मैनोपौज : किस उम्र में होते हैं और क्या हैं लक्षण, रहें सावधान

तकरीबन 12 साल की उम्र के आसपास किसी लड़की को माहवारी शुरू होती है. इस का सीधा सा मतलब होता है कि अब वह धीरेधीरे जवानी की दहलीज पर आने वाली है और पूरी तरह जवान होने पर शादी के बाद मां बन सकेगी. इसी तरह उम्र के 45 से 50 साल के पड़ाव पर मैनोपौज की शुरुआत होती है, जिस में बच्चा जनने से जुड़े हार्मोन में बदलाव होते हैं और फिर बच्चा जनने की गुंजाइश खत्म होती जाती है.

शहर की हो या गांव की, किसी भी औरत के लिए यह समय बड़ा ही तनाव भरा होता है, क्योंकि हार्मोन में बदलाव के चलते उन का चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है. इस के 3 चरण होते हैं, प्री मैनोपौज, मैनोपौज और पोस्ट मैनोपौज.

मैनोपौज के लक्षण

– शरीर में अचानक से गरमी का एहसास होता है. रात को गरमी लगने के साथ पसीना आता है या फिर अचानक ठंड भी लग सकती है.

-योनि में सूखापन आने लगता है, जिस से सैक्स संबंध बनाते समय दर्द होता है या बनाने की इच्छा ही नहीं रहती है.

-बारबार पेशाब करने की इच्छा होती है और रात को नींद न आने की समस्या बढ़ने लगती है.

-जितना ज्यादा चिड़चिड़ापन बढ़ता है, तनाव भी उतना ही हावी होने लगता है.

-शरीर, आंखों और बालों में सूखेपन की शुरुआत होने लगती है. बाल झड़ने की समस्या भी पैदा हो सकती है.

-हड्डियां कमजोर हो सकती हैं.

-पेशाब संबंधित इंफैक्शन हो सकता है.

-दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.

कंट्रोल करने के तरीके

-डाक्टर की सलाह पर दवाएं ली जा सकती हैं, पर चूंकि यह कुदरती प्रक्रिया है, तो अपने रहनसहन और खानपान पर ध्यान देना चाहिए.

-इस के अलावा जितना हो सके अपने शरीर को ठंडा रखने की कोशिश करें.

-रात को अगर गरमी लगने से बहुत ज्यादा पसीना आता है तो नहा कर सोने जाएं. सूती और आरामदायक कपड़े पहनें.

-रोजाना कसरत करें और वजन को कंट्रोल में रखें. तलाभुना खाना कम ही खाएं. इस से पेट सही रहता है और रात को नींद भी अच्छी आती है.

-अगर मानसिक तनाव बहुत ज्यादा रहने लगा है, तो किसी माहिर साइकोलौजिस्ट या थैरेपिस्ट से बात की जा सकती है. समाज के डर से ऐसा करने में झिझके नहीं. साथ ही, अपनों से दिल की बात कहें. इस से मन हलका होता है.

-डाक्टर से सलाह लें और उस के मुताबिक कैल्शियम, विटामिन डी, मैग्निशियम वगैरह के सप्लीमैंट ले सकते हैं.

-बीड़ीसिगरेट और शराब का सेवन न करें.

क्या आपको भी सेक्स के दौरान होता है दर्द

सेक्‍स एक ऐसी अनुभूति है, जिसमें आप पूरी तरह से खो जाते हैं. लेकिन जब दोनों को सेक्‍स के आनंद में होना चाहिए, तब कई महिलाएं खुद को अहसनीय दर्द में पाती है. यह समस्‍या केवल लाखों लोगों को प्रभावित ही नहीं करती, बल्कि उम्र के साथ बदतर होती जाती है. वास्‍तव में अमेरिका में सेक्‍स सर्वे के अनुमान के अनुसार, सेक्‍सुअल पेन 20 प्रतिशत अमेरिकी महिलाओं को- 15 प्रतिशत मेनोपॉज से पहले और 33 प्रतिशत उसके बाद प्रभावित करता है.

‘जो डिवाइन’ – सेक्स टॉय कंपनी की फॉर्मर नर्स और सीओ-फाउंडर सामन्था इवांस कहती हैं कि इसके कारण भिन्न हो सकते हैं. दर्द योनि के आस-पास मसल्‍स के टाइट होने या प्रवेश से पहले कामोत्‍तेजना की कमी के कारण होता है. वह कहती है कि बहुत ज्‍यादा कॉपी पीने या बहुत अधिक स्‍ट्रॉबेरी खाने से इसका कारण हो सकता है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि इन खाद्य पदार्थों में ऑक्सलेट्स नामक तत्‍व बहुत अधिक मात्रा में होता है- जो संवदेनशील महिलाओं के यूरीन मार्ग में जलन पैदा करता है.

सेक्स दर्दनाक नहीं होना चाहिए 

सेक्‍स महिला और उसके पार्टनर दोनों के लिए एक सुखद अनुभव होना चाहिए. सेक्‍स के दौरान दर्द को कभी भी अनदेखा नहीं करना चाहिए. अगर आप सेक्‍स के दौरान या बाद में दर्द का अनुभव करते हैं, तो अपने डाक्‍टर से सलाह लेनी चाहिए.

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अक्सर आपका डॉक्टर समस्या का निदान कर आसानी से उसका समाधान कर देता है. हालांकि कई महिलाएं शादी और रिश्‍ते के टूटने के बाद सेक्‍स करने से बचती है. लेकिन अगर समस्‍या सच में दर्द को लेकर है तो अपने पार्टनर से इस बारे में खुल कर बात करें और एक दूसरे को समझते हुए सेक्‍स की प्रक्रिया में बदलाव करें. सेक्‍स के दौरान दर्द के कई कारण हो सकते हैं कुछ का इलाज आसानी से हो जाता है तो कुछ का समाधान करने में काफी समय लग जाता है.

आहार से परेशानी

आहार में ऑक्सलेट्स का उच्‍च स्‍तर के कारण संवदेनशील यूरीन मार्ग में जलन पैदा हो जाती है- पाइप से यूरीन शरीर से उत्‍सर्जित किया जाता है. जब बहुत ज्‍यादा ऑक्‍सलेट्स आंत के माध्‍यम से खून में अवशोषित होता है, वह कैल्शियम के साथ मिलकर तेज कैल्शियम-ऑक्‍सलेट्स बनाता है. यह शरीर में कहीं भी नाजुक ऊतकों के साथ जुड़कर, दर्द और नुकसान का कारण बनता है. जिन महिलाओं को इर्रिटेबल बॉउल सिंड्रोम (आईबीएस) की समस्‍या होती है वह आंतों की खराबी के कारण बहुत ज्यादा ऑक्‍सलेट्स को अवशोषित कर लेती है. 3-6 महीनों तक कम ऑक्‍सलेट्स आहार लेकर इसके लक्षणों में सुधार किया जा सकता है. उच्‍च ऑक्‍सलेट्स आहार में अजवाइन, कॉफी, सेम, बीयर, लीक, पालक, मीठा आलू और स्ट्रॉबेरी शामिल हैं.

लुब्रिकेशन की कमी

यह सेक्‍स के दौरान दर्द का प्रमुख कारण है. कामोत्‍तेजना में कमी का मतलब योनि में लुब्रिकेशन की कमी है, लेकिन कई महिलाएं में (जिनमें युवा महिलाएं भी शामिल है) पर्याप्‍त मात्रा में लुब्रिकेशन नहीं होता है. योनि में ड्राईनेस को हमेशा से महिलाओं के मेनोपॉज से जोड़ा जाता है, लेकिन युवा महिलाएं भी गर्भनिरोधक गोली, मासिक हार्मोनल परिवर्तन, तनाव और चिंता के कारण इससे प्रभावित होती है और उनका सेक्‍स करने को मन नहीं करता. सेक्‍स से पहले फोर प्‍ले में ज्‍यादा जयादा समय लगाने से महिला के यौन सुख में सुधार किया जा सकता है. हालांकि मेनोपॉज महिलाओं योनि में ड्राईनेस सामान्‍य स्‍थिति है लेकिन लुब्रिकेशन के उपाय वास्‍तव में आपकी मदद कर सकता है.

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कामोत्तेजना की कमी

ज्‍यादातर महिलाएं को सेक्‍स करने से पहले वॉर्म होने की जरूरत होती है लेकिन कई पुरुष साथी के तैयार होने से पहले ही सेक्‍स के लिए जल्‍दबाजी करते हैं. सेक्‍स से पहले फोरप्‍ले आपके यौन सुख को बढ़ा सकता है. कई बार सेक्‍स करना संभव नहीं होता लेकिन आप इंटरकोर्स के बिना फोरप्‍ले से सेक्‍स का मजा ले सकते हैं.

एलर्जी की स्थिति

कई महिलाओं को नए प्रोडक्‍ट इस्‍तेमाल करने पर यानी नया शैम्पू या शॉवर जेल का प्रयोग करने से लेकर वाशिंग पाउडर तक सब खुजली या जलन का अनुभव होता है. यहां तक कि कुछ तरह के योनि लुब्रिकेशन भी एलर्जी का कारण बनते हैं, इसलिए अपने जननांगों की नाजुक त्‍वचा में कुछ भी इस्‍तेमाल करने से पहले सावधान रहें. साथ ही कुछ लाटेकस प्रोडक्ट जैसे कंडोम और सेक्‍स खिलौने और कुछ शुक्राणुनाशक क्रीम एलर्जी की प्रतिक्रिया कर सकते हैं.

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तर्क

अगर एक महिला अपने रिश्‍ते में भावनात्‍मक दर्द का सामना करती है तो सेक्‍स के दौरान दर्द हो सकता है. क्‍योंकि ऐसे में वह अपने पार्टनर को दुश्‍मन की तरह अनुभव करती है. अगर आपको सेक्‍स के दौरान या बाद दर्द का अनुभव करते हैं तो चिकित्‍सक से सलाह लें. ऐसे में ‘परामर्शदाता या सेक्स चिकित्सक परामर्श से आपको मदद मिल सकती है. चुप्‍पी में पीड़ि‍त होने की जरूरत नहीं है.

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