यह पंगेबाज हीरोइन कुछ समय पहले (साल 2021 में) कंगना राणावत ने फिल्म ‘थलाइवी’ में अपने जमाने की मशहूर दक्षिण भारतीय हीरोइन जे. जयललिता का किरदार निभाया था. वही जे. जयललिता, जिन्हें उन के गुरु एमजी रामचंद्रन ने राजनीति में शामिल होने के लिए बढ़ावा दिया था. पर, यह कोई तेज रफ्तार वाला खाली हाईवे नहीं था कि उस पर दौड़ कर जे.
जयललिता को मर्दों के दबदबे वाली राजनीति की मंजिल आसानी से मिल गई थी, बल्कि उन्हें अपनी दमदार इमेज बनाने के लिए बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. कंगना राणावत और जे. जयललिता में बहुत सारी खूबियां मिलतीजुलती हैं. वे दोनों परदे पर और परदे के पीछे मर्दों से लोहा लेने वाली महिलाएं मानी जाती हैं. कंगना राणावत तो इतनी ज्यादा बोल्ड और मुंहफट हैं कि वे किसी को नहीं बख्शती हैं, फिर वह कोई नेता हो या फिल्म कलाकार. लेकिन यह सब अचानक नहीं हुआ है, बल्कि अगर हम कंगना राणावत के फिल्मों में आने के पहले की जिंदगी पर नजर डालेंगे तो पता चल जाएगा कि वे शुरू से ही विद्रोही किस्म की लड़की रही हैं.
कंगना राणावत का जन्म 23 मार्च, 1987 को हिमाचल प्रदेश के भांभला इलाके में एक राजपूत परिवार में हुआ था. उन के पिता का नाम अमरदीप और मां का नाम आशा है. उन की एक बड़ी बहन भी हैं, जिन का नाम रंगोली है और वे ही कंगना का सारा कामकाज भी संभालती हैं. एक छोटा भाई है, जिस का नाम अक्षत है. कंगना राणावत डीएवी स्कूल, चंडीगढ़ से पढ़ी हैं. पिता उन्हें डाक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन कंगना को पढ़ाईलिखाई में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी, बल्कि उन्हें तो ऐक्टिंग करना पसंद था. 12वीं क्लास में एक सब्जैक्ट में फेल होने के बाद वे अपने परिवार की मरजी के खिलाफ हिमाचल प्रदेश से दिल्ली आ गई थीं. पर कंगना राणावत के सामने यह सवाल भी था कि दिल्ली में आगे करना क्या है? चूंकि ऐक्टिंग में नाम कमाना था.
लिहाजा, कंगना ने एक थिएटर ग्रुप जौइन कर लिया. पर यह समय काफी जद्दोजेहद भरा था, क्योंकि उन के पास न रहने के लिए घर था और न ही पैसे थे. अपने मुफलिसी के दिनों के बारे में कंगना राणावत ने एक इंटरव्यू में कहा था कि स्ट्रगल के दौर में उन्होंने कई बार सिर्फ ब्रैड या रोटीअचार खा कर ही दिन गुजारे हैं, क्योंकि उन्हें अपने पिता से पैसे से जुड़ी कोई मदद नहीं मिलती थी. पिता नहीं चाहते थे कि कंगना फिल्मों में काम करे. इस के बाद उन दोनों के रिश्ते में खटास आ गई थी. ऐसे मिली पहली फिल्म ‘गैंगस्टर’ किसी मशहूर कलाकार का मानना है कि मुंबई में अगर मेहमान बन कर आओगे,
तो वह तुम्हें अच्छे से खिलापिला कर विदा कर देगी, पर अगर वहां अपने नाम का डंका बजवाना है, तो खूंटा गाड़ कर बैठना होगा खासकर फिल्म लाइन में तो यही करना पड़ता है. कंगना राणावत के सामने भी यही चुनौती थी. साल 2006 में कंगना राणावत की पहली फिल्म ‘गैंगस्टर’ रिलीज हुई थी. इस फिल्म के लिए उन्हें ‘बैस्ट डैब्यू ऐक्ट्रैस’ का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला था. इतना ही नहीं, इस फिल्म की कामयाबी के बाद उन्हें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में मीना कुमारी की तरह ‘ट्रैजिडी क्वीन’ कहा जाने लगा था. पर यह कोई ड्रीम शुरुआत नहीं थी, क्योंकि कंगना राणावत को फिल्म ‘गैंगस्टर’ में सिमरन का रोल इतनी आसानी से नहीं मिला था.
कई साल पहले उन्होंने फिल्म कलाकार अनुपम खेर के चैट शो ‘कुछ भी हो सकता है’ में फिल्म ‘गैंगस्टर’ उन्हें कैसे मिली, इस बात का जिक्र किया था. तब कंगना राणावत ने कहा था, ‘‘मैं ने सोचा था कि मुंबई में एक महीने का समय स्ट्रगल के लिए काफी होगा और मैं फिल्मों के लिए आडिशन दे दूंगी, जिस से मेरे लिए कुछ रास्ते खुलेंगे. ‘‘मैं एक बार 10-15 लड़कियों के साथ एक शूट पर बैठी थी, तभी मेरी मुलाकात एक एजेंट से हुई जो मुझे महेश भट्ट के औफिस ले गया. मैं मोहित सूरी से मिली और अनुराग बसु ने मेरी तसवीरें देखीं. इस के बाद मैं ने ‘गैंगस्टर’ के रोल के लिए आडिशन दिया. ‘‘लेकिन भट्ट साहब (महेश भट्ट) ने कहा, ‘यह लड़की बहुत यंग है,
शायद 17-18 साल की. हमें एक मैच्योर लेडी की जरूरत है, जिस की उम्र 28-29 साल की होनी चाहिए.’ ‘‘इस के बाद सुनने में आया कि उन्होंने फिल्म के लिए शाइनी आहूजा और चित्रांगदा सिंह को साइन कर लिया है. ‘‘पर अचानक 2 महीने के बाद अनुराग बसु ने मुझे फोन किया और कहा कि हमें एक आउटडोर शूट के लिए तुरंत तुम्हारी जरूरत है, क्योंकि हम चित्रांगदा सिंह से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. हम तुम्हारा मेकअप ऐसे करेंगे, जिस से तुम थोड़ी मैच्योर लगो. अब केवल तुम ही हमारी फिल्म कर सकती हो और इस तरह मुझे ‘गैंगस्टर’ मिली.’’ ‘कंट्रोवर्सी क्वीन’ बनती गईं आज भले ही कंगना राणावत को कला के क्षेत्र में भारत के चौथे सब से सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया जा चुका है और वे 3 बार फिल्मों का नैशनल अवार्ड अपने नाम कर चुकी हैं,
पर उन का नाता विवादों से भी खूब रहा है. अपने फिल्म कैरियर के शुरुआती दिनों में ही कंगना राणावत अपने से 20 साल बड़े और शादीशुदा आदित्य पंचोली के साथ रिश्ते में आ गई थीं. वही आदित्य पंचोली, जिन का बेटा सूरज पंचोली हीरोइन जिया खान की संदिग्ध मौत के मामले में बदनाम हुआ था. कंगना राणावत आदित्य पंचोली के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रही थीं. पर बाद में उन्होंने आदित्य पंचोली पर मारपीट और गालीगलौज करने के आरोप लगाए थे और उन से हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ लिया था, जबकि आदित्य पंचोली ने खुद पर लगे आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया था. साल 2009 में शेखर सुमन के बेटे अध्ययन सुमन ने फिल्म ‘राज-द मिस्ट्री कंटीन्यूज’ में काम किया था, जिस में कंगना राणावत भी थीं. फिल्म तो ज्यादा नहीं चली थी, पर इन दोनों का प्यार तब सुर्खियां बनाते हुए परवान चढ़ने लगा था. तब कंगना राणावत ने अध्ययन सुमन की तुलना अपने जमाने के हैंडसम हीरो शशि कपूर से की थी.
पर जल्दी ही इस रिश्ते में तल्खियां आ गई थीं और ब्रेकअप के बाद अध्ययन सुमन ने कंगना राणावत पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए थे. उन्होंने बताया था कि कंगना उन के साथ मारपीट और बदतमीजी करती थीं. एक फिल्मफेयर नाइट से पहले कंगना ने उन्हें गंजा करा दिया था और बोली थीं कि तुम्हें नए स्टाइल की जरूरत है. बात यहीं तक नहीं थमी थी. अध्ययन सुमन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘‘एक बार कंगना मुझे एक ज्योतिषी के पास ले गई. उस ने मुझे कमरे में बंद कर के कुछ मंत्र पढ़ने को कहा. ‘‘मुंबईलंदनन्यूयौर्क में पलाबढ़ा मैं इन सब बातों को नहीं मानता था. बाद में एक टैरो कार्ड रीडर ने बताया कि मैं किसी पहाड़ी इलाके के काले जादू के असर में हूं..
.’’ साल 2016 में एक इंटरव्यू में अध्ययन सुमन ने कहा था, ‘‘साल 2008 के मार्च में होटल ‘द लीला’ में की गई अपनी बर्थडे पार्टी में कंगना ने अपने सभी कलीग्स को बुलाया था. उस ने कहा था, ‘चलो, आज रात कोकीन लेते हैं.’ ‘‘मैं ने इस से पहले उस के साथ कुछेक बार हैश पीया था और मुझे वह पसंद नहीं आया था, इसलिए मैं ने मना कर दिया था. मुझे याद है कि उस रात इसी बात को ले कर मेरा उस से काफी झगड़ा हुआ था.’’ रितिक के साथ तगड़ा झमेला साल 2010 में रितिक रोशन और कंगना राणावत की फिल्म ‘काइट’ आई थी, जो सुपर फ्लौप हुई थी. पर इन दोनों के प्यार की पतंग तो शायद साल 2009 से आसमान में उड़ चुकी थी, जो मुंबई के बादलों में किसी को ज्यादा दिखाई नहीं दी थी,
लेकिन साल 2013 में जब रितिक रोशन की सुपरहिट फिल्म ‘क्रिश 3’ आई और जिस में कंगना राणावत का भी एक दमदार किरदार था, उस दौर में इन दोनों के लीक हुए कुछ फोटो ने इन के रिश्ते में खटास पैदा कर दी थी. खबरों के मुताबिक, ये लीक हुए फोटो 4 दिसंबर, 2010 को फिल्म कलाकार अर्जुन रामपाल के घर पर हुई एक पार्टी के बताए गए थे. इस पार्टी में रितिक रोशन अपनी पत्नी सुजैन खान के साथ पहुंचे थे. कंगना राणावत भी वहां बतौर मेहमान थीं. बताया जाता है कि सुजैन खान पार्टी से बच्चों को साथ ले कर जल्दी घर चली गई थीं, जबकि रितिक रोशन देर रात तक पार्टी में रहे थे. इस दौरान वे कंगना के साथ इंटीमेट हुए थे. जब इस सब की खबर सुजैन खान को लगी,
तो रितिक से उन की खटपट शुरू हो गई. बाद में इस का नतीजा दोनों के तलाक के रूप में सामने आया. इस के बाद रितिक रोशन और कंगना राणावत में कुछ सही नहीं रहा. इन दोनों का झगड़ा सब के सामने तब आया, जब कंगना ने रितिक को अपना ‘सिली ऐक्स’ कह दिया था. दरअसल, कंगना राणावत फिल्म ‘आशिकी 3’ कर रही थीं, लेकिन तभी खबर आई कि रितिक रोशन ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए उन्हें फिल्म से निकलवा दिया. जब कंगना से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने रितिक को अपना ‘सिली ऐक्स’ कह कर संबोधित किया. रितिक ने इस पर एतराज जताया और दोनों का विवाद बढ़ता ही चला गया. इस झगड़े पर कंगना राणावत के वकील रिजवान सिद्दीकी ने कहा था, ‘‘आप उस फोटो की बात कर रहे हैं, जिस में एक पार्टी में रितिक कंगना को थामे खड़े हैं. मैं यह देख कर हैरान हूं कि उन्होंने कंगना को किस तरह पकड़ा है, जबकि उन के कानूनी नोटिस के मुताबिक,
वे कंगना को सोशली जानते ही नहीं थे, तो फिर उन्होंने कंगना को इस तरह क्यों पकड़ रखा था? रक्षाबंधन के दिन का लगता है क्या यह? लगता है, वे राखी बंधवाने आए थे…’’ हालांकि, उन विवादित फोटो के बारे में सुजैन खान ने रितिक रोशन का बचाव करते हुए साल 2016 में अपने एक ट्वीट में लिखा था, ‘ये तसवीरें फोटोशौप्ड हैं. इस मामले से जुड़ी कहानियों को ज्यादा ही तवज्जुह दी जा रही है.’ पर अगर कंगना राणावत के दावे को सच मानें तो उन के मुताबिक, रितिक ने पत्नी सुजैन खान से तलाक लेने के बाद शादी का वादा किया था, लेकिन बाद में उन्हें पहचानने से भी इनकार कर दिया था. कंगना राणावत ने इस मुद्दे पर एक टैलीविजन शो में कहा था, ‘‘जब इनसान प्यार में होता है, तो अलग जोन में होता है और वह जो सोचता है, उसे अपने प्रेमी से साझा करता है.
‘‘मुझे रितिक रोशन ने बहलाया या फुसलाया नहीं था. उन्होंने मुझ से कहा था कि देखो कंगना, मैं एक रिश्ते में हूं और मैं तुम्हें कभी सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं कर पाऊंगा. हम दोनों की कभी शादी नहीं हो पाएगी. उन्होंने कहा कि वे अपनी पत्नी को नहीं छोड़ पाएंगे. ‘‘मैं ने कहा कि आप फिर मुझे छोड़ दो. हम उसी कशमकश में थे, तभी उन की पत्नी ने उन्हें छोड़ दिया. तब वे बिलकुल तिलमिला गए थे. इस के बाद उन की सर्जरी हुई और तभी उन्होंने मुझ से शादी की बात की…’’ कंगना राणावत और रितिक रोशन का यह मामला इतना ज्यादा उछला था कि कंगना के मुताबिक, ‘‘रितिक ने सैकड़ों मेल मेरे ही (कंगना राणावत के) अकाउंट से खुद को मेल किए. ऐसे मेल में लिखा होता था, ‘मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है. मैं तो मर गई. मेरे दिमाग में समस्या है. मेरा इलाज करा दो..
.’ ‘‘रितिक दुनिया को दिखाना चाहता था कि लड़की (कंगना) की दिमागी हालत ठीक नहीं है, क्योंकि आने वाले दिनों में मैं उस के शादी के वादे की बात कहूं तो वह कह सके कि मेरी मानसिक हालत ठीक नहीं है, इसलिए ऐसी बातें कर रही हूं. मैं कहूं कि रितिक से मेरे संबंध थे, तो वह कह सके कि मैं पागल हूं.’’ नैपोटिज्म पर मचाया बवाल ऐसा नहीं है कि कंगना राणावत ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में केवल दूसरों से पंगे ले कर अपना फिल्म कैरियर आगे बढ़ाया है, बल्कि अगर उन की अदाकारी की बात करें तो वे आज की हिट हीरोइनों में शुमार हैं और कई फिल्मों जैसे ‘तनु वैड्स मनु’, ‘तनु वैड्स मनु रिटर्न्स’, ‘क्वीन’, ‘लाइफ इन ए मैट्रो’, ‘पंगा’ और ‘मणिकर्णिका : द क्वीन औफ झांसी’ में अपनी अदाकारी का लोहा मनवा चुकी हैं. वे अपने दम पर सिनेमाघरों में भीड़ खींचने की हिम्मत रखती हैं, पर अब उन की इमेज एक ऐसी फिल्म हीरोइन की बन चुकी है, जो सुर्खियों में बने रहने के लिए कुछ भी कर सकती हैं. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में नैपोटिज्म यानी भाईभतीजावाद पर कंगना राणावत का हमला इसी बात को पुख्ता करता है. उन्होंने करण जौहर के टैलीविजन शो ‘कौफी विद करण’ में उन को मूवी माफिया और नैपोटिजम का ‘फ्लैग बियरर’ तक बता दिया था. इतना ही नहीं,
जब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ‘मीटू’ मुद्दे पर करण जौहर ने ज्यादा कमैंट नहीं किए थे, तब भी कंगना राणावत ने करण जौहर की फिल्मों में महिलाओं की भूमिका पर अपने एक बयान में कहा था, ‘‘लड़कियों को बार्बी डौल की तरह से दिखाना सही नहीं है. और जो मर्द लड़कियों को कपड़ों की तरह बदलते हैं, उन्हें हीरो बना कर क्यों पेश किया जाता है? क्या इस तरह से कभी किसी महिला किरदार को ग्लोरिफाई किया गया है?’’ हाल ही में एक इंटरव्यू में कंगना राणावत से जब यह पूछा गया कि साउथ सिनेमा को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की तुलना में क्या ज्यादा कामयाब बनाता है, तो उन्होंने जवाब दिया था, ‘‘जिस तरह से उन का अपने दर्शकों के साथ जुड़ाव है,
वह बहुत मजबूत है. हमारे साथ क्या होता है कि उन के बच्चे पढ़ाई पूरी करने के लिए विदेश चले जाते हैं. ‘‘वे अंगरेजी में बात करते हैं, केवल हौलीवुड फिल्में देखते हैं. वे केवल चाकू और कांटे से खाते हैं और अलग तरह से बात करते हैं, तो वे कैसे जुड़ेंगे? ‘‘देखने में भी अजीब से ऐसे लगते हैं जैसे उबले हुए अंडे. उन का पूरा लुक बदल गया है, इसलिए लोग रिलेट नहीं कर सकते. मेरा मतलब किसी को ट्रोल करना नहीं है.’’ कहने का मतलब है कि कंगना राणावत ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में शायद ही किसी को छोड़ा होगा, फिर वे तापसी पन्नू हों या स्वरा भास्कर, जावेद अख्तर हों या शबाना आजमी. उन के बिगड़े बोल लोगों के दिलों पर नश्तर की तरह चले और जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है, तब से कंगना राणावत ने अपना दक्षिणपंथी रूप सब को बिंदास हो कर दिखाया है. उन्होंने किसान आंदोलन, हिंदूमुसलिम, संस्कृत भाषा, हिजाब वगैरह मुद्दों पर बिना मांगे अपनी कंट्रोवर्शियल राय दी.
पर नुकसान भी उठाया पर इस का यह मतलब नहीं है कि कंगना को हर जगह जीत ही मिली या वे ऐसी करतूतों से और ज्यादा हिट हो गईं, बल्कि कई बार तो उन का वार मिसफायर करता नजर आया. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में जब कंगना राणावत ने उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को घसीटा था, उस के बाद तो शिव सेना और कंगना में सीध सी बंध गई थी. नतीजतन, साल 2021 में कंगना के मुंबई के दफ्तर में बीएमसी की तोड़फोड़ को ले कर खूब हंगामा मचा था. इस बात से कंगना राणावत तिलमिला गई थीं और उन्होंने तोड़फोड़ की तसवीरें ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा था, ‘आज फिर इतिहास दोहराया जा रहा है. बाबर की सेना राम मंदिर गिरा रही है… मेरे लिए यह दफ्तर कोई इमारत नहीं, बल्कि राम मंदिर है और यह मंदिर एक दिन फिर खड़ा होगा.’ सत्ता पक्ष का साथ देने के एवज में कंगना राणावत को वाई प्लस की सिक्योरिटी दी गई थी.
इस के बाद तो वे और ज्यादा खुल कर बोलने लगी थीं. उन्होंने ऐसा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा, जिस पर अपने बोल बचन नहीं दिए हों और सोशल मीडिया पर सुर्खियां न बनाई हों. कंगना राणावत ने तब तो हद कर दी, जब उन्होंने देश की आजादी पर अपना बेतुका कमैंट किया. एक इवैंट में उन्होंने कहा था, ‘‘हमें जो आजादी 1947 में मिली, वह भीख में मिली थी. भारत को असली आजादी साल 2014 में मिली है.’’ कंगना राणावत का यह बयान तेजी से वायरल हुआ और इस की खूब खिंचाई भी हुई. लोगों ने इसे स्वतंत्रता सेनानियों की सरासर बेइज्जती बताया. नतीजतन, उत्तराखंड के हरिद्वार में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कंगना राणावत के खिलाफ 2 जगहों पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. रुड़की और ज्वालापुर में दर्ज शिकायतों में उन के ऊपर स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की बेइज्जती करने का आरोप लगाया गया है. इसी मामले में महिला कांग्रेस की ओर से राजस्थान के 4 शहरों जोधपुर, जयपुर, उदयपुर और चूरू में कंगना राणावत के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई.
जोधपुर महिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष मनीषा पंवार ने अपनी शिकायत में कहा कि कंगना राणावत ने अपने बयान के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानियों और देश के लोगों का अपमान किया है, जो ‘देशद्रोह’ की श्रेणी में आता है. कहने का मतलब है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ‘गैंगस्टर’ के ठप्पे से शुरुआत करने वाली कंगना राणावत आज अपने बयानों से ‘देशद्रोही’ का तमगा तक पहन चुकी हैं. बहुत से लोग यह मानते हैं कि खुद को किसी भी तरह सुर्खियों में बनाए रखने की वजह यह है कि कंगना अब राजनीति में कदम रखना चाहती हैं. राजनीति में आना अपनेआप में कोई गलत सोच नहीं है, पर कंगना राणावत का यह पैतरा उन्हें हिंदी पट्टी की ‘थलाइवी’ बना पाएगा, इस बारे में तो अभी सवालिया निशान ही लगा है, क्योंकि वहां पर यह पंगेबाज हीरोइन कब ‘धाकड़ गर्ल’ से ‘धड़ाम गर्ल’ हो जाएगी, पता भी नहीं चलेगा.