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सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड्स 2025
SEO Keywords:
saras salil kavita
रूप को आंख से भी जरा पीया कीजे
भर कर अपनी बांहों में खूब प्यार कीजिए
जाड़े की तपिश और तेरा अंगूरी बदन
रसभरे तेरे होंठों की आपसी घिसाई में
सावन में उन की हो गई
थाम लो मुझे हाथ बढ़ाकर
कैसे कहें कि हमें उन की चाहत हो गई
न पूछो हाल गोरी का, खुला खजाना गोरी का
जिस्म मेरा जलने लगा है जवानी की आग में
कभी यहां दिल न लगाना
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