लंबे कुरते, सलवार और दुपट्टे के साथ जब 2 चोटियों वाली नैना इंगलिश सीखने की क्लास में दाखिल हुए तो अचानक सब की नजरें उस की तरफ उठ गईं. उस की 2 चोटियां, ढीली सलवार और फ्लैट चप्पल के साथ कंधे पर कपड़े का बैग टांगने का अंदाज देख कर शहरी लड़केलड़कियों में कानाफूसी शुरू हो गई, लेकिन एक स्टूडैंट नीरजा को यह सब अच्छा नहीं लगा.
नैना यह भांप गई और उस ने नीरजा के आगे दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए कहा, ‘मैं नैना हूं. मुझे गांव से आए एक महीने से ज्यादा नहीं हुआ है और मैं यहां अपना इंगलिश ठीक करने आई हूं. पर ऐसा लग रहा है जैसे सब मुझे ही देख कर हंस रहे हैं. क्या सचमुच इतनी अजीब लग रही हूं मैं?’
नीरजा ने बड़े प्यार से कहा, ‘ऐसा कुछ नहीं है नैना. तुम्हारा लुक कुछ अलग है न, इसलिए इन लोगों ने इस तरह से तुम्हें देखा है. तुम घबराओ नहीं. मैं तुम्हें यहां का रहनसहन और जीने का तरीका बता दूंगी.’
नैना ने मुसकरा कर सहमति दे दी और अगले ही दिन नीरजा नैना को ब्यूटी पार्लर ले गई. उस ने सब से पहले नैना की लंबी चोटियों को कटवा कर बाल कंधे तक करवा दिए. स्टाइलिश कटिंग के साथसाथ उसे जुल्फों को खुला रखना सिखाया. उस के आइब्रोज वगैरह बनवाए. उस की वैक्सिंग करवाई. मैनीक्योर, पैडीक्योर करवाया. इस के बाद वह नैना को एक शोरूम में ले कर गई और वहां से कुछ स्टाइलिश कपड़े और फुटवियर भी दिलवाए और कुछ दिनों तक उसे बातचीत का तरीका भी सम?ाया.
10 दिनों के अंदर वाकई नैना के अंदर इतने ज्यादा बदलवाव आ गए कि अब लड़के उस की तरफ देख कर मजाक में हंसते नहीं थे, बल्कि आहें भरने लगे थे.
जाहिर सी बात है कि जब एक सीधीसादी लड़की कुछ सपने ले कर गांव से शहर आती है तो इस के लिए उसे पहले तो अपने परिवार वालों, समाज और आसपड़ोस वालों से जंग जीतनी होती है. उसे लोगों को सम?ाना होता है कि वह भी आगे बढ़ना चाहती है, कुछ करना चाहती है. शहर में उस का कोई रिश्तेदार या जानने वाला होता है तो मांबाप किसी तरह दिल पर पत्थर रख कर और उस लड़की पर भरोसा कर बड़ी मुश्किल से उसे शहर भेजते हैं. कई बार जब ससुराल शहर में हो तो शादी के बाद भी लड़की शहर आ जाती है.
जब वह शहर में पढ़ने, नौकरी करने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए आती है तो इस माहौल में एकदम से घुलमिल नहीं पाती. उसे एडजस्ट करने में थोड़ा समय लगता है. यहां के स्टाइलिश लड़केलड़कियों को देख कर वह थोड़ी सहम सी जाती है. उसे लगता है पता नहीं वह यहां रह भी पाएगी या नहीं. ऐसे में जरूरी है कि उसे किसी का मानसिक सपोर्ट मिले.
साल 1986 में आई एक फिल्म ‘नसीब अपनाअपना’ में एक गांव की बदसूरत गंवार सी लड़की चंदो को खूबसूरत रूपरंग देने की दास्तान काफी रोचक थी. इस में ऋषि कपूर हीरो थे. उन्होंने किशन का किरदार निभाया था.
पिता के कहने पर जबरन गांव की लड़की से शादी करने के बाद किशन शहर आ जाता है. यहां एक खूबसूरत शहरी लड़की से शादी कर लेता है. बाद में गांव वाली पत्नी शहर आती है और पति के घर में ही नौकरानी बन कर रहने लगती है वह पति की दूसरी पत्नी (राधा) को बहन का दर्जा देती है. धीरेधीरे राधा चंदो को शहरी सलीके सिखाती है और उस का रंगरूप बदल कर उसे इतना खूबसूरत बना देती है कि उस का पति भी दंग रह जाता है.
आइए जानते हैं कि एक सीधीसादी लड़की किस तरह अपना रूप बदल सकती है:
कपड़ों का कमाल
अपने कपड़े बदल कर आप खुद को काफी हद तक बदल सकती हैं. गांव की वेशभूषा गांव में ही शोभा देती है. शहरों में आप कुछ अलग तरह के कपड़े ट्राई करें. पहले आप ट्रेडिशनल सलवारकुरते के बजाय अनारकली सूट, स्ट्रेट लोंग कुरती और लैगिंग्स, पैरलल या जींस ट्राई करें. समय के साथ आप जींस और शर्ट वगैरह ट्राई कर सकती हैं. आप सलवार के बजाय पटियाला भी ट्राई कर सकती हैं. यह आप की पुरानी कुरती को भी नया लुक देती है.
जुल्फों से संवरता लुक
आप खुद को स्मार्ट दिखाना चाहती हैं तो अपना हेयरस्टाइल जरूर चेंज करें. गांव में आप भले ही 2 चोटियां बनाती हों, पर शहर आ कर आप को अपने बालों को एक अच्छी कटिंग देनी चाहिए. अगर आप को लगता है कि अपने बाल स्ट्रेट या कर्ली करवा कर आप उन्हें संभाल सकती हैं, तो जरूर ट्राई करें.
इन सब के अलावा जरूरी है कि आप अपने आइब्रोज बनवाएं. अपनी स्किन को ग्लो करने के लिए फेशियल करवाएं.
पेडीक्योर, मैनीक्योर और वैक्सिंग करवाएं, ताकि दूसरों के आगे अलग सा या हीन महसूस न करें, बल्कि सब के बीच निखर कर सामने आएं.
फुटवियर पर दें ध्यान
कपड़ों और बालों के बाद आप को अपनी फुटवियर पर भी ध्यान देना होगा. गांव में फ्लैट चप्पल या फ्लैट सैंडल पहन कर आप कहीं भी निकल सकती हैं. ज्यादा हुआ तो जूती पहन ली, लेकिन शहरों में लोग आप के फुटवियर पर भी ध्यान देते हैं. कुछ स्टाइलिश सैंडल्स ट्राई कीजिए जो आप के कपड़ों से मैच करते हुए होने चाहिए.
मेकअप भी है जरूरी
गांव में लड़कियां ज्यादातर काजल, बिंदी और लिपस्टिक के अलावा कोई खास मेकअप नहीं करतीं, पर शहरों में लड़कियों की चौइस थोड़ी अलग होती है. शहरों में आप काजल के साथसाथ बहुत कुछ लगा सकती हैं जैसे आई मेकअप, मसकारा, आई लाइनर, आई शैडोज जैसी चीजें इस्तेमाल कर सकती हैं. इस के अलावा होंठों पर आप हलके रंग के मैचिंग लिपस्टिक या लिप बाम जो कलरफुल होते हैं, का इस्तेमाल कर सकती है. शहरों में आप के पास चौइस बहुत ज्यादा हैं. आप कम चटकमटक वाले सोबर कलर चुन सकती हैं. शहर की लड़कियों से आप मेकअप करना सीख सकती हैं. कैसे पाउडर, फाउंडेशन, ब्लशर या कंसीलर आदि का इस्तेमाल कर चेहरे की कमियों को छिपाया जाता है. मेकअप ऐसा न हो जो पोता हुआ लगे, बल्कि लाइट मेकअप करना सीखना होगा. इस के लिए किसी दोस्त या ब्यूटी पार्लर की मदद भी ली जा सकती है.
आभूषण भी हों कुछ अलग
गांव में अकसर लड़कियां जितने भारी गहनें पहनती हैं उतना अच्छा माना जाता है. गहने काफी कलरफुल भी होते हैं. वे सोनेचांदी के गहने ज्यादा पहनती हैं और शहरों में ये चीजें इतनी पसंद नहीं की जाती. शहरी लड़कियों को आप देखेंगी कि वे बहुत लाइट वेट आभूषण पहनती हैं. एक पतली सी चेन या रिंग या फिर ?ामके. ?ामके भले ही बड़ेबड़े भी पहने जाते हैं, पर वे सोनेचांदी के नहीं बल्कि डायमंड या प्लैटिनम वगैरह के होते हैं और थोड़े स्टाइलिश होते हैं. कपड़ों के साथ मैच करने वाले होते हैं.
इंगलिश भी जरूरी
शहर आ कर लुक बदलना है और आत्मवविश्वास पैदा करना है तो आप को इंगलिश सीखनी पड़ेगी. बहुत ज्यादा नहीं तो भी कामचलाऊ इंगलिश तो आनी ही चाहिए और इस के लिए आप इंगलिश सीखने की क्लास में जा सकती हैं. इस के अलावा ग्रूमिंग क्लासेज जौइन कर सकती हैं जहां आप को उठनेबैठने, बात करने और खानेपीने का सलीका बताया जाता है. ऐसा नहीं कि गांव में सलीका नहीं है. लेकिन गांव में काम चल जाता है मतलब आप किसी भी तरह रह सकती हैं. मगर शहर में आ कर आप को बहुत कुछ सीखना होगा. अपने बोलने, खानेपीने घूमनेफिरने के अंदाज थोड़े बदलने होंगे. सीधीसादी बने रहने के बजाय स्मार्ट बनना होगा, दिमाग से भी और शरीर से भी.
लहजे में लाएं बदलाव
इंगलिश जरूरी है पर न जानने पर हीन भावना नहीं पालें. शब्दों का सही उच्चारण सीखें. गांव में बोलने का लहजा कुछ अलग होता है और शहरों का अलग होता है. उस लहजे को सुधारना बहुत जरूरी है. अकसर गांव में जिन शब्दों का हम इस्तेमाल करते हैं जैसे, नमस्कार, कैसे हो, सब ठीक तो है, खाना खा लिया आदि शहरों में ज्यादा नहीं चलते. नमस्कार के बजाय हैलोहाय या गुड मौर्र्निंग कहें. इसी तरह कैसे हो की जगह हाउ आर यू, आल फाइन, सब सही की जगह आल गुड और इसी तरह व्हाट्सअप, हाउ इट इज, फाइन, सौरी, थैंक्स, वैलकम जैसे शब्द आप की जबान पर होने चाहिए.
उपहारों का लेनदेन
पैसे बरबाद न करते हुए भी सब के साथ बराबर का खर्च करें. उपहार देनालेना सीखें. कहीं घूमने जाएं तो दूसरों के लिए कुछ लेना न भूलें. इस से दोस्ती भी गहरी होती है और एक तरह की मानसिक खुशी भी मिलती है. उपहार ऐसे खरीदें जो सामने वाले के काम के तो हों ही साथ ही साथ आप की नई सोच दिखाने वाले भी हों.
खुशबू भी जरूरी
अपने शरीर से आ रही महक बदलने के लिए परफ्यूम का इस्तेमाल करें. आजकल मार्किट में 100-200 रुपए की रेंज में भी अच्छे परफ्यूम और डिओडिरैंट मुहैया हैं. गांव के कुछ खानों से बदन में अलग महक आती है, उन्हें छोड़ें.
अच्छी किताबें पढ़ें
भरपूर किताबें पढ़ें. मार्किट या लाइब्रेरी में हर विषय पर किताबें मिल जाएंगी. कुछ महिला पत्रिकाएं ऐसी होती हैं जिन में एक ही जगह आप को हर विषय के ज्ञान जैसे फैशन, कुकरी, मेकअप के साथसाथ राजनीति, समाज और घरपरिवार से जुड़ी भी हर तरह की जानकारी और तर्कशील सोच बढ़ाने वाले लेख भी मिल जाएंगे. इन्हें पड़े सम?ों और जिंदगी में उतारने की कोशिश करें.