Couple Sex Life: सेक्स की फ्रीक्वेंसी को लेकर करें अपनी कन्फ्यूजन दूर

Couple Sex Life: हैल्दी और खुशहाल मैरिड लाइफ के लिए सबसे जरूरी होता है सैक्स. सैक्स एक ऐसा प्रोसेस है जिससे कपल्स एक दूसरे के और भी करीब आने लगते हैं लेकिन सैक्स को सिर्फ एक प्रोसेस की तरह नहीं मानना चाहिए बल्कि सैक्स ऐसा होना चाहिए जिसमें आपके थोड़े से एफर्ट्स हों और अपने पार्टनर को खुश करने के स्किल्स हों. कई बार ऐसा होता है कि हम बाकी चीज़ों को चलते सैक्स को बिल्कुल ही इग्नोर करने लगते हैं जो कि बिल्कुल गलत है.

कई कपल्स की ये शिकायत होती है कि शादी के कुछ समय तक तो बिल्कुल ठीक चला लेकिन बच्चा या अन्य जिम्मेदारी आने के बाद सैक्स लाइफ बोरिंग होने लगी है. आपको यह समझना होगा कि कोई भी जिम्मेदारी आए लेकिन आपनी मैरिड लाइफ अगर सही रहेगी और आपका पार्टनर आपसे खुश होगा तो सबकुछ अच्छे से हो जाएगा इसलिए अपने पार्टनर की फिजिकल नीड्स का खयान रखना बेहद जरूरी है.

अगर आपका किसी वजह से मन नहीं भी है सैक्स करने का तो अपने पार्टनर के मन को बिल्कुल मत मारिए. उन्हें प्यार से समझाएं और उनके साथ समय बिताएं जिससे क्या पता आपका खुद सैक्स करने का मन कर जाए. आपको अपने साथ साथ अपने पार्टनर का भी पूरी तरह से साथ देना है.

ऐसा देखा गया है कि कई कपल्स हर दिन सैक्स करते हैं और काफी खुश भी रहते हैं एक दूसरे के साथ लेकिन वहीं दूसरी तरफ कई कपल्स हफ्ते में एक या दो बार ही सैक्स कर पाते हैं जिसके चलते उनके बिहेवियर में चिड़चिड़ापन आने लगता है और एक दूसरे से लड़ने लगते हैं. ऐसे में आपको सैक्स को अपनी बिजी लाइफ के चलते इग्नोर बिल्कुल नहीं करना है और अपने पार्टनर के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना है जिससे कि आप उनकी फिजिकल नी़ड्स को भी समझ सकें.

सैक्स को सैक्स की तरह ना मानकर या प्रैशर में आकर कभी सैक्स मत कीजिए बल्कि सैक्स को एंजौय करिए और ज्यादा कोशिश कीजिए कि आप अपने पार्टनर के साथ रोमांटिक रहें और रोमांस को अपनी लाइफ से कभी मत जाने दीजिए.

रात को बैड पर जाने से पहले करें ये काम, Sex Life बन जाएगी खुशहाल

Sex Life: अकसर शादी के कुछ समय बाद पतिपत्नी की सैक्स लाइफ में फीकापन आने लगता है, जिस से पतिपत्नी का रिश्ता कमजोर होने लगता है. दोनों एकदूसरे से इरिटेट होने लगते हैं और इस का कारण है नौर्मल और बोरिंग सैक्स रूटीन. आज हम आप को बताएंगे कुछ ऐसे टिप्स, जिन्हें आप अगर बैड पर जाने से पहले ट्राई करेंगे, तो आप की सैक्स लाइफ में कभी कोई प्रौब्लम नहीं आएगी.

पत्नियां अकसर घर के कामों में थक जाती हैं और वे काम निबटा कर सीधे बैड पर आ जाती हैं, जिस से कि पतियों को उन के अंदर कोई इंट्रस्ट नहीं आता, लेकिन वहीं अगर पत्नी घर के कामों से फ्री होकर नहा ले और एक सैक्सी सी ड्रैस पहन कर परफ्यूम लगा कर बैड पर आएं, तो पति खुद को उस के करीब आने से रोक नहीं पाएगा.

दूसरी तरफ पति को अपने काम और नौकरी की थकावट को कुछ देर के लिए भूल कर पत्नी के साथ समय बिताना चाहिए, जिस से कि उन दोनों के बीच की दूरियां कम हो सकें. कुछ आदमी अपनी थकावट के बाद शराब का सहारा लेते हैं और खाना खा कर सो जाते हैं, तो ऐसा करने से वे आपना शादीशुदा जीवन बरबाद कर देते हैं. आदमी को घर आ कर अपनी पत्नी के साथ प्यारभरी बातें करनी चाहिए, जिससे कि वे दोनों एकदूसरे से कनैक्टिड फील करें.

अपने काम को कुछ समय के लिए भूल कर पतिपत्नी को एकदूसरे के साथ घूमने भी जाना चाहिए जैसा कि किसी रोमांटिक कैंडल लाइट डिनर या फिर लौंग ड्राइव पर, ताकि दोनों के बीच का प्यार कभी कम न हो पाए और दोनों को किसी और की जरूरत महसूस न हो. हमेशा ऐसा लगे कि अगर उन का पार्टनर साथ है, तो उन्हें किसी तीसरे की जरूरत नहीं है.

बोझिल सेक्स, बोझिल रिश्ता: कैसे बनेंगे संबंध

हर काम युवा जल्दबाजी में करना चाहते हैं. युवा ऊर्जा और जोश की यह खासीयत भी है कि गरम खून और उत्साह से भरी यह पीढ़ी हर काम को खुद करना जानती है. प्रेम भी युवा खुल कर करते हैं. समाज की सीमाओं से परे इन के रिश्ते दकियानूसी दौर को पार कर चुके हैं और सैक्स संबंधों के लिए किसी से परमिशन नहीं लेनी पड़ती.

एक शोध में पाया गया कि शारीरिक संसर्ग की गुणवत्ता बोझिल होने से रिश्ते बोझ लगने लगते हैं और युवा भूल जाते हैं कि असल रोमांस क्या है. आजकल युवाओं में बढ़ती थकान, दबाव या निराशा के कारण अपनी गर्लफ्रैंड के साथ सैक्सुअल रिलेशन बोझिल होते जा रहे हैं, जिस का नकारात्मक असर उन के रिश्ते पर भी दिखता है.

युवकयुवती के बीच अगर सैक्स संबंधों में मधुरता है तो दोनों के रिश्तों में नई ऊर्जा का भी संचार होता है, लेकिन अगर सैक्स संबंध ही बोझिल हो चुके हैं तो रिश्ता भी बोझिल हुआ समझो. आइए, जानते हैं कि सैक्स संबंधों की बोझिलता दूर कर किस तरह युवा अपने रिलेशन में नई जान फूंक सकते हैं :

खुल कर करें इजहार

युवाओं के बीच अगर सैक्स में डिजायर्स नहीं है तो रिश्ते में भी ऊष्मा नहीं आएगी. ज्यादातर युवतियां अपने साथी से संकोचवश सैक्स के बारे में अपनी फीलिंग्स छिपाती हैं, जिस के चलते उन्हें उस तरह का सैक्सुअल प्लेजर नहीं मिल पाता जिस की उन्हें चाहत होती है. मन की बात मन में ही रह जाती है. पार्टनर के सामने खुल न पाने के चलते सैक्स संबंध बोझिल लगने लगते हैं. अगर आप चाहते हैं कि रिश्तों में रोमांस का तड़का लगा रहे तो अपनी डिजायर्स पार्टनर से शेयर करें, जो अच्छा लग रहा है, उसे बताएं और बुरी फीलिंग्स को भी छिपाएं नहीं. अपने साथी के साथ हर बात शेयर करें और सैक्सुअल रिलेशन बनाते समय संकोच को किनारे कर उस का पूरा आनंद लें, आप पाएंगे कि रिश्तों की खोई ऊष्मा वापस आ रही है.

जराजरा टचमी… टचमी…

स्पर्श प्रेम और सैक्स का सब से अहम टूल होता है. एक स्पर्श अंगअंग में गुदगुदी भर सकता है जबकि गलत तरीके से किया गया स्पर्श मन को घृणा से भर देता है. सैक्स संबंध बनाते समय अगर अपने साथी को स्पर्श करने की कला आप को आती है तो सैक्स का आनंद कई गुणा बढ़ जाता है. सैक्स ऐक्सपर्ट मानते हैं कि स्पर्श का प्यार और सैक्स से गहरा रिश्ता है. इस के पीछे वजह है कि स्किनटूस्किन कौंटैक्ट से आप का औक्सिटोसिन लैवल बढ़ेगा. इस से आप रिलैक्स महसूस करेंगी और अपने पार्टनर के और करीब जाएंगी. थोड़ा तन से छेड़छाड़ और तन से तन का स्पर्श ही कामइच्छा को जागृत करता है. स्पर्श से कामइच्छा में इजाफा होता है और संबंधों में प्रगाढ़ता आती है. पार्टनर को प्रेमस्पर्श देना सब से कारगर तरीका है. पार्टनर का मूड बनाने के लिए कान के पीछे, आंखों पर किस भी कर सकते हैं.

शरारती बातें और चाइनीज फुसफुस

सैक्स एक कला है और इस में जितने प्रयोग किए जाएं यह उतनी निखरती है. इसलिए जब भी आप सैक्स संबंध बनाएं नए प्रयोग आजमाने से हिचकें नहीं. जब भी आप को मौका मिले पार्टनर को फोन मिलाएं और रोमांटिक तथा शरारत भरी बातें करें साथ ही उन्हें हिंट दें कि शाम को जब आप दोनों की मुलाकात होगी, तो क्या सरप्राइज मिलने वाला है. इशारा सैक्स को ले कर हो तो ज्यादा मजेदार होगा. अगर और प्लेजर खोज रहे हैं तो कान में फुसफुस वाला गेम भी खेल सकते हैं. इसे चाइनीजविस्पर गेम कहा जाता है. इस खेल को कइयों ने बचपन में खेला होगा. इस में नौटी बातों का तड़का लगा कर खेलेंगे तो मजा दोगुना हो जाएगा. जब अपने पार्टनर के साथ यह खेल खेलें तो उस के कानों में कुछ सिडक्टिव बातें कहें.

माहौल हो खुशनुमा

सैक्स कहीं भी और कभी भी करने वाली क्रिया नहीं है. जिस तरह खाना बिना भूख और स्वाद के गले नहीं उतरता, बेस्वाद लगने लगता है, ठीक उसी तरह सैक्स भी जबरन या गलत मूड और माहौल में करने से बेहद नीरस लगने लगता है. जिस से कई बार रिश्ते बोझिल लगने लगते हैं. सैक्स में माहौल और मूड जरूरी फैक्टर्स हैं. पुराने समय में तरहतरह के इत्र का इस्तेमाल होता था, क्योंकि सुगंध का सैक्स से रोचक रिश्ता है. महकता बदन और मदहोश करने वाली सुगंध से सैक्स की डिजायर और बढ़ जाती है. इसलिए अपने कमरे या जहां भी सैक्स करते हैं, वहां का माहौल खुशनुमा बना लें, कमरा सजाएं. कमरे का इंटीरियर बदलें. कमरे की लाइट डिम हो और रोमांटिक म्यूजिक चला हो, फिर दिनभर की थकान दूर करने के लिए पार्टनर की मसाज करें.

रोल प्ले और साथ में बाथ

रोजरोज एक ही काम करने से उस में बोझिलता आना स्वाभाविक है. हर रिश्ता कुछ नया और एडवैंचर्स की मांग करता है. कई बार उस के लिए खुद को बदलना भी पड़ता है. सैक्सुअल रिलेशन में इसी काम को रोल प्ले भी कहते हैं. इस में कुछ फिक्शन और नौन फिक्शन किरदारों को मिला कर एक किरदार बना लें और अपने साथी के साथ सैक्स के दौरान उस किरदार में रहें. आप पाएंगे कि आप को सैक्स की कुछ अलग अनुभूति हो रही है और नया रोमांचकारी अनुभव भी मिलेगा. पार्टनर के साथ एक रोमांटिक कहानी बनाएं, दोनों रोल बांट लें और बैडरूम में रोल प्ले करें या फिर रोल निभाएं, जो आप निभाना चाहते हैं. एकदूसरे के करीब आने का यह क्रिएटिव तरीका है. साथ ही अपनी सैक्स अपील उभारने के लिए ट्रांसपेरैंट ड्रैसेज और इरोटिक लिंजरी का सहारा लेने से भी सैक्स में तड़का लगता है. सैक्स ड्राइव बढ़ाने के लिए यह भी एक नायाब तरीका हो सकता है. बाथरूम में अच्छा परफ्यूम स्प्रे करें. बाथटब में एकसाथ बाथ लें.

स्ट्रैसफ्री सैक्स, पोर्न की लत और हैल्दी फूड

युवाओं में काम की टैंशन, नौकरी का तनाव और थकान सैक्स को बेमजा करते हैं. लिहाजा, रिश्ते भी अपना आकर्षण खोने लगते हैं. इसलिए किसी भी तरह खुद को रिलैक्स करिए तभी स्वस्थ सैक्स का मजा ले सकेंगे. जब स्ट्रैसफ्री रहेंगे तभी अपने साथी की डिजायर समझेंगे और उसे सैक्स का पूरा आनंद दे सकेंगे वरना सैक्स तो होता है, लेकिन एकतरफा और अधूरा सा रहता है, जिस में एक साथी असंतुष्ट रहता है. जिस का गुस्सा उस रिश्ते को खराब भी कर सकता है. सैक्स का स्वस्थ खाने और हैल्थ से भी कनैक्शन है. वैसे तो स्वास्थ्य के लिहाज से भी यही सलाह दी जाती है. यहां भी हम यही सुझाव देंगे. यदि आप सैक्स करना चाहते हैं तो कम खाना खाएं या फिर घंटेभर पहले खाना खा लें. इस से बैड पर आप को आलस नहीं आएगा.

पोर्न की लत को ले कर सैक्स ऐक्सपर्ट्स का कहना है कि एक सीमा तक पोर्न देखना रिलेशनशिप के लिए अच्छा है. लेकिन शोध बताते हैं कि सैक्स में आती बोझिलता के चलते रिश्तों की गर्माहट खत्म हो रही है, जिस के नतीजे ब्रेकअप के रूप में सामने आ रहे हैं.

Boyfriend के इन 5 सवालों से कतराती हैं लड़कियां

कहा जाता है कि लड़कियों को समझ पाना बहुत मुश्किल काम होता हैं, जो कि एक हद तक सही बात हैं. क्योंकि लड़कियों के मन में कब क्या चल रहा होता है, कोई नहीं जान पाता है. लेकिन कुछ बातें ऐसी होती हैं जो हर लड़की के मन में छिपी हुई होती हैं और लड़कियां कतराती है कि कहीं उनका बौयफ्रेंड उनसे ये सवाल ना पूछ ले.

जी हां, आज हम आपको उन्हीं कुछ सवालों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका जवाब देने से लड़कियां कतराती हैं और चाहती हैं कि उनका बौयफ्रेंड उनसे कभी भी ये सवाल ना पूछे. तो आइये जानते हैं इन सवालों के बारे में.

क्या मैं तुम्हारा पहला प्यार हूं?

हर लड़का अपनी गर्लफ्रैंड से यह सवाल तो जरूर पूछना चाहता है कि क्या वह उसका पहला प्यार है. मगर लड़कियों को अपने बौयफ्रैंड से पहले कोई और जरूर पसंद होता है, चाहे वह उसका क्रश ही क्यों न हो.

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क्या तुम मेरी मौम के साथ शौपिंग पर जाओगी?

हर लड़का चाहता है कि उसकी गर्लफ्रैंड उसकी मौम के साथ शौपिंग पर जरूर जाए, ताकि वह इसी बहाने उन्हें अच्छे से जान लें. मगर लड़कियां अपने बौफ्रैंड की मौम के साथ शौपिंग पर जाने से बहुत डरती है.

तुम्हारे पैरेंट्स मुझे पसंद करेंगे या नहीं?

अपनी गर्लफ्रैंड के पेरेंट्स से मिलना लड़कों के लिए सबसे मुश्किल काम होता है और वह पहले ही अपने पार्टनर से यह सवाल करने लगते हैं. मगर लड़कियां इस बात को लेकर खुद इतनी टेंशन में होती है कि वह सवाल से बचना चाहती हैं.

मेरी फ्रैंड या बहन कितनी क्यूट है न!

हर लड़का अपनी गर्लफ्रैंड से यह जरूर पूछता है कि उसकी बहन या दोस्त उसे कैसे लगती है. मगर लड़कियां ऐसी बातों से दूर रहना ही पसंद करती हैं.

तुम अब किसी दूसरे लड़के को डेट तो नहीं करोगी?

लड़कों के मन में हमेशा यह डर रहता है कि उसकी पार्टनर किसी बात को लेकर गुस्सा न हो जाए. ऐसे में अपनी इस इनसिक्योरटी के चलते अपनी गर्लफ्रैंड से यह सवाल पूछ बैठते हैं.

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Sex Problem: क्या आपकी पत्नी को भी हैं ये 5 सैक्स समस्याएं

कहते हैं कि सफल दांपत्य जीवन में सैक्स एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है और विवाह के बिखराव का एक कारण सेक्स भी हो सकता है. आम धारणा है कि पुरुष को ही सैक्स में ज़्यादा रुचि होती है और महिला अमूमन इससे बचती है. लेकिन ऐसा नहीं है. पुरुष की तरह महिलाओं की भी सेक्स इच्छा होती है. अधूरा और सही समय पर संभोग के पूरा न होने पर महिलाओं को शारीरिक और मानसिक परेशानी होती है. दरअसल महिलाओं का सेक्स केवल संभोग तक सीमित नहीं होता, बल्कि स्पर्श, चुंबन आदि से भी उन्हें संतुष्टि मिलती है.

आइए हम आपको बताते है कि कौन कौन सी सैक्स समस्याएं आती है और उनका समाधान क्या है.

सैक्स में कमी

महिलाओं में सेक्स में कमी डिप्रेशन, थकान या तनाव की वजह से हो सकती है. इसके अलावा और भी वजह हो सकती है जैसे पार्टनर जिस तरह छूता है, वह पसंद नहीं आना, पसीना से या उसके मुंह से पान-तंबाकू वगैरह की बदबू आना आदि. कई महिलाओं को शरीर के कुछ खास हिस्सों पर हाथ लगाने से दर्द महसूस होता है या अच्छा नहीं लगता. इससे भी वे सेक्स से बचने लगती हैं.

लुब्रिकेशन की कमी

महिलाओं के जनन अंग (vagina) में लुब्रिकेशन (गीलापन) को उत्तेजना का पैमाना माना जाता है. कुछ महिलाओं को कम लुब्रिकेशन की शिकायत होती है और ज़ाहिर है ऐसे में सैक्स काफी तकलीफदेह हो जाता है. लुब्रिकेशन में कमी तीन वजहों से हो सकती है. इन्फेक्शन, हार्मोंस में गड़बड़ी या फिर तरीके से फोर प्ले न करना.

सैक्स के दौरान दर्द

कुछ महिलाओं को सैक्स के दौरान दर्द होता है. कई बार यह दर्द बहुत ज़्यादा होता है और ऐसे में महिला सेक्स से बचने लगती है. साथी को इस दर्द का अहसास नहीं होता और उसे लगता है कि साथी महिला की दिलचस्पी नही है या फिर सहयोग नहीं कर रही है.

और्गेज्म न होना

महिलाओं में यह शिकायत आम होती है कि उनका पार्टनर उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाता यानी उनका और्गेज्म नहीं हो पाता. कुछ को और्गेज्म नहीं होता और कुछ को होता तो है पर महसूस नहीं होता. कुछ महिलाओं को लुब्रिकेशन के दौरान ही जल्दी ऑर्गेज्म हो जाता है. कुछ को बहुत देर से और्गेज्म होता है.

वैजाइनल पेन

कभी-कभी महिलाओं को नाभि के नीचे और प्यूबिक एरिया के आसपास दर्द महसूस होता है. यह दर्द वैसा ही होता है, जैसा पीरियड्स के दौरान होता है. इसकी वजह यह है कि उत्तेजना होने पर प्राइवेट पार्ट के आसपास खून का बहाव होता है. ऐसे में लुब्रिकेशन होता है पर क्लाइमैक्स नहीं होता. इससे इस एरिया में खून जम जाता है और दर्द होने लगता है.

समाधान

सैक्स समस्या का सबसे बड़ा कारण है पति-पत्नी का सैक्स समस्याओं के बारे में बात ही नहीं करना. पति और पत्नी दोनों को इस मामले में खुलकर बात करनी चाहिए और कोई भी छुपाना नहीं चाहिए. हो सकता है इस मामले में पत्नी पहल न करें तो ऐसे में पति को चाहिए कि उनका व्यवहार ऐसा हो कि उनकी पत्नी उनसे हर बात शेयर कर सकें. यदि आप चाहते हैं कि आप अपने साथी से सभी समस्याओं खासकर सेक्स समस्याओं के बारे में बातचीत कर सकें तो आपको अपने साथी को विश्वास में लेना होगा. यदि आप अपने साथी को अपनी कोई सैक्स समस्या के बारे में बताना चाहते हैं तो आप उसे सीधे-सपाट शब्दों में ना कहें बल्कि उसके लिए थोड़ा समय लें और अपने साथी को बातचीत और प्यार से सहज करें. इसके बात सामान्य बातचीत के बाद ही अपनी समस्या बताएं.

क्या आप भी करते हैं मन मार कर सैक्स?

आप दिन भर के थके हुए घर लौटे हैं और आप के मन में सैक्स का खयाल दूरदूर तक नहीं हैं. लेकिन जैसे ही आप बिस्तर पर लेटते हैं, यह साफ हो जाता है कि आप के साथी के मन में आज सैक्स के अलावा कुछ भी नहीं है. उस को मना करने के बजाय आप अनमने मन से उस के साथ सैक्स कर लेते हैं. शायद आप यह उस की खुशी के लिए करते हैं या शायद इसलिए क्योंकि आप को पता है कि मना करने से उस का मूड खराब हो जाएगा.

अपना मन मारना

मन ना होने पर भी सैक्स करने को शोधकर्ताओं ने ‘अनुवर्ती सैक्स’ का नाम दिया है. अध्ययन से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में ऐसा महिलाएं ज्यादा करती हैं. अनुवर्ती सैक्स और जबरदस्ती करे जाने वाले सैक्स में फर्क है. इस में आप इसलिए यौन संबंध नहीं बनाते क्योंकि आप का साथी आप के साथ जोरजबरदस्ती करता है, बल्कि यहां तो आप के साथी को यह पता ही नहीं चलता कि आप सैक्स नहीं करना चाहते और केवल उस का मन रखने के लिए कर रहे हैं, चाहे अपना मन मार कर ही सही.

तो ऐसा महिलाएं क्यों करती हैं? यह जानने के लिए अमेरिकी शोधकर्ताओं के एक समूह ने विश्विद्यालय में पढ़ने वाली 250 लड़कियों से संपर्क किया. उन्हें औनलाइन एक सर्वे भरने को कहा गया जिस में उन्हें अपने उस समय के अनुभव के बारे में बताना था जब उन्होंने अपना मन मार कर सैक्स किया. यहां सैक्स का मतलब था प्रवेशित सैक्स, गुदा और मुख मैथुन. शोधकर्ता यह भी जानना चाहते थे कि सैक्स करते हुए उन का व्यक्तित्व कैसा रहता है और अपने रिश्ते में वो अपने साथी से किस तरह से पेश आती हैं.

परिणाम आने के बाद शोधकर्ताओं को पता चल चुका था कि लगभग आधी महिलाओं ने कभी ना कभी मन मार कर सैक्स किया है. 30 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थी जिन्होंने यह अपने वर्तमान साथी के साथ किया था या फिर उस साथी के साथ जिस के साथ उन का रिश्ता सब से लंबा चला था.

60 प्रतिशत महिलाओं का कहना था कि उन्होंने यह किया तो है लेकिन उन का मानना था कि ऐसा बहुत कम होता है. लेकिन 4 में से एक महिला ऐसी भी थी जिन्होंने लगभग 75 प्रतिशत से ज्यादा बार अपना मन मार कर सैक्स किया था.

तो यह लोग ऐसा क्यों कर रहे थे? इसका एक कारण तो यह था कि उन की नजर में ऐसा करने से उन का रिश्ता बेहतर और मजबूत होगा. एक महिला अपने साथी के साथ केवल इसलिए सैक्स के लिए तैयार हो जाती है क्योंकि उसे पता है कि उसे लगे ना लगे उस के साथी को यह अच्छा लगेगा. एक और कारण जो इतना सामान्य नहीं है, वो यह है कि महिलाओं को लगता है कि सैक्स करने से उन का रिश्ता चलता रहेगा – उन्हें यह डर रहता है कि कहीं उन के मना करने से उन का साथी उन्हें छोड़ कर ना चला जाए.

सैक्स को ले कर बातचीत

अध्ययन से यह भी पता चला कि जो महिलाएं अपने साथी को अपनी कामुक पसंद और नापसंद के बारे में बता कर रखती थी, उन के ‘अनुवर्ती सैक्स’ करने की संभावना कम थी क्योंकि जब उन का सैक्स करने का मूड नहीं होता था तब भी वो मन मारने के बजाय, वो बात अपने साथी को बता देती थीं.

अगर यह सब आप को जाना पहचाना लग रहा है तो शायद आप को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कैसे आप अपनी यौन इच्छाओं को अपने साथी को बता सकें और उस बारे में भी, जब आप सैक्स नहीं करना चाहते हों. इस से आप को बेहद फायदा होगा.

पुरुष भी इस का खयाल रख सकते हैं. अगली बार सैक्स करते हुए ध्यान दें कि क्या आप का साथी पूर्ण रूप से कामोत्तेजक है और क्या उसे सच में मजा आ रहा या फिर वो केवल आप का मन रखने के लिए यौन क्रिया में लिप्त हो रही है. यह जानने का सब से आसान तरीका जानते हैं क्या है? सीधा ही उस से पूछ न लो मेरे भाई. शानदार सैक्स की ओर यह आप का पहला कदम होगा.

क्या इन 5 जगहों पर सैक्स करना है सेव

21वीं सदी में एक ओर तो लोग सेक्स को लेकर जागरुक हो रहे हैं, तो दूसरी तरफ अलग-अलग प्रयोग करने से बाज नहीं आते. ज्यादातर हमारे युवा वर्ग इसे फैंटसी समझते हैं और इसलिए सेक्स को लेकर कई तरह के प्रयोग करते रहते हैं. पर आप ये नहीं जानते की इन प्रयोगों से आप ई. कोलाई जैसी बीमारी को न्यौता दे रहे हैं.

फेकल बेक्टीरिया, नोरोवॉयरस और एमआरएसए कुछ ऐसी गंदगी हैं जो भीड़भाड़ वाले इलाके में जमे रहते हैं और आपके शरीर के संपर्क में आते ही आपके लिए खतरनाक साबित होते हैं. इसी संदर्भ में एरीजोना विश्वविद्यालय के अणुजीव वैज्ञानिक चार्ल्स गर्बा (पीएच.डी) ने ऐसे 5 जगहों के बारे में बताया है जिनसे आज आपको हम अवगत कराएंगे.

हवाई जहाज के बाथरूम

चार्ल्स गर्बा के मुताबिक छोटे से हवाई जहाज के बाथरूम बीमारी फैलाने के बहुत बड़े दोषी हैं. करीब 100 से भी ज्यादा लोग बिना सफाई हुए एक बार में बाथरूम इस्तेमाल करते हैं और कई लोग तो अपने हाथ भी नहीं धोते हैं. इसलिए हवाई जहाज के बाथरूम में ई.कोलाई का पाया जाना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है.

जिम का लौकर रूम

एमआरएसए, स्ट्रेप, नोरोवॉयरस, रिंगवार्म ऐसे बेक्टीरिया हैं जो जिम के लॉकर रूम के गर्म और नम वातावरण में आसानी से पनपते हैं. इसलिए कभी भी जिम के लॉकर रूम में नंगे पांव नहीं घूमना चाहिए वर्ना आप किसी संक्रामक बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं.

सिनेमा हौल

सिनेमा हौल के गंदे फ्लोर को अगर आप वार्निंग के तौर पर नहीं ले रहे हैं तो गर्बा आपको बताना चाहते हैं कि सिनेमा हॉल की सीट और हैंडरेल कभी-कभार ही साफ होते हैं इसलिए इनपर बेक्टीरिया का पाया जाना बहुत ही कॉमन बात है. इनके नमूने को टेस्ट करने पर स्टैफ डिटेक्ट किया गया है. जब भी लाइट डिम हो एक-दूसरे के करीब जाने से बचें.

प्लेग्राउंड और पार्क

क्या आपने कभी प्लेग्राउंड या पार्क में लगे झूलों को साफ होते देखा है. नहीं, शायद ही कभी हममें से किसी ने ये होते हुए देखा हो. गर्बा के मुताबिक कोल्ड और फ्लू के कीटाणु के साथ ही मनुष्य और जानवरों के मल भी पूरे पार्क के आसपास पाए जाते हैं. इसलिए अगली बार स्विंग से नीचे आने से पहले आप ये ज़रूर याद कर लें कि आपसे पहले वहां करीब 20 से भी ज्यादा बच्चों ने अपनी नाक पोछी होगी.

समुद्री बीच

बीच पर कचड़ा, नाला, चिड़ियों के मल औऱ फन संबंधी कई चीजें बिखरे हुए मिलेंगे जो कि बीच के बालू को गंदा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. अध्ययन से पता चला है कि ये सतह पानी से भी खतरनाक होता है जिससे डायरिया, इंफेक्शन या रैसेस हो सकता है. इनके साथ ही आपको ये नहीं भूलना चाहिए कि बीच पर आपको टिक का भी खतरा हो सकता है जो आपके निचले हिस्से से आपके शरीर पर पहुंच सकता है और लाइम डिजीज से प्रभावित हो सकते हैं.

तृप्ति और खुशियों का खजाना भी हैं कामुक किताबें

ज्ञान हासिल करना है तो किताबें पढ़ें, किसी की सक्सेज स्टोरी जाननी हो तो किताबें पढ़ें, तनाव खत्म करना हो तो किताबें पढ़ें, यहां तक कि दिल में बेचैनी हो, किसी चीज में मन न लग रहा हो, सब कुछ बोझिल सा महसूस हो रहा हो तो मनोविद कहते हैं कि कामुक किताबें पढ़ें. जी हां, आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं. किताबें सेक्स में काफी सहायक सिद्ध होती हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों से बड़े पैमाने पर किताबों को वीडियो ने रिप्लेस करने की कोशिश की है, लेकिन एक तो अभी ज्यादातर वीडियोज में उस तरह की मैच्योरिटी नहीं है, जो किताबों में है.

दूसरी बात वीडियो चूंकि हर कोई बना रहा है, चाहे उसे उस विषय के बारे में कोई ज्ञान हो या न हो, इसलिए अभी वीडियोज में वह स्टैंड नहीं है, जैसा किताबों में है. निःसंदेह बहुत सारे वीडियोज ऐसे हैं, लेकिन आमतौर पर वीडियोज किताबों से अभी बेहतर नहीं है.

खैर हमें तुलना में नहीं उलझना सिर्फ यह जानना है कि विशेषज्ञ आखिर कामुक किताबों के पढ़ने के फायदे क्या बताते हैं? कुछ सालों पहले एक अध्ययन में पाया गया कि कामुक कहानियां या फिर फोटोग्राफ्रस देखने से दिल तरोताजा हो जाता है. यही नहीं, ये कहानियां और तस्वीरें स्वास्थ्य के नजरिये से भी बहुत लाभदायक पायी गईं. यह सामग्री खास तौरपर उन कपल्स के लिए तो बहुत ही उपयोगी हैं, जिन्हें उत्तेजित होने में वक्त लगता है. शायद यूं ही नहीं कहा गया है कि किताबें हमारी सबसे अच्छी मित्र होती हैं. यह न सिर्फ तकनीकी रूप से मित्र होती हैं बल्कि ये हमारे एहसास का हिस्सा भी होती हैं.

दरअसल प्रेम कहानियां व साहित्य, कामुक कहानियां यह सब सीधे हमारे दिल के तार से जुड़ जाती हैं जिससे ये हमें सेक्सुअल एहसास में कई गुना ज्यादा आनंदित करती हैं. मनोविदो के मुताबिक कामुक किताबें हमारे जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं. मनोविद उन दंपतियों को जो काफी मुश्किल से या देर से उत्तेजित होते हैं, उन्हें सेक्स से पहले कुछ इरोटिक किताबें पढ़ने का सुझाव देते हैं.

अगर किताबें उपलब्ध न हों तो इंटरनेट में जाकर पोर्न साइट्स को भी देखा जा सकता है. आजकल भारत में भी ऐसा खुलापन देखा जा रहा है. लड़कियां ऐसी साइट्स देखने में हिचकिचाती नहीं हैं बल्कि अपने पार्टनर को पूरा सपोर्ट करती हैं. उन्हें इस बात से कोई गुरेज नहीं है कि उनका पार्टनर इन साइट्स को देखने व दिखाने में इंटरेस्ट दिखा रहा है बल्कि अपने साथी को पूरा सहयोग करती हैं. वो भी दिल खोलकर. आमतौर पर सेक्सोलॉजिस्ट स्वीकारते हैं कि पोर्नोग्राफी और इरोटिक विषय, दिमाग से तनाव को दूर करते हैं. सो इसे रोगोपचार भी कहा जा सकता है.

यह एक ऐसा नुस्खा है जिसमें कोई चिकित्सा नहीं मगर बेहतर स्वास्थ्य पर बेहतर असर है. इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि अगर दंपति या पार्टनर्स साथ-साथ ऐसी किताबें पढ़ें तो उनके लिए ज्यादा लाभदायक होती हैं.

मुम्बई स्थित केईएम अस्पताल के डॉ-प्रकाश कोठारी बताते हैं कि उनके पास जितने भी दंपति चिकित्सा के लिए आते हैं उनमें से ज्यादातर इरोटिक किताबें, पोर्न साइट्स देखना पसंद करते हैं. वह कहते हैं, फ्इरोटिक किताबें पढ़ना आज के दौर में जीवन का एक हिस्सा जैसा बनता जा रहा है. यह एक किस्म से फोरप्ले का काम करता है. इससे उत्तेजित होने में आसानी होती है. इससे दोनों पार्टनर्स बहुत ही जल्द एक दूसरे में खो जाते हैं.य् चाहे नवदंपति हाें या फिर किसी की शादी के 20 साल गुजर चुके हों.

अगर सेक्स में नयापन चाहिए या फिर सेक्स में एकरसता आ गई हो और उसे दूर करना चाहते हों तो सबसे आसान उपाय यही है कि कुछ ऐसी तस्वीरें देखी जाएं जो उत्तेजित कर सकें या फिर ऐसी साइट सर्च की जाए जिसमें तस्वीरों के साथ-साथ रोमांच कर देने वाली कहानियां हाें.

इससे जीवन में खुशियां नए सिरे से शामिल हो जाएंगी. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दंपति कितने नए हैं या कितने पुराने हैं. यह न सिर्फ बिस्तर में काम करता है बल्कि सोच को भी सकारात्मक कर देता है.

ये कहानियां या किताबें कल्पनाओं तक सीमित होती हैं और कल्पनाओं की कोई सीमा नहीं होती. इसलिए हम जो कुछ अपनी कल्पनाओं में कर सकते हैं या करते हैं वह हम हकीकत में करने की सोच भी नहीं सकते. इस किस्म की किताबों को पढ़ने से हमारी सोच में तब्दीलियां आएंगी. एक किस्म से यह व्यक्ति के अंदर मौजूद ऊर्जा को बढ़ाती हैं. यह सिर्फ शारीरिक तौरपर ही लाभदायक नहीं हैं. इससे रिश्ते भी मजबूत होते हैं और भविष्य बेहतर होने की संभावना बरकरार रहती है. कई चिकित्सकों का मानना है कि अगर हम ‘फोरप्ले’ शब्द को परिभाषित करते हैं तो यह एक बहुत बड़ा विषय है जिसका विवरण हम चंद शब्दों में नहीं दे सकते.

इसलिए अगर कहें कि किताबें पढ़ना एक तरह से फोरप्ले ही है तो गलत न होगा. वास्तव में यह आसानी से पुरुषों को उत्तेजित कर सकता है और सेक्स के दौरान उन तमाम घटनाओं को अपनी कल्पना में शामिल कर सकता है जो कि उसने पढ़ी थी.

सेक्सोलॉजिस्ट, मनोविद और विशेषज्ञ ही इन तमाम बातों से सहमत नहीं हैं. इन तमाम बाताें को अपने जीवन में इख्तियार करने वाले दंपति भी इससे सहमत हैं. कामुक कहानियां पढ़ने वाले या इस तरह के साहित्य को किसी भी फॉर्मेट में देखने, सुनने या पढ़ने वाले दंपति जब एक दूसरे को छूते हैं तो उनका स्पर्श इतना प्यार भरा होता है कि शब्दों में बयान करना नामुमकिन होता है. इससे उनका सारे दिन का तनाव भी खत्म हो जाता है और हर आने वाला दिन नई ऊर्जा से भरा होता है.

लेकिन कई ऐसे दंपति भी हैं जो इस बात से सहमत नहीं हैं. ऐसा नहीं है कि वह किताबें पढ़ने या तस्वीर देखने को उत्तेजक न मानते हों. वह इसके खिलाफ भी नहीं हैं. दरअसल कई महिलाओं को लगता है कि हमारे पास जितनी भी किताबें या साइट्स में कहानियां या फोटोग्राफ उपलब्ध हैं, वह कहीं न कहीं हर रूप में मेल ओरिएंटेड यानी पुरुषों को जहन में रखकर बनाई गई हैं.

इसलिए उसमें महिलाओं को उत्तेजित करने वाले तथ्य मौजूद नहीं होते. पुरुष ही इन किताबों को पढ़कर उत्तेजित होते हैं. उत्सुक होते हैं और इस वजह से बिस्तर में भी बेहतर प्रदर्शन करते हैं_ लेकिन इसमें महिलाओं को कोई खास मदद नहीं मिलती.

इसलिए कई दंपति ऐसे हैं जहां पुरुष इन किताबों को अकेला पढ़ता है. उनकी पत्नियां उनका इन किताबों को पढ़ने में साथ देने को, अपने वक्त को जाया करना मानती हैं. लेकिन किसी हद तक यह भी सच है कि महिलाएं भी इन किताबों का पूरा आनंद लेना चाहती हैं. एक दौर था जब महिलाएं कामुक किताबों को पढ़ना तो दूर उन्हें अपने घर पर रखने की इजाजत भी नहीं देती थीं. मगर आज यह गुजरे जमाने की बीती बातें हो चुकी हैं.

आज हम इन पौराणिक विचारधाराओं को अपने जीवन से कोसो दूर छोड़ चुके हैं. आज न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाएं भी इन तमाम विषयों में बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी दर्शाती हैं. कई अविवाहित नवयुवक अपनी शारीरिक मांग को इन किताबों के जरिए शांत करते हैं.

उनका मानना है कि यह शरीर को ठंडक पहुंचाती है. यह इतना प्रभावशाली होता है कि इन कामुक किताबों को पढ़ने के बाद कोई भी कठिन से कठिन उलझन भी आसानी से सुलझ जाती है. सेक्सोलॉजिस्टों के मुताबिक पोर्नोग्राफी वाकई शरीर को तृप्त करने का एक बेहतरीन साधन है. अगर हम देखें कि जितने भी साधन किताबों, नेट या फिर कहीं भी उपलब्ध होते हैं, उनमें जो तस्वीरें मौजूद होती हैं वह पुरुषों को ज्यादा आकर्षित करती हैं, जबकि लिखित मैटर महिलाओं की उत्तेजना को बढ़ाता है.

खैर! जो भी है, हकीकत यही है कि इसमें सेक्स की कोई समस्या नहीं होती. किसी किस्म का कोई दबाव नहीं होता, किसी खास की तलाश करने की भी कोई जरूरत नहीं होती. यह तो कल्पनाओं की उड़ान को ऊंचा और ऊंचा और भी ऊंचा ले जाती है. जहां कोई तनाव, समस्या, परेशानियां नहीं होतीं.

गुप्त रोग का इलाज अब असान नहीं!

सेक्स का जिक्र आते ही युवा मन में एक विशेष प्रकार की सरसराहट होने लगती है. मन हसीन सपनों में खो जाता है, क्योंकि यह प्रक्रिया है 2 जवां दिलों के आपसी मिलन की. रमेश का विवाह नेहा से तय हो गया था. रमेश नेहा की खूबसूरती देख पहली ही नजर में उस का दीवाना हो गया था. नेहा को ले कर उस ने हसीन सपने बुन रखे थे. बस, इंतजार था शादी व मिलन की रात का. रमेश ने पहले कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे, इसलिए उस के लिए तो यह नया अनुभव था. मिलन की रात जब रमेश ने नेहा को अपने आगोश में लिया तो उस का धैर्य जवाब देने लगा. उस ने जल्दी से नेहा के कपड़े उतारे और सैक्स को तत्पर हो गया, पर अभी वे एकदूसरे में समा भी न पाए थे कि वह शांत हो गया.

नेहा अतृप्त रह गई. जिस आनंद के सपने उस ने संजो रखे थे सब धराशायी हो गए. रमेश अपने को बहुत लज्जित महसूस कर रहा था. रमेश जैसी स्थिति किसी भी युवा के साथ आ सकती है. अकसर युवा इसे अपनी शारीरिक कमजोरी या गुप्त रोग मान लेते हैं और उन्हें लगता है कि वे कभी शारीरिक संबंध स्थापित नहीं कर पाएंगे. बहुत से युवा अपने मन की बात किसी से संकोचवश कर नहीं पाते और हताशा का शिकार हो कर आत्महत्या तक कर लेते हैं. कुछ युवा नीमहकीमों के चक्कर में पड़ जाते हैं जो उन्हें पहले नामर्द ठहराते हैं और फिर शर्तिया इलाज की गारंटी दे कर लूटते हैं. युवाओं को समझना चाहिए कि ऐसी समस्या मानसिक स्थिति के कारण उत्पन्न होती है.प्रसिद्ध स्किन व वीडी स्पैशलिस्ट डा. ए के श्रीवास्तव का कहना है कि ‘पहली रात में सैक्स न कर पाना एक आम समस्या है, क्योंकि युवाओं को सैक्स की जानकारी नहीं होती. वे सैक्स को भी अन्य कामों की तरह निबटाना चाहते हैं, जबकि सैक्स में धैर्य, संयम और आपसी मनुहार अत्यंत आवश्यक है.

डा. श्रीवास्तव कहते हैं कि सैक्स से पहले फोरप्ले जरूरी है, इस से रक्त संचार तेज होता है और पुरुष के अंग में पर्याप्त कसाव आता है. कसाव आने पर ही सैक्स क्रिया का आनंद आता है और वह पूर्ण होती है. इसलिए युवाओं को सैक्स को गुप्त रोग नहीं समझना चाहिए. यदि फिर भी कोई समस्या है तो स्किन व वीडी विश्ेषज्ञ की राय लें.

आइए, एक नजर डालते हैं कुछ खास यौन रोगों पर :

शीघ्रपतन

अकसर युवाओं में शीघ्रपतन की समस्या पाई जाती है. यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि दिमागी विकारों की वजह से ऐसा होता है. इस समस्या में युवा अपने पार्टनर को पूरी तरह से संतुष्ट करने से पहले ही स्खलित हो जाते हैं. यह बीमारी वैसे तो दिमागी नियंत्रण से ठीक हो जाती है, लेकिन अगर समस्या तब भी बनी रहे तो किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श ले कर इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है.

नपुंसकता

नपुंसकता एक जन्मजात बीमारी है. इस रोग से ग्रसित लोग स्त्री को शारीरिक सुख देने में सक्षम नहीं होते और न ही संतान पैदा कर पाते हैं. कुछ युवाओं में क्रोमोसोम्स की कमी भी नपुंसकता का कारण होती है. युवाओं को शादी से पहले पता ही नहीं चलता कि उन के क्रोमोसोम्स या तो सक्रिय नहीं हैं या उन में दोष है. कुछ युवा शुरू में नपुंसक नहीं होते पर अन्य शारीरिक विकारों की वजह से वे सैक्स क्रिया सही तरीके से नहीं कर पाते. इसलिए उन को नपुंसक की श्रेणी में रखा जाता है. आजकल तो इंपोटैंसी टैस्ट भी उपलब्ध हैं. अगर ऐसी कोई समस्या है तो इस टैस्ट को अवश्य कराएं.

पुरुष हारमोंस की कमी

पुरुषों में टैस्टेटोरोन नाम का हारमोन बनता है. यही हारमोन पुरुष होने का प्रमाण है. कभीकभी किन्हीं वजहों से टैस्टेटोरोन स्रावित होना बंद हो जाता है तो वह व्यक्ति गुप्त रोग का शिकार हो जाता है. 50 से 55 वर्ष की आयु के बाद इस हारमोन के बनने की गति धीमी पड़ जाती है इसलिए ऐसे व्यक्ति सैक्स क्रिया में जोश से वंचित रह जाते हैं.

सिफलिस

यह वाकई एक गुप्त रोग है जो किसी अनजान के साथ यौन संबंध बनाने से होता है. अकसर यह रोग सफाई न रखने या ऐसे पार्टनर से सैक्स संबंध कायम करने से होता है जो अलगअलग लोगों से सैक्स संबंध बनाता है. इस रोग में यौनांग पर दाने निकल आते हैं. कभीकभी इन दानों से खून या मवाद का रिसाव तक होता रहता है. यदि आप के यौन अंग पर ऐसे दाने उभरते हैं तो तुरंत त्वचा व गुप्त रोग विशेषज्ञ से राय लें और इलाज कराएं. इस का इलाज संभव है. जिस तरह पुरुषों में यौन या गुप्त रोग होते हैं, उसी तरह महिलाओं में भी गुप्त रोग हो सकते हैं. अकसर बहुत सी युवतियों की सैक्स में रुचि नहीं होती. सैक्स के नाम से वे घबरा जाती हैं ऐसी युवतियां या तो बचपन में किसी हादसे का शिकार हुई होती हैं या फिर किसी गुप्त रोग से पीडि़त होती हैं, यहां तक कि वे शादी करने तक से घबराती हैं.

महिलाओं के कुछ खास गुप्त रोग

बांझपन

युवतियों में 12-13 वर्ष की उम्र से माहवारी आनी शुरू हो जाती है. कभीकभी यह 1-2 साल आगेपीछे भी हो जाती है पर ऐसी भी युवतियां हैं जिन के माहवारी होती ही नहीं. ऐसी युवतियां बांझपन का शिकार हो जाती हैं. स्त्री बांझपन भी पुरुष नपुंसकता की तरह जन्मजात रोग है. बहुतों में अनेक शारीरिक व्याधियों के चलते भी हो जाती है लेकिन वह अस्थायी होती है और इलाज से ठीक भी हो जाता है. अगर किसी किशोरी को माहवारी की समस्या है तो उसे तुरंत किसी योग्य स्त्रीरोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

जननांगों में खुजली

जब से समाज में खुलापन आया है युवा मस्ती में कब हदें पार कर देते हैं पता ही नहीं चलता. चूंकि इन्हें जननांगों की साफसफाई कैसे रखी जाए, यह पता नहीं होता इसलिए ये खुजली जैसे यौन संक्रमणों का शिकार हो जाते हैं. यदि बौयफ्रैंड को कोई यौन संक्रमण है तो गर्लफ्रैंड को इस यौन संक्रमण से बचाया नहीं जा सकता. अत: दोनों को ही शारीरिक संबंध बनाने से पहले अपने यौनांगों की अच्छी तरह सफाई कर लेनी चाहिए.

एंड्रोजन हारमोन का अभाव

जिस तरह पुरुषों में पुरुष हारमोन टैस्टेटोरोन होता है, उसी तरह युवतियों में एंड्रोजन हारमोन होता है. जिन युवतियों में इस हारमोन की कमी होती है, उन में सैक्स के प्रति उत्साह कम देखा गया है, क्योंकि यही हारमोन सैक्स क्रिया को भड़काता है. यदि कोई युवती एंड्रोजन हारमोन की कमी का शिकार है तो उसे तुरंत गाइनोकोलौजिस्ट से राय लेनी चाहिए. यह कोई लाइलाज रोग नहीं है.

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लिकोरिया

लिकोरिया गंदगी की वजह से होने वाला एक महिला गुप्त रोग है. इस रोग में योनि से सफेद बदबूदार पानी का स्राव होता रहता है, जिस से शरीर में कैल्शियम व आयरन की कमी हो जाती है. इस रोग से बचने के लिए युवतियों को अपने गुप्तांगों की नियमित सफाई रखनी चाहिए और किसी दूसरी युवती के अंदरूनी वस्त्र नहीं पहनने चाहिए. लिकोरिया की शिकार युवतियों को तुरंत लेडी डाक्टर से सलाह लेना चाहिए, वरना यह रोग बढ़ कर बेकाबू हो सकता है.

सैक्स में भ्रांतियां न पालें

सैक्स की अज्ञानता की वजह से अकसर युवकयुवतियां सैक्स को ले कर तरहतरह की भ्रांतियां पाल लेते हैं.

हस्तमैथुन

यह एक स्वाभाविक क्रिया है. अकसर युवकों को हस्तमैथुन की आदत पड़ जाती है. ज्यादा हस्तमैथुन करने वाले युवकों को लगता है कि उन का अंग छोटा या टेढ़ा हो गया है और वे विवाह के बाद अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने में कामयाब नहीं होंगे. कई नीमहकीम भी युवकों को डरा देते हैं कि हस्तमैथुन से अंग की नसें कमजोर पड़ जाती हैं और वे अपनी पत्नी को खुश नहीं रख सकेंगे, पर वास्तव में ऐसा नहीं है. हस्तमैथुन शरीर की आवश्यकता है. शरीर में वीर्य बनने पर उस का बाहर आना भी जरूरी है. इस में किसी प्रकार की कोई बुराई नहीं है. युवक ही नहीं युवतियां भी हस्तमैथुन करती हैं. डाक्टरों का भी मत है कि हस्तमैथुन का कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता.

ज्यादा सैक्स सेहत के लिए हानिकारक

अकसर लोगों को यह कहते सुना जाता है कि ज्यादा सैक्स सेहत के लिए हानिकारक है पर ऐसा बिलकुल भी नहीं है. बल्कि सैक्स से महरूम रहना सेहत पर असर डालता है. सैक्स से मानसिक थकावट कम होती है, चित्त प्रफुल्लित रहता है जो सेहत के लिए अत्यंत जरूरी है.

जानिए कैसे बनें अंदर से मजबूत

भारत में कई सालों से शिलाजीत का औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है. यह दुर्लभ पदार्थ अंदरूनी ताकत बढ़ाने के साथसाथ स्मरण शक्ति बढ़ाने, गठिया के इलाज, रक्तचाप को नियंत्रित रखने इत्यादि में काफी लाभकारी माना जाता है. शिलाजीत से बनी औषधि का सेवन पुरुषों के साथसाथ महिलाओं के लिए भी फायदेमंद माना गया है. अब इस में स्वर्ण और मकरध्वज जैसे तत्वों का भी मिश्रण हो तो इस का लाभ कई गुना बढ़ जाता है. आइए, जानें इन सभी तत्वों के सेहत वाले फायदों के बारे में.
शिलाजीत: शिलाजीत को ऐस्फाल्ट या मिनरल पिच के नाम से भी जाना जाता है. यह खनिज पदार्थ की श्रेणी में आता है और चुनिंदा पर्वतों पर पाया जाता है. यों तो शिलाजीत का सेवन यौन शक्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है, मगर इस के संपूर्ण सेहत से जुड़े कई दूसरे फायदे भी हैं. इस से बनी औषधि गठिया और ऐनीमिया की समस्याओं से राहत दिला सकती है. मूत्र विकार और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से पीडि़त लोगों के लिए भी इस के फायदे बताए गए हैं.

इस में दिमाग को तेज करने के गुण भी मौजूद हैं. इस के सेवन से दिमाग को पोषण मिलता है जिस से तनाव घटता है और धीरेधीरे एकाग्रता बढ़ने लगती है. कोलेस्ट्रौल के बढ़ते स्तर को नियंत्रित रखने में भी इस की बड़ी भूमिका है. इन सब के अलावा शिलाजीत शरीर की कमजोर हो चुकी कोशिकाओं को मजबूत बनाने का काम भी करती है और कोशिशकाओं की मजबूती शरीर को स्फूर्ति से भर देती है.
शिलाजीत से बने किसी भी उत्पाद का सेवन करने से पहले चिकित्सकीय सलाह जरूरी है ताकि इस के सेवन की सही मात्रा और साइड इफैट्स की जानकारी आप को पहले से हो.

स्वर्ण: शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने क लिए स्वर्ण भस्म को सब से बेहतरीन तत्व माना गया है. स्वर्ण भस्म का इस्तेमाल परंपरागत चिकित्सा पद्धति में कई तरह से किया जाता है. स्वर्ण यौन शक्ति को बढ़ाने के साथसाथ मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने और मधुमेह क नियंत्रण के लिए भी जाना जाता है. इस के प्रयोग से बनी औषधि के सेवन से पहले भी चिकित्सक सलाह दे तो अच्छे ब्रैंड की स्वर्ण भस्म युक्त औषधि का ही सेवन करें.

मकरध्वज: मकरध्वज का इस्तेमाल कफ, पित्त के इलाज के साथसाथ पौरुष शक्ति बढ़ाने के लिए भी किया जाता है. इस के अलावा शुक्राणु संबंधी विकारों के इलाज के लिए भी मकरध्वज को फायदेमंद माना गया है. मधुमेह की समस्या से ग्रसित लोगों के लिए इस का सेवन फायदेमंद बताया गया है. बाजार में इस से बनी कई औषधियां उपलब्ध हैं, मगर डाक्टर की सलाह से ही और अच्छे ब्रैंड के उत्पाद का सेवन करें.

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