गुजरना पड़ता है. बच्चे को जन्म देने के बाद भी उस के अंदर अनेक सवाल पल रहे होते हैं. कमजोरी और शिशु जन्म के साथ बढ़ती जिम्मेदारियां, रात भर जागना और दिन का शिशु के साथ उस की जरूरतें पूरी करतेकरते गुजर जाना आम बात होती है. औरत के अंदर उस समय चिड़चिड़ापन भर जाता है. नई स्थिति का सामना न कर पाने के कारण अकसर वह तनाव या डिप्रैशन का शिकार भी हो जाती है. मां बनने के बाद औरत कई कारणों की वजह से सैक्स में अरुचि दिखाती है. सब से प्रमुख कारण होता है टांकों में सूजन होना. अगर ऐसा न भी हो तो भी गर्भाशय के आसपास सूजन या दर्द कुछ समय के लिए वह महसूस करती है. थकावट का दूसरा बड़ा कारण होता है 24 घंटे शिशु की देखभाल करना, जो शारीरिक व मानसिक तौर पर थकाने वाला होता है. इसलिए जब भी वह लेटती है, उस के मन में केवल नींद पूरी करने की ही इच्छा होती है. कई औरतों की तो सैक्स की इच्छा कुछ महीनों के लिए बिलकुल ही खत्म हो जाती है.

अपने शरीर के बदले हुए आकार को ले कर भी कुछ औरतों के मन में हीनता घिर जाती है, जिस से वे यौन संबंध बनाने से कतराने लगती हैं. उन्हें लगने लगता है कि वे पहले की तरह सैक्सी नहीं रही हैं. स्टे्रच मार्क्स या बढ़ा हुआ वजन उन्हें अपने ही शरीर से प्यार करने से रोकता है. बेहतर होगा कि इस तरह की बातों को मन में लाने के बजाय जैसी हैं, उसी रूप में अपने को स्वीकारें. अगर वजन बढ़ गया है, तो ऐक्सरसाइज रूटीन अवश्य बनाएं.

दर्द होने का डर

अकसर पूछा जाता है कि अगर डिलीवरी नौर्मल हुई है, तो यौन संबंध कब से बनाने आरंभ किए जाएं? इस के लिए कोई निर्धारित नियम या अवधि नहीं है, फिर भी डिलीवरी के 11/2 महीने बाद सामान्य सैक्स लाइफ में लौटा जा सकता है. बच्चे के जन्म के बाद कई औरतें सहवास के दौरान होने वाले दर्द से घबरा कर भी इस से कतराती हैं. औरत के अंदर दोबारा यौन संबंध कायम करने की इच्छा कब जाग्रत होगी, यह इस पर भी निर्भर करता है कि उस की डिलीवरी कैसे हुई है. जिन औरतों का प्रसव फोरसेप्स की सहायता से होता है, उन्हें सैक्स के दौरान निश्चिंत रहने में अकसर लंबा समय लगता है. ऐसा ही उन औरतों के साथ होता है, जिन के योनिमार्ग में चीरा लगता है. सीजेरियन केबाद टांके भरने में समय लगता है. उस समय किसी भी तरह का दबाव दर्द का कारण बन सकता है. फोर्टिस ला फेम की गायनाकोलौजिस्ट डा. त्रिपत चौधरी कहती हैं, ‘‘प्रसव के बाद 2 से 6 हफ्तों तक सैक्स संबंध नहीं बनाने चाहिए, क्योंकि बच्चे के जन्म के बाद औरत न सिर्फ अनगिनत शारीरिक परिवर्तनों से गुजरती है, वरन मानसिक व भावनात्मक बदलाव भी उस के अंदर समयसमय पर होते रहते हैं. चाहे डिलीवरी नौर्मल हुई हो या सीजेरियन से, दोनों ही स्थितियों में कुछ महीनों तक यौन संबंध बनाने से बचना चाहिए. ‘‘डिलीवरी के बाद के जिन महीनों को पोस्टपार्टम पीरियड कहा जाता है, उस दौरान औरत के अंदर सैक्स संबंध बनाने की बात तक नहीं आती. प्रसव के बाद कुछ हफ्तों तक हर औरत को ब्लीडिंग होती है. ब्लीडिंग केवल रक्त के रूप में ही नहीं होती है, बल्कि कुछ अंश निकलने व डिस्चार्ज की तरह भी हो सकती है. वास्तव में यह पोस्टपार्टम ब्लीडिंग औरत के शरीर से प्रैग्नैंसी के दौरान बचे रह गए अतिरिक्त रक्त, म्यूकस व प्लासेंटा के टशू को बाहर निकालने का तरीका होती है. यह कुछ हफ्तों से ले कर महीनों तक हो सकती है.

‘‘डिलीवरी चाहे नौर्मल हुई हो या सीजेरियन से औरत के योनिमार्ग में सूजन आ जाती है और टांकों को भरने में समय लगता है. अगर इस दौरान यौन संबंध बनाए जाएं तो इन्फैक्शन होने की अधिक संभावना रहती है. औरत किसी भी तरह के इन्फैक्शन का शिकार न हो जाए, इस के लिए कम से कम 6 महीनों बाद यौन संबंध बनाने की सलाह दी जाती है. योनिमार्ग या पेट में सूजन, घाव, टांकों की वजह से सहवास करने से उसे दर्द भी होता है.’’

क्या करें

अगर बच्चा सीजेरियन से होता है, तो कम से कम 6 हफ्तों बाद यौन संबंध बनाने चाहिए. लेकिन उस से पहले डाक्टर से जांच करवानी जरूरी होती है कि आप के टांके ठीक से भर रहे हैं कि नहीं और आप की औपरेशन के बाद होने वाली ब्लीडिंग रुकी कि नहीं. यह ब्लीडिंग यूट्रस के अंदर से होती है, जहां पर प्लासेंटा स्थित होता है. यह ब्लीडिंग हर गर्भवती महिला को होती है, चाहे उस की डिलीवरी नौर्मल हुई हो या सीजेरियन से. अगर डाक्टर सैक्स संबंध बनाने की इजाजत दे देते हैं, तो इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि टांके अगर पूरी तरह भरे नहीं हैं तो किस पोजीशन में संबंध बनाना सही रहेगा. पति साइड पोजीशन रखते हुए संबंध बना सकता है, जिस से औरत के पेट पर दबाव नहीं पड़ेगा. अगर उस दौरान स्त्री को दर्द महसूस हो, तो उसे ल्यूब्रिकेंट का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि कई बार थकान या अनिच्छा की वजह से योनि में तरलता नहीं आ पाती. अगर औरत को दर्द का अनुभव होता हो तो पति पोजीशन बदल कर या ओरल सैक्स का सहारा ले सकता है. साथ ही, वैजाइनल ड्राईनैस से बचने के लिए ल्यूब्रिकेंट का इस्तेमाल करना अनिवार्य होता है. चूंकि प्रैग्नैंसी के बाद वैजाइना बहुत नाजुक हो जाती है और उस में एक स्वाभाविक ड्राईनैस आ जाती है, इसलिए नौर्मल डिलीवरी के बाद भी सैक्स के दौरान औरत दर्द महसूस करती है.

पोस्टपार्टम पीरियड बहुत ही ड्राई पीरियड होता है, इसलिए बेहतर होगा कि उस के खत्म होने के बाद ही यौन संबंध बनाए जाएं. प्रसव के 1-11/2 महीने बाद यौन संबंध बनाने के बहुत फायदे भी होते हैं. सैक्स के दौरान स्रावित होने वाले हारमोंस की वजह से संकुचन होता है, जिस से यूट्रस को सामान्य अवस्था में आने में मदद मिलती है और साथी के साथ दोबारा से शारीरिक व भावनात्मक निकटता कायम करने में यौन संबंध महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. प्रसव के बाद कुछ महीनों तक पीरियड्स अनियमित रहते हैं, जिस की वजह से सुरक्षित चक्र के बारे में जान पाना असंभव हो जाता है. इस दौरान गर्भनिरोध करने के लिए कौपर टी का इस्तेमाल करना या ओरल पिल्स लेना सब से अच्छा रहता है. अगर प्रसव के बाद कई महीनों तक औरत के अंदर यौन संबंध बनाने की इच्छा जाग्रत न हो तो ऐसे में पति को बहुत धैर्य व समझदारी से उस से बरताव करना चाहिए.

पति का सहयोग

जैसे ही औरत शारीरिक व भावनात्मक रूप से सुदृढ़ हो जाती है, संबंध बनाए जा सकते हैं. इस दौरान पति के लिए इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है कि वह पत्नी पर किसी भी तरह का दबाव न डाले या जबरदस्ती सैक्स संबंध बनाने के लिए बाध्य न करे. हफ्ते में 1 बार अगर संबंध बनाए जाते हैं, तो दोनों ही इसे ऐंजौय कर पाते हैं और वह भी बिना किसी तनाव के. पति को चाहिए कि वह इस विषय में पत्नी से बात करे कि वह संबंध बनाने के लिए अभी तैयार है कि नहीं, क्योंकि प्रसव के बाद उस की कामेच्छा में भी कमी आ जाती है, जो कुछ समय बाद स्वत: सामान्य हो जाती है.

 

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शादी से पहले मेरी पत्‍नी ने Abortion करवाया था, तबसे पीरियड्स अनियमित हो गया है, क्या करूं?

सवाल
मेरी पत्‍नी की उम्र 30 साल है. हमारी लव मैरिज है.  शादी के पहले हमने संबंध बनाए थे, जिससे उसे गर्भ ठहर गया था, तब उसने अर्बाशन करा लिया.  पर उस के बाद से ही मेरी वाइफ का पीरियड्स अनियमित हो गया है और पीरियड के दौरान स्राव भी बहुत कम होता है. वह प्रैगनेंट होना चाहती है लेकिन नहीं हो पा रही.  कहीं इसकी वजह पीरियड का अनियमित होना तो नहीं है?

जवाब
पीरियड्स  दौरान कम रक्तस्राव होने के कई कारण हो सकते हैं. इस का पता लगाने के लिए प्रारंभिक परीक्षण के तौर पर आप के पैल्विक का अल्ट्रासाउंड करना होगा, जिस में आप के गर्भाशय की भीतरी परत की मोटाई  की माप ली जाएगी. हारमोन का भी ठीक से पता लगाया जाएगा. उस के बाद अश्रमैंस सिंड्रोम पता लगाने के लिए हिस्टेरोस्कोपी जांच महत्त्वपूर्ण होगी. इस के अलावा जननांग की तपेदिक का पता लगाने के लिए बायोप्सी कर जांच के लिए भेजी जाएगी, क्योंकि पीरियड के दौरान कम रक्तस्राव होने का यह एक सामान्य कारण है. किसी अचछे चिकित्‍सक से मिल कर इस बारे में परामर्श लें. इस तरह की समस्‍याओं को अनदेखा न करें.

Boyfriend मेरे प्राइवेट पार्ट्स टच करता है. क्या मुझे करने देना चाहिए?

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सवाल –

मेरी उम्र 22 साल है. मेरा एक बौयफ्रैंड है जिस से मेरा रिलेशन 1 साल से चल रहा है. वह मुझ से बहुत प्यार करता है और मेरा अच्छे से खयाल भी रखता है. लेकिन मेरा बौयफ्रैंड जब भी मुझ से अकेले में मिलता है तो वह मेरे प्राइवेट पार्ट्स को छूने की कोशिश करता है. मैं हर बार उसे ऐसा कुछ करने से मना करती हूं लेकिन वह फिर भी नहीं मानता और कहता है कि गर्लफ्रैंड और बौयफ्रेंड में यह सब चलता है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या मुझे उसे यह सब करने देना चाहिए?

जवाब –

आजकल रिलेशनशिप में आना काफी सामान्य सी बात है और कई लोग रिलेशनशिप में न सिर्फ रोमांस बल्कि सैक्स भी कर लेते हैं. हर इंसान को रोमांस करना पसंद होता है. जैसाकि आप ने बताया कि आप का बौयफ्रैंड अकेले में आप के प्राइवेट पार्ट्स को छूता है तो ऐसे में आप खुद सोचिए कि क्या आप को अच्छा लगता है जब वह यह सब करता है?

अगर आप को यह सब अच्छा लगता है और आप का बौयफ्रैंड का टच करना पसंद आता है तो बेशक आप को उसशका साथ देना चाहिए और इसे एक ऐंजौय की तरह लेना चाहिए.

रिलेशनशिप में किसिंग, स्मूचिंग या फिर सैक्स संबंध बनाना आम बात है मगर यह जबरन नहीं, रजामंदी से हो तभी ठीक है.

अलबत्ता, आप दोनों पिछले 1 साल से रिलेशनशिप में हैं लेकिन आप हर बार अपने बौयफ्रैंड को रोमांस के लिए मना कर देती हैं पर वह फिर भी आप से प्यार करता है तो ऐसे में उस का प्यार आप के लिए सच्चा है और जिस्मानी नहीं है तो आप को उस के साथ रोमांस जरूर करना चाहिए और उसे भी थोड़ी लिबर्टी लेने दीजिए.

आप को एक अच्छा लड़का मिला हुआ है तो उसे थोड़ी छूट देने में कोई बुराई नहीं है. कहीं ऐसा न हो कि आप के इस स्वभाव की वजह से आप एक अच्छे लड़के से हाथ धो बैठें.

अगर आप श्योर नहीं हैं कि भविष्य में आप की उस के साथ शादी होगी या नहीं तो ऐसे में सैक्स को ले कर आप सोचसमझ कर कदम उठाएं लेकिन रोमांस का मजा आप खुल कर उठा सकती हैं.

अगर आप को कभी भी ऐसा फील हो कि आप सैक्स करने के लिए भी तैयार हैं तो यह करना भी कोई गुनाह नहीं है बल्कि रोमांस और सैक्स एक ऐसा अनुभव है जिसे हर कोई ऐंजौय करता है.

मगर ध्यान रहे, सैक्स के लिए दोनों की रजामंदी जरूरी है और चूंकि अभी आप दोनों को ही पहले कैरियर बनानी है, तो ऐहतियात जरूर बरतें और बौयफ्रैंड से कहें कि वह सैक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग करे. इस दौरान यह चैक भी करें कि कंडोम फट तो नहीं गया. वैसे, अच्छी क्वालिटी का कंडोम जल्द फटता नहीं और सैक्स को मजेदार बनाता है.

आप एक बात का ध्यान रखना कि आप को अपने बौयफ्रेंड को उतनी ही छूट देनी है जहां तक आप का मन मानता हो या जहां तक आप कंफर्टेबल फील करें. जहां भी आप को लगे कि आप असहज फील कर रही हैं तो उसी समय अपने बौयफ्रैंड को रोक दें.

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सैक्स के ये फायदे जानकर मचल उठेंगी महिलाएं

महिलाएं सैक्‍स के दौरान न सिर्फ आंनद का अनुभव करती है बल्कि सेक्‍स से उन्‍हे कई प्रकार के शारीरिक और भावनात्‍मक लाभ भी होते है, सेक्‍स से महिलाओं के शारीरिक सरंचना में भी परिर्वतन आता है. सैक्‍स के दौरान अपने पार्टनर द्वारा मिले शारीरिक और भावनात्‍मक सर्पोट से महिलाओं में आत्‍मविश्‍वास बढ़ता है. यूं तो महिलाओं में हमेशा सैक्‍स की चाहत होती है, लेकिन मासिक पूरा हो जाने के पांच से सात दिन तक महिलाएं सैक्स के मूड में ज्यादा होती हैं क्योंकि मासिक चक्र पूरा होने के बाद सैक्स वाले हार्मोस सक्रिय हो जाते हैं.

महावारी के पांच से सात दिन में सैक्स करना ज्यादा ही आनंद की अनुभूति कराता है साथ ही इसका लाभ कम से कम 12 दिनों तक रहता है. महावारी के बाद महिलाओं में सैक्स की तीव्र इच्छा जागृत होना स्वाभाविक है, क्योंकि इन दिनों में गर्भधारण की संभावना कम हो जाती. वैसे तो यह शारीरिक जरूरत का एक आम हिस्‍सा है. सैक्स वैवाहिक संबंधों को सुखी बनाता है और भविष्य में दोनों के बीच सैक्स को लेकर दूरियां कभी नहीं आती.

महिलाओं के लिए सैक्स के लाभ

– यह एक शारीरिक व्‍यायाम है जो आपको स्‍वस्‍थ रखता है. जीं हां महिलाओं में सैक्‍स के दौरान से शरीर में कैलोरी का जलन होता है यानी सैक्‍स शरीर का वजन कम करने में मददगार होता है. इससे महिलाओं का वजन कम होता है.

– महिलाओं में सैक्स उन्मुक्ति को बढ़ाता है, और एक अलग ही आनंद का अनुभव कराता है.

– सैक्‍स कई बीमारियों को कम करता है और अन्य बीमारियों के संक्रमण से शरीर की प्रतिरक्षा करता है, और महिलाओं को स्‍वस्थ बनाता हैं.

– सैक्स तनाव को कम करता है और महिलाओं को खुश रखने में मदद करता है.

– महिलाओं में सैक्‍स रक्तचाप को भी कम करता हैा सेक्‍स से रक्‍तचाप नियंत्रित रहता है और कई प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है.

– सैक्स दिल को मजबूत बनाता है, जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों की संभावना कम होती एक सप्ताह में सैक्स दो बार या दो से अधिक बार सेक्‍स करने से महिलाओं में घातक दिल के दौरे की संभावना उन महिलाओं के तुलना में कम हो जाती है, जो कम सेक्स करती हैा

– सैक्स महिलाओं में आत्मसम्मान को बढ़ाता है.

– सैक्स अंतरंगता और रिश्तों को बेहतर बनाता है. वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाता है.

– सैक्स करने से कई बीमारियों के दर्द से राहत मिल सकती हैं, जैसे गठिया, सिर दर्द इत्‍यादि में सैक्स के बाद कुछ राहत पा सकते हैं.

– सैक्स महिलाओं कैंसर, सिस्‍ट जैसी बीमारियों के भी खतरे को भी कम करता है.

– महिलाओं में सेक्स पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत बनाता है. संभोग के दौरान उनकी पेल्विक मांसपेशियों का व्यायाम होता है जिससे महिलाओं में यूरीन असंयम का जोखिम कम हो जाता है.

– बेहतर नींद के लिए सैक्स जरूरी है. संभोग के बाद, महिलाओं को बेहतर नींद आती है और स्वास्थ्य लाभ होता है.

पेनिस के दर्द को न करें नजरअंदाज

किसी भी तरह से लिंग में दर्द महसूस होना कोई आम बात नहीं है. यह दर्द एक समय के बाद बहुत बड़ी समस्या का कारण भी बन सकता है. यदि किसी भी व्यक्ति के लिंग (पेनिस) में बारबार दर्द हो रहा है तो, उसे लिंग में हो रहे बदलाव पर ध्यान देना चाहिए.

लिंग यानी पेनिस में दर्द होने की कई वजह हो सकती है.

पेनिस में दर्द होने की वजह-

  • चोट लगने के कारण पेनिस में ब्लड इकट्ठा हो जाता है. इसलिए भी लिंग में दर्द होना शुरू हो जाता है.
  • कई बार इन्फैक्शन की वजह से भी पेनिस में दर्द होता है.
  • इसका एक कारण पैराफिमोसिस भी हैं. यह बहुत खतरनाक प्रॉबलम है. इसमें पेनिस हेड के उपर की स्किन टाइट होने के बावजूद पीछे की तरफ खींच तो जाती है लेकिन ऊपर नहीं आ पाती. ऐसे में वह पेनिस हेड के पीछे इकट्ठा हो कर फंस जाती है. इससे पेनिस हेड में सूजन आ जाता है और सेक्स के दौरान काफी दर्द होता है.
  • कई बार दर्द इतना बढ़ जाता है की वह पेनिस के आस-पास वाले हिस्सें को भी प्रभावित करने लगता है.
  • यदि पेनिस का दर्द काफी समय से है और बढ़ता ही जा रहा है ऐसे में डाक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी हैं.

डाक्टर को कब दिखाना चाहिए-

  • लिंग में अधिक खुजली होना.
  • पेनिस के रंग में बदलाव होना.
  • पेनिस पर घाव या दाने निकलने पर.
  • लिंग या उसके आस-पास की जगह में सूजन आना.
  • पेशाब संबंधी समस्याएं, जैसे बार-बार पेशाब आना, पेशाब में जलन या दर्द होना.

दर्द से कैसे बचें

  • सेक्स संबंध बनाने के समय हमेशा कंडोम का इस्तेमाल करें.
  • यदि आपको पेनिस हेड के ऊपर वाली स्किन यानी फोरस्किन में बारबार किसी तरह का इन्फैक्शन हो जाता है, तो ऐसे में साफ सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है और समय पर इसका इलाज करवाएं.
  • सेक्स संबंध बनाने से पहले ध्यान रहे जिसके साथ संबंध बना रहे हैं उसे किसी प्रकार का इन्फैक्शन तो नहीं है. अगर इन्फैक्शन है तो उसके साथ संबंध न बनाए.
  • सेक्स के दौरान ऐसे मूवमेंट या पोजीशन से बचें जिनमें लिंग में ज्यादा घुमाव या मोड़ हो.
  • हमेशा सरल व सुरक्षित सेक्स करें. एक्सपेरिमेंट के चक्कर में कोई भी गलत पोजीशन ट्राई न करें.

हार्मोन रिप्लेसमैंट थैरेपी : ध्यान से कराएं अपना सैक्स चेंज

हाल के दिनों में जैंडर चेंज का एक हाई प्रोफाइल मामला सामने आया है. दरअसल, कभी भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी रह चुके और अब कमैंटेटर संजय बांगड़ के बेटे आर्यन ने अपना जैंडर चेंज करवा लिया है. वे लड़के से लड़की बन गए हैं. अब उन का नाम अनाया है.

बता दें कि आर्यन अब अनाया भी क्रिकेटर हैं. वे बतौर लैफ्ट हैंड बैट्समैन एक लोकल क्रिकेट क्लब ‘इसलाम जिमखाना’ की तरफ से क्रिकेट खेलते हैं.

जैंडर बदलवाने के बाद अनाया ने लिखा, ‘ताकत खो रहा, लेकिन खुशी मिल रही है. शरीर बदला, डिस्फोरिया कम हो रहा है. अभी भी काफी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन हर कदम मुझे अपना लगता है.’

दरअसल, हार्मोन रिप्लेसमैंट थैरेपी एक ऐसा तरीका है, जिस में शरीर में हार्मोन को बदल दिया जाता है. इस तरीके में औरत या मर्द के जैंडर में बदलाव किया जाता है. इस में प्लास्टिक सर्जरी की मदद भी ली जाती है. भारत में साल 2014 में इस की मंजूरी मिली थी. तब से अब तक बहुत से लोगों ने अपना जैंडर बदलवाया है.

साल 2014 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजैंडर को थर्ड जैंडर का दर्जा देने की मान्यता पर मंजूरी दी थी. यह फैसला कोर्ट ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ मामले में सुनवाई के दौरान लिया था. इस फैसले के तहत ट्रांसजैंडर को कानून की तरफ से सुरक्षा सुविधा देने की भी बात की गई थी.

इस के बाद इस फैसले पर साल 2019 में संशोधन किया गया था. ट्रांसजैंडर्स की सुरक्षा और उन के कल्याण के लिए ट्रांसजैंडर पर्सन्स (राइट औफ प्रोटैक्शन) ऐक्ट लागू हुआ था. इस ऐक्ट के मुताबिक, औफिशियल दस्तावेजों में मर्द या औरत के रूप में कानूनी रूप से पहचाने जाने के लिए ट्रांसजैंडर का जैंडर चेंज सर्जरी से गुजरना जरूरी है.

जैंडर चेंज की वजह

सवाल उठता है कि कोई अपना जैंडर चेंज कराता है? जैंडर डिस्फोरिया होने पर एक लड़का लड़की की तरह और एक लड़की लड़के की तरह जीना चाहती है यानी वे अपोजिट सैक्स में खुद को ज्यादा सहज पाते हैं. कई मर्दों में बचपन से ही औरतों जैसी और कई औरतों में मर्दों जैसी आदतें होती हैं.

इस के लक्षण 10-12 साल की उम्र से दिखना शुरू हो जाते हैं. जैसे कोई मर्द है तो वह औरतों जैसे कपड़े पहनना पसंद करने लगेगा, उन की तरह चलने की कोशिश करेगा, उन्हीं की तरह इशारे करेगा. ऐसा ही औरतों के साथ होता है, जिस में वे मर्दों की तरह जीना चाहती हैं. ऐसे हालात में इन लोगों को सैक्स चेंज करना होता है.

जैंडर बदलने के नियम

कानून के तहत जो भी मर्द या औरत अपना जैंडर बदलना चाहता है, इस के लिए नए नियम लागू किए गए थे. इस के मुताबिक, एक शख्स ट्रांसजैंडर प्रमाणपत्र के लिए जिला मजिस्ट्रेट या जिला अधिकारी के पास आवेदन कर सकता है. जिला अधिकारी किसी शख्स को उस के जन्म प्रमाणपत्र पर नाम बदलने और सभी दस्तावेजों को उसी मुताबिक अपडेट करने का अधिकार देते हैं.

इस के अलावा नियम यह भी है कि जैंडर चेंज सर्जरी के बाद ट्रांसजैंर को जिला मजिस्ट्रेट से संशोधित प्रमाणपत्र के लिए भी आवेदन करना पड़ता है. जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी मिलने के बाद ही वह मर्द या औरत के रूप में पहचाना जा सकता है.

मुश्किलें भी आती हैं

सैक्स चेंज कराने का यह तरीका जितना आसान लगता है उतना है नहीं. इस के फायदे और नुकसान दोनों हैं, जैसे :

जैंडर चेंज होने से इनसान को अपना जैंडर मनमुताबिक करने का मौका मिलता है. यह सर्जरी अपने शरीर के साथ आत्मसम्मान महसूस कराती है. इस से आप का आत्मविश्वास बढ़ता है.

पर इस सर्जरी में रिस्क भी बहुत होता है. जरा सी चूक भी इंफैक्शन की वजह बन सकती है. सर्जरी के दौरान या बाद में ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है. जैंडर चेंज सर्जरी में हार्मोन का बैलेंस बिगड़ने की समस्या भी हो सकती है. इस की वजह से मानसिक तनाव का सामना भी करना पड़ सकता है.

इस सर्जरी के बाद सामाजिक लैवल पर भी कई मुसीबतें झेलनी पड़ सकती हैं. साथ ही, इस सर्जरी को कराने में पैसा भी काफी खर्च होता है.

डाक्टरों के मुताबिक, इस सर्जरी को कराने वाले लोग कभी मांबाप नहीं बन सकते हैं, पर वे सैक्स जरूर कर सकते हैं.

शादी से पहले इन 10 बातों का रखें खास ध्यान

आमतौर पर सगाई होते ही लड़का लड़की एकदूसरे को समझने के लिए, प्यार के सागर में गोते लगाना चाहते हैं. एक बात तो तय रहती है खासकर लड़के की ओर से, क्या फर्क पड़ता है, अब तो कुछ दिनों में हम एक होने वाले हैं, फिर क्यों न अभी साथ में घूमेंफिरें. उस की ओर से ये प्रस्ताव अकसर रहते हैं कि चलो रात में घूमने चलते हैं, लौंग ड्राइव पर चलते हैं.

वैसे तो आजकल पढ़ीलिखी पीढ़ी है, अपना भलाबुरा समझ सकती है. वह जानती है उस की सीमाएं क्या हैं. भावनाओं पर अंकुश लगाना भी शायद कुछकुछ जानती है. पर क्या यह बेहतर न होगा कि जिसे जीवनसाथी चुन लिया है, उसे अपने तरीके से आप समझाएं कि मुझे आनंद के ऐसे क्षणों से पहले एकदूसरे की भावनाओं व सोच को समझने की बात ज्यादा जरूरी लगती है. मन न माने तो ऐसा कुछ भी न करें, जिस से बाद में पछतावा हो.

मेघा की शादी बहुत ही सज्जन परिवार में तय हुई. पढ़ालिखा, खातापीता परिवार था. मेघा मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छे ओहदे पर थी. खुले विचारों की लड़की थी. मंगनी के होते ही लड़के के घर आनेजाने लगी. जिस बेबाकी से वह घर में आतीजाती थी, लगता था वह भूल रही थी कि वह दफ्तर में नहीं, ससुराल परिवार में है. शुरूशुरू में राहुल खुश था. साथ आताजाता, शौपिंग करता. ज्योंज्यों शादी के दिन नजदीक आते गए दूरियां और भी सिमटती जा रही थीं. एक दिन लौंग ड्राइव पर जाने के लिए मेघा ने राहुल से कहा कि क्यों न आज शाम को औफिस के बाद मैं तुम्हें ले लूं. लौंग ड्राइव पर चलेंगे. एंजौय करेंगे.

पर यह क्या, यहां तो अच्छाखास रिश्ता ही फ्रीज हो चला. राहुल ने शादी से इनकार कर दिया. कार्ड बंट चुके थे, तैयारियां पूरी हो चली थीं. पर ऐसा क्या हुआ, कब हुआ, कैसे हुआ? पूछने पर नहीं बताया, बस इतना दोटूक शब्दों में कहा कि रिश्ता खत्म. बहुत बाद में जा कर किसी से सुनने में आया कि मेघा बहुत ही बेशर्म, चालू टाइप की लड़की है. राहुल ने मेघा के पर्स में लौंग ड्राइव के समय रखे कंडोम देख लिए. यह देख कर उस ने रिश्ता ही तोड़ना तय कर लिया. शायद उसे भ्रम था मेघा पहले भी ऐसे ही कई पुरुषों के साथ इस बेबाकी से पेश आ चुकी होगी.

कौन सी बातें जरूरी

इसलिए बेहतर है कोर्टशिप के दौरान आचरण पर, अपने तौरतरीकों पर, बौडी लैंग्वेज पर विशेष ध्यान दें. वह व्यक्ति जिस से आप घुलमिल रही हैं, भावी जीवनसाथी है, होने वाला पति है, हुआ नहीं. तर्क यह भी हो सकता है, सब कुछ साफसाफ बताना ही ठीक है. भविष्य की बुनियाद झूठ पर रखनी भी तो ठीक नहीं. लेकिन रिश्तों में मधुरता, आकर्षण बनाए रखने के लिए धैर्य की भावनाओं को वश में रखने की व उन पर अंकुश लगाने की जरूरत होती है.

प्यार में डूबें नहीं

शादी के पहले प्यार के सागर में गोते लगाना कोई अक्षम्य अपराध नहीं. मगर डूब न जाएं. कुछ ऐसे गुर जरूर सीखें कि मजे से तैर सकें. सगाई और शादी के बीच का यह समय यादगार बन जाए, पतिदेव उन पलों को याद कर सिहर उठें और आप का प्यार उन के लिए गरूर बन जाए और वे कहें, काश, वे पल लौट आएं. इस के लिए इन बातों के लिए सजग रहें-

  1. बहुत ज्यादा घुलना-मिलना ठीक नहीं.
  2. मुलाकात शौर्ट ऐंड स्वीट रहे.
  3. घर की बातें न करें.
  4. अभी से घर वालों में, रिश्तेदारों में मीनमेख न निकालें.
  5. एकदूसरे की भावनाओं का सम्मान करें.
  6. अनर्गल बातें न करें.
  7. बेबाकी न करें. बेबाक को बेशर्म बनते देर नहीं लगती.
  8. याद रहे, जहां सम्मान नहीं वहां प्यार नहीं, इसलिए रिश्तों को सम्मान दें.
  9. कोशिश कर दिल में जगह बनाएं. घर वाले खुली बांहों से आप का स्वागत करेंगे.
  10. मनमानी को ‘न’ कहने का कौशल सीखें.
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