रेटिंगः दो स्टार
निर्माताः विशाल राणा, तापसी पन्नू, जीस्टूडियो, प्रांजल खढांडिया, टोनी डिसूजा,प्रदीप शर्मा व मानव दुर्गा
निर्देशकः अजय बहल
कलाकारः तापसी पन्नू,गुलशन देवैया,अभिलाश थपलियाल, कृतिका देसाई,नित्या माथुर,राजा सेवक,सुमित निजवान,एस एम जहीर व अन्य.
ओटीटी प्लेटफार्मः जी 5
अवधि: दो घंटे 12 मिनट
इन दिनों हर कलाकार अभिनय के अलावा निर्माण या निर्देशन के क्षेत्र में कदम रख रहा है.कुछ दिन पहले अभिनेत्री हुमा कुरेशी व अभिनेता साकिब सलीम की बतौर निर्माता फिल्म ‘‘डबल एक्स एल’’ आयी थी. अब बतौर निर्माता तापसी पन्नू अपनी पहली सस्पेंस,हाॅरर थ्रिलर फिल्म ‘‘ब्लर’’ लेकर आयी हैं,जो कि नौ दिसंबर पर ‘जी 5’ पर स्ट्रीम हो रही है.
इस फिल्म में तापसी पन्नू ने ही मुख्य किरदार निभाया है.यह कोई मौलिक फिल्म नही है.बल्कि 2010 में प्रदर्शित सफलतम स्पैनिश डार्क फिल्म ‘‘जुलियाज आईज’’ का भारतीय करण है.शायद तापसी पन्नू को स्पैनिश फिल्मों से कुछ ज्यादा ही मोह हो गया है.उनकी पिछली फिल्म ‘दो बारा ’ भी स्पैनिा फिल्म ‘मिराज’ की ही रीमेक थी.
कहानीः
फिल्म ‘ब्लर’ की कहानी के केंद्र में दो बहने गौतमी(तापसी पन्नू ) व गायत्री( तापसी पन्नू ) हैं.आदिवासी लोगों के साथ छह माह बिताने के बाद गायत्री अपने पति नील (गुलषन देवैया) के पास दिल्ली लौटी है.गायत्री की आॅंखो की रोशनी धीरे धीरे कम होती जा रही है.रात में गायत्री सपना देखती है कि गौतमी की हत्या हो गयी है.वह उठकर अपनी दृष्टिहीन बहन गौतमी को फोन लगाती है,जो कि एक पहाड़ी शहर नैनीताल में अकेले रह रही है.पर गौतमी फोन नहीं उठाती.तब नील के मना करने के बावजूद गायत्री रात में ही गौतमी से मिलने के लिए निकलती है.तो स्वाभाविक तौर पर नील ही कार चलाता है.दोनों जब गौतमी के घर पहुॅचते हैं,तो गौतमी फांसी के फंदे पर झूलती हुई मिलती है.उसकी मौत हो चुकी होती है.
पुलिस अपनी जांच करती है.पर षक की कोई गुंजाइष नजर नहीं आती.पुलिस इसे आत्महत्या कह कर केस बंद कर देती है.नील भी चाहता है कि अब वापस चला जाए.मगर गायत्री मानने को तैयार नही होती कि उसकी बहन गौतमी ने आत्महत्या की है.गायत्री अपने तरीके ेसे जांच पड़ताल शुरू करती है.तो कई तथ्य सामने आते हैं.यह बात भी सामने आती है कि डाॅ. रमन( राजा सेवक) ने उसकी आंखों का सफल आपरेशन किया था.
गायत्री को गौतमी आदि के बारे में भी पता चलता है.और शक की सुई नील तक पहुॅचती है.पर अचानक नील की भी हत्या हो जाती है.उसके बाद गायत्री सर्तक होकर अपने अभियान में जुट जाती है.इस बीच उसकी आंखों की रोशनी जाती रहती है.डाॅ. रमन ही गायत्री की आंखों का सफल आपरेशन करते हैं.कई घटनाक्रम तेजी से घटित होते हैं और अंततः कातिल पकड़ा जाता है.
निर्देशनः
‘‘बी ए पास’’ और ‘‘सेक्षन 375’’ जैसी फिल्मों के निर्देशक अजय बहल ने ही ‘ब्लर’ का निर्देशन किया है.मगर उनकी पिछली फिल्मों के मुकाबले इस फिल्म में उनका निर्देशन काफी सुस्त है.वह बहुत जल्द फिल्म पर से अपनी पकड़ खो देते है.फिल्म में अंत तक सस्पेंस और रोमांच बरकरार नहीं रहता है. कहानी में नयापन भी नही है.इस तरह की मर्डर मिस्ट्री की तमाम फिल्में बन चुकी हैं.मूल फिल्म ‘‘जूलियास आईज’’ के मुकाबले काफी कमजोर है.फिल्म को बेवजह बहुत ही ज्यादा डार्क बना दिया गया है.गौतमी अंधी हुई थी,तो वही बीमारी गायत्री को भी हो यह लाॅजिक भी गलत है.मिसेस राधा सोलंकी के किरदार को ठीक से विकसित ही नही किया गया है.
फिल्म की पटकथा काफी कमजोर व विखरी हुई हैं.दर्षक समझ ही नहीं पाता यह क्यों हो रहा है.किसी भी दृष्य की अपनी कोई लाॅजिक ही नही है.एक दृष्य में जब गायत्री पुलिस को फोन करती ळै तो पुलिस से मदद की ही गुहार लगाती रहती है,पर पुलिस को यह नही बताती कि वह किस जगह पर है? यह लेखक व निर्देशक दोनों की कमजोरी का परिणाम है. फिल्म का क्लायमेक्स तो घटिया है.कुल मिलाकर तापसी पन्नू का निर्माता बनने का यह प्रयास बुरी तरह से असफल ही कहा जाएगा.
अभिनयः
तापसी पन्नू उन अभिनेत्रियों में से है,जिन्हे सफलता के लिए किसी सुपर स्टार की जरुरत नही पड़ती.वह एक बेहतरीन अदाकारा हैं,इस बात को वह कई बार साबित कर चुकी हैं.इतना ही नही वह पिछले कुछ समय से लगातार ‘बदला’,‘गेम ओवर’,‘हसीन दिलरूबा’,‘लूप लपेटा’,व ‘दो बारा’ जैसी रोमांचक फिल्में ही करती आ रही हैं.
इस फिल्म में गौतमी व गायत्री के दोहरे किरदार में तापसी पन्नू ने संजीदगी से निभाया है.पर इस फिल्म में उनका अभिनय स्वाभाविक कम बनावटी ज्यादा लगता है.जब आप लगातार एक ही जाॅनर की फिल्में करती रहेंगी,तो बनावटी पन आना स्वाभाविक है.
नील के किरदार में गुलशन देवैया का अभिनय शानदार है,पर उन्हे कुछ करने का ज्यादा मौका ही नही मिला.अभिलाश थपलियाल को पहली बार दीपक के रूप में एक बड़ा किरदार निभाने का अवसर मिला है और उन्होने अपने किरदार के साथ न्याय भी किया है.