आखिर कब पड़ती है किसी और की जरूरत

Sex News in Hindi: वैवाहिक जीवन (Married Life) में सैक्स की अहम भूमिका होती है. लेकिन यदि पति किसी ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर (Abnormal Sexual Disorder) से ग्रस्त हो, तो पत्नी की जिंदगी उम्र भर के लिए कष्टमय हो जाती है. (Sexologist) सैक्सोलौजिस्ट डा. सी.के. कुंदरा ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उन की क्लीनिक में शादी के बाद कृष्णानगर की मृदुला अपनी मां के साथ आई. हुआ यह था कि शादी के बाद मृदुला एकदम बुझीबुझी सी मायके आई, तो उस की मां उसे देख कर परेशान हो गईं. लेकिन मां के लाख पूछने पर भी उस ने कोई वजह नहीं बताई. उस ने अपनी सहेली आशा को बताया कि वह अब ससुराल नहीं जाना चाहती, क्योंकि उस के पति महेश उस से संबंध बनाने के दौरान उस के यौनांग में बुरी तरह से चिकोटी काटते हैं और पूरे शरीर को हाथ फेरने के बजाय नाखूनों से खरोंचते हैं. जिस से घाव बन जाते हैं, हलका खून निकलता है. उसे देख कर महेश खुश होते हैं. फिर संबंध बनाते हैं. यह कह कर मृदुला रोने लगी. डा. कुंदरा ने आगे बताया कि आशा ने जब उस की मां को यह बात ताई तो वे मृदुला को ले कर मेरे पास आईं.

मृदुला की तरह कई महिलाएं अपनी पीड़ा को व्यक्त नहीं कर पाती हैं. मृदुला का पति ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से ही पीडि़त था. इस स्थिति में स्त्री के लिए पूरी जिंदगी ऐसे पुरुष के साथ बिताना असंभव हो जाता है. उसे ऐसे किसी व्यक्ति की जरूरत महसूस होने लगती है, जो उस के मन की बात को समझे और उसे क्या करना चाहिए, इस के बारे में बताए.

कारण

सैक्सोलौजिस्ट डा. रामप्रसाद शाह के मुताबिक, ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से व्यक्ति कई कारणों से ग्रसित होता है:

सैक्सफेरामौन: यानी गंध के प्रति कामुकता. ऐेसे पुरुष स्त्री देह की गंध से उत्तेजित हो कर सैक्स करते हैं. ऐसे में कोई भी स्त्री, जिस की देह गंध से ऐसा व्यक्ति उत्तेजित हुआ हो, उसे हासिल करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है.

ऐक्सेसिव डिजायर: दीपक की उम्र 60 साल से ऊपर है. इस के बावजूद भी वह घर से बाहर सब्जी बेचने वाली, घरों में काम करने वाली और सस्ती कालगर्ल से कभीकभी सुबह तो कभी रात भर रख कर संबंध बनाता है. संबंध बनाने के लिए वह शराब का भी सहारा लेता है. घर वाले उस से परेशान रहते हैं, इसलिए उस से अलग और दूर रहते हैं. ऐसे शारीरिक संबंध बनाने वाला व्यक्ति ऐक्सेसिव डिजायर  पीडि़त होता है.

फेटिशिज्म: इस में व्यक्ति उन चीजों के प्रति आकर्षित रहता है, जो उस की सैक्स इच्छाओं को पूरा करने में सहायक होती हैं. जैसे सैक्सी किताबें, महिलाओं के अंडरगारमैंट्स और दोस्तों से सैक्स की बातें करना.

लक्ष्मी नगर की निशा का कहना है कि उस के पति दिनेश हमेशा दोस्तों के साथ किनकिन महिलाओं के साथ सहवास कबकब और कैसेकैसे किया जैसी बातें हमेशा करते हैं. उस के बाद वह निशा से संबंध बनाने की कोशिश करते हैं. ऐसे व्यक्ति महिलाओं को छिप कर देखने के साथ उन के साथ संबंध बनाने के लिए आतुर भी रहते हैं.

बस्टियैलिटी: ऐसे पुरुष पर सैक्स इतना हावी हो जाता है कि वह किसी से भी सहवास करने में नहीं झिझकता. जयपुर का रमेश अपनी इसी आदत की वजह से अपनी साली की 14 साल की लड़की से शारीरिक संबंध बना बैठा. ऐसे पुरुषों द्वारा अकसर रिश्तों की मर्यादा को ताक पर रख कर ऐसे संबंध बनाए जाते हैं. ऐसे में असहाय महिलाएं, लड़कियां, यहां तक कि पशु भी गिरफ्त में आ जाते हैं.

ऐग्जिबिशनिज्म: इस से ग्रस्त व्यक्ति अपने गुप्तांग को महिला या छोटेछोटे बच्चेबच्चियों को जबरदस्ती दिखाता है. इस से उसे खुशी के साथ संतुष्टि भी मिलती है. लेकिन इस से अप्रत्यक्ष रूप से ही सही हानि होती है इसलिए इसे अब गैरकानूनी की धारा में रखा जाता है. इस में जुर्माना और कैद भी है.

पीडोफीलिया: इस सैक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त पुरुष अकसर छोटी उम्र की लड़कियों व लड़कों से संबंध बना कर अपनी कामवासना को संतुष्ट करता है. नरेंद्र की उम्र 50 के ऊपर हो चुकी थी पर वह बारबार 14 से 15 साल की नाबालिग लड़की से शारीरिक संबंध बनाने की लालसा रखता था. आखिर उस ने नाबालिग से संबंध बना ही डाला और कई दिनों तक सहवास करता रहा. अंत में पकड़े जाने पर नेपाल की जेल में 14 साल की सजा काट रहा है.

वैवाहिक रेप

हालांकि यह अजीब सा लगता है कि विवाह के बाद पति द्वारा पत्नी का रेप. लेकिन इस में कोई दोराय नहीं कि आज भी कई विवाहित महिलाओं को इस त्रासदी से गुजरना पड़ता है, क्योंकि अकसर पति अपनी पत्नी की इच्छाओं, भावनाओं को भूल कर जबरन यौन संबंध बनाता है. यह यौन शोषण और बलात्कार की श्रेणी में आता है. हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 375 और 379 के तहत पत्नी को अधिकार है कि वह ऐसा होने पर कानूनी तौर पर तलाक ले सकती है.

समाधान

सैक्सोलौजिस्ट डा. रामप्रसाद शाह का कहना है कि ऐसी स्थिति में नईनवेली दुलहन को संयम से काम लेना चाहिए. वह पति की उपेक्षा न कर के व ताना न दे कर प्यार से उसे समझाए.

सामान्य सहवास के लिए प्रेरित करे. ऐसे लोगों का मनोचिकित्सक द्वारा इलाज किया जा सकता है. ऐसे मरीज की काउंसलिंग की जाती है और बीमारी किस हद तक है पता चलने पर सलाह दी जाती है. अगर पति तब भी ठीक न हो और मानसिक व शारीरिक पीड़ा पहुंचाए, तो पत्नी तलाक ले कर अपनी जिंदगी को नई दिशा दे सकती है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि मस्तिष्क में स्थित न्यूरो ट्रांसमीटर में किसी प्रकार की खराबी, मस्तिष्क में रासायनिक कोशिकाओं में कमी, जींस की विकृति आदि इस समस्या की वजहें होती हैं और अकसर 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति इस के शिकार होते हैं. गलत संगत, अश्लील किताबें पढ़ना, ब्लू फिल्में देखना आदि भी इस में सहायक होते हैं.

अगर सेक्स के दौरान होता है दर्द तो हो सकता है ये कारण

यदि आपने कभी संभोग के दौरान दर्द महसूस किया है तो घबराइए मत क्यूंकि आप अकेली नहीं हैं. डौक्टरों ने इस समस्या को ‘डिस्पेर्यूनिया’ का नाम दिया है और उनके अनुसार यह दो श्रेणियों में विभाजित है: एक में योनि में असहाय दर्द महसूस होता है, और दूसरी में योनि की ऊपरी सतह में पीड़ा का एहसास होता है. डौक्टरों का यह भी कहना है कि ऐसा होना बेहद आम है.

लेकिन कितना आम? और यह होता क्यों है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने देश भर में से 6500 से अधिक महिलाओं से बात की. शोधकर्ताओं ने महिलाओं से पूछा कि क्या पिछले साल सेक्स की वजह से उन्हें तीन या अधिक महीनों के लिए दर्द महसूस हुआ था और अगर हुआ था तो वो कितना बुरा था. महिलाओं को सेक्स सम्बंधित और मुद्दों के बारे में भी प्रश्न पूछे गए जैसे कि, क्या उन्हें उत्तेजित होने में कठिनाई होती है या सेक्स को लेकर किसी भी प्रकार की बेचैनी महसूस होती है.

शोधकर्ताओं ने जाना कि साढ़े सात प्रतिशत ब्रिटिश महिलाओं को सेक्स के दौरान दर्द का अनुभव हुआ था. सिर्फ दो प्रतिशत महिलायें ऐसी थी जिनके लिए दर्दनाक सेक्स एक गंभीर समस्या था: उन्हें कई महीनों तक दर्द रहता था, हर बार सेक्स के समय दर्द होता था और उसकी वजह से वे बेहद तनावग्रस्त भी रहती थी.

शोध से पता चला कि सेक्स के दौरान दर्द महसूस करना 16 से 24 वर्ष और 55 से 64 वर्ष की उम्र के बीच की महिलाओं में ज्यादा आम है. शोधकर्ताओं ने यह भी जाना कि डिस्पेर्यूनिया से पीड़ित महिलाएं चाहती थी कि काश उन्हें इस समस्या के बारे में तब और पता होता जब उन्होंने अपना कौमार्य खोया था. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह महत्त्वपूर्ण है कि यौन शिक्षक और स्वास्थ्य सलाहकार सेक्स के दौरान दर्द होने की संभावना के बारे में खुले तौर पर बात करें.

सेक्स के दौरान तालमेल

अध्ययन में बताया गया है कि सेक्स के दौरान पीड़ा भी उन बाकी समस्याओं की तरह ही है जो एक महिला को अपने साथी के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने से हो सकती है. इसमें शायद कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि वही महिलाएं ज्यादा दर्द महसूस करती हैं जो सेक्स को लेकर ज्यादा घबराई हुई रहती हैं और जिन्हें यही चिंता सताती रहती है कहीं उत्तेजना जरुरत से ज्यादा ना बढ़ जाए. वो ना तो यौन क्रिया का पूरी तरह आनंद उठा पाती हैं (क्यूंकि तनाव की वजह से उनकी योनि में नमी उत्पन्न नहीं हो पाती और वो सूखी रहती है) और ना ही अपने साथी की जरूरतों (सेक्स के दौरान) के प्रति जागरूक रह पाती हैं.

अगर सेक्स के मामले में आप अपने और अपने साथी के बीच तालमेल में कमी महसूस कर रही हैं जैसे कितना सेक्स करना है, या सेक्स के दौरान आप दोनों को क्या पसंद है और क्या नहीं या इस बारे में बात करने में झिझक महसूस करती हैं – इन सभी की वजह सेक्स के दौरान आपका दर्द महसूस करना हो सकता है.

अध्ययन ने यह भी दर्शाया कि कुछ स्वास्थ्य समस्याएं किसी महिला के यौन जीवन से संबंधित नहीं होती हैं, कम से कम एक स्पष्ट तरीके से तो नहीं. यह भी सेक्स के दौरान दर्द के अनुभव की वजह से हो सकती हैं. उदाहरण के लिए, कोई एक से अधिक पुरानी बीमारी होना या कोई मानसिक स्वास्थ्य समस्या जैसे निराशा (डिप्रेशन), के तार भी डिस्पेर्यूनिया से जुड़े हो सकते हैं.

फोरप्ले

यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि शोधकर्ता यह सुनिश्चित नहीं कर पाए हैं कि इसका असली कारण क्या है. हालांकि उन्हें पता है कि यह अक्सर स्वास्थ्य संबंधी या एक रिश्ते में सेक्स सम्बंधित समस्याओं की वजह से ही होता है लेकिन किसकी वजह से क्या होता है, इस निष्कर्ष पर वो अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं.

क्योंकि यह अभी भी एक रहस्य ही है और दर्दपूर्ण सेक्स के कई संभावित कारण हो सकते हैं, इसीलिए इस समस्या का कोई एक समाधान नहीं है. लेकिन फोरप्ले इसमें जरूर मदद कर सकता है. और सिर्फ फोरप्ले नहीं, खूब सारा फोरप्ले! जब एक महिला उत्तेजित होती है तो उसकी श्रोणी की मांसपेशियों को आराम पहुंचता है और योनि भी अच्छी तरह से चिकनाई युक्त हो जाती है. महिलाओं के लिए दर्द-मुक्त, और सुखद सेक्स की ओर यह पहला कदम है. तो धीमा और लंबा फोरप्ले इस दर्द से मुक्ति पाने का पहला उपचार है.

पिछला प्रेम और सेक्स

‘लव, सैक्स और धोखा’ यह सिर्फ फिल्मी लफ्फाजी नहीं, आजकल युवाओं की जिंदगी इन्हीं 3 शब्दों के इर्दगिर्द है. रिश्तों की जरूरत को न समझने की आदत अब हमारे जीवन का हिस्सा बन रही है, जिस से रिश्ते कमजोर हो रहे हैं.

प्रेम, विछोह और पुनर्मिलन के परंपरागत कौन्सैप्ट से दूर रंगीन परदे पर अब लव, सैक्स और धोखे का तड़का ही ज्यादा नजर आता है. आजकल इंस्टैंट लव और उस के बाद इंस्टैंट सैक्स नैटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो के जरखरीद प्लेटफौर्मों का ट्रैंड बन गया है.

प्रेम आधारित शो में वासना, कामुकता, स्वार्थ और धोखे का रंग ज्यादा नजर आता है. उन में समर्पण, विश्वास, संयम, प्रेम जैसी भावनाएं नहीं बल्कि बिंदासपन हावी है.

हिंदी सिनेमा ने प्यार पर आधारित बेहतरीन फिल्में दी हैं. ‘मुगलेआजम’, ‘पाकीजा’, ‘लैला मजनू’, ‘सोनी महिवाल’ जैसी फिल्मों को याद करिए. उस परंपरा से बिलकुल अलहदा आज की फिल्में या धारावाहिक प्यार और सैक्स की सीमाओं को तोड़ते नजर आते हैं.

प्यार का अर्थ है सैक्स और तृप्ति, जो बैडरूम की सीमा से बाहर भी कहीं भी हो सकता है. अब हर शो में कन्फ्यूज्ड प्रेमियों की कहानी परोसी जा रही है, जो तार्किक रूप से रिश्तों के साथ इंसाफ नहीं कर पाती. असलियत यह है कि आज की फिल्में व शो रिश्तों को ज्यादा छिछला बना रहे हैं. ये प्यार और सैक्स जैसी बेशकीमती भावना को बहुत हलका कर रहे हैं.

‘मनमरजियां’ ऐसी हिंदी फिल्म थी जिस में प्यार की कहानी टिंडर और फेसबुक से शुरू हुई थी. उस के बाद प्रेमीप्रेमिका छिपछिप कर मिलने लगते हैं. उन का मिलन अपनी सारी हदें लांघ जाता है. विवाहपूर्व शारीरिक संबंधों पर दोनों को कोई एतराज नहीं, बल्कि वे इसे ही प्यार समझते हैं. लड़की के परिवार वाले उसे रंगेहाथों पकड़ भी लेते हैं, लेकिन प्यार को हलके में लेने वाले, गैरजिम्मेदार और लापरवाह लड़के के लिए शादी कर के जिम्मेदारी लेना एक आफत होती है. इस तरह के लड़के कहते हैं कि प्यार के लिए शादी की क्या जरूरत. मगर लड़कियां आज भी प्रेमी से कमिटमैंट चाहती हैं. कमिटमैंट पर वे उस के साथ भागने को भी तैयार हो जाती हैं.

लड़कियों को जब एहसास होता है कि प्रेमी जिम्मेदार साथी बनने के लायक नहीं है क्योंकि उस की जेब खाली है और भविष्य में उसे जीवनयापन के लिए क्या करना है, इस की भी कोई रूपरेखा उस ने तैयार नहीं की है, तो उसे छोड़ कर उन्हें वापस लौटना पड़ता है.

इस के बाद उन के जीवन पर काला धब्बा पड़ा रहता है. उन्हें अपनी गलती का एहसास रहता है. उन्हें किसी भी नए जने से मिलने में हिचकिचाहट होती है. जिस रिश्ते में सीमाओं की गरिमा और परिवार की इज्जत की कोई परवा न हो और लड़की बिंदास जीवन जीने की आदी हो तो वह हमेशा उसी मोल्ड में वापस जाने को बेचैन रहती है जिस में पहला प्रेमी मिला था. परिवार तो साथ देते ही हैं चाहे उन की संतान कैसी भी हो.

शारीरिक सुख पाने की हवस में लड़की की आंखों पर ऐसा परदा पड़ जाता है कि वह अपने प्रेमी की असलियत नहीं समझ पाती.उस में इंसान की परख करने की क्षमता नहीं रहती है. वह बारबार नए आदमी के साथ हमबिस्तर होती है, वह भी खुलेआम. जबकि, लड़का उस से शादी कर के परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं है और जो व्यक्ति उस से शादी कर के जिम्मेदारी उठाने को तैयार है, यानी पुराने साथी के प्रति भी वह वफादार नहीं रह पाती है.

हालांकि उस की और उस के प्रेमी के बीच शारीरिक संबंधों की जानकारी होने पर ‘कोई बात नहीं’ कह कर वह स्वीकार कर ले मगर जिस वफादारी की उसे अपने साथी से उम्मीद हो, वह उस पर भी खरा न उतरे तो जिंदगी फिर एक बो  झ बन जाती है.

लड़कियों को ध्यान रखना चाहिए कि जिस के लिए प्यार का मतलब सिर्फ सैक्स है, वह उन के मतलब का नहीं. जिम्मेदारी लेना, रिश्तों को निभाना उस के बस में होना चाहिए. ऐसे लड़के कम होते हैं जो बेवफाई देख कर भी खामोशी ओढ़े रहें, उस के खून में जैसे कोई गरमी ही न हो, जैसे उस की रीढ़ की हड्डी न हो. दब्बू और कायर प्रेमी, जो अपनी प्रेमिका की तमाम गलत हरकतें देखते हुए भी खामोशी ओढ़े रहें, कम ही होते हैं. हर हाल में माफ करने और उस के साथ रहने को लालायित प्रेमी भी नहीं मिलते, याद रखें.

हमारे पुराण ऐसी कहानियों से भरे हैं जिन में ऋषिमुनि शारीरिक मिलन की बेताबी के आगे जगह और वक्त भी नहीं देखते, पर उस का खमियाजा ही लड़कियां भोगती रही हैं. आज भी वह बात बेटों में मौजूद है और ऐसे लड़कों की कमी नहीं. उन का प्रेम शारीरिक संबंध बनाने भर पर खत्म होता है.

प्रेमी महज डीजे है, जिस की कोई स्थायी कमाई नहीं है. बस ‘खाओ, खेलो’ के सिद्धांत पर चलने वाले लक्ष्यहीन और लापरवाह प्रेमी बहुत हैं. फिर भी उन्हें प्रेमिकाएं मिल जाती हैं. यहां तक कि उन्हें अपनी दूसरी प्रेमी के सामने प्यार का इजहार करने में कोई डर,  ि झ  झक या शर्मिंदगी नहीं होती. ऐसी लड़कियां भी कम नहीं हैं जो स्वार्थी हों और सिर्फ अपने मन की करने में विश्वास रखती हों, जिन्हें अपने परिवार की इज्जत की कोई परवा न हो. उन के आगे लौजिक की कोई लाइन नहीं खिंची है. उन्हें, दरअसल, लड़कों की परख नहीं है. यही वजह है कि वे बारबार अपने प्रेमियों से धोखा खाती हैं पर बारबार उन के साथ हमबिस्तर भी होती हैं क्योंकि उन्हें वही मोमैंट अच्छे लगते हैं.

कितनी ही लड़कियां प्रेमी के चक्कर से नहीं छूटना चाहतीं. वे चोरीछिपे मिलती रहती हैं और शारीरिक संबंध बनाती रहती हैं चाहे दूसरा प्रेमी भी हो या शादी हो गई हो. दरअसल, उन्हें ट्रौफी गर्ल, जो ड्राइंगरूम की शोभा बनती है, रैस्तरां में दूसरे लड़कों में ईर्ष्या पैदा करती हैं, बनना अच्छा लगता है और वे इसे मानती हैं कि जीवन सफल हो गया. प्यार की जटिलताओं को सम  झने में सैक्स का तड़का ठीक नहीं, इस से जीवन स्थिर नहीं होता.

आज ऐसे परिवारों की गिनती बढ़ती जा रही है जहां परिवार के बुजुर्ग अपनी मनमरजी करने वाली बेटी या बेटे के कारण बारबार निराश व अपमानित होते हैं. अनिश्चितता से घिरी एक लड़की, जो सैक्स और प्रेम में विभेद न जाने, जिस के लिए परिवार की इज्जत और जिम्मेदारी कोई माने नहीं रखती है,  कितनी दूर तक जीवन के पक्के रिश्ते को निभा पाएगी, यह सवाल उठ खड़ा हो जाता है.

एक नए समाज की शुरुआत तो हो गई है. पर न मर्ज पता है, न इलाज. अब यह आम है, बस इसे स्वीकार कर लो. इस के परिणाम की चिंता न करो. पतिपत्नी बन जाओ तो कैसे तनाव से दिन गुजरेंगे, तलाक होंगे, बच्चे भटकेंगे आदि की चिंता युवाओं को नहीं है. यह गलती है, भटकाव है क्योंकि आज की थोड़ी सेफ जिंदगी में भी जवानी 40-50 में ढलने लगेगी ही. उस के बाद के सालों में क्या होगा, यह 15-20 साल वालों को आज एहसास नहीं है.

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