भारतीय सेना को मजबूत बनाने के लिए सरकार लगातार बड़े देशों से रक्षा उपकरणों की डील कर रही है. सरकार ने राफेल डील को भी हरी झंडी दे दी है. आज हम बात करेंगे उन हथियारों की जो हाल ही में भारतीय सेना के खेमे में शामिल हुए हैं. इन हथियारों में सबसे अहम है अपाचे लड़ाकू विमान और AK-203 रायफल.
अपाचे विमान क्या है
आधुनिक युद्ध क्षमता वाले अपाचे हेलिकौप्टर को अमरीकी कंपनी बोइंग ने बनाया है. ये हेलिकौप्टर कई तरह के मिशनों में रोल अदा करेगा. इस बात की पुष्टि खुद वायु सेना चीफ बीएस धनोआ ने की. अपाचे हेलिकौप्टर 27 जुलाई को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस लाया गया था. फिर ट्रायल के बाद इन्हें पठानकोट एयरबेस भेज दिया गया जहां मंगलवार को औपचारिक रूप से इन्हें भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया. वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे. भारतीय वायु सेना ने इस हेलिकौप्टर की पहली उड़ान का वीडियो भी साझा किया था. इस हेलिकौप्टर के लिए भारत ने बोइंग और अमरीकी सरकार से 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों का समझौता किया था. पहले आठ हेलिकौप्टर तय समय पर आ गए हैं और बाक़ी मार्च 2020 तक आएंगे.
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अब हम आपको बताते हैं कि इस हेलिकौप्टर की खासियत क्या है…
अपाचे हेलिकौप्टर के साइज की बात करें तो ये करीब 16 फुट ऊंचे और 18 फुट चौड़े अपाचे हेलिकौप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट होना जरूरी है. अपाचे हेलिकौप्टर के बड़े विंग को चलाने के लिए दो इंजन होते हैं. इस वजह से इसकी रफ्तार बहुत ज्यादा होती है. इस खास हेलिकौप्टर की रफ्तार की बात करें तो ये 280 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ता है.
इस हेलिकौप्टर की सबसे खास बात है कि इसको रडार में पकड़ा नहीं जा सकता. असल में अपाचे हेलिकौप्टर का डिजाइन ऐसा है कि इसे रडार पर पकड़ना मुश्किल होता है. इस हेलिकौप्टर को बनाने वाली कंपनी बोइंग के अनुसार, बोइंग और अमरीकी फ़ौज के बीच स्पष्ट अनुबंध है कि कंपनी इसके रखरखाव के लिए हमेशा सेवाएं तो देगी पर ये मुफ़्त नहीं होंगी.
अपाचे की क्षमता का आंकलन आप इसी से लगा लीजिए कि ये 16 एंटी टैंक मिसाइल छोड़ सकती है. हेलिकौप्टर के नीचे लगी राइफ़ल में एक बार में 30एमएम की 1,200 गोलियां भरी जा सकती हैं. इसकी फ्लाइंग रेंज करीब 550 किलोमीटर ये एक बार में पौने तीन घंटे तक उड़ सकता है. दुनिया के 15 देश बोइंग के इस हमलावर अपाचे हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनमें अमेरिका से लेकर यूके, इजरायल, कुवैत, सऊदी अरब, सिंगापुर, मिस्र जैसे देश शामिल हैं.
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AK- 203 रायफल की खासियत…
पीएम मोदी इस वक्त रूस के दौरे पर हैं. रूस भारत का सदाबहर दोस्त रहा है. 1971 के समय जब भारत-पाकिस्तान का युद्द हुआ था तो दुनिया के दो ताकतवर मुल्क यूके (युनाइटेड किंगडम) और यूएस (अमेरिका) दोनों पाकिस्तान का साथ दे रहे थे. ऐसे में रूस ने भारत की तरफ से परमाणु हथियारों से लैस पोत भारत को भेज दिए थे. तब से ही भारत और रूस के रिश्ते मधुर रहे हैं. भारत और रूस के बीच दशकों से सामरिक साझेदारी रही है. एयर डिफेंस सिस्टम्स से लेकर न्यूक्लियर सबमरीन्स तक, रूस ने भारत को कई खतरनाक हथियार एक्सपोर्ट किए हैं. AK-203 इस रिश्ते को एक नए मुकाम पर ले जाती है.
साल 1994 में भारतीय सेना ने INSAS राइफलों को शामिल किया गया था. AK-203 उसी की जगह लेगी. एके राइफल्स की सीरीज में बेसिक फायरिंग मेकेनिज्म और इंटरनल्स एक जैसे ही रहे हैं. कलाशनिकोव राइफलें गैस-ऑपरेटेड होती हैं. इनमें लौन्ग स्ट्रोक गैस पिस्टन और रोटेटिंग बेल्ट होती है. एक राइफल से हर मिनट 600 से 700 राउंड्स के बीच फायर किए जा सकते हैं.
AK-47 को 1947 में डिजाइन किया गया था. इसमें वुडेन स्टौक, भारी मैगजीन का इस्तेमाल होने की वजह से इसका वजन ज्यादा हो गया था. नई सीरीज (AK-103/203) में शुरुआती डिजाइन की कमियों को दूर किया गया है. AK-203 में टौप कवर हिंज को कवर करने के लिए फ्रंट ट्रनियन और रियर साइट बेस को री-डिजाइन किया गया है. लौकिंग मेकेनिज्म को टॉप पर रखा गया है. AK-203 में साइड फोल्डिंग, 4 पोजिशंस वाला टेलीस्कोपिंग शोल्डर स्टौक है. इस स्टॉक को 40mm अंडरबैरेल ग्रेनेड लौन्चर के साथ आराम से इस्तेमाल किया जा सकता है.
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