पड़ोस में रहने वाले अभि और शीना के घर से कई दिनों से ठोकनेपीटने की आवाजें आ रही थीं. दोनों मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत हैं. सुबह जा कर शाम को ही घर आ पाते हैं. पर अभी दोचार दिनों से दोनों घर पर ही थे. वे मजदूरों से घर में कुछ निर्माणकार्य करवा रहे थे.
मेरा मन नहीं माना तो एक दिन उन के घर पहुंच ही गई. देखा, पूरा घर अस्तव्यस्त था. शीना ने बड़ी मुश्किल से जगह बना कर मुझे बैठाया. मेरे पूछने पर वह बोली, ‘‘कल मेरे सासससुर आ रहे हैं. अभी तक तो वे दोनों स्वस्थ थे और अपने सभी काम खुद ही कर लेते थे पर अब पापाजी काफी बीमार रहने लगे हैं.
अभी तक हम 2 ही थे और इस घर में हमें कोई परेशानी नहीं थी. पर अब पापाजी की आवश्यकतानुसार हम घर में कुछ बदलाव करवा रहे हैं ताकि वे यहां बिना किसी परेशानी के आराम से रह सकें.
घर में जमीन पर बीचबीच में रखे फर्नीचर को शीना ने एक ओर कर दिया था. उन के कमरे से ले कर बाथरूम तक रैलिंग लगवा दी थी ताकि वे आराम से आजा सकें. इसी प्रकार के और भी बदलाव अभि व शीना ने अपने मातापिता की आयु की जरूरतों को देखते हुए करवा दिए थे.
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रजत कुछ दिनों से ब्रोकर के जरिए घर ढूंढ़ रहा था. 2 फ्लैट के मालिक होने के बावजूद रजत को प्रतिदिन ब्रोकर के साथ देख कर रमा हैरान थी. एक दिन जब उस ने रजत से पूछा तो वह बोला, ‘‘आंटी, मेरे दोनों फ्लैट दूसरी और तीसरी मंजिल पर हैं और दोनों ही सोसाइटीज में लिफ्ट नहीं है. अभी तक तो चल रहा था, क्योंकि मैं अपनी पत्नी और 2 बच्चों के साथ था. पर अब मेरी मां आने वाली हैं. 72 वर्षीया मेरी मां के दोनों घुटनों का औपरेशन हुआ है, इसलिए उन के लिए लिफ्ट या ग्राउंडफ्लोर का घर होना आवश्यक है.
10 वर्षों तक दुबई में प्रतिनियुक्ति के बाद अश्विन की जब भोपाल में पोस्ंिटग हुई तो उस ने अपने मातापिता के साथ ही रहने का फैसला लिया, ताकि वह अपने उम्रदराज हो चुके मातापिता की भलीभांति देखभाल कर सके. घर में एक माह रहने के बाद ही उसे समझ आ गया कि जिस घर में उस के मातापिता रह रहे हैं वह उन की उम्र के अनुकूल बिलकुल भी नहीं है. इसलिए, सर्वप्रथम 15 दिन का अवकाश ले कर उन की आवश्यकताओं को महसूस कर के उस ने घर को अपने मातापिता के अनुकूल करवाया ताकि वे उम्र के इस पड़ाव में सुकून के साथ रह सकें.
जीवन चलने का नाम है. बाल्यावस्था, युवावस्था और फिर वृद्धावस्था. वैश्वीकरण के इस युग में मातापिता को छोड़ कर रोजीरोटी के लिए बाहर जाना बच्चों की मजबूरी है.
मातापिता का अपने बच्चों के पास जाना भी लाजिमी ही है परंतु कई बार देखने में आता है कि बच्चों के घर की व्यवस्था में वे खुद को मिसफिट पाते हैं. उन के सिस्टम में रहने में वे तकलीफ अनुभव करते हैं. इसलिए कई बार वे बच्चों के पास जाने से ही कतराने लगते हैं.
ऐसे में अपने बुजुर्ग मातापिता की आवश्यकताओं के अनुसार अपने घर में बदलाव करना आवश्यक हो जाता है. जिन बच्चों के मातापिता उम्रदराज या अशक्त हैं, ऐसे दंपतियों का अपने घर को सीनियराइज करने की बहुत जरूरत होती है ताकि आप के साथसाथ आप के मातापिता के लिए भी आप का घर सुविधाजनक रहे और वे आराम से आप के साथ रह सकें. बुजुर्गों की जरूरतों के अनुसार निम्न बदलावों को किया जाना आवश्यक है :
महानगरों में फ्लैट कल्चर काफी तेजी से अपने पैर पसार चुका है. सोसाइटीज में बिल्डर कैमरे लगवाते ही हैं, परंतु यदि आप स्वतंत्र घर में निवास करते हैं तो मुख्य दरवाजे पर सीसीटीवी कैमरा अवश्य लगवाएं ताकि आप औफिस से ही मातापिता की कुशलता जान सकें, साथ ही, घर पर रह रहे आप के मातापिता भी हर आनेजाने वाले पर नजर रख सकें.
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अस्ति के घर की सीढि़यों पर अलग से लाइट की व्यवस्था न होने से उस के 65 वर्षीय ससुर का पैर फिसल गया और कूल्हे की हड्डी टूट गई. इसलिए घर के पोर्च, सीढि़यां, रैलिंग, बालकनी और टैरेस पर पर्याप्त लाइट लगवाएं ताकि अंधेरे में किसी प्रकार की दुर्घटना से वे बचे रहें.
विमलजी अपने इकलौते बेटे के पास केवल इसीलिए नहीं जा पाते क्योंकि उस की सोसाइटी में लिफ्ट नहीं है, और तीसरी मंजिल पर चढ़ कर वे जा नहीं पाते. वे कहते हैं, ‘‘एक बार चढ़ जाओ, तो नीचे आना ही नहीं हो पाता. पिंजरे में बंद पक्षी की भांति ऊपर टंगेटंगे जी उकता जाता है.’’ इसलिए जब भी घर खरीदें या किराए पर लें, तो अपने मातापिता का ध्यान रखते हुए ग्राउंड फलोर और लिफ्ट को प्राथमिकता दें.
अपने घर में उन के रहने के लिए ऐसा कमरा चुनें जिस में पाश्चात्य शैली का अटैच्ड बाथरूम हो. यदि उन्हें चलने में परेशानी है तो बाथरूम तक पहुंचने के लिए बार्स या रैलिंग और बाथरूम में ग्रेब हैंडिल्स लगवाएं. ताकि, वे बाथरूम में हैंडिल्स को पकड़ कर आराम से उठबैठ सकें, क्योंकि घुटनों की समस्या आजकल बहुत आम है जिस के कारण बिना सहारे के उठनाबैठना मुश्किल हो जाता है.
बाथरूम के बाहर और अंदर एंटी स्किट मैट की व्यवस्था करें ताकि उन के फिसलने की संभावना न रहे. बाथरूम का फर्श यदि चिकने टाइल्स का है तो उन्हें हटवा कर एंटी स्किट टाइल्स लगवाएं. साथ ही, चलनेफिरने के लिए भी एंटी स्किट स्लीपी ही यूज करने को कहें.
घर के फर्नीचर की व्यवस्था इस प्रकार से करें कि बुजुर्ग मातापिता को घर में चलनेफिरने में वे बाधक न बने. उन के लिए सुविधाजनक हलके फर्नीचर की व्यवस्था करें.
जीवन के एक मोड़ पर एक जीवनसाथी छोड़ कर चला जाता है. सो, अकेले रह गए पार्टनर के लिए हरदम घर के सदस्यों को पुकारना आसान नहीं होता. ऐसे में आप उन के लिए कार्डलैस बैल लगवाएं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर वे आप को घंटी बजा कर बुला सकें.
बैड के पास ही मोबाइल चार्जिंग सौकेट लगवाएं ताकि अपने मोबाइल आदि को वे बिना किसी परेशानी के चार्ज कर सकें. यदि मोबाइल फोन उपयोग करने में उन्हें परेशानी होती है तो कार्डलैस फोन की व्यवस्था करें.
बैड के दोनों ओर साइड टेबल बनवाएं ताकि इन पर वे अपनी जरूरत का सामान दवाएं, किताबें, चश्मा, मोबाइल, पेपर आदि को सहजता से रख सकें.
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बैडरूम में एक टैलीविजन अवश्य लगवा दें ताकि वे सहज हो कर अपनी रुचि के अनुसार कार्यक्रम देख सकें, क्योंकि एक घर में रहने वाली तीन पीढि़यों की रुचियों में अंतर होना स्वाभाविक सी बात है. घर में रहने वाले छोटे बच्चों की पढ़ाई में यदि टैलीविजन से व्यवधान होता है तो उन्हें ईयरफोन ला कर दें ताकि वे अपने प्रोग्राम आराम से देख सकें.
घर में जमीन पर से यदि टैलीफोन, बिजली या केबल के तार आदि निकल रहे हैं तो उन्हें अंडरग्राउंड करवा दें ताकि वे उन के चलने में बाधक न बनें. यदि घर के फर्श पर चिकने टाइल्स लगे हैं तो उन पर कालीन बिछाएं ताकि वे पूरे घर में सुगमता से आवागमन कर सकें.
घर का फर्श या टाइल यदि कहीं से टूटा है तो उसे तुरंत ठीक करवाएं वरना इस की ठोकर खा कर वे गिर सकते हैं.
वास्तव में उपरोक्त बातें बहुत छोटीछोटी सी हैं, परंतु उम्रदराज मातापिता की सुरक्षा और सुविधा के लिए बहुत जरूरी हैं.