काला जठेड़ी : मोबाइल छीनतेछीनते बन गया Gangster

हरियाणा के जिला सोनीपत में 1984 में जन्मे संदीप उर्फ काला जठेड़ी को दिल्ली पुलिस बेसब्री से तलाश रही थी. उस पर मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल औफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) लगा हुआ था, जिस में जमानत नहीं मिलती है. उसे पहली फरवरी, 2020 को फरीदाबाद अदालत में पेशी के लिए ले कर आई थी. पेशी के बाद वापस ले जाने के दौरान गुड़गांव मार्ग पर उस के गुर्गों ने पुलिस की बस को घेर लिया था.

ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं और काला जठेड़ी को छुड़ा ले भागे थे. सारे बदमाश उस के गैंग के थे. यह पूरी वारदात एकदम से फिल्मी अंदाज में काफी तेजी से घटित हुई थी. इस मामले को ले कर तब डबुआ थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. तभी से वह फरार था. पुलिस को आशंका थी कि वह नेपाल के रास्ते दुबई भाग निकला है. पुलिस का यह भी मानना था कि ऐसा उसे भ्रमित करने और उस पर से ध्यान हटाने के लिए किया गया है कि वह दुबई में है. यानी काला जठेड़ी की तलाश में जुटी पुलिस टीम अच्छी तरह से समझ रही थी कि उन्हें अपने निशाने से हटाने की उस की यह एक चाल हो सकती है.

इस बारे में दिल्ली के डीसीपी (काउंटर इंटेलिजेंस, स्पैशल सेल) मनीषी चंद्रा का कहना था कि जठेड़ी एक भूत की तरह रहता था, क्योंकि वह 2020 में पुलिस हिरासत से भागने के बाद कभी नहीं दिखा. कानून प्रवर्तन एजेंसियों का ध्यान हटाने के लिए ही जठेड़ी गैंग के सदस्यों ने इस अफवाह को बढ़ावा दिया कि वह विदेश से ही गिरोह को संचालित कर रहा है. इस पर गौर करते हुए पुलिस ने जठेड़ी की कमजोर नस का पता लगाने की पहल की. इस में पुलिस को अनुराधा चौधरी के रूप में सफलता भी मिल गई. वह जठेड़ी की बेहद करीबी थी और गोवा में रह रही थी. पुलिस ने सब से पहले उसे ही अपने कब्जे में लेने की योजना बनाई.

अनुराधा चौधरी के बारे में दिल्ली की स्पैशल सेल ने कई जानकारियां जुटा ली थीं. पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार, अनुराधा चौधरी का जन्म राजस्थान के सीकर में हुआ था, लेकिन दिल्ली के एक कालेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और उस की शादी दीपक मिंज से हुई थी. दोनों एक समय में शेयर ट्रेडिंग का काम करते थे, जिस में उन्हें लाखों रुपए का नुकसान हुआ था. वे कर्ज में दबे होने के उस की वापसी कर पाने असमर्थ थे. इसी परेशानी से जूझते हुए उस का संपर्क एक गैंगस्टर आनंद पाल सिंह से हुआ. वह राजस्थान का एक शातिर और फरार अपराधी था. उस पर राजस्थान पुलिस ने ईनाम रखा हुआ था.

आनंद पाल सिंह ने ही उसे अनुराधा को अपराध की दुनिया में घसीट लिया था और जल्द ही उस की पहचान मैडम मिंज की बन गई थी. 2017 में पुलिस मुठभेड़ में आनंद पाल सिंह की मौत हो जाने के बाद वह काला जठेड़ी के संपर्क में आ गई थी, वह उसे ‘रिवौल्वर रानी’ कहता था.  वह उस के गिरोह की एकमात्र अंगरेजी बोलने वाली सदस्य थी. उस ने काला जठेड़ी से हरिद्वार में शादी कर ली थी. शादी के बाद वे कनाडा शिफ्ट होने की फिराक में थे. उन की योजना वहीं से अपराध का काला कारोबार चलाने की थी.

जठेड़ी को दबोचने के लिए ‘औप डी24’

जठेड़ी को दबोचने के लिए दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल ने अनुराधा तक पहुंचने की योजना बनाई. सेल ने कुल 30 पुलिसकर्मियों को शामिल किया और एक अभियान के तहत औपरेशन का कोड नाम दिया ‘औप डी24’, इस का अर्थ ‘अपराधी पुलिस से 24 घंटे आगे था.’ सर्विलांस सीसीटीवी फुटेज से ले कर मोबाइल फोन ट्रैकिंग तक की थी. करीब 4 महीने की मेहनत के बाद 30 जुलाई, 2021 को तब सफलता मिली, जब सहारनपुर-यमुना नगर राजमार्ग पर सरसावा टोल प्लाजा के पास एक ढाबे तक ट्रैक किया गया.

इस औपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए स्पैशल सेल की टीम टुकडि़यों में बंट कर कुल 12 राज्यों तक अलर्ट हो गई थी. राज्य सरकार की पुलिस को भी इस की जानकारी दे दी गई थी और जरूरत पड़ने पर उन से मदद करने का अनुरोध किया जा चुका था. जठेड़ी और अनुराधा के संबंध में हर तरह की मिली सूचना की दिशा में सर्विलांस का सहारा लिया गया था. टीम को अनुराधा और जठेड़ी गैंग के सदस्यों के गोवा में होने की तकनीकी जानकारी मिली. हालांकि तब पुलिस की निगाह में यह निश्चित नहीं था, इसलिए उस जानकारी को जांचने के लिए एक टीम गोवा भेजी गई.

टीम के सदस्यों को वहां कुछ सुराग मिले. उन्हें 2 वाहन मिले, जिस पर हरियाणा के नंबर लिखे थे. फिर क्या था पुलिस टीम ने उन गाडि़यों का पीछा करना शुरू कर दिया. इस सिलसिले में टीम को गोवा से गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड और दिल्ली तक का सफर करना पड़ा. पीछा करने के सिलसिले में ही टीम को तिरुपति से एक सीसीटीवी फुटेज मिला. उस में अनुराधा चौधरी को जठेड़ी गैंग के कुछ सदस्यों के साथ देखा गया था. उस के बाद कई टीमें उन वाहनों का पीछा करने लगीं, जो उन के द्वारा उपयोग किए जा रहे थे. लगभग 10,000 किलोमीटर तक उन का पीछा करने के बाद टीम को एक और खास इनपुट मिली. सूचना थी कि चौधरी और जठेड़ी एक एसयूवी में पंजाब की यात्रा पर हैं. पुलिस टीम ने उन का पीछा जारी रखा.

उत्तर प्रदेश में सहारनपुर-यमुना नगर राजमार्ग पर सरसावा टोल प्लाजा के पास एक ढाबे पर दोनों उसी वाहन से दबोच लिए गए. वहां से दोनों को दिल्ली लाया गया.

मोबाइल स्नैचर से माफिया तक

बात 2004 की है. तब फीचर मोबाइल फोन के बाद टचस्क्रीन का स्मार्टफोन आया था. वे फोन काफी महंगे हुआ करते थे. काला जठेड़ी और उस के साथियों ने दिल्ली के समयपुर बादली में शराब की दुकान पर एक व्यक्ति से टचस्क्रीन का स्मार्टफोन छीन लिया था.

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इस का मामला थाने में दर्ज करवाया गया था. वह इस स्नैचिंग में पकड़ा गया और जेल भेज दिया गया. तब उस की उम्र करीब 19 साल की थी. उस के खिलाफ दर्ज मामले में नाम संदीप जठेड़ी और निवासी सोनीपत का लिखवाया गया था. रंग काला होने के कारण मीडिया में उसे नया नाम काला जठेड़ी का मिल गया. मोबाइल स्नैचिंग की छोटी सी सजा काट कर जेल से छूटने के बाद उस ने अपराध की दुनिया में तेजी से कदम बढ़ा लिया. कई तरह के अपराध करने लगा, जिस में स्नैचिंग के साथसाथ हिंसा भी शामिल हो गई. उस की पढ़ाई 12वीं के बाद छूट गई, किंतु जल्द ही वह शार्पशूटर बन गया. वह एक गैंग में शामिल हो गया और अपना आदर्श लारेंस बिश्नोई को मान लिया.

पुलिस के अनुसार वर्ष 2006 में गांव के कुछ लोगों के साथ वह दिल्ली के डाबड़ी इलाके में आया. उस ने यहां विवाद में पीट कर एक व्यक्ति की हत्या कर दी. उसे इस मामले में तिहाड़ जेल भेज दिया गया. जेल में उस की अनिल रोहिल्ला उर्फ लीला से दोस्ती हो गई. अनिल रोहिल्ला ने ही उसे बताया कि रोहतक स्थित उस के गांव में एक परिवार से दुश्मनी चल रही है. उस परिवार में 7 भाई हैं और उन्होंने उस के पिता की हत्या की है. इस का बदला लेने के लिए उस ने गैंग बनाया है. इस परिवार के 5 भाइयों सहित 8 लोगों को काला जठेड़ी ने मार डाला. इस हत्याकांड से ही संदीप का नाम काला जठेड़ी के रूप में अपराध की दुनिया में मशहूर हो गया.

फिर कुछ साल बाद ही हरियाणा के सांपला और फिर गोहाना में हुई हत्याओं में उस का नाम आ गया. उस के बाद उस ने मुड़ कर नहीं देखा. और फिर जठेड़ी का नाम 2012 में हरियाणा पुलिस के मोस्टवांटेड अपराधियों की सूची में तब जुड़ गया, जब उस ने 3 सहयोगियों के साथ मिल कर हरियाणा के झज्जर जिले में दुलिना गांव के पास एक जेल वैन को ट्रक से टक्कर मार दी थी. यह टक्कर जानबूझ कर मारी गई थी. उस का मकसद उस में सवार कैदियों को मारना था. इस वारदात में उस ने 3 कैदियों की गोली मार कर हत्या कर दी थी और 2 पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे. बताते हैं कि वे कैदी उस के दुश्मन थे. बाद में जठेड़ी को गिरफ्तार कर लिया गया और इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई.

दरअसल, वर्ष 2012 में काला जठेड़ी को हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार किया था. जेल में उस की मुलाकात गैंगस्टर नरेश सेठी से हो गई. उस ने काला जठेड़ी को राजू बसोडी से मिलवाया. राजू बसोडी ने उक्त परिवार के छठे भाई को 2018 में मरवा दिया. उस समय काला जठेड़ी जेल में ही था. गैंगस्टर नरेश सेठी के जीजा को उस ने इसलिए मार डाला, क्योंकि उस ने नरेश की बहन को मार दिया था. जेल में रहने के दौरान ही काला जठेड़ी की दोस्ती लारेंस बिश्नोई से हो गई थी.  वह उस के गैंग में शामिल हो गया था. लारेंस ने ही उसे पुलिस हिरासत से फरवरी, 2020 में फरार करवाया था. उस के बाद से ही वह लगातार फरार चल रहा था और उस के नाम साल भर में 20 से ज्यादा हत्याओं को अंजाम देने का आरोप लग चुका था.

हत्या समेत अपहरण की वारदातों को तो काला जठेड़ी जेल में रह कर ही अंजाम दे दिया करता था. जेल से बाहर उस ने अपना जबरदस्त गिरोह बना रखा है. उन में 100 से अधिक शूटर हैं. गैंग के लोग दिल्ली समेत हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और राजस्थान में सक्रिय हैं. वे एक इशारे पर मरनेमारने को तैयार रहते हैं.

रंगदारी वसूलने में भी माहिर

वे बड़े ही सुनियोजित तरीके से अपराध को अंजाम देने में माहिर हैं. रंगदारी का एक मामला मोहाली के कारोबारी का सामने आया, जिसे उस ने जेल में रहते हुए अंजाम दिया. वह पंजाब के लारेंस बिश्नोई के 7 सहयोगियों में एक खास बदमाश है. बात  2021 की है. पंजाब की मोहाली पुलिस को एक ईंट भट्ठा कारोबारी कुदरतदीप सिंह ने शिकायत लिखवाई कि 8 अक्तूबर को काला जठेड़ी ने उस से एक करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी है. इस शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 506 और 387 के तहत मोहाली पुलिस ने काला जठेड़ी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. तब तक काला जठेड़ी एक कुख्यात अपराधी घोषित हो चुका था. उस के खिलाफ जबरन वसूली और हत्या के करीब 40 मामले दर्ज थे.

काला जठेड़ी गैंग के गुर्गे भी कुछ कम शातिर नहीं हैं. एक गुर्गे अक्षय अंतिल उर्फ अक्षय पलड़ा की हिम्मत देखिए, उस ने जेल में एक सिपाही से सिमकार्ड मांगा. वहां से ही एक कारोबारी को फोन कर उस से 5 करोड़ की रंगदारी मांग ली. दिल्ली पुलिस जब इस मामले में सक्रिय हुई तब काला जठेड़ी गैंग से जुड़े अक्षय अंतिल को गिरफ्तार कर लिया गया. हैरानी की बात यह थी कि 22 साल का अक्षय दिल्ली की मंडोली जेल में बंद था और वहीं से काला जठेड़ी का भय दिखा कर दिल्ली के करोलबाग के एक कारोबारी से 5 करोड़ की रंगदारी मांगी थी.

उस के बाद पुलिस ने मंडोली जेल से फिरौती के लिए इस्तेमाल किए गए सिम कार्ड के साथ एक एप्पल आईफोन12 मिनी फोन भी बरामद किया है. इस का खुलासा तब हुआ, जब करोलबाग के एक कारोबारी ने 30 मई, 2021 को शिकायत दे कर बताया कि उसे 5 करोड़ रुपए की रंगदारी के लिए धमकी भरे काल आ रहे हैं. फोन करने वाले ने खुद को लारेंस बिश्नोई गैंग का शार्पशूटर बताया था. जांच में पता चला कि काल बीएसएनएल सिम वाले फोन का उपयोग कर मंडोली जेल दिल्ली से की गई थी. ब्यौरा लेने के बाद मेरठ के एक दुकानदार और सिम जारी करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली आईडी वाले ग्राहक का पता लगाया गया.

उन से गहन पूछताछ में पता चला कि थाना कंकड़खेड़ा, मेरठ, यूपी में तैनात एक कांस्टेबल ने एक सीएनजी मैकेनिक के नाम से यह सिम लिया था. तकनीकी जांच में पता चला कि काल मंडोली जेल से अक्षय पलड़ा द्वारा की गई थी. इस मामले के संदर्भ में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस को ले कर भी कान खड़े हो गए. उस में बिश्नाई जठेड़ी गैंग की भूमिका होने की आशंका जताई है. पूछताछ के दौरान इस बात का भी खुलासा हुआ कि पूरी साजिश अक्षय और नरेश सेठी ने मिल कर रची थी. दोनों काला जठेड़ी गैंग से जुड़े हैं.

इस के लिए उन्होंने काला जठेड़ी गैंग के एक अन्य सदस्य राजेश उर्फ रक्का के माध्यम से 2 सिम कार्ड (बीएसएनएल और वोडाफोन) और 2 मोबाइल एप्पल के मिनी और छोटे चाइनीज कीपैड वाले फोन हासिल किए थे. बीएसएनएल सिमकार्ड को एप्पल आईफोन12 मिनी में और वोडाफोन सिम को चाइनीज फोन में लगाया गया था. अक्षय हरियाणा के सोनीपत का रहने वाला है और काला जठेड़ी गिरोह का शातिर शार्प शूटर है. उस पर कत्ल, अपहरण और फिरौती के कई मामले दर्ज हैं. उस का नाम मूसेवाला हत्याकांड में भी एक संदिग्ध के रूप में सामने आया है.

बहरहाल, पिछले साल फरवरी में भागने के बाद काला जठेड़ी विदेशों के दूसरे गैंगस्टरों के साथ जुड़ा रहा. उन में वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा (थाईलैंड से संचालित), गोल्डी बराड़ (कनाडा में स्थित) और मोंटी (यूके से संचालित) हैं. उन के साथ वह एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय अपराध गठबंधन का नेतृत्व कर रहा था.

अनुराधा का मिला साथ

पुलिस के अनुसार उन का गठबंधन हाईप्रोफाइल जबरन वसूली, शराब के प्रतिबंधित राज्यों में शराब का अवैध,  अंतरराज्यीय व्यापार, अवैध हथियारों की तसकरी और जमीन पर कब्जा करना शामिल था.

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काला जठेड़ी के साथ सक्रियता के साथ काम करने वालों में शिक्षित युवती अनुराधा भी थी. उस के काला जठेड़ी के साथ लिवइन रिलेशन थे.  पूछताछ में काला जठेड़ी ने अनुराधा के संपर्क में आने का कारण बताया. दरअसल, लारेंस बिश्नोई ने काला जठेड़ी को निर्देश दिया कि वह लेडी डौन अनुराधा की मदद करे. आनंदपाल सिंह की दोस्त अनुराधा से उस की मुलाकात कब प्यार में बदल गई उसे भी नहीं पता चला.

हालांकि बताते हैं दोनों ने हाल में ही शादी भी कर ली थी. लेडी डौन के नाम से कुख्यात अनुराधा के खिलाफ भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो काला जठेड़ी के नाम पर करती रही. यहां तक कि भारत से भागने की कहानी भी उसी ने फैलाई. कहने को तो उस की योजना काला जठेड़ी के साथ कनाडा में शिफ्ट होने की थी, किंतु इस में सफलता नहीं मिल पाई. गैंगस्टर काला जठेड़ी के साथ लेडी डौन अनुराधा की गिरफ्तारी के बाद कई नए खुलासे हुए. वैसे तो कई ऐसे राज का परदाफाश होना अभी बाकी है, लेकिन दोनों के संबंधों और कुख्यात साजिशों के बारे में जो कुछ सामने आया, वह काफी चौंकाने वाला है. उसे सुन कर सुरक्षा एजेंसियों पर भी सवाल खड़े हो गए हैं.

दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल को उन्होंने बताया कि दोनों बतौर पतिपत्नी कनाडा में शिफ्ट होने के लिए नेपाल से पासपोर्ट बनवाने की तैयारी में थे. इस के लिए उन्होंने शादी रचाई थी. पुलिस पर अपना प्रभाव जमाने के लिए अनुराधा पूछताछ के दौरान जांच अधिकारियों से सिर्फ फर्राटेदार अंगरेजी में ही बात करती है. खाली वक्त में अंगरेजी की किताब मांगती है. पूछताछ में अनुराधा ने बताया कि उसी ने काला जठेड़ी को हुलिया बदलने के लिए कहा था. उल्लेखनीय है कि जब काला जठेड़ी पकड़ा गया था, तब वह सिख के वेश में था. उस के कहने पर ही जठेड़ी ने सरदार का हुलिया बना लिया था.

मंदिर में शादी के बाद दोनों पतिपत्नी की तरह रहने लगे थे और अपनी पहचान बदल कर फरजी आईडी पर दोनों ने अपना नाम पुनीत भल्ला और पूजा भल्ला रख लिया था. स्पैशल सेल के सूत्रों के अनुसार, जब अनुराधा राजस्थान के गैंगस्टर आंनदपाल सिंह के साथ काम करती थी, तब उस समय उस का भी हुलिया उस ने ही बदलवाया था. आंनदपाल के कपड़े पहनने, रहनसहन और बौडी लैंग्वेज के अनुसार बोलचाल आदि की भी ट्रेनिंग दी थी. यहां तक कि अपना जुर्म का काला धंधा कैसे चलाए, इस का फैसला भी अनुराधा ही करती थी.

बताते हैं कि अनुराधा की ही प्लानिंग थी कि पुलिस की नजरों में काला जठेड़ी का ठिकाना विदेश बताया जाए. उस ने ही काला जठेड़ी के गैंग के सभी सदस्यों को यह कह रखा था कि अगर वह पुलिस के हत्थे चढ़ जाएं तो पुलिस को यही बताएं कि काला जठेड़ी अब विदेश में है और वहीं से अपना गैंग औपरेट कर रहा है. यह सब एक सोचीसमझी प्लानिंग थी. अनुराधा जानती थी कि जुर्म की दुनिया में अगर पुलिस को थोड़ी सी भी भनक लग गई तो काला जठेड़ी का हाल भी आंनदपाल जैसा हो सकता है.

गैंगस्टर ने पूछताछ में बताया है कि उस के गुर्गे दिल्ली और देश के कई अन्य राज्यों में फैले हुए हैं. उस के बाद से दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल अब राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत अन्य राज्यों में इन गुर्गों की तलाश में जुट गई है. उन में हरियाणा के सोनीपत का रहने वाला मनप्रीत राठी व बच्ची गैंगस्टर, गोल्डी बरार, कैथल निवासी मंजीत राठी और झज्जर का रहने वाला दीपक है.

पिछले दिनों ओलंपिक में मेडल जीतने वाले सुशील कुमार पर भी हत्या का आरोप लगा था और उस का नाम भी गैंगस्टर में शामिल हो गया था. गिरफ्तारी से पहले सुशील कुमार ने भी दिल्ली में जमीन की खरीदफरोख्त सहित अन्य काले कारनामों के लिए जठेड़ी के साथ हाथ मिला लिया था. बाद में दोनों में दुश्मनी हो गई. दिल्ली के स्टेडियम में पहलवान सागर धनखड़ की पिटाई के बाद मौत के मामले में सुशील गिरफ्तार हो गया. सागर के साथ सोनू महाल नामक शख्स की भी पिटाई हुई थी, जो रिश्ते में काला जठेड़ी का भांजा होने के साथ ही दाहिना हाथ भी माना जाता है.

बनना चाहता था सिपाही

पूछताछ में काला जठेड़ी ने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया. उस ने बताया कि वह दिल्ली पुलिस का सिपाही बनना चाहता था. इस के लिए उस ने परीक्षा भी दी थी, लेकिन पास नहीं हो पाया था. उस ने हरियाणा पुलिस में भी सिपाही का आवेदन किया था, लेकिन सेलेक्शन नहीं हुआ. उस ने बताया कि अगर उस का सपना न टूटा होता तो वह अपराधी भी नहीं होता. उस के बाद ही वह बदमाशों के संपर्क में आ गया और कई राज्यों का वांछित बदमाश बन गया.

इस बारे में उस ने स्पैशल सेल को बताया कि वर्ष 2002 में सोनीपत आईटीआई से सर्टिफिकेट कोर्स कर रहा था. उसी दौरान उस ने पुलिस में सिपाही बनने के लिए आवेदन किया था. इस के लिए उस ने दिल्ली और हरियाणा पुलिस में सिपाही भरती में हिस्सा लिया. दोनों ही जगह परीक्षा पास नहीं कर सका. सिपाही में भरती न हो पाने के बाद वह परिजनों से कुछ रुपए ले कर दिल्ली आ गया. यहां आ कर वह छोटेछोटे अपराध में लिप्त हो गया.

वर्ष 2004 में दिल्ली के समयपुर बादली थाना पुलिस ने पहली बार मोबाइल झपटमारी में काला को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. झपटमारी में जमानत मिलने पर वह वापस गांव लौट आया. वहीं खेती में पिता का हाथ बंटाने के साथ केबल कारोबार में लग गया.

बहरहाल, काला जठेड़ी भले ही जेल में हो, लेकिन उस के गैंग के कई राज्यों में फैले हुए गुर्गे उस के इशारे पर कब किसी अपराध को अंजाम दे दें कहना मुश्किल है.

पति बना पत्नी का काल, फरसे से काट दिया गला

दिल्ली में शराबी पति ने पत्नी से मांगे शराब के लिए 500 रुपए, इनकार करने पर घोंप दिया पेट में चाकू. पत्नी की मौत.

बरेली में शराब के लिए रुपए न देने पर पत्नी को पत्थर से सिर कुचल कर मौत के घाट उतारा.

बरेली में नाजायज संबंधों के शक के चलते पति ने खाना बना रही पत्नी की फरसा से गला काट कर हत्या कर दी.

इटावा में रहने वाले आभूषण कारोबारी ने अपनी प्रेमिका के लिए अपनी बीवी, बेटे और बेटी का किया कत्ल.

ये वरदातें किसी फिल्म का सीन नहीं हैं, बल्कि हकीकत हैं हमारे समाज की  जहां औरतों पर शादी के बंधन में बंध कर जोरजुल्म तो हो ही रहा है, साथ में ऐसे पति उन का कब काल बन जाएं, इस बात का भरोसा भी नहीं है.

आज औरतों को जागरूक होने की जरूरत है, क्योंकि सहन करने से न सिर्फ उन की जिंदगी बरबाद हो रही है, बल्कि उन के बच्चों की भी जिंदगी अधर में लटक जाती है. ऐसे में समझना होगा कि जब संबंध में जहर घुलने लगे, तो उस रिश्ते से निकलने में ही भलाई है. आप की भी व आप के परिवार की भी.

ज्यादातर औरतों के चरित्र में शुमार होता है बरदाश्त करना, लेकिन एक सीमा से ज्यादा सहन करना सबकुछ बरबाद कर सकता है, तो जरूरी है कि आप को मालूम हो कि आप का रिश्ता बरबादी की राह पर है :

-अगर आप के पति का दूसरी औरतों के साथ नाजायज संबंध है, तो इस बात की समय रहते छानबीन करें व परिवार के सदस्यों से भी बातचीत करें. पति आप की बात को समझे, तो खुल कर अपने हक के साथ अलग होने की बात रखें. जरूरत पड़े तो पुलिस की मदद जरूर लें, क्योंकि ऐसे पति कब आप की जान के दुश्मन बन जाएं समझ पाना मुश्किल होता है.

-किसी के पति में अगर कोई बुरी लत है, जैसे वह नशीली चीजों का सेवन करता है, शराब पीता है या जुआ खेलने का आदी है, तो ऐसे पतियों से सावधान रहना बहुत जरूरी है, क्योंकि जब उन के खिलाफ कदम उठाने की कोशिश की जाती है, तो उन की लत उन पर इस कदर  हावी होती है कि वे आप को नुकसान ही नहीं, बल्कि कत्ल करने से भी पीछे नहीं हटेंगे, इसलिए समय रहते कड़े कदम लेना आप के और आप के बच्चों के लिए बहुत जरूरी है.

-जब किसी मर्द के अहम को चोट पहुंचती है या उसे ऐसा लगता है कि उस की पत्नी उस से ज्यादा कामयाब है और हर तरह से उस से ज्यादा काबिल है तब भी वह उस से बदले की भावना रखने लगता है और हर वक्त उस के लिए अपने मन में नफरत और जलील करने का भाव रखता है. कब वह कत्ल जैसा अपराध कर रिश्तों को तार तार कर दे, समझना मुश्किल है. ऐसे रिश्तों में सतर्क रहना बहुत जरूरी है.

जब करियर के बीच आया लवर तो क्या हुआ अंजाम

महाराष्ट्र की शीतकालीन राजधानी नागपुर के ग्रामीण इलाके के सावली गांव की पुलिस पाटिल (चौकीदार) ज्योति कोसरकर अपने घर पर बैठी थी, तभी उस के पास गांव का एक आदमी आया और उस ने घबराई आवाज में उसे जो कुछ बताया, उसे सुन कर वह चौंक उठी.

वह बिना देर किए उस आदमी को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंची तो वहां का दृश्य देख कर स्तब्ध रह गई. पाटुर्णा-नागपुर एक्सप्रैस हाइवे से करीब 25 फीट की दूरी पर गड्ढे में एक युवती का शव पड़ा हुआ था, जिस की उम्र करीब 19-20 साल के आसपास थी. युवती के ब्रांडेड कपड़ों से लग रहा था कि वह किसी अच्छे घर की रही होगी.

उस की हत्या बड़ी ही बेरहमी से की गई थी. उस का चेहरा एसिड से जला कर विकृत कर दिया गया था. उस का एक हाथ गायब था, जिसे देख कर लग रहा था कि संभवत: उस का हाथ रात में किसी जंगली जानवर ने खा लिया होगा. घटनास्थल को देख कर यह बात साफ हो गई थी कि उस युवती की हत्या कहीं और की गई थी.

पुलिस पाटिल ज्योति कोसरकर लाश को देख ही रही थी कि वहां आसपास के गांवों के काफी लोग एकत्र हो गए.

ज्योति कोसरकर ने वहां मौजूद लोगों से उस युवती के बारे में पूछा तो कोई भी लाश को नहीं पहचान सका. आखिर ज्योति कोसरकर ने लाश मिलने की खबर स्थानीय ग्रामीण पुलिस थाने को दे दी.

सूचना मिलने पर ग्रामीण पुलिस थाने के इंसपेक्टर सुरेश मद्दामी, एएसआई अनिल दरेकर, कांस्टेबल राजू खेतकर, रवींद्र चपट आदि को साथ ले कर तत्काल घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां पहुंच कर उन्होंने पुलिस पाटिल ज्योति कोसरकर से लाश की जानकारी ली और शव के निरीक्षण में जुट गए. उन्होंने यह सूचना अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी.

वह युवती कौन और कहां की रहने वाली थी, यह बात वहां मौजूद लोगों से पता नहीं लग सकी. टीआई सुरेश मद्दामी मौकामुआयना कर ही रहे थे कि एसपी (देहात) राकेश ओला, डीसीपी मोनिका राऊत, एसीपी संजय जोगंदड़ भी मौकाएवारदात पर आ गए.

फोरैंसिक टीम भी आ गई थी. कुछ देर बाद क्राइम ब्रांच की टीम भी वहां पहुंच गई. जांच टीमों ने मौके से सबूत जुटाए. वरिष्ठ अधिकारियों के जाने के बाद टीआई सुरेश मद्दामी और क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर अनिल जिट्टावार इस नतीजे पर पहुंचे कि हत्यारे ने अपनी और उस युवती की शिनाख्त छिपाने की पूरीपूरी कोशिश की है.

जिस तरह उस युवती की हत्या हुई थी, उस में प्यार का ऐंगल नजर आ रहा था. हत्यारा युवती से काफी नाराज था. शव देख कर यह बात साफ हो गई थी कि युवती शहर की रहने वाली थी.

मौके की जरूरी काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने युवती की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दी. इस के साथ ही थाना पुलिस और क्राइम ब्रांच इस केस की जांच में जुट गईं.

पुलिस के सामने सब से बड़ी समस्या यह थी कि वह अपनी जांच कहां से शुरू करे. क्योंकि जांच के नाम पर उस के पास कुछ नहीं था. केवल युवती के बाएं हाथ पर लव बर्ड (प्यार के पंछी) और सीने पर क्वीन (दिल की रानी) के टैटू के अलावा कोई पहचान नहीं थी. फिर भी पुलिस ने हार नहीं मानी.

पुलिस ने मृतक युवती की शिनाख्त के लिए जब सोशल मीडिया का सहारा लिया तो बहुत जल्द सफलता मिल गई. इस से न सिर्फ मृतका की शिनाख्त हुई बल्कि 10 घंटों के अंदर ही क्राइम ब्रांच ने अपने अथक प्रयासों के बाद मामले को सुलझा भी लिया.

पुलिस ने जब मृतका की फोटो सोशल मीडिया पर डाली तो जल्द ही वायरल हो गई. एक से 2, 2 से 3 ग्रुपों से होते हुए मृत युवती का फोटो जब फुटला तालाब परिसर में स्थित एक पान की दुकान पर पहुंचा तो दुकानदार ने फोटो पहचान लिया.

फोटो उभरती हुई मौडल खुशी का था. पान वाले ने खुशी को कई बार एक स्मार्ट युवक के साथ घूमते और धरेरा होटल में आतेजाते देखा था.

यह जानकारी जब क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर अनिल जिट्टावार को मिली तो वह और ज्यादा सक्रिय हो गए. उन्होंने उस युवती की सारी जानकारी कुछ ही समय में इकट्ठा कर ली. उन्होंने खुशी के इंस्टाग्राम को खंगाला तो ठीक वैसा ही टैटू खुशी के हाथ और सीने पर मिल गया, जैसा कि मृत युवती के शरीर पर था. इस से यह साबित हो गया कि वह शव खुशी का ही था.

क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को खुशी के इंस्टाग्राम प्रोफाइल में उस का पूरा नाम और उस के बारे में जानकारी मिल गई. उस का पूरा नाम खुशी परिहार था. वह अपनी मौसी के साथ रहती थी और राय इंगलिश स्कूल और जूनियर कालेज में बी.कौम. अंतिम वर्ष की छात्रा थी. वह पार्टटाइम मुंबई और नागपुर में मौडलिंग करती थी.

खुशी की शिनाख्त से पुलिस और क्राइम ब्रांच का सिरदर्द तो खत्म हो गया था. अब जांच अधिकारियों के आगे खुशी परिहार के हत्यारों तक पहुंचना था. पुलिस ने जब खुशी की मौसी से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि खुशी कई महीनों से उन के साथ नहीं है. वह अपने दोस्त अशरफ शेख के साथ लिवइन रिलेशन में वेलकम हाउसिंग सोसायटी, हजारीबाग पहाड़गंज गिट्टी खदान के पास रही थी.

पुलिस ने जब मौसी को खुशी की हत्या की खबर दी तो वह दहाड़ें मार कर रोने लगीं और उन्होंने अपना संदेह अशरफ शेख पर जाहिर किया. उन का कहना था कि घटना की रात अशरफ शेख ने उन्हें फोन कर बताया था कि खुशी और उस के बीच किसी बात को ले कर झगड़ा हो गया था. वह उस से नाराज हो कर अपने गांव चली गई है.

क्राइम ब्रांच टीम को खुशी की मौसी की बातों से यह पता चल गया कि मामले में किसी न किसी रूप में अशरफ शेख की भूमिका जरूर है. अत: क्राइम ब्रांच ने अशरफ शेख का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिया.

इस के अलावा शहर के सभी पुलिस थानों को अशरफ शेख के बारे में जानकारी दे दी गई. इस का नतीजा यह हुआ कि अशरफ शेख को गिट्टी खदान पुलिस की सहायता से कुछ घंटों में दबोच लिया गया.

अशरफ शेख को जब क्राइम ब्रांच औफिस में ला कर उस से पूछताछ की गई तो वह जांच अधिकारियों को भी गुमराह करने की कोशिश करने लगा. लेकिन क्राइम ब्रांच ने जब सख्ती की तो वह फूटफूट कर रोने लगा और अपना गुनाह स्वीकार कर के मौडल खुशी परिहार की हत्या करने की बात मान ली. उस ने मर्डर मिस्ट्री की जो कहानी बताई, उस की पृष्ठभूमि कुछ इस प्रकार से थी.

21 वर्षीय अशरफ शेख नागपुर के आईबीएम रोड गिट्टी खदान इलाके का रहने वाला था. उस का पिता अफसर शेख ड्रग तस्कर था. अभी हाल ही में उसे नागपुर पुलिस ने करीब 400 किलोग्राम गांजे के साथ गिरफ्तार किया था. अशरफ शेख उस का सब से छोटा बेटा था.

बेटा नशे के धंधे में न पड़े, इसलिए अफसर ने उसे गिट्टी खदान में एक बड़ा सा हेयर कटिंग सैलून खुलवा दिया था. लेकिन उस हेयर कटिंग सैलून में अशरफ शेख का मन नहीं लगता था. वह शानोशौकत के साथ आवारागर्दी करता था. खूबसूरत लड़कियां उस की कमजोरी थीं.

अपने सभी भाइयों में सुंदर अशरफ रंगीनमिजाज युवक था. यही कारण था कि अपने दोस्तों की मार्फत वह शहर की महंगी पार्टियों और फैशन शो वगैरह में जाने लगा था.

इसी के चलते उस की कई मौडल लड़कियों से दोस्ती हो गई थी. एक फैशन शो में उस ने जब खुशी को देखा तो वह उस का दीवाना हो गया. खुशी से और ज्यादा नजदीकियां बनाने के लिए वह उस की हर पार्टी और फैशन शो में जाने लगा था.

19 वर्षीय खुशी परिहार मध्य प्रदेश के जिला सतना के एक गांव की रहने वाली थी. उस के पिता जगदीश परिहार सर्विस करते थे. वह खुशी को एक अच्छी शिक्षिका बनाना चाहते थे लेकिन खुशी तो कुछ और ही बनना चाहती थी.

खुशी जितनी खूबसूरत और चंचल थी, उतनी ही महत्त्वाकांक्षी भी थी. वह बचपन से ही टीवी सीरियल्स, फिल्म और मौडलिंग की दीवानी थी. वह जब भी किसी मैगजीन और टीवी पर किसी मौडल, अभिनेत्री को देखती तो उस की आंखों में भी वैसे ही सतरंगी सपने नाचने लगते थे.

पढ़ाई लिखाई में तेज होने के कारण परिवार खुशी को प्यार तो करता था, लेकिन उस के अरमानों को देखसुन कर घर वाले डर जाते थे. क्योंकि उन में बेटी को वहां तक पहुंचाने की ताकत नहीं थी.

यह बड़े शहर में रह कर ही संभव हो सकता था. गांव के स्कूल से खुशी ने कई बार ब्यूटी क्वीन का अवार्ड अपने नाम किए थे लेकिन उस की चमक गांव तक ही सीमित थी.

खुशी बचपन से ही अपनी मौसी के काफी करीब थी. उस की मौसी नागपुर में रहती थीं. वह भी खुशी के शौक से अनजान नहीं थीं. उन्होंने खुशी को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और 10वीं पास करने के बाद उसे अपने पास नागपुर बुला लिया.

नागपुर आ कर जब उस ने अपना पोर्टफोलियो विज्ञापन एजेंसियों को भेजा तो उसे इवन फैशन शो कंपनी में जौब मिल गई. जौब मिलने के बाद खुशी ने अपनी आगे की पढ़ाई भी शुरू कर दी. उस ने नागपुर के जानेमाने स्कूल में एडमिशन ले लिया. अब खुशी अपनी पढ़ाई के साथसाथ पार्टटाइम विज्ञापन कंपनियों और फैशन शो के लिए काम करने लगी.

धीरेधीरे खुशी की पहचान बननी शुरू हुई तो उस के परिचय का दायरा भी बढ़ने लगा. फैशन और मौडलिंग जगत में उस के चर्चे होने लगे. धीरेधीरे सोशल मीडिया पर उस के हजारों फैंस बन गए थे. खुशी भी उन का दिल रखने के लिए उन का मैसेज पढ़ती थी और अपने हिसाब से जवाब भी देती थी. वह अपने नएनए पोजों के फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती थी.

इस तरह नागपुर आए उसे 3 साल गुजर गए. अब उस का बी.कौम. का अंतिम वर्ष था. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पूरी तरह मौडलिंग और टीवी की दुनिया में उतरती, इस के पहले ही उस की जिंदगी में मनचले अशरफ शेख की एंट्री हो गई.

अपने प्रति अशरफ शेख की दीवानगी देख कर खुशी भी धीरेधीरे उस के करीब आ गई. कुछ ही दिनों में दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. अशरफ शेख दिल खोल कर खुशी पर पैसा बहा रहा था. वह उस की हर जरूरत पूरी करता था.

अशरफ शेख और खुशी की दोस्ती की खबर जब खुशी के परिवार वालों और मौसी तक पहुंची तो उन्होंने उसे आड़े हाथों लिया. उन्होंने उसे समझाया भी. चूंकि अशरफ दूसरे धर्म का था, इसलिए उसे समाज और रिश्तों के विषय में भी बताया. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. खुशी अशरफ शेख के प्यार में गले तक डूब चुकी थी.

मौसी और परिवार वालों की बातों पर ध्यान न दे कर वह अशरफ शेख के लिए मौसी का घर छोड़ कर उस के साथ गिट्टी खदान में किराए का मकान ले कर लिवइन रिलेशन में रहने लगी.

अब खुशी पूरी तरह से आजाद थी. कोई उसे रोकनेटोकने वाला नहीं था. अशरफ शेख उस का बराबर ध्यान रखता था. उसे उस के कालेज और फैशन शो में ले कर जाता था.

बाद में खुशी ने तो अपना नाम भी बदल कर जास शेख रख लिया था. प्यार का एहसास दिलाने के लिए उस ने हाथ और दिल पर टैटू भी बनवा लिए थे.

खुशी अशरफ शेख के साथ खुश थी. वह मौडलिंग के क्षेत्र में अपना दायरा बढ़ाने में लगी  थी. उस का सपना था कि वह सुपरमौडल बने, जिस से देश भर में उस का नाम हो. लेकिन अशरफ शेख ने जब से खुशी के साथ निकाह करने का फैसला किया था, दोनों के बीच तकरार बढ़ गई थी.

इस की वजह यह थी कि अशरफ नहीं चाहता था कि खुशी बाहरी लोगों से मिले और देर रात तक घर से बाहर रहे. वह अब खुशी के हर फैसले में अपनी टांग अड़ाने लगा था. वह चाहता था कि खुशी अब मौडलिंग वगैरह का चक्कर छोड़े और सारा दिन उस के साथ रहे और मौजमस्ती करे.

लेकिन खुशी को यह सब मंजूर नहीं था. उस का कहना था कि उस ने जो सपना बचपन से देखा है, उसे हर हाल में पूरा करना है. मौडलिंग की दुनिया में वह अपने आप को आकाश में देखना चाहती थी, जो अशरफ को गवारा नहीं था. इसी सब को ले कर अब खुशी और अशरफ के बीच दूरियां बढ़ने लगी थीं. दोनों में अकसर तकरार और छोटेमोटे झगड़े भी होने लगे थे.

अशरफ को यकीन हो गया था कि खुशी अपने इरादों से पीछे हटने वाली नहीं है. अब तक वह खुशी पर बहुत रुपए खर्च कर चुका था और खुशी उस का अहसान मानने को तैयार नहीं थी. खुशी का मानना था कि प्यार में पैसों का कोई मूल्य नहीं होता.

यह बात अशरफ को चुभ गई थी. उस ने अपने 5 महीनों के प्यार और दोस्ती को ताख पर रख दिया और घटना के 2 दिन पहले 12 जुलाई, 2019 को अपनी कार नंबर एमएच03ए एम4769 से खुशी को ले कर एक लंबी ड्राइव पर निकल गया.

दोनों नागपुर शहर से काफी दूर ग्रामीण इलाके में आ गए थे. कुछ समय वह पाटुर्णानागपुर रोड पर यूं ही कार को दौड़ाता रहा फिर दोनों ने सावली गांव के करीब स्थित कलमेश्वर इलाके के शर्मा ढाबे पर  खाना खाया और जम कर शराब पी.

तब तक रात के 10 बज चुके थे. इलाका सुनसान हो गया था. कार में बैठने के बाद अशरफ शेख ने अपना वही पुराना राग छेड़ दिया, जिस से खुशी नाराज हो गई. खुशी पर भी नशा चढ़ गया था. उस का कहना था कि वह आजाद थी और आजाद रहेगी. वह जिस पेशे में है, उस में उसे हजारों लोगों से मिलनाजुलना पड़ता है. उन का कहना मानना पड़ता है. अगर तुम्हें मुझ से कोई तकलीफ है तो तुम मुझ से बे्रकअप कर सकते हो.

‘‘मुझे लगता है कि अब तुम्हारा मन मुझ से भर गया है और तुम किसी और की तलाश में हो.’’ अशरफ बोला.

‘‘यह तुम्हारा सिरदर्द है मेरा नहीं. मैं जैसी पहले थी अब भी वैसी ही रहूंगी.’’ खुशी ने कहा तो दोनों की कहासुनी मारपीट तक पहुंच गई. उसी समय अशरफ अपना आपा खो बैठा और कार के अंदर ही खुशी के सिर पर मार कर उसे बेहोश कर दिया.

खुशी के बेहोश होने के बाद अशरफ इतना डर गया कि वह अपनी कार सावली गांव के इलाके में एक सुनसान जगह पर ले गया और उस ने खुशी को हाइवे किनारे जला दिया.

इस के बाद अपनी और खुशी की पहचान छिपाने के लिए उस ने कार के अंदर से टायर बदलने का जैक निकाल कर उस का चेहरा विकृत किया और उस के ऊपर बैटरी का एसिड डाल दिया.

खुशी का शव ठिकाने लगाने के बाद उस ने खुशी का मोबाइल अपने पास रख लिया, जिसे क्राइम टीम ने बरामद कर लिया था. इस के बाद वह आराम से अपने घर चला गया और खुशी की मौसी को फोन पर बताया कि उस का और खुशी का झगड़ा हो गया है. वह अपने गांव चली गई है.

उस का मानना था कि 2-4 दिनों में खुशी के शव को जानवर खा जाएंगे और मामला रफादफा हो जाएगा. लेकिन यह उस की भूल थी. वह क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर अनिल जिट्टावार के हत्थे चढ़ गया.

क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने अशरफ से विस्तृत पूछताछ के बाद उसे केलवद ग्रामीण पुलिस थाने के इंसपेक्टर सुरेश मट्टामी को सौंप दिया. आगे की जांच टीआई सुरेश मट्टामी कर रहे थे. 

बाहुबली नेता Pappu Yadav को बिश्‍नोई गैंग की धमकी, ‘24 दिसंबर से पहले ऊपर पहुंचा देंगे’

Pappu Yadav को एक बार फिर धमकी मिली है. यह धमकी उन्‍हें 18 नवंबर को मिली है. उनको यह धमकी फोन पर दी गई, जो पाकिस्‍तान से किया गया था. इस धमकी में उन्‍हें 24 दिसंबर से पहले ऊपर पहुंचाने की बात की गई है. दरअसल 24 दिसंबर को पप्‍पू यादव का जन्‍म दिन है इसलिए उनको धमकाया गया कि उनको जन्‍मदिन के दिन ही मार दिया जाएगा. धमकी में यह कहा गया कि ऊपर जाकर ही अपना जन्‍मदिन मनाना. उस फोन में पप्‍पू यादव को धमकाते हुए कहा गया कि हमारे साथी ने तुम्‍हें नेपाल से फोन किया था कि तुम भाई से माफी मांग लो लेकिन तुम सुधरने का नाम नहीं ले रहे हो.

Pappu Yadav and Lawrence Bishnoi का मामला

मुंबई में बाबा सिद्दकी की हत्‍या हुई. इसके एक दिन बाद पप्‍पू यादव ने एक ऐसा ट्वीट लिखा जिसने तहलका ही मचा दिया. यह ट्वीट गैंगस्‍टर लौरेंस बिश्‍नोई के खिलाफ किया गया था. लौरेंस के खिलाफ इस तरह का ट्वीट और ऐसी बात करते सलमान खान को भी नहीं देखा गया. पप्‍पू यादव बिहार के पूर्णिया से सांसद हैं. उनकी पहचान एक दबंग बाहुबली नेता की रही है. इस ट्वीट में पप्‍पू ने लिखा था,

“यह देश है या हिजड़ों की फौज एक अपराधी जेल में बैठ चुनौती दे लोगों को मार रहा है,सब मुकदर्शक बने हैं, कभी मूसेवाला, कभी करणी सेना के मुखिया अब एक उद्योगपति राजनेता को मरवा डाला, कानून अनुमति दे तो 24घंटे में इस लारेंस बिश्नोई जैसे दो टके के अपराधी के पूरे नेटवर्क को खत्म कर दूंगा.”

पप्‍पू यादव के डर की शुरुआत

इसमें कोई शक नहीं कि इस ट्वीट के बाद हंगामा तो होना ही था. हालांकि सोशल मीडिया पर इन वाक्‍यों को शेयर करने के बाद लौरेंस की जम कर वाहवाही हुई, इनके चाहने वालों को ऐसा लग रहा था कि वाकई पप्‍पू यादव एक बाहुबली नेता है. पर इस घटना का एक सप्‍ताह भी नहीं हुआ था कि पप्‍पू यादव का एक वीडियो वायरल हो गया. इस वीडियो में वे एक पत्रकार को जोर से डांटते नजर आ रहे थे. दरअसल, एक प्रेस कांफ्रेंस में एक पत्रकार ने सांसद पप्‍पू यादव से लौरेंस को लेकर सवाल पूछ लिया था. इस पर पप्‍पू यादव गुस्‍से में लाल पीला होते हुए कहने लगे,”हमने पहले ही कह दिया था कि ये सवाल मत पूछिए. आप ज्यादा तेज मत बनिए. ये सवाल नहीं होगा.” इसके बाद यह खबर तेज हो गई कि पप्‍पू यादव को लौरेंस के गैंग से उनके ट्वीट को लेकर धमका दिया गया है. एक धमकी भरा औडियो भी वायरल हुआ जिसके बारे में कहा गया कि धमकी लौरेंस गैंग की ओर से ही दी गई थी, हालांकि इसकी अभी पूरी तरह से पुष्टि नहीं हुई है.

धमकी भरे औडियो का अंश , “तुझे बड़ा भाई बनाया, जेल से जैमर बंदकर कांफ्रेंस पर फोन किया. ऊपर से तूने भाई का फोन नहीं उठाया. मजाक समझ रखा है क्या… भाई को ये सिला दिया. शर्मिंदा करवा दिया. बड़े भाई का फर्ज तो निभा देता. तेरे से कुछ मांगा नहीं, फिर ऐसा क्यों किया. भाई से बात करवाऊंगा, मसला सुलझा ले अपना. तेरे सभी ठिकानों की जानकारी भाई के पास है.कच्चा चबा जाऊंगा.” मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसी औडियो में ठिकानों का भी जिक्र किया गया.

हाेम म‍िनिस्‍टर से मांगी मदद

अब सोशल मीडिया पर भी इस बाहुबली नेता को एक धमकी दी गई है. इस धमकी में कहा गया है कि औकात में रहकर चुपचाप राजनीति करो, ज्यादा इधर उधर तीन-पांच करके टीआरपी कमाने के चक्कर में मत पड़ो. वरना रेस्ट इन पीस (rest in peace) कर दिए जाओगे. यह धमकी किस दिन मिली यह अभी स्‍पष्‍ट नहीं है, लेकिन पप्‍पू यादव ने होममिनिस्‍टर अमित शाह को पत्र लिखकर अपनी सुरक्षा की मांग की है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर पप्‍पू यादव ने अपने लिए ‘वाई श्रेणी’ की सुरक्षा बढ़ाकर ‘जेड श्रेणी’ करने की मांग की है. उन्‍होंने अपने पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि वे अपने जीवन में एक बार बिहार विधान सभा सदस्‍य और 6 बार एमपी रह चुके हैं. इस पत्र में उन्‍होंने यह भी लिखा है कि उन्‍होंने बिहार के सीएम, गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को भी इसकी जानकारी दी लेकिन इस पर किसी तरह की सुध नहीं ली गई . एक राजनैतिक व्‍यक्ति होने के कारण मैंने बिश्‍नोई गैंग का विरोध किया, तो मुझे उसकी तरह से धमकी मिलने लगी. उन्‍होंने पत्र में लिखा कि उनके लिए अतिरिक्‍त सुरक्षा की व्‍यवस्‍था की जाए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो उनकी हत्‍या हो सकती है जिसकी जिम्‍मेदारी केंद्र और बिहार सरकार की होगी. पप्‍पू यादव ने कहा कि उनकी वाई श्रेणी की सुरक्षा को बढ़ा कर जेड श्रेणी का कर दिया जाए.

गैंगस्‍टर हो रहे हैं बेकाबू

बौलीवुड के बाद अब गैंगस्‍टर पौलिटिशियन को खुलेआम धमका रहे हैं, जो चिंताजनक है. सलमान खान, शाहरुख खान, भोजपुरी एक्‍ट्रैस अक्षरा सिंह के बाद अब पौलिटिशियन पप्‍पू यादव को धमकाने की खबरें तेज हो गई है. एक समय था जब दाउद इब्राहीम, छोटा राजन, अबू सलेम की ही तूती बोलती थी, वो भी बौलीवुड तक ही सीमित थी. लेकिन अब लौरेंस बिश्‍नोई ने इस साम्राज्‍य पर कब्‍जा जमा लिया है और देश में ही नहीं विदेशी धरती पर भी अपने डर का सिक्‍का जमाना चाहता है, जो कनाडा में निज्‍जर के मामले में देखने को मिला. इस बार भी जो धमकी पप्‍पू यादव को दी गई है, वह कौल पाकिस्‍तान से आया हुआ बताया जा रहा है. बाबा सिद्दकी, सिद्धू मूसे वाला की हत्‍या कर लौरेंस ने भारत में अपनी दबंगई दिखा दी हैमुंबई में बाबा सिद्दकी की हत्‍या हुई . इसके एक दिन बाद पप्‍पू यादव ने एक ऐसा ट्वीट लिखा जिसने तहलका ही मचा दिया. यह ट्वीट गैंगस्‍टर लौरेंस बिश्‍नोई के खिलाफ किया गया था. लौरेंस के खिलाफ इस तरह का ट्वीट और ऐसी बात करते सलमान खान को भी नहीं देखा गया . पप्‍पू यादव बिहार के पूर्णिया से सांसद हैं. उनकी पहचान एक दबंग बाहुबली नेता की रही है. इस ट्वीट में पप्‍पू ने लिखा था,

“यह देश है या हिजड़ों की फौज एक अपराधी जेल में बैठ चुनौती दे लोगों को मार रहा है,सब मुकदर्शक बने हैं, कभी मूसेवाला, कभी करणी सेना के मुखिया अब एक उद्योगपति राजनेता को मरवा डाला, कानून अनुमति दे तो 24घंटे में इस लारेंस बिश्नोई जैसे दो टके के अपराधी के पूरे नेटवर्क को खत्म कर दूंगा.”

पप्‍पू यादव के डर की शुरुआत

इसमें कोई शक नहीं कि इस ट्वीट के बाद हंगामा तो होना ही था. हालांकि सोशल मीडिया पर इन वाक्‍यों को शेयर करने के बाद लौरेंस की जम कर वाहवाही हुई, इनके चाहने वालों को ऐसा लग रहा था कि वाकई पप्‍पू यादव एक बाहुबली नेता है. पर इस घटना का एक सप्‍ताह भी नहीं हुआ था कि पप्‍पू यादव का एक वीडियो वायरल हो गया. इस वीडियो में वे एक पत्रकार को जोर से डांटते नजर आ रहे थे. दरअसल, एक प्रेस कांफ्रेंस में एक पत्रकार ने सांसद पप्‍पू यादव से लौरेंस को लेकर सवाल पूछ लिया था. इस पर पप्‍पू यादव गुस्‍से में लाल पीला होते हुए कहने लगे,”हमने पहले ही कह दिया था कि ये सवाल मत पूछिए. आप ज्यादा तेज मत बनिए. ये सवाल नहीं होगा.” इसके बाद यह खबर तेज हो गई कि पप्‍पू यादव को लौरेंस के गैंग से उनके ट्वीट को लेकर धमका दिया गया है. एक धमकी भरा औडियो भी वायरल हुआ जिसके बारे में कहा गया कि धमकी लौरेंस गैंग की ओर से ही दी गई थी, हालांकि इसकी अभी पूरी तरह से पुष्टि नहीं हुई है.

धमकी भरे औडियो का अंश , “तुझे बड़ा भाई बनाया, जेल से जैमर बंदकर कांफ्रेंस पर फोन किया. ऊपर से तूने भाई का फोन नहीं उठाया. मजाक समझ रखा है क्या… भाई को ये सिला दिया. शर्मिंदा करवा दिया. बड़े भाई का फर्ज तो निभा देता. तेरे से कुछ मांगा नहीं, फिर ऐसा क्यों किया. भाई से बात करवाऊंगा, मसला सुलझा ले अपना. तेरे सभी ठिकानों की जानकारी भाई के पास है.कच्चा चबा जाऊंगा.” मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसी औडियो में ठिकानों का भी जिक्र किया गया.

हाेम म‍िनिस्‍टर से मांगी मदद

अब सोशल मीडिया पर भी इस बाहुबली नेता को एक धमकी दी गई है. इस धमकी में कहा गया है कि औकात में रहकर चुपचाप राजनीति करो, ज्यादा इधर उधर तीन-पांच करके टीआरपी कमाने के चक्कर में मत पड़ो. वरना रेस्ट इन पीस (rest in peace) कर दिए जाओगे. यह धमकी किस दिन मिली यह अभी स्‍पष्‍ट नहीं है, लेकिन पप्‍पू यादव ने होममिनिस्‍टर अमित शाह को पत्र लिखकर अपनी सुरक्षा की मांग की है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर पप्‍पू यादव ने अपने लिए ‘वाई श्रेणी’ की सुरक्षा बढ़ाकर ‘जेड श्रेणी’ करने की मांग की है. उन्‍होंने अपने पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि वे अपने जीवन में एक बार बिहार विधान सभा सदस्‍य और 6 बार एमपी रह चुके हैं. इस पत्र में उन्‍होंने यह भी लिखा है कि उन्‍होंने बिहार के सीएम, गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को भी इसकी जानकारी दी लेकिन इस पर किसी तरह की सुध नहीं ली गई . एक राजनैतिक व्‍यक्ति होने के कारण मैंने बिश्‍नोई गैंग का विरोध किया, तो मुझे उसकी तरह से धमकी मिलने लगी. उन्‍होंने पत्र में लिखा कि उनके लिए अतिरिक्‍त सुरक्षा की व्‍यवस्‍था की जाए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो उनकी हत्‍या हो सकती है जिसकी जिम्‍मेदारी केंद्र और बिहार सरकार की होगी. पप्‍पू यादव ने कहा कि उनकी वाई श्रेणी की सुरक्षा को बढ़ा कर जेड श्रेणी का कर दिया जाए.

गैंगस्‍टर हो रहे हैं बेकाबू

बौलीवुड के बाद अब गैंगस्‍टर पौलिटिशियन को खुलेआम धमका रहे हैं, जो चिंताजनक है. सलमान खान, शाहरुख खान, भोजपुरी एक्‍ट्रैस अक्षरा सिंह के बाद अब पौलिटिशियन पप्‍पू यादव को धमकाने की खबरें तेज हो गई है. एक समय था जब दाउद इब्राहीम, छोटा राजन, अबू सलेम की ही तूती बोलती थी, वो भी बौलीवुड तक ही सीमित थी. लेकिन अब लौरेंस बिश्‍नोई ने इस साम्राज्‍य पर कब्‍जा जमा लिया है और देश में ही नहीं विदेशी धरती पर भी अपने डर का सिक्‍का जमाना चाहता है, जो कनाडा में निज्‍जर के मामले में देखने को मिला. इस बार भी जो धमकी पप्‍पू यादव को दी गई है, वह कौल पाकिस्‍तान से आया हुआ बताया जा रहा है. बाबा सिद्दकी, सिद्धू मूसे वाला की हत्‍या कर लौरेंस ने भारत में अपनी दबंगई दिखा दी है

लवर ही बना जान का दुश्मन

दोपहर के करीब 3 बजे थे. महाराष्ट्र के शहर अंबानगरी, जिसे लोग अब अमरावती के नाम से जानते हैं, की सड़कों पर काफी भीड़ थी. सड़क किनारे गोपाल प्रभा मंगल कार्यालय है, उस के सामने जानामाना शाह कोचिंग सेंटर है, जिस की क्लास छूटी थी.

सेंटर से बाहर निकलने वाले छात्रछात्राओं की वजह से भीड़ और बढ़ गई थी. सड़क की चहलपहल से अलग साइड में खड़ा एक युवक बड़ी बेसब्री से क्लास से निकलते छात्रछात्राओं को देख रहा था.

ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी का इंतजार कर रहा हो. थोड़ी देर बाद उस का इंतजार खत्म हो गया. सारे छात्र और छात्राओं के निकलने के कुछ देर बाद 2 छात्राएं बाहर निकलीं और आपस में बातें करते हुए बस स्टौप की ओर जाने लगीं. साइड में खड़ा युवक उन के पीछे लग गया.

इस के पहले कि दोनों छात्राएं बस स्टौप तक पहुंच पातीं, युवक ने आगे आ कर उन का रास्ता रोक लिया. उस ने जिन छात्राओं का रास्ता रोका था, वह उन में से एक छात्रा से बात करना चाहता था. उन में एक छात्रा का नाम अर्पिता था और दूसरी का अपर्णा. दोनों लड़कियां फ्रैंड थीं.

अचानक इस तरह सामने आए युवक को देख कर अर्पिता के दिल की धड़कन बढ़ गई. डरीसहमी अर्पिता ने एक बार अपनी फ्रैंड अपर्णा की तरफ देखा. फिर उस ने हिम्मत जुटा कर युवक की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘तुषार, तुम यहां?’’

‘‘गनीमत है, तुम ने मुझे पहचाना तो. मैं तो समझा था कि तुम मुझे भूल गई होगी. मैं यहां क्यों आया हूं, यह बात तुम अच्छी तरह जानती हो.’’ तुषार के होंठों पर कुटिल मुसकान तैर गई.

‘‘बेकार की बातें छोड़ो और हट जाओ हमारे रास्ते से. हमारी बस निकल जाएगी.’’ अर्पिता ने रोष में कहा.

‘‘बसें तो आतीजाती रहेंगी. यह बताओ कि तुम मेरे पास कब आओगी? मेरी इस बात का जवाब दिए बिना तुम यहां से नहीं जाओगी. तुम मुझ से कटीकटी क्यों रहती हो? तुम्हारे घर वाले मुझे तुम से नहीं मिलने देते. आखिर मेरी गलती क्या है, हम दोनों ने एकदूसरे से प्यार किया है, शादी की है.’’ तुषार ने अर्पिता को विनम्रता से समझाने की कोशिश की.

‘‘वह सब हमारी नादानी और बचपना था. अब उन बातों का कोई मतलब नहीं है. मैं सब भूल चुकी हूं, तुम भी भूल जाओ.’’ कह कर अर्पिता उस के बगल से हो कर निकलने लगी. लेकिन तुषार ने उसे निकलने नहीं दिया. वह उस के सामने अड़ कर खड़ा हो गया.

‘‘ऐसे कैसे भूल जाऊं, मैं तुम्हें प्यार करता हूं. तुम्हें अपनी पत्नी मानता हूं. भले ही हमारी शादी घर वालों की मरजी से न हुई हो लेकिन मंदिर में ही सही, हुई तो है. तुम मेरी पत्नी हो और पत्नी ही रहोगी.’’ तुषार ने अर्पिता से कड़े शब्दों में कहा.

‘‘देखो तुषार, तुम मेरी बातों को समझने की कोशिश करो. मैं अपना कैरियर देख रही हूं. तुम अपना कैरियर देखो, उसी में हमारी भलाई है. तुम मुझे अपने दिल से निकाल कर हकीकत की दुनिया में आ जाओ, यही दोनों के लिए अच्छा है.’’

अर्पिता की सहेली अपर्णा ने भी तुषार को समझाने की कोशिश की कि वह उसे भूल जाए. अर्पिता और अपर्णा की बातों से परेशान हो कर तुषार का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा.

‘‘तो क्या यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ तुषार ने अर्पिता की आंखों में आंखें डाल कर पूछा.

‘‘हां, यही मेरा आखिरी फैसला है. मैं अपने परिवार और समाज के खिलाफ नहीं जा सकती. मेरा परिवार जो कह रहा है, मुझे वही करना होगा.’’ अर्पिता ने कहा.

उस का स्पष्ट जवाब सुन कर तुषार आपा खो बैठा और उस ने कपड़ों के अंदर छिपा कर लाया चाकू बाहर निकाल लिया. उस के हाथों में चाकू देख कर अर्पिता और अपर्णा दोनों बुरी तरह घबरा गईं.

इस के पहले कि वे दोनों कुछ बोल पातीं, तुषार ने अर्पिता के पेट, सीने और गले पर लगभग 18 वार कर दिए. अपर्णा ने जब अपनी फ्रैंड अर्पिता की मदद करने की कोशिश की तो तुषार ने उसे भी बुरी तरह जख्मी कर दिया. तुषार के इस हमले से दोनों जमीन पर गिर पड़ीं और मदद के लिए चीखनेचिल्लाने लगीं.

अर्पिता और अपर्णा की चीखपुकार से आनेजाने वाले लोगों के कदम रुक गए. कुछ मिनटों तक तो किसी की समझ में नहीं आया कि माजरा क्या है. लोग मूक बने खून में डूबी लड़कियों को देखते रहे. जब समझ में आया तो लोग अर्पिता और अपर्णा की मदद के लिए आगे बढ़े. लोगों को अर्पिता और अपर्णा की मदद करते देख तुषार समझ गया कि अब उस का वहां रुकना ठीक नहीं है.

वह चाकू घटनास्थल पर फेंक कर भागने की कोशिश करने लगा. लेकिन उस के कारनामों से क्रोधित कुछ लोग उस के पीछे पड़ गए. वहां मौजूद कुछ लोगों ने आटो रोक कर अर्पिता और अपर्णा को स्थानीय अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने अर्पिता को मृत घोषित कर दिया और घायल अपर्णा के उपचार में जुट गए.

दूसरी तरफ तुषार का पीछा कर रहे लोगों ने उसे ईंटपत्थरों से घायल कर के दबोच लिया. उन्होंने उस की जम कर पिटाई की. गुस्साए लोग उसे छोड़ने को तैयार नहीं थे.

इस घटना की खबर थोड़ी दूरी पर स्थित राजापेठ पुलिस थाने की पुलिस को लगी तो वह तुरंत हरकत में आ गई. थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने सब से पहले लोगों की गिरफ्त में फंसे तुषार को अपनी कस्टडी में लिया. थानाप्रभारी ने इस मामले की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम को भी दे दी.

थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी ने अपने सहयोगियों के साथ घटनास्थल का निरीक्षण किया. घटनास्थल पर पड़े रक्तरंजित चाकू और रक्त सनी मिट्टी का नमूना ले कर उसे सील कर दिया गया. इस के बाद पुलिस ने वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के बयान लिए. वहां से वह सीधे अस्पताल चले गए.

यह घटना 9 जुलाई, 2019 की थी. कुछ ही मिनटों में दिल दहलाने वाली इस वारदात की खबर पूरे शहर में फैल गई. मामले की जानकारी पा कर अमरावती के सीपी संजय वाबीस्कर, डीसीपी जोन-2 शशिकांत सातव और एसीपी (राजापेठ) बलिराम डाखरे भी पुलिस टीम के साथ अस्पताल पहुंच गए.

अस्पताल पहुंच कर उन्होंने वहां के डाक्टरों से मिल कर बात की और मृत अर्पिता और घायल अपर्णा का सरसरी निगाह से निरीक्षण किया. फिर थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी को जरूरी निर्देश दे कर लौट गए.

थानाप्रभारी ने अपनी टीम के साथ मृतका अर्पिता की फ्रैंड अपर्णा का विस्तृत बयान लिया. इस के बाद हत्या का केस नामजद दर्ज कर के अर्पिता के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया. पुलिस ने थाने लौट कर इस घटना की जानकारी अर्पिता और अपर्णा के घर वालों को दी. साथ ही केस की जांच की जिम्मेदारी इंसपेक्टर संभाजी पाटिल व दत्ता नखड़े को सौंप दी.

इस घटना की खबर मिलते ही अर्पिता के परिवार वाले रोतेपीटते राजापेठ पुलिस थाने पहुंचे. जांच अधिकारियों ने उन्हें सांत्वना दे कर उन से पूछताछ की. अर्पिता के घर वालों ने बताया कि तुषार उन की बेटी अर्पिता से एकतरफा प्यार करता था और उस पर शादी के लिए दबाव बनाता रहता था. वह सालों से उन की बेटी के पीछे पड़ा था.

उन्होंने बताया कि तुषार अर्पिता को अकसर छेड़ता और परेशान करता था. साथ ही धमकियां भी देता था. उस ने अर्पिता से शादी का एक फरजी वीडियो भी तैयार कर रखा था, जिसे वह सोशल मीडिया पर डालने की धमकी देता था.

दोनों के परिवारों की अपनीअपनी कहानी  उन लोगों ने इस की शिकायत वडनेरा पुलिस थाने में भी की थी. लेकिन पुलिस ने उस पर कोई काररवाई नहीं की. पुलिस ने उस से वह वीडियो डिलीट करवाया और माफीनामा ले कर छोड़ दिया था.

तुषार के परिवार वालों ने भी अर्पिता पर कुछ इसी तरह का आरोप लगाया था. उन के अनुसार अर्पिता ने तुषार से प्यार किया था, उसे सपना दिखाया था. यहां तक कि दोनों ने मंदिर में जा कर शादी भी कर ली थी. तुषार का कोई कसूर नहीं था. अर्पिता ने उसे अपने प्रेमजाल में फंसा कर धोखा दिया था, जिस से हताश हो कर उस ने इस तरह का कदम उठाया.

दोनों के घर वालों के बयानों में कितनी सच्चाई थी, इस का पता लगाने के लिए जांच अधिकारियों ने जब गहराई से जांच की तो असफल प्रेम कहानी सामने आई.

22 वर्षीय तुषार अमरावती जिले के तालुका भातकुली गांव मलकापुर का रहने वाला था. उस के पिता का नाम किरण मसकरे था. वह गांव के एक गरीब किसान थे. उन का और उन के परिवार का गुजारा गांव के संपन्न किसानों के खेतों में मेहनतमजदूरी कर के होता था.  परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण तुषार ने इंटरमीडिएट के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. परिवार में उस के मातापिता के अलावा एक बड़ा भाई और एक छोटी बहन थी.

सुंदर और महत्त्वाकांक्षी अर्पिता तुषार के पड़ोसी गांव कठवा वहान की रहने वाली थी. उस के पिता का नाम दत्ता साहेब ठाकरे था. ठाकरे गांव के प्रतिष्ठित और संपन्न किसान थे. उन के परिवार में अर्पिता के अलावा उस की मां और एक बड़ा भाई था. अर्पिता पढ़ाई लिखाई में तो तेज थी ही, व्यवहारकुशल भी थी. तुषार मसकरे उस की खूबसूरती और व्यवहार का कायल था.

गांव में उच्चशिक्षा की व्यवस्था नहीं थी. अर्पिता दत्ता ठाकरे की लाडली बेटी थी. वह उसे उच्चशिक्षा दिलाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अर्पिता को पूरी आजादी दे रखी थी. लेकिन यह जरूरी नहीं कि आदमी जो सोचे वह हो ही जाए. दत्ता ठाकरे की भी यह चाहत पूरी नहीं हो सकी.

18 वर्षीय अर्पिता और तुषार की लव स्टोरी सन 2017 में तब शुरू हुई थी, जब दोनों ने गांव के हाईस्कूल से निकल कर तालुका के भातकुली केशरभाई लाहोटी इंटर कालेज में दाखिला लिया. दोनों एक ही क्लास में थे, दोनों के गांव भी आसपास थे. जल्दी ही दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं.

कालेज में कई युवकयुवतियों ने अर्पिता से दोस्ती के लिए हाथ बढ़ाए, लेकिन अर्पिता ने उन्हें महत्त्व नहीं दिया. वह मन ही मन तुषार से प्रभावित थी. अर्पिता को जितना भी समय मिलता, तुषार के साथ बिताती थी. तुषार भी अर्पिता जैसी दोस्त पा कर खुश था.

कालेज आनेजाने के लिए अर्पिता के पास स्कूटी थी. तुषार का घर अर्पिता के रास्ते में पड़ता था, इसलिए वह तुषार को अकसर अपनी स्कूटी पर उस के घर तक छोड़ देती थी. इस के चलते दोनों कब एकदूसरे के करीब आ गए, उन्हें पता ही नहीं चला. पहले दोनों में दोस्ती हुई, फिर प्यार हो गया. इस बात का दोनों को तब पता चला जब उन के दिलों की बेचैनी बढ़ने लगी.

इंटरमीडिएट करतेकरते उन की चाहत इतनी बढ़ गई कि दोनों ने अपने प्यार का इजहार कर लिया. इस के साथ ही दोनों ने साथसाथ जीनेमरने की कसमें भी खा लीं. इतना ही नहीं, दोनों ने सालवर्डी जा कर एक मंदिर में विवाह भी कर लिया. इस विवाह का वीडियो भी बनाया गया था.

जब तक दोनों एक ही कालेज में पढ़ते रहे, उन के प्यार और शादी की किसी को भनक तक नहीं लगी. लेकिन जब अर्पिता ग्रैजुएशन के लिए दूसरे कालेज में गई और तुषार ने पढ़ाई छोड़ दी तो उन के बीच दूरी आ गई.

इसी बीच उन के प्यार और प्रेम विवाह की खबर उन के घर वालों के कानों तक भी पहुंच गई. अर्पिता के पिता ने बेटी के अच्छे भविष्य के लिए उस का दाखिला अमरावती के मधोल पेठ स्थित महात्मा फूले विश्वविद्यालय में करा दिया था. उस ने बीकौम फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था.

दोनों के परिवार रह गए सन्न तुषार की पारिवारिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह आगे की पढ़ाई कर पाता. आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से वह गांव वालों के खेतों में किराए का ट्रैक्टर चला कर अपने परिवार की आर्थिक मदद करने लगा.

अर्पिता से दूरियां बढ़ जाने के कारण तुषार का एकएक दिन बेचैनी में गुजरता था. जल्दी ही उस का धैर्य जवाब देने लगा. जब उसे लगने लगा कि अब वह अर्पिता के बिना नहीं रह सकता तो वह फोन पर बात कर के या गांव आतेजाते अर्पिता पर दबाव बनाने लगा कि वह अपनी पढ़ाई छोड़ कर उस के पास आ जाए.

इस बात की खबर जब दोनों परिवारों तक पहुंची तो उन के होश उड़ गए. इस हकीकत जान कर तुषार के परिवार वाले सन्न रह गए तो अर्पिता के घर वालों के पैरों के नीचे से जैसे जमीन खिसक गई. उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस बेटी के भविष्य के लिए वह उसे उच्चशिक्षा दिलाना चाहते हैं, वह ऐसा कर बैठेगी.

मामला काफी नाजुक था. फिर भी उन्होंने अर्पिता को आड़े हाथों लिया. उसे उस के भविष्य, मानसम्मान और समाज के बारे में काफी समझायाबुझाया. साथ ही तुषार से दूर रहने की सलाह भी दी.

अर्पिता ने जब अपने परिवार की बातों पर गहराई से सोचविचार किया तो उसे अपनी भूल पर पछतावा हुआ. तुषार के साथ वह उज्ज्वल भविष्य की कल्पना नहीं कर सकती थी, न ही तुषार उस के काबिल था. सोचविचार कर अर्पिता ने तुषार से दूरी बना ली.

अर्पिता की दूरियां तुषार से बरदाश्त नहीं हुई. एक दिन वह बिना किसी डर के अर्पिता का हाथ मांगने उस के घर चला गया. उस ने उस के परिवार को धमकी देते हुए कहा कि अगर आप लोग अर्पिता का हाथ मेरे हाथ में नहीं देंगे तो वह उसे जबरन ले जाएगा. क्योंकि वह अर्पिता के साथ मंदिर में शादी कर चुका है. उस के पास शादी का वीडियो भी है. तुषार ने यह भी कहा कि अगर उस की बात नहीं मानी गई तो वह वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा.

बात मानसम्मान की थी. उस की इस धमकी से अर्पिता का परिवार काफी डर गया. बात उन की इज्जत की थी. उन्होंने इस की शिकायत पुलिस में कर दी. पुलिस की काररवाई से तुषार को बहुत गुस्सा आया. वह अर्पिता और उस के परिवार के प्रति रंजिश रखने लगा. उस ने अर्पिता को कई बार फोन किया लेकिन उस ने फोन नहीं उठाया.

फलस्वरूप उसे अर्पिता से सख्त नफरत हो गई. अंतत: प्रेमाग्नि में जलते तुषार ने एक खतरनाक योजना बना ली. उस ने फैसला कर लिया कि अगर अर्पिता ने उस के मनमुताबिक उत्तर नहीं दिया तो वह उसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगा. अर्पिता उस की पत्नी है और उस की ही रहेगी.

अपनी योजना को फलीभूत करने के लिए तुषार अपने एक दोस्त से मिला और उस से एक तेजधार वाले लंबे फल के चाकू की मांग की. उस का कहना था कि गांव के आसपास उस के बहुत सारे दुश्मन हो गए हैं, जिन से वह डरता है. दोस्त ने उस की बातों पर विश्वास कर के उस के लिए चाइना मेड एक चाकू का बंदोबस्त कर दिया.

चाकू का इंतजाम हो जाने के बाद तुषार घटना के दिन सुबहसुबह मधोल पेठ पहुंच कर अर्पिता का इंतजार करने लगा. बाद में जब उसे मौका मिला तो उस ने अर्पिता और उस की फ्रेंड पर हमला बोल दिया. इस हमले में अर्पिता की जान चली गई और उस की फ्रैंड अपर्णा बुरी तरह घायल हुई. इस के पहले कि वह भाग पाता, लोगों ने उसे दौड़ा कर पकड़ लिया.

इस घटना के कुछ घंटों बाद इस वारदात को ले कर पूरा अमरावती शहर एक हो गया. राजनीतिक पार्टियां और सामाजिक संगठन एकजुट हो कर पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लगाने लगे.

वे अभियुक्त तुषार मसकरे को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहे थे. बहरहाल, तुषार मसकरे ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया था. पूछताछ के बाद उसे अदालत पर पेश कर के जेल भेज दिया गया. द्य

सैक्स स्केंडल : ब्लैकमेलिंग से हुए कई शिकार

यह देह व्यापार और ब्लैकमेलिंग का वैसा और कोई छोटामोटा मामला नहीं है, जिस में लोगों को पता चल जाए कि पकड़े गए लोगों के नाम, वल्दियत और मुकाम क्या हैं, बल्कि इस हाईप्रोफाइल मामले की हैरतअंगेज बात यह है कि इस में उन औरतों के नाम और पहचान उजागर हो जाना है, जो अपने हुस्न के जाल में मध्य प्रदेश के कई नेताओं और आईएएस अफसरों को फंसा कर करोड़ों रुपए कमा चुकी हैं.

खूबसूरत, स्टायलिश, सैक्सी और जवान औरत किसी भी मर्द की कमजोरी हो सकती है, लेकिन जब वे मर्द अहम ओहदों पर बैठे हों तो चिंता की बात हो जाती है. क्योंकि इन की न केवल समाज में इज्जत और रसूख होता है, बल्कि ये वे लोग हैं जो सरकार की नीतियांरीतियां बनाते हैं.

इन के कहने पर करोड़ों का लेनदेन होता है. सूटबूट में चमकते दिखने वाले इन खास लोगों में बस एक बात आम लोगों जैसी होती है, वह है जवान औरत का चिकना शरीर देखते ही उस पर बिना सोचेसमझे फिसल जाना.

फिसल तो गए, लेकिन अब इन का गला सूख रहा है. नींद उड़ी हुई है और हलक के नीचे निवाला भी नहीं उतर रहा. वजह यह डर है कि खुदा न खास्ता अगर नाम और रंगरलियां मनाते वीडियो उजागर और वायरल हो गए तो कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएंगे.

जांच एजेंसियां यह भी पूछेंगी कि इन बालाओं पर लुटाने के लिए ढेर सारी रकम आई कहां से थी और ब्लैकमेलिंग से बचने के लिए इन्हें कैसे उपकृत किया गया. यानी ब्लैकमेलिंग की रकम का बड़ा हिस्सा एक तरह से सरकार दे रही थी.

यह है मामला इंदौर नगर निगम के एक इंजीनियर हरभजन सिंह ने 17 सितंबर, 2019 को पुलिस में रिपोर्ट लिखाई कि 2 औरतें उसे ब्लैकमेल कर रही हैं. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी. इंजीनियर हरभजन से भोपाल की आरती दयाल की दोस्ती थी. आरती एक एनजीओ चलाती है. इस ने कृषि, ग्रामीण व पंचायत विभाग से एनजीओ के नाम पर मोटी फंडिंग ली थी.

बल्लभ भवन के ग्राउंड फ्लोर पर बैठने वाले एक आईएएस, भोपाल-इंदौर में कलेक्टर रहे एक आईएएस के अलावा और कई अफसर और नेताओं से उस के नजदीकी संबंध थे. सबंध भी इतने गहरे कि भोपाल व इंदौर में कलेक्टर रह चुके एक आईएएस अफसर ने तो उसे मीनाल रेजिडेंसी जैसे पौश इलाके में एक महंगा फ्लैट दिला दिया था. यह आईएएस अफसर भोपाल और इंदौर के कलेक्टर भी रह चुके हैं.

आरती इस अफसर को ब्लैकमेल कर रही थी, जिस से पीछा छुड़ाने के लिए इस अफसर ने उसे होशंगाबाद रोड पर एक प्लौट भी दिलाया था. आरती ने इस के बाद भी उस का पीछा छोड़ा या नहीं, यह तो वही जाने लेकिन आरती ने दूसरा शिकार हरभजन सिंह को बनाया.

उस ने हरभजन की दोस्ती नरसिंहगढ़ की 18 साल की छात्रा मोनिका यादव से करा दी. कम उम्र में ही दुनियादारी में माहिर हो गई मोनिका ने हरभजन को अपना दीवाना बना लिया, जिस के चलते हरभजन उस का भजन करने लगा और आरती उतारने के लिए एक दिन उसे एक होटल के कमरे में ले गया.

मोनिका और उस की गुरुमाता आरती ने प्यार के इस पूजापाठ को कैमरे में कैद कर लिया ताकि सनद रहे और वक्त जरूरत काम आए. उधर मोनिका के गुदाज बदन और नईनई जवानी का रस चूस रहे हरभजन को पता ही नहीं चला कि सैक्स करते वक्त वह कैसा लगता है और कैसीकैसी हरकतें करता है.

यह सब मोनिका और आरती ने उसे चलचित्र के जरिए दिखा कर अपनी दक्षिणा, जिसे ब्लैकमेलिंग कहते हैं, मांगी तो वह सकपका उठा.  बेचारा साबित हो गया हरभजन 8 महीने ईमानदारी से पैसे देता रहा. लेकिन हद तब हो गई जब इन दोनों ने एक बार में ही 3 करोड़ रुपए की मांग कर डाली. इस भारीभरकम मांग से उस के सब्र का बांध टूट गया तो उस ने इंदौर के पलासिया थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी.

पुलिस को मामला इतना दिलचस्प लगा कि उस ने बिना हेलमेट वालों के चालान वगैरह बनाने जैसा अपना पसंदीदा काम एक तरफ रखते हुए तुरंत काररवाई शुरू कर दी.

ऐसे मौकों पर पुलिस जाने क्यों समझदार हो जाती है. उस ने प्लान बनाया और मोनिका व आरती को रकम की पहली किस्त 50 लाख रुपए लेने इंदौर बुलाया. ये दोनों इंदौर पहुंचीं तो विजय नगर इलाके में इन्हें यू आर अंडर अरेस्ट वाला फिल्मी डायलौग मारते हुए गिरफ्तार कर लिया.

2-2 श्वेताएं जिसे पुलिस कहानी का खत्म होना मान रही थी, दरअसल वह कहानियों की शुरुआत थी. पूछताछ में आरती ने बताया कि ब्लैकमेलिंग के इस खेल में और भी महिलाएं शामिल हैं, जिन में से 2 के एक ही नाम हैं यानी श्वेता जैन. पहली श्वेता जैन 39 साल की है. वह भाजपा में सक्रिय है. इस ने अपने हुस्नजाल में एक पूर्व सीएम को फंसाया, जिस ने उसे भोपाल के मीनाल रेजिडेंसी में एक फ्लैट दिलवाया था.

यह बुंदेलखंड, मालवा-निमाड़ के एक पूर्वमंत्री की भी करीबी है. इन्हीं संबंधों का फायदा उठा कर इस ने एक एनजीओ को फंडिंग भी कराई थी. इसे सागर के एक कलेक्टर के संग उन की पत्नी ने पकड़ा था. उस के पति का नाम विजय जैन है. जबकि दूसरी श्वेता जैन के पति का नाम स्वप्निल जैन है.

48 साल की यह श्वेता भोपाल की सब से महंगी टाउनशिप रिवेरा में रहती है. तलाकशुदा आरती ने बड़ी शराफत और पूरी ईमानदारी से बताया कि वह छतरपुर की रहने वाली है और वहां भी 10 लोगों को ब्लैकमेल कर चुकी है. यानी यह उस का फुलटाइम जौब है.

भोपाल पुलिस ने भी सड़क चलते वाहन चालकों को बख्शते हुए इन श्वेताओं को गिरफ्तार कर लिया. ये दोनों भी बड़ी शानोशौकत वाली निकलीं. सागर की रहने वाली श्वेता जैन के यहां से पुलिस ने 14 लाख 17 हजार रुपए बरामद किए.

यह श्वेता एक इलैक्ट्रिक कंपनी की भी मालकिन निकली. इस के पास से 2 महंगी कारें मर्सिडीज और औडी भी मिलीं. इस श्वेता ने सन 2013 में सागर विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए भाजपा से टिकट भी मांगा था. लेकिन भाजपा के ही एक बड़े नेता ने उस का टिकट कटवा दिया था. इस के बावजूद भी उस के भाजपा नेताओं से अच्छे और गहरे संबंध थे.

दूसरी श्वेता (स्वप्निल वाली) के पास से भी एक औडी कार मिली. यह भी पता चला कि वह मूलत: जयपुर की रहने वाली है और उस का पति पेशे से थेरैपिस्ट है, जिसे अकसर पब पार्टियों में देखा जाता है.

इस श्वेता ने एक पूर्व सांसद की सीडी बनवा कर 2 करोड़ रुपए वसूले थे. भाजपा के एक कद्दावर नेता ने तो ब्लैकमेलिंग पर चुनाव के पहले इसे दुबई भेज दिया था, जहां से वह 10 महीने बाद लौटी थी. फिलहाल 3 कलेक्टरों के तबादलों में इस की अहम भूमिका रही थी.

इन दोनों को भाजपा विधायक बृजेंद्र सिंह ने मकान किराए पर दिया था. इस के पहले ये एक दूसरे भाजपा विधायक दिलीप सिंह परिहार के मकान में किराए पर रहते थे. इस मकान में इन दिनों भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा भारती रह रही हैं.

पूरी छानबीन का सार यह रहा कि दोनों खूबसूरत श्वेताओं के पास बेशुमार दौलत और जायदाद है. साथ ही ऐशोआराम के तमाम सुखसाधन भी मौजूद हैं.

2-2 मास्टरमाइंड इतना होने के बाद और भी महिलाओं के नाम सामने आए, इन में से असली मास्टरमाइंड कौन है, यह तय होना अभी बाकी है. कुछ लोग सागर वाली श्वेता को ही मास्टरमाइंड  मान रहे हैं तो कुछ की नजर में असली सरगना बरखा भटनागर है.

बरखा अपने पहले पति को तलाक दे चुकी है और उस ने दूसरी शादी अमित सोनी से की है. अमित सोनी कभी कांगे्रस के आईटी सेल से जुड़ा था और सन 2015 में बरखा भी कांग्रेस में आ गई थी.

ये दोनों भी एक एनजीओ चलाते हैं जो एग्रीकल्चर से जुड़े प्रोजेक्ट लेता है. सन 2014 में बरखा का नाम देह व्यापार के एक मामले में आया था. तब से वह सक्रिय राजनीति से अलग हो गई थी. इसी दौरान उस की मुलाकात श्वेता जैन से हुई थी.

बरखा वक्तवक्त पर कई कांग्रेसी दिग्गजों के साथ अपने फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती थी. वर्तमान में 2 मंत्रियों और एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष से इस के अच्छे संबंध हैं. अपनी पहुंच के चलते इस ने एनजीओ के लिए काफी डोनेशन भी लिया था. सागर वाली श्वेता को एक बार सागर में एक कलेक्टर साहब की पत्नी ने रंगेहाथों पकड़ा था.

नरसिंहगढ़ निवासी बीएससी में पढ़ रही मोनिका यादव को आरती ने गिरोह में शामिल किया था, जो जवान थी और जल्द ही अफसरों और नेताओं को अपने हुस्न जाल में फंसाने में माहिर हो गई थी. कई नेताओं के यहां भी उस का आनाजाना था. आरती ने ही इसे अपने साथ जोड़ा था.

इन पर नकाब क्यों जब राज खुलने शुरू हुए तो यह भी पता चला कि इन पांचों की तूती प्रशासनिक गलियारों में भी बोलती थी. इन के कहने पर तबादले होते थे, नियुक्तियां भी होती थीं और ठेके भी मिलते थे. ये 3 पूर्व मंत्रियों सहित 7 आईएएस अफसरों को ब्लैकमेल कर रही थीं, वह भी पूरी दिलेरी से.

हाल तो यह भी था कि इन के पकड़े जाने के बाद कई अफसर पुलिस हेड क्वार्टर फोन कर पुलिस अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ा रहे थे कि उन का नाम सामने न आए. इन के मोबाइलों में कइयों की ब्लू फिल्में हैं.

लेकिन पुलिस उन के नाम उजागर नहीं कर रही है. आमतौर पर जैसा कि ऊपर बताया गया है कि ऐसे मामलों में पुलिस महिलाओं के नाम छिपाती है और पुरुषों के उजागर कर देती है. पर यह मामला ऐसा है जिस में महिलाओं के नाम और फोटो उजागर किए गए लेकिन उन महापुरुषों के नहीं, जिन की वजह से रायता फैला.

पुलिस इन सफेदपोशों के चेहरों पर क्यों नकाब ढके हुए है, यह बात भी उजागर है कि कथित आरोपी महिलाओं को उस ने गुनहगार मान कर उन की जन्म कुंडलियां मीडिया के जरिए बांच दीं, लेकिन अय्याश और रंगीनमिजाज नेताओं और अफसरों को वह बचा रही है.

जबकि जनता को पूरा हक है कि वह इन के बारे में जानें. ऐसा होगा, ऐसा लग नहीं रहा क्योंकि सरकार नहीं चाहती कि इन सफेदपोशों की बदनामी हो.

महज हरभजन द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पर सारी काररवाई होना पुलिस की नीयत और मंशा को शक के कटघरे में खड़ी कर रही है. जिनजिन रसूखदारों के साथ इन के आपत्तिजनक फोटो व वीडियो मिले हैं, उन के नाम उजागर हों तो समझ आए कि वाकई ये ब्लैकमेलर हैं.

डाकघर में गबन : मैरिट होल्डर की 1 करोड़ी करतूत

स्कूल में होशियार छात्र रहा था. 10वीं और 12वीं जमात के इम्तिहान में तकरीबन 85-90 फीसदी अंकला कर मैरिट में आया था. छोटे से कसबे में रहने वाले इस छात्र से उस के अपनों को बहुत उम्मीद थी, लेकिन वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने में लग गया.

तकनीक की उसे अच्छी समझ थी. लिहाजा, वह ऐशोआराम की जिंदगी बसर करने की सोच में लग गया. इस के चलते उस पर कमाई की धुन सवार हो गई और आगे पढ़ने में दिलचस्पी नहीं रही. फिर कोई बड़ा काम नहीं मिलता देख वह अपने कसबे के उपडाकघर में डाक सेवक के रूप में लग गया.

इसी उपडाकघर में काम करने के दौरान उस की खातेदारों के खातों पर नजर थी. उन की जमा रकम हड़पने के लिए उस ने बड़ी ही चतुराई से फर्जीवाड़े का रास्ता चुन लिया और धीरेधीरे कर के 20 खातेदारों के खातों से कुलमिला कर 1 करोड़, 66 लाख रुपए से ज्यादा का गबन कर लिया.

इस गबन का काफी समय तक तो पता ही नहीं चला, लेकिन जब धीरेधीरे पीडि़त खातेदार सामने आने लगे, तो इस शातिराना करतूत का राज खुलता चला गया.

गिरफ्तारी से बचने के लिए वह घर से भाग गया. दूसरे शहरों के बड़े होटलों में रुकता रहा, पर आखिरकार कुछ महीने बाद अपने कसबे में आया तो पकड़ा गया और अब जेल में है. उस से पुलिस पैसे की रिकवरी नहीं कर पाई है.

यह कांड राजस्थान के बूंदी जिले के नैनवा कसबे में हुआ. 25 साल के इस आरोपी का नाम प्रांशु जांगिड़ है.

डीएसपी शंकरलाल मीणा बताते हैं कि आरोपी प्रांशु जांगिड़ उस डाकघर में आधारकार्ड बनाने और आधारकार्ड अपडेट करने का भी काम करता था. उस ने फर्जी आधारकार्ड बना कर फर्जी खाते खोल लिए थे और इसी से गबन कर खुद व फर्जी खातों में नैफ्ट के जरीए रकम ट्रांसफर करता रहा. बिना खाताधारक की इजाजत के फर्जी दस्तखत कर उन के खातों को बंद कर दिया और खाते की रकम को ट्रांसफर करता रहा.

कंप्यूटर फ्रैंडली होने से उस ने उपडाकपालों की आईडी द्वारा खातों से रकम निकाल कर मालामाल होने के लिए शेयर मार्केट, ट्रेडिंग में रकम लगा दी, लेकिन यह रकम डूबती चली गई. इस के बाद वह बारबार गबन करता रहा, फिर गबन का भेद खुलने के डर से मई, 2024 में अपने कसबे नैनवा से फरार हो गया.

पिता गोपाल जांगिड़ ने अपने बेटे प्रांशु जांगिड़ के 11 मई, 2024 से गायब होने की पुलिस में गुमशुदगी दर्ज करवाई थी. इस के बाद से पुलिस उस की तलाश करती रही. उस ने फरार होने के बाद दिल्ली, इंदौर, गोवा, बैंगलुरु, ऋषिकेश के होटलों में फरारी काटी और ऐश की जिंदगी जी.

उपडाकघर में मई महीने में गबन उजागर हुआ. तब के कार्यवाहक डाक अधीक्षक ने अपनी विभागीय जांच समिति गठित की. इस जांच समिति ने 15,000 खातों की जांच की, जिस में से 20 लोगों के खातों से गबन की तसदीक हुई.

टोंक के डाक अधीक्षक तिलकेशचंद शर्मा ने 27 जून को प्रांशु जांगिड़ और तब के 5 उपडाकपालों के खिलाफ डाकघर की एफडी व एमआईएस योजना के 20 खातेदारों के खातों से 1 करोड़, 66 लाख, 85 हजार रुपए गबन करने का नैनवा पुलिस थाने में केस दर्ज कराया था.

नैनवां थानाधिकारी महेंद्र कुमार यादव, हैडकांस्टेबल भोजेंद्र सिंह, कांस्टेबल रामेश्वर, बंशीधर, राजेश की जांच और धरपकड़ के लिए टीम बनाई गई. पुलिस को आरोपी के नैनवा आने की सूचना मिली. इस के बाद आरोपी के घर को घेर कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है.

बूंदी के एसपी हनुमान प्रसाद मीणा ने इस मामले का खुलासा करने वाली टीम की पीठ थपथपाई, उन्हें सम्मानित किया.

पोस्ट औफिस के कार्यवाहक पोस्टमास्टर हरिमोहन ने खुलासा किया कि उन की आईडी का गलत इस्तेमाल कर प्रांशु जांगिड़ ने ग्राहकों के खातों से रकम निकाल कर अपने खाते में ट्रांसफर कर ली, जो गबन की श्रेणी में आती है.

पहले ग्राहकों का भरोसा जीता डाक अधीक्षक शैलेंद्र ने बताया कि उपडाकघर में काम कर रहे 3 पोस्टमास्टरों की पासवर्ड पौलिसी? (आईडी) का गलत इस्तेमाल कर आरोपी, डाकसेवक प्रांशु जांगिड़ ने खातेदारों के खातों से गबन किया है. आरोपी ने पहले ग्राहकों का भरोसा जीता और ग्राहक डाकघर में जमा कराने के लिए पैसा उसे देते रहे.

इसी का फायदा उठाया गया. जिन खातेदारों की रकम का गबन हुआ है, उन को घबराने की जरूरत नहीं है. इन को डाक विभाग की ओर से पूरा भुगतान किया जाएगा.

पीड़ितों ने पुलिस को बताया

सब से पहले रजलावता गांव के रहने वाले और रिटायर्ड ब्लौक शिक्षा अधिकारी दुर्गालाल कारपेंटर पीडि़त के तौर पर पुलिस के पास पहुंचे. पुलिस थाने में दी अपनी रिपोर्ट में उन्होंने आरोप लगाया कि उन की पत्नी गीता के नाम पर पोस्ट औफिस में खाता है, जिस में से 14 लाख, 20 हजार रुपए फर्जी तरीके से नैफ्ट के जरीए निकाल लिए गए.

18 अक्तूबर, 2023 को पोस्ट औफिस के मुलाजिम प्रांशु जांगिड़ से पत्नी गीता के नाम पर 10 लाख रुपए की एफडी करवाई गई थी, लेकिन बिना इजाजत के 29 अप्रैल को एफडी बंद कर 10 लाख रुपए खाते में ट्रांसफर कर दिए गए. इस के बाद बचत खाते और एफडी की रकम नैफ्ट के जरीए निकाल ली गई.

पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू की. पोस्ट औफिस मुलाजिम प्रांशु जांगिड़ के गायब होने के चलते उस पर इस गबन में शामिल होने का शक जताया गया.

इस के बाद खाताधारक नैनवा के रहने वाले पुरुषोत्तम कुम्हार ने रिपोर्ट में बताया कि उपडाकघर में एमआईएस (मासिक आय योजना) के तहत उन के और उन के बेटे प्रमोद प्रजापत के खातों में 9-9 लाख रुपए, कुल 18 लाख रुपए जमा किए गए थे. पता चला कि पोस्ट औफिस में मुलाजिम ने इन पैसों को निकाल कर नैफ्ट कर लिया.

हरिमोहन गौतम ने पुलिस को दी रिपोर्ट में लिखाया कि 26 दिसंबर, 2023 को उन की पत्नी रमा शर्मा के नाम पर एमआईएस योजना में 3 लाख रुपए जमा करवाए थे. 3 जनवरी, 2024 को एमआईएस योजना में 5 लाख रुपए जमा किए गए.

इन दोनों खातों की एमआईएस योजना में आने वाली ब्याज राशि जमा करने के लिए अलगअलग आरडी खोली गई थी, जो जमा हो रही है.

इन दोनों एमआईएस योजना के खाते प्रांशु जांगिड़ के जरीए खोले गए थे, लेकिन इन दोनों खातों के 8 लाख रुपए जमा नहीं हैं और खाते में जीरो बैलेंस है.

विभागीय जांच अधिकारी डाक निरीक्षक राजेश कुमार बैरवा ने गबन के पीडि़तों दुर्गालाल कारपेंटर, सुरेश जैन, अशोक जैन, पुरुषोत्तम कुम्हार, प्रमोद प्रजापत, सुशीला देवी और सुनिधि चंदेल के बयान लिए.

हत्या और नशे का कारोबार, फंसते बेरोजगार

मुंबई में नेता बाबा सिद्दीकी की हाईप्रोफाइल हत्या के बाद गैंगस्टर लौरैंस बिश्नोई का नाम फिर चर्चा में है. देशविदेश में पहले भी हो चुकी कई हत्याओं में लौरैंस बिश्नोई का नाम आया है. अब कहा जा रहा है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या भी उसी के गैंग ने की है.

लंबे समय से लौरैंस बिश्नोई फिल्म स्टार सलमान खान को मारने की फिराक में है, ऐसा पुलिस का कहना है और लौरैंस बिश्नोई के कुछ वीडियो भी सोशल मीडिया पर हैं, जिन में वह ऐसा कहते सुना जा रहा है. पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में पुलिस उस का हाथ होना मानती है, तो सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या का जिम्मेदार भी लौरैंस बिश्नोई को ही माना जाता है.

यही नहीं, कनाडा सरकार ने आरोप लगाया है कि भारत के गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भी लौरैंस बिश्नोई गैंग ने की है.

कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई नागरिकों की टार्गेट किलिंग का आरोप भारत पर मढ़ा है, जिस के चलते दोनों देशों के बीच इस कदर खटास आ गई है कि दोनों देशों ने अपनेअपने राजदूतों को देश वापस बुला लिया है.

आखिर कौन है लौरैंस बिश्नोई? पंजाब के फिरोजपुर जिले के धत्तरांवाली गांव का रहने वाला और पंजाब यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिगरी हासिल करने वाला सतविंदर सिंह उर्फ लौरैंस बिश्नोई की उम्र अभी महज

31 साल है और दिलचस्प बात यह है कि वह पिछले 12 साल से जेल में है यानी सिर्फ 19 साल की उम्र में वह जेल चला गया था. फिर उस ने ग्रेजुएशन और एलएलबी कब और कैसे की? वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में भी रहा. राजस्थान की जोधपुर जेल में भी रहा.

आजकल लौरैंस बिश्नोई गुजरात की जेल में बंद है. पुलिस कहती है कि वह जेल में रह कर अपना गैंग चला रहा है. उस के गैंग में 700 से ज्यादा क्रिमिनल्स हैं, जो उस के इशारे पर कभी भी कहीं भी किसी का भी ‘गेम’ बजा देते हैं.

क्या जेल प्रशासन व हमारी खुफिया एजेंसियां छुट्टी पर हैं? अगर नहीं तो फिर कैसे जेल की ऊंची और मजबूत दीवारों में कैद रहते हुए लौरैंस बिश्नोई ने इतना विशाल गैंग खड़ा कर लिया?

गोल्डी बरार नाम के अपराधी के संपर्क में वह कब और कैसे आया, जिस को उस के गैंग का लैफ्टिनैंट कमांडर कहा जाता है और जो कई साल से

विदेश में है. क्या जेल में रहते हुए किसी से संपर्क करना, किसी की सुपारी लेना, गैंग के सदस्यों से बात करना इतना आसान है?

आखिर लौरैंस बिश्नोई जेल में बैठ कर कैसे यह सब कर रहा है? गुजरात की जेल में रहने के बावजूद लौरैंस बिश्नोई इतना ताकतवर कैसे है? मोदी सरकार लौरैंस बिश्नोई को दूसरे मामलों में जांच के लिए गुजरात से बाहर दूसरी जेलों में ले जाने की हर कोशिश का विरोध क्यों कर रही है?

लौरैंस बिश्नोई जेल में रहते हुए कथिततौर पर भारत और विदेश में हत्याएं और जबरन वसूली कैसे कर सकता है? लौरेंस बिश्नोई को कौन बचा रहा है और किस के आदेश पर वह काम कर रहा है?

क्या लौरैंस बिश्नोई जेल में बंद अपराधी है या मोदी सरकार उसे सक्रिय रूप से इस्तेमाल कर रही है? क्या एक गैंगस्टर को जानबू?ा कर खुली छूट दी जा रही है? ऐसे सैकड़ों सवाल हैं, जिन के जवाब अभी तक नहीं मिले हैं.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), जिस के सर्वेसर्वा अजीत डोभाल हैं, के मुताबिक, लौरैंस गैंग न सिर्फ 700 शूटरों के साथ काम करता है, बल्कि गैंग समय के साथ बड़ा होता जा रहा है. इस के औपरेशन जिस तरह 11 राज्यों में फैले हुए हैं, उस से लगता है कि ये गिरोह भी डी कंपनी यानी दाऊद इब्राहिम की राह पर चल रहा है.

गौरतलब है कि 90 के दशक में दाऊद इब्राहिम को भी बड़ा डौन अजीत डोभाल ने ही साबित किया था और दाऊद के खिलाफ उन के पास भारत से ले कर पाकिस्तान तक तमाम सुबूत भी मौजूद थे, बावजूद इस के दाऊद इब्राहिम कभी उन के शिकंजे में नहीं आया.

अब दाऊद इब्राहिम की तरह लौरैंस बिश्नोई का नाम खूब चर्चा में है. लेकिन यह पुलिस और खुफिया एजेंसियों के लिए डूब मरने की बात है कि एक क्रिमिनल 12 साल से आप की निगरानी में जेल में बंद है, फिर भी वह इतनी आसानी से बड़ीबड़ी वारदातों को अंजाम दे रहा है.

कभी सलमान खान को धमकी, तो कभी उस पर गोली चलवाना, कभी सिद्धू मूसेवाला की हत्या, कभी कनाडा में औपरेशन तो कभी इंगलैंड में क्राइम. हर बार ऐसे कांडों के बाद लौरैंस बिश्नोई का नाम लिया जाता है, तो हैरानी ही होती है कि वह जेल में बैठ कर कैसे यह सब कर रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं कि उस के कंधे पर बंदूक रख कर कोई और इन तमाम सनसनीखेज कांडों को अंजाम दे रहा है?

दाऊद इब्राहिम के बारे में भारतीय जांच एजेंसियां कहती हैं कि उस ने ड्रग तस्करी, हत्याएं, जबरन वसूली के रैकेट के जरीए अपने नैटवर्क को बढ़ाया था. बाद में पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ मिल कर उस ने डी कंपनी बनाई, ठीक उसी तरह लौरैंस बिश्नोई ने भी अपना गिरोह बनाया और छोटेमोटे अपराधों से शुरुआत कर वह जल्दी ही उत्तर भारत के अपराध जगत पर छा गया.

एएनआई के मुताबिक, लौरैंस बिश्नोई गिरोह पहले पंजाब तक ही सीमित था, लेकिन अपने करीबी सहयोगी गोल्डी बरार की मदद से लौरैंस बिश्नोई ने हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के गिरोहों के साथ गठजोड़ कर एक बड़ा नैटवर्क तैयार कर लिया. यह गिरोह पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, ?ारखंड समेत पूरे उत्तर भारत में फैल चुका है.

मुंबई में सरेआम बाबा सिद्दीकी को गोली मारने के आरोप में पकड़े गए 2 शूटर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के एक गांव के हैं, जो अपनी रोजीरोटी कमाने के लिए पुणे गए थे. ऐसे लाखों बेरोजगार नौजवान देश में हैं, जिन्हें चंद पैसे का लालच दे कर अपराध की काली दुनिया में घसीट लिया जाता है.

बात करते हैं बाबा सिद्दीकी की, जिन की 12 अक्तूबर, 2024 की देर रात मुंबई के बांद्रा इलाके में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी और पुलिस के मुताबिक इस हत्या की जिम्मेदारी लौरैंस बिश्नोई गैंग ने ली है.

बाबा जियाउद्दीन सिद्दीकी भारत के महाराष्ट्र में बांद्रा (वैस्ट) विधानसभा सीट के विधायक थे. बाबा ने बहुत पहले कांग्रेस जौइन की थी. मुंबई कांग्रेस के एक प्रमुख अल्पसंख्यक चेहरे बाबा सिद्दीकी ने कांग्रेसराकांपा गठबंधन के सत्ता में रहने के दौरान मंत्री के रूप में भी काम किया था.

वे साल 1999, साल 2004 और साल 2009 में लगातार 3 बार विधायक रहे थे और उन्होंने साल 2004 से साल 2008 के बीच मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के अधीन खाद्य और नागरिक आपूर्ति एवं श्रम राज्य मंत्री के रूप में भी काम किया था.

बाबा सिद्दीकी ने साल 1992 से साल 1997 के बीच लगातार

2 कार्यकालों के लिए नगरनिगम पार्षद के रूप में भी काम किया था. अपनी मौत से पहले उन्होंने मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ उपाध्यक्ष और महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति के संसदीय बोर्ड के रूप में काम किया था.

8 फरवरी, 2024 को उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और 12 फरवरी, 2024 को वे अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे.

बाबा सिद्दीकी का संबंध अंडरवर्ल्ड गैंग से माना जाता है. कहते हैं कि वे दाऊद इब्राहिम के करीबी थे. इसी के साथ वे कई फिल्म कलाकारों के भी करीबी दोस्त थे, जिन में सुनील दत्त का नाम भी शामिल था.

साल 2005 में सुनील दत्त की मौत के बाद भी बाबा सिद्दीकी उन के घर पर आते रहे थे. राजनीति में वे प्रिया दत्त के गुरु थे, लेकिन बाद में उन्होंने संजय दत्त को छोड़ कर बाकी दत्त परिवार से खुद को अलग कर लिया था.

फिल्म कलाकार सलमान खान और बाबा सिद्दीकी 2 दशकों से भी ज्यादा समय से करीबी दोस्त थे. सलमान खान हमेशा बाबा सिद्दीकी की सालाना इफ्तार पार्टियों में शामिल होते थे. वे हर मुश्किल समय में एकदूसरे के साथ खड़े रहते थे. वैसे, अनेक फिल्म हस्तियों के घर पर बाबा सिद्दीकी का उठनाबैठना था.

राजनीति में रहते और अंडरवर्ल्ड से नजदीकियों के चलते बाबा सिद्दीकी ने अथाह दौलत बना ली थी. इंफोर्समैंट डायरैक्टर (ईडी) ने साल 2018 में बाबा सिद्दीकी की 462 करोड़ रुपए की संपत्ति को अटैच किया था. यह संपत्ति बांद्रा (वैस्ट) में थी और इसे धन शोधन निरोधक अधिनियम के तहत जब्त किया गया था.

एजेंसी यह जांच कर रही थी कि क्या बाबा सिद्दीकी ने साल 2000 से साल 2004 तक महाराष्ट्र हाउसिंग और एरिया डवलपमैंट अथौरिटी के चेयरमैन के रूप में अपने पद का गलत इस्तेमाल कर पिरामिड डवलपर्स को बांद्रा में विकसित हो रहे स्लम रिहैबिलिटेशन अथौरिटी प्रोजैक्ट में मदद की थी. इस कथित घोटाले की रकम 2,000 करोड़ रुपए बताई गई थी.

कयास लगाए जा रहे हैं कि स्लम रिहैबिलिटेशन अथौरिटी रीडवलपमैंट का मामला भी बाबा सिद्दीकी की हत्या की वजह हो सकती है, क्योंकि कुछ रोज पहले से इस मामले में बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी, जो खुद एक नेता हैं, इस का विरोध कर रहे थे. ईडी इस मामले में बाबा सिद्दीकी की गिरफ्तारी की तैयारी में भी थी कि तभी उन की हत्या हो गई.

अगर बाबा सिद्दीकी को ईडी अरैस्ट करती तो जाहिर है स्लम घोटाले से ही नहीं, बल्कि बौलीवुड और अंडरवर्ल्ड के बीच कई रिश्तों से भी परदा उठता. कई राज बाहर आते.

रौ के एक अफसर रह चुके एनके सूद का कहना है कि बाबा सिद्दीकी अंडरवर्ल्ड और बौलीवुड के बीच मीडिएटर थे. दाऊद की डी कंपनी से उन के आज भी काफी नजदीकी संबंध थे.

उधर लौरैंस बिश्नोई और डी कंपनी के बीच दुश्मनी की कहानी भी बांची जा रही है और कहा जा रहा है कि बिश्नोई गैंग डी कंपनी को खत्म कर उस की जगह लेने की फिराक में है और बाबा सिद्दीकी की हत्या कर उस ने डी कंपनी को चुनौती दी है. ऐसे में लौरैंस बिश्नोई, दाऊद इब्राहिम या 462  करोड़ की प्रौपर्टी… बाबा सिद्दीकी की हत्या के पीछे बड़ा राज छिपा है.

इसी बीच देश में कई जगहों पर बहुत बड़ी मात्रा में ड्रग्स पकड़ी गई हैं. इतनी भारी मात्रा में ड्रग्स का देश के भीतर आना और खपाया जाना बहुत बड़ी चिंता को जन्म देता है.

ड्रग्स का इस्तेमाल नौजवान तबका ज्यादा करता है. स्कूल, कालेज, औफिस से ले कर गांवदेहातों तक नौजवानों के बीच ड्रग्स की खपत बढ़ रही है. जाहिर है कि एक बहुत बड़ी साजिश के तहत देश के नौजवानों को कमजोर किया जा रहा है.

जिस दिन बाबा सिद्दीकी की हत्या हुई, उसी दिन यानी 12 अक्तूबर, 2024 को दिल्ली पुलिस की स्पैशल ब्रांच और गुजरात पुलिस ने एक सा?ा अभियान में गुजरात के भरूच जिले के अंकलेश्वर से 518 किलो हेरोइन जब्त की. इंटरनैशनल मार्केट में इस की कीमत 5,000 करोड़ रुपए आंकी गई है.

इस से पहले 10 अक्तूबर, 2024 को दिल्ली पुलिस ने पश्चिमी दिल्ली के रमेश नगर में एक दुकान से नमकीन के पैकेट में रखी 208 किलो कोकीन बरामद की थी.

इस कोकीन की कीमत इंटरनैशनल मार्केट में तकरीबन 2,000 करोड़ रुपए आंकी गई है. यह ड्रग्स रमेश नगर की एक पतली गली में बनी एक दुकान में 20 पैकेटों में रखी थी और इस की आगे डिलीवरी की जानी थी.

वहीं, 1 अक्तूबर, 2024 को दिल्ली पुलिस ने महिपालपुर इलाके में एक वेयरहाउस से 562 किलो हेरोइन और 40 किलो हाइड्रोपोनिक गांजा बरामद किया था. जो ड्रग्स महिपालपुर से पकड़ी गई है, वह भारत के बाहर से लाई गई थी. 562 किलो कोकीन के अलावा जो 40 किलो हाइड्रोपोनिक गांजा पकड़ा गया था, जो थाईलैंड से आया था.

स्पैशल सैल के एक अफसर के मुताबिक, 1 अक्तूबर और 10 अक्तूबर को दिल्ली के 2 अलगअलग इलाकों से जो ड्रग्स बरामद की गई, वह एक ही ड्रग्स रैकेट से संबंधित है. गुजरात के भरूच से बरामद ड्रग्स भी इसी रैकेट से जुड़ी है.

5 अक्तूबर, 2024 को गुजरात पुलिस ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ मिल कर भोपाल की एक फैक्टरी से 907 किलो मेफेड्रोन (एमडी) ड्रग्स बरामद की, जिस की कीमत इंटरनैशनल मार्केट में 1,814 करोड़ रुपए आंकी गई.

तकरीबन 5,000 किलो कच्चा माल भी इस छापेमारी के दौरान बरामद किया गया. यह ड्रग्स भोपाल के बागोड़ा इंडस्ट्रियल ऐस्टेट में चल रही एक फैक्टरी से बरामद की गई थी.

देश में जिस तरह से बड़े पैमाने पर ड्रग्स पकड़ी जा रही है, यह हैरान करने वाली बात है. इस तरह के बड़ेबड़े ड्रग नैटवर्क भारत में कैसे काम कर रहे हैं? सीमापार से इतनी भारी मात्रा में ड्रग्स की खेप अंदर कैसे आ रही है? बौर्डर सिक्योरिटी फोर्स और खुफिया एजेंसियां क्या कर रही हैं? ड्रग नैटवर्क भारत की सीमा में कैसे ड्रग्स पहुंचाने में कामयाब हो रहे हैं? इस संबंध में अभी तक कोई बड़ा किंगपिन गिरफ्तार क्यों नहीं हुआ? ये सवाल बड़े अहम हैं.

बड़ी तादाद में ड्रग्स का पकड़ा जाना यह भी बताता है कि भारतीय बाजार में ड्रग्स की मांग बढ़ रही है और इसलिए ही इस की सप्लाई बढ़ी है. अगर डिमांड नहीं बढ़ती तो इतनी बड़ी मात्रा में सप्लाई नहीं होती. इस कारोबार में पैसा भी बहुत है, इसलिए अपराधी इस की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं.

पुलिस के ऐक्शन से पता चलता है कि ड्रग्स तस्करी के नैटवर्क और संगठित हुए हैं. हाल के सालों में ड्रग्स से जुड़े अपराध बहुत तेजी से बढ़े हैं.

गौरतलब है कि लौरैंस बिश्नोई को भी अगस्त, 2023 में सीमा पार से ड्रग्स की तस्करी के एक मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल से साबरमती सैंट्रल जेल में भेजा गया था.

साफ है कि जो गिरोह आतंक और हत्या का धंधा चला रहे हैं, वही ड्रग्स और जिस्मफरोशी का कारोबार भी कर रहे हैं. और यह सब उन के राजनीतिक आकाओं के संरक्षण में फलफूल रहा है.

भारत नौजवानों का देश है. यहां 18 से 30 साल की उम्र वाले लोगों की तादाद सब से ज्यादा है. यह ऊर्जा का काफी बड़ा और बहुत शक्तिशाली पुंज है. लेकिन मोदी सरकार इस शक्ति को देश के विकास में इस्तेमाल नहीं कर पा रही है. सरकार इन नौजवानों को रोजगार नहीं दे पा रही है.

लाखोंकरोड़ों नौजवान आज भी बेरोजगार हैं, जिन्हें थोड़े से पैसे का लालच दे कर बहुत ही आसानी से बरगलाया जा सकता है. चंद रुपयों के लालच में ये किसी की भी जान ले सकते हैं. हत्या, अपहरण, देह व्यापार और नशे के कारोबार को बढ़ाने में यही नौजवान तबका बहुत बड़ा रोल निभा रहा है.

लौरैंस बिश्नोई या दाऊद इब्राहिम की तथाकथित डी कंपनी ऐसे ही बेरोजगार नौजवानों का इस्तेमाल कर रही है. वे इन्हें पैसे और हथियार मुहैया करा रहे हैं.

बाबा सिद्दीकी की हत्या में जितने नौजवान पुलिस की गिरफ्त में आते जा रहे हैं, वे सभी गरीब घरों के बेरोजगार हैं, जो मजदूरी के इरादे से महानगरों की तरफ गए और बड़ी आसानी से अपराधी गिरोहों के जाल में फंस गए. इन के पास से विदेशी असलहे भी बरामद हुए हैं.

पति ने दिया बेवफा पत्नी और उसके लवर को अंजाम

मंगलवार की शाम लगभग 4 बजे का समय था. उसी समय आगरा जिले के थाना मनसुखपुरा में खून से सने हाथ और कपड़ों में एक युवक पहुंचा. पहरे की ड्यूटी पर तैनात सिपाही के पास जा कर वह बोला, ‘‘स…स…साहब, बड़े साहब कहां हैं, मुझे उन से कुछ बात कहनी है.’’

थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिंह उस समय थाना प्रांगण में धूप में बैठे कामकाज निपटा रहे थे. उन्होंने उस युवक की बात सुन ली थी, नजरें उठा कर उन्होंने उस की ओर देखा और सिपाही से अपने पास लाने को कहा. सिपाही उस शख्स को थानाप्रभारी के पास ले गया. थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिंह उस से कुछ पूछते, इस से पहले ही वह शख्स बोला, ‘‘साहब, मेरा नाम ऋषि तोमर है. मैं गांव बड़ापुरा में रहता हूं. मैं अपनी पत्नी और उस के प्रेमी की हत्या कर के आया हूं. दोनों की लाशें मेरे घर में पड़ी हुई हैं.’’

ऋषि तोमर के मुंह से 2 हत्याओं की बात सुन कर ओमप्रकाश सिंह दंग रह गए. युवक की बात सुन कर थानाप्रभारी के पैरों के नीचे से जैसे जमीन ही खिसक गई. वहां मौजूद सभी पुलिसकर्मी ऋषि को हैरानी से देखने लगे.

थानाप्रभारी के इशारे पर एक सिपाही ने उसे हिरासत में ले लिया. ओमप्रकाश सिंह ने टेबल पर रखे कागजों व डायरी को समेटा और ऋषि को अपनी जीप में बैठा कर मौकाएवारदात पर निकल गए.

हत्यारोपी ऋषि तोमर के साथ पुलिस जब मौके पर पहुंची तो वहां का मंजर देख होश उड़ गए. कमरे में घुसते ही फर्श पर एक युवती व एक युवक के रक्तरंजित शव पड़े दिखाई दिए. कमरे के अंदर ही चारपाई के पास फावड़ा पड़ा था.

दोनों मृतकों के सिर व गले पर कई घाव थे. लग रहा था कि उन के ऊपर उसी फावडे़ से प्रहार कर उन की हत्या की गई थी. कमरे का फर्श खून से लाल था. थानाप्रभारी ने अपने उच्चाधिकारियों को घटना से अवगत कराया.

डबल मर्डर की जानकारी मिलते ही मौके पर एसपी (पश्चिमी) अखिलेश नारायण सिंह, सीओ (पिनाहट) सत्यम कुमार पहुंच गए. उन्होंने थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिंह से घटना की जानकारी ली. वहीं पुलिस द्वारा मृतक युवक दीपक के घर वालों को भी सूचना दी गई.

कुछ ही देर में दीपक के घर वाले रोतेबिलखते घटनास्थल पर आ गए थे. इस बीच मौके पर भीड़ एकत्र हो गई. ग्रामीणों को पुलिस के आने के बाद ही पता चला था कि घर में 2 मर्डर हो गए हैं. इस से गांव में सनसनी फैल गई. जिस ने भी घटना के बारे में सुना, दंग रह गया.

दोहरे हत्याकांड ने लोगों का दिल दहला दिया. पुलिस ने आला कत्ल फावड़ा और दोनों लाशों को कब्जे में लेने के बाद लाशें पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दीं. इस के बाद थानाप्रभारी ने हत्यारोपी ऋषि तोमर से पूछताछ की तो इस दोहरे हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के जिला आगरा के थाना मनसुखपुरा के गांव बड़ापुरा के रहने वाले ऋषि तोमर की शादी लक्ष्मी से हुई थी. लक्ष्मी से शादी कर के ऋषि तो खुश था, लेकिन लक्ष्मी उस से खुश नहीं थी. क्योंकि ऋषि उस की चाहत के अनुरूप नहीं था.

ऋषि मेहनती तो था, लेकिन उस में कमी यह थी कि वह सीधासादा युवक था. वह ज्यादा पढ़ालिखा भी नहीं था. बड़ापुरा में कोई अच्छा काम न मिलने पर वह दिल्ली जा कर नौकरी करने लगा.

करीब 2 साल पहले की बात है. ससुराल में ही लक्ष्मी की मुलाकात यहीं के रहने वाले दीपक से हो गई. दोनों की नजरें मिलीं तो उन्होंने एकदूसरे के दिलों में जगह बना ली.

पहली ही नजर में खूबसूरत लक्ष्मी पर दीपक मर मिटा था तो गबरू जवान दीपक को देख कर लक्ष्मी भी बेचैन हो उठी थी. एकदूसरे को पाने की चाहत में उन के मन में हिलोरें उठने लगीं. पर भीड़ के चलते वे आपस में कोई बात नहीं कर सके थे, लेकिन आंखों में झांक कर वे एकदूसरे के दिल की बातें जरूर जान गए थे.

बाजार में मुलाकातों का सिलसिला चलने लगा. मौका मिलने पर वे बात भी करने लगे. दीपक लक्ष्मी के पति ऋषि से स्मार्ट भी था और तेजतर्रार भी. बलिष्ठ शरीर का दीपक बातें भी मजेदार करता था. भले ही लक्ष्मी के 3 बच्चे हो गए थे, लेकिन शुरू से ही उस के मन में पति के प्रति कोई भावनात्मक लगाव पैदा नहीं हुआ था.

लक्ष्मी दीपक को चाहने लगी थी. दीपक हर हाल में उसे पाना चाहता था. लक्ष्मी ने दीपक को बता दिया था कि उस का पति दिल्ली में नौकरी करता है और वह बड़ापुरा में अपनी बेटी के साथ अकेली रहती है, जबकि उस के 2 बच्चे अपने दादादादी के पास रहते थे.

मौका मिलने पर लक्ष्मी ने एक दिन दीपक को फोन कर अपने गांव बुला लिया. वहां पहुंच कर इधरउधर की बातों और हंसीमजाक के बीच दीपक ने लक्ष्मी का हाथ अपने हाथ में ले लिया. लक्ष्मी ने इस का विरोध नहीं किया.

दीपक के हाथों का स्पर्श कुछ अलग था. लक्ष्मी का हाथ अपने हाथ में ले कर दीपक सुधबुध खो कर एकटक उस के चेहरे पर निगाहें टिकाए रहा. फिर लक्ष्मी भी सीमाएं लांघने लगी. इस के बाद दोनों ने मर्यादा की दीवार तोड़ डाली.

एक बार हसरतें पूरी होने के बाद उन की हिम्मत बढ़ गई. अब दीपक को जब भी मौका मिलता, उस के घर पहुंच जाता था. ऋषि के दिल्ली जाते ही लक्ष्मी उसे बुला लेती फिर दोनों ऐश करते. अवैध संबंधों का यह सिलसिला करीब 2 सालों तक ऐसे ही चलता रहा.

लेकिन उन का यह खेल ज्यादा दिनों तक लोगों की नजरों से छिप नहीं सका. किसी तरह पड़ोसियों को लक्ष्मी और दीपक के अवैध संबंधों की भनक लग गई. ऋषि के परिचितों ने कई बार उसे उस की पत्नी और दीपक के संबंधों की बात बताई.

लेकिन वह इतना सीधासादा था कि उस ने परिचितों की बातों पर ध्यान नहीं दिया. क्योंकि उसे अपनी पत्नी पर पूरा विश्वास था, जबकि सच्चाई यह थी कि लक्ष्मी पति की आंखों में धूल झोंक कर हसरतें पूरी कर रही थी.

4 फरवरी, 2019 को ऋषि जब दिल्ली से अपने गांव आया तो उस ने अपनी पत्नी और दीपक को ले कर लोगों से तरहतरह की बातें सुनीं. अब ऋषि का धैर्य जवाब देने लगा. अब उस से पत्नी की बेवफाई और बेहयाई बिलकुल बरदाश्त नहीं हो रही थी. उस ने तय कर लिया कि वह पत्नी की सच्चाई का पता लगा कर रहेगा.

ऋषि के दिल्ली जाने के बाद उस की बड़ी बेटी अपनी मां लक्ष्मी के साथ रहती थी और एक बेटा और एक बेटी दादादादी के पास गांव राजाखेड़ा, जिला धौलपुर, राजस्थान में रहते थे.

ऋषि के दिमाग में पत्नी के चरित्र को ले कर शक पूरी तरह बैठ गया था. वह इस बारे में लक्ष्मी से पूछता तो घर में क्लेश हो जाता था. पत्नी हर बार उस की कसम खा कर यह भरोसा दिला देती थी कि वह गलत नहीं है बल्कि लोग उसे बेवजह बदनाम कर रहे हैं.

घटना से एक दिन पूर्व 4 फरवरी, 2019 को ऋषि दिल्ली से गांव आया था. दूसरे दिन उस ने जरूरी काम से रिश्तेदारी में जाने तथा वहां 2 दिन रुक कर घर लौटने की बात लक्ष्मी से कही थी. बेटी स्कूल गई थी. इत्तफाक से ऋषि अपना मोबाइल घर भूल गया था, लेकिन लक्ष्मी को यह पता नहीं था. करीब 2 घंटे बाद मोबाइल लेने जब घर आया तो घर का दरवाजा अंदर से बंद था.

उस ने दरवाजा थपथपाया. पत्नी न तो दरवाजा खोलने के लिए आई और न ही उस ने अंदर से कोई जवाब दिया. तो ऋषि को गुस्सा आ गया और उस ने जोर से धक्का दिया तो कुंडी खुल गई.

जब वह कमरे के अंदर पहुंचा तो पत्नी और उस का प्रेमी दीपक आपत्तिजनक स्थिति में थे. यह देख कर उस का खून खौल उठा. पत्नी की बेवफाई पर ऋषि तड़प कर रह गया. वह अपना आपा खो बैठा. अचानक दरवाजा खुलने से प्रेमी दीपक सकपका गया था.

ऋषि ने सोच लिया कि वह आज दोनों को सबक सिखा कर ही रहेगा. गुस्से में आगबबूला हुए ऋषि कमरे से बाहर आया.

वहां रखा फावड़ा उठा कर उस ने दीपक पर ताबड़तोड़ प्रहार किए. पत्नी लक्ष्मी उसे बचाने के लिए आई तो फावड़े से प्रहार कर उस की भी हत्या कर दी. इस के बाद दोनों की लाशें कमरे में बंद कर वह थाने पहुंच गया.

ऋषि ने पुलिस को बताया कि उसे दोनों की हत्या पर कोई पछतावा नहीं है. यह कदम उसे बहुत पहले ही उठा लेना चाहिए था. पत्नी ने उस का भरोसा तोड़ा था. उस ने तो पत्नी पर कई साल भरोसा किया.

उधर दीपक के परिजन इस घटना को साजिश बता रहे थे. उन का आरोप था कि दीपक को फोन कर के ऋषि ने अपने यहां बहाने से बुलाया था. घर में बंधक बना कर उस की हत्या कर दी गई. उन्होंने शक जताया कि इस हत्याकांड में अकेला ऋषि शामिल नहीं है, उस के साथ अन्य लोग भी जरूर शामिल रहे होंगे.

मृतक दीपक के चाचा राजेंद्र ने ऋषि तोमर एवं अज्ञात के खिलाफ तहरीर दे कर हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई.

पुलिस ने हत्यारोपी ऋषि से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया.

उधर पोस्टमार्टम के बाद लक्ष्मी के शव को लेने उस के परिवार के लोग नहीं पहुंचे, जबकि दीपक के शव को उस के घर वाले ले गए.

हालांकि मृतका लक्ष्मी के परिजनों से पुलिस ने संपर्क भी किया, लेकिन उन्होंने अनसुनी कर दी. इस के बाद पुलिस ने लक्ष्मी के शव का अंतिम संस्कार कर दिया. थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिंह मामले की तफ्तीश कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

एमडी का अपहरण, क्या प्यार थी वजह

हैदराबाद निवासी के. श्रीकांत रेड्डी नैचुरल पावर एशिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे. हैदराबाद की यह कंपनी भारत के विभिन्न राज्यों में सरकारी कामों का ठेका ले कर काम करती है. इस कंपनी को राजस्थान के जिला बाड़मेर के अंतर्गत आने वाले उत्तरलाई गांव के पास सोलर प्लांट के निर्माण कार्य का ठेका मिला था.

बड़ी कंपनियां प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए छोटीछोटी कंपनियों को अलगअलग काम का ठेका दे देती हैं. नैचुरल पावर एशिया प्रा. लि. कंपनी ने भी इस सोलर प्लांट प्रोजेक्ट का टेंडर सबलेट कर दिया था.

बंगलुरू की इस सबलेट कंपनी ने बाड़मेर और स्थानीय ठेकेदारों को प्लांट का कार्य दे दिया. ठेकेदार काम करने में जुट गए.

तेज गति से काम चल रहा था कि इसी बीच नैचुरल पावर एवं सबलेट कंपनी के बीच पैसों को ले कर विवाद हो गया. ऐसे में सबलेट कंपनी रातोंरात काम अधूरा छोड़ कर स्थानीय ठेकेदारों का लाखों रुपयों का भुगतान किए बिना भाग खड़ी हुई.

स्थानीय ठेकेदारों को जब पता चला कि सबलेट कंपनी उन का पैसा दिए बगैर भाग गई है तो उन के होश उड़ गए क्योंकि सबलेट कंपनी ने इन ठेकेदारों से करोड़ों का काम करवाया था, मगर रुपए आधे भी नहीं दिए थे. स्थानीय ठेकेदार नाराज हो गए. उन्होंने एमइएस के अधिकारियों से मिल कर अपनी पीड़ा बताई. एमइएस को इस सब से कोई मतलब नहीं था.

मगर जब काम बीच में ही रुक गया तो एमईएस ने मूल कंपनी नैचुरल पावर एशिया प्रा. लि. से कहा कि वह रुके हुए प्रोजेक्ट को पूरा करे. तब कंपनी ने अपने एमडी के. श्रीकांत रेड्डी को हैदराबाद से उत्तरलाई (बाड़मेर) काम देखने व पूरा करने के लिए भेजा. के. श्रीकांत रेड्डी अपने मित्र सुरेश रेड्डी के साथ उत्तरलाई (बाड़मेर) पहुंच गए. यह बात 21 अक्तूबर, 2019 की है.

वे दोनों राजस्थान के उत्तरलाई में पहुंच चुके थे. जब ठेकेदारों को यह जानकारी मिली तो उन्होंने अपना पैसा वसूलने के लिए दोनों का अपहरण कर के फिरौती के रूप में एक करोड़ रुपए वसूलने की योजना बनाई.

ठेकेदारों ने अपने 3 साथियों को लाखों रुपए का लालच दे कर इस काम के लिए तैयार कर लिया. यह 3 व्यक्ति थे. शैतान चौधरी, विक्रम उर्फ भीखाराम और मोहनराम. ये तीनों एक योजना के अनुसार 22 अक्तूबर को के. श्रीकांत रेड्डी और सुरेश रेड्डी से उन की मदद करने के लिए मिले.

श्रीकांत रेड्डी एवं सुरेश रेड्डी मददगारों के झांसे में आ गए. तीनों उन के साथ घूमने लगे और उसी शाम उन्होंने के. श्रीकांत और सुरेश रेड्डी का अपहरण कर लिया. अपहर्त्ताओं ने सुनसान रेत के धोरों में दोनों के साथ मारपीट की, साथ ही एक करोड़ रुपए की फिरौती भी मांगी.

अपहर्त्ताओं ने उन्हें धमकाया कि अगर रुपए नहीं दिए तो उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा. अनजान जगह पर रेड्डी दोस्त बुरे फंस गए थे. ऐसे में क्या करें, यह बात उन की समझ में नहीं आ रही थी. दोनों दोस्त तेलुगु भाषा में एकदूसरे को तसल्ली दे रहे थे.

चूंकि अपहर्त्ता केवल हिंदी और राजस्थान की लोकल भाषा ही जानते थे, इसलिए रेड्डी बंधुओं की भाषा नहीं समझ पा रहे थे. यह बात रेड्डी बंधुओं के लिए ठीक थी. इसलिए वे अपहर्त्ताओं के चंगुल से छूटने की योजना बनाने लगे.

अपहर्त्ता मारपीट कर के दिन भर उन्हें इधरउधर रेत के धोरों में घुमाते रहे. इस के बाद एक अपहर्त्ता ने के. श्रीकांत रेड्डी से कहा, ‘‘एमडी साहब अगर आप एमडी हो तो अपने घर वालों के लिए हो, हमारे लिए तो सोने का अंडा देने वाली मुरगी हो. इसलिए अपने घर पर फोन कर के एक करोड़ रुपए हमारे बैंक खाते में डलवा दो, वरना आप की जान खतरे में पड़ सकती है.’’ कह कर उस ने फोन के श्रीकांत रेड्डी को दे दिया.

श्रीकांत रेड्डी बहुत होशियार और समझदार व्यक्ति थे. वह फर्श से अर्श तक पहुंचे थे. उन्होंने गरीबी देखी थी. गरीबी से उठ कर वह इस मुकाम तक पहुंचे थे.

श्रीकांत करोड़पति व्यक्ति थे. वह चाहते तो करोड़ रुपए अपहर्त्ताओं को फिरौती दे कर खुद को और अपने दोस्त सुरेश रेड्डी को मुक्त करा सकते थे, मगर वह डरपोक नहीं थे. वह किसी भी कीमत पर फिरौती न दे कर अपने दोस्त और खुद की जान बचाना चाहते थे.

अपहत्ताओं ने अपने मोबाइल से के. श्रीकांत रेड्डी के पिता से उन की बात कराई. श्रीकांत रेड्डी ने तेलुगु भाषा में अपने पिताजी से बात कर कहा, ‘‘डैडी, मेरा और सुरेश का उत्तरलाई (बाड़मेर) के 3 लोगों ने अपहरण कर लिया है और एक करोड़ रुपए की फिरौती मांग रहे हैं. आप इन के खाते में किसी भी कीमत पर रुपए मत डालना.

‘‘जिस बैंक में मेरा खाता है, वहां के बैंक मैनेजर से मेरी बात कराना. आप चिंता मत करना, ये लोग हमारा बाल भी बांका नहीं करेंगे. हमें मारने की सिर्फ धमकियां दे सकते हैं ताकि रुपए ऐंठ सकें. आप बैंक जा कर मैनेजर से मेरी बात कराना. बाकी मैं देख लूंगा.’’

इस स्थिति में भी उन्होंने धैर्य और साहस से काम लिया. उन्होंने नैचुरल पावर कंपनी के अन्य अधिकारियों को भी यह बात बता दी. इस के बाद वह कंपनी के अधिकारियों के साथ हैदराबाद की उस बैंक में पहुंचे, जहां श्रीकांत रेड्डी का खाता था.

श्रीकांत रेड्डी ने बैंक मैनेजर को मोबाइल पर सारी बात बता कर कहा, ‘‘मैनेजर साहब, मैं अपने दोस्त के साथ बाड़मेर में कंपनी का काम देखने आया था, लेकिन मददगार बन कर आए 3 लोगों ने हमारा अपहरण कर लिया और एक करोड़ की फिरौती मांग रहे हैं. आप से मेरा निवेदन है कि आप 25 लाख रुपए का आरटीजीएस करवा दो.

‘‘लेकिन ध्यान रखना कि यह धनराशि जारी करते ही तुरंत रद्द हो जाए. ताकि अपहर्त्ताओं को धनराशि खाते में आने का मैसेज उन के फोन पर मिल जाए लेकिन बदमाशों को रुपए नहीं मिले.’’ उन्होंने यह बात तेलुगु और अंग्रेजी में बात की थी, जिसे अपहर्त्ता नहीं समझ सके.

बैंक मैनेजर ने ऐसा ही किया. बदमाशों से एमडी के पिता और कंपनी के अधिकारी लगातार बात करते रहे और झांसा देते रहे कि जैसे ही 75 लाख रुपए का जुगाड़ होता है, उन के खाते में डाल दिए जाएंगे. चूंकि एक अपहर्त्ता के फोन पर खाते में 25 लाख रुपए जमा होने का मैसेज आ गया था इसलिए वह मान कर चल रहे थे कि उन्हें 25 लाख रुपए तो मिल चुके हैं और बाकी के 75 लाख भी जल्द ही मिल जाएंगे.

अपहर्त्ताओं ने के. श्रीकांत रेड्डी से स्टांप पेपर पर भी लिखवा लिया था कि वह ये पैसा ठेके के लिए दे रहे हैं. अपहर्त्ता अपनी योजना से चल रहे थे, वहीं एमडी, उन के पिता और कंपनी मैनेजर अपनी योजना से चल रहे थे.

उधर नैचुरल पावर कंपनी के अधिकारी ने 24 अक्तूबर, 2019 को हैदराबाद से बाड़मेर पुलिस कंट्रोल रूम को कंपनी के एमडी के. श्रीकांत रेड्डी और उन के दोस्त सुरेश रेड्डी के अपहरण और अपहत्ताओं द्वारा एक करोड़ रुपए फिरौती मांगे जाने की जानकारी दे दी. कंपनी अधिकारी ने वह मोबाइल नंबर भी पुलिस को दे दिया, जिस से अपहर्त्ता उन से बात कर रहे थे.

बाड़मेर पुलिस कंट्रोल रूम ने यह जानकारी बाड़मेर के एसपी शरद चौधरी को दी. एसपी शरद चौधरी ने उसी समय बाड़मेर एएसपी खींव सिंह भाटी, डीएसपी विजय सिंह, बाड़मेर थाना प्रभारी राम प्रताप सिंह, थानाप्रभारी (सदर) मूलाराम चौधरी, साइबर सेल प्रभारी पन्नाराम प्रजापति, हैड कांस्टेबल महीपाल सिंह, दीपसिंह चौहान आदि की टीम को अपने कार्यालय बुलाया.

एसपी शरद चौधरी ने पुलिस टीम को नैचुरल पावर कंपनी के एमडी और उन के दोस्त का एक करोड़ रुपए के लिए अपहरण होने की जानकारी दी उन्होंने अतिशीघ्र उन दोनों को सकुशल छुड़ाने की काररवाई करने के निर्देश दिए. उन्होंने टीम के निर्देशन की जिम्मेदारी सौंपी एएसपी खींव सिंह भाटी को.

इस टीम ने तत्काल अपना काम शुरू कर दिया. साइबर सेल और पुलिस ने कंपनी के मैनेजर द्वारा दिए गए मोबाइल नंबरों की काल ट्रेस की तो पता चला कि उन नंबरों से जब काल की गई थी, तब उन की लोकेशन सियाणी गांव के पास थी.

बस, फिर क्या था. बाड़मेर पुलिस की कई टीमों ने अलगअलग दिशा से सियाणी गांव की उस जगह को घेर लिया जहां से अपहत्ताओं ने काल की थी. पुलिस सावधानीपूर्वक आरोपियों को दबोचना चाहती थी, ताकि एमडी और उन के साथी सुरेश को सकुशल छुड़ाया जा सके.

पुलिस के पास यह जानकारी नहीं थी कि अपहर्त्ताओं के पास कोई हथियार वगैरह है या नहीं? पुलिस टीमें सियाणी पहुंची तो अपहर्ता सियाणी से उत्तरलाई होते हुए बाड़मेर पहुंच गए. आगेआगे अपहर्त्ता एमडी रेड्डी और उन के दोस्त सुरेश रेड्डी को गाड़ी में ले कर चल रहे थे. उन के पीछेपीछे पुलिस की टीमें थीं.

एसपी शरद चौधरी के निर्देश पर बाड़मेर शहर और आसपास की थाना पुलिस ने रात से ही नाकाबंदी कर रखी थी. अपहर्त्ता बाड़मेर शहर पहुंचे और उन्होंने बाड़मेर शहर में जगहजगह पुलिस की नाकेबंदी देखी तो उन्हें शक हो गया. वे डर गए.

वे लोग के. श्रीकांत रेड्डी और सुरेश रेड्डी को ले कर सीधे बाड़मेर रेलवे स्टेशन पहुंचे. बदमाशों ने दोनों अपहर्त्ताओं को बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर वाहन से उतारा. तभी पुलिस ने घेर कर 3 अपहर्त्ताओं शैतान चौधरी, भीखाराम उर्फ विक्रम एवं मोहनराम को गिरफ्तार कर लिया.

शैतान चौधरी और भीखाराम उर्फ विक्रम चौधरी दोनों सगे भाई थे. पुलिस तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर थाने ले आई. अपहरण किए गए हैदराबाद निवासी नैचुरल पावर एशिया प्रा. लि. कंपनी के एमडी के. श्रीकांत रेड्डी और उन के दोस्त सुरेश रेड्डी को भी थाने लाया गया.

पुलिस ने आरोपी अपहरण कार्ताओं के खिलाफ अपहरण, मारपीट एवं फिरौती का मुकदमा कायम कर पूछताछ की.

श्रीकांत रेड्डी ने बताया कि उत्तरलाई के पास सोलर प्लांट निर्माण का ठेका उन की नैचुरल पावर एशिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी हैदराबाद को मिला था.

उन की कंपनी ने यह काम सबलेट कंपनी बंगलुरु को दे दिया. सबलेट कंपनी ने स्थानीय ठेकेदारों को पावर प्लांट का कार्य ठेके पर दिया. कार्य पूरा होने से पूर्व सबलेट कंपनी और नैचुरल पावर एशिया कंपनी में पैसों के लेनदेन पर विवाद हो गया.

सबलेट कंपनी ने जितने में ठेका नैचुरल कंपनी से लिया था, उतना पेमेंट नैचुरल कंपनी ने सबलेट कंपनी को कर दिया. मगर काम ज्यादा था और पैसे कम थे. इस कारण सबलेट कंपनी ने और रुपए मांगे.

नैचुरल पावर कंपनी ने कहा कि जितने रुपए का ठेका सबलेट को दिया था, उस का पेमेंट हो चुका है. अब और रुपए नैचुरल कंपनी नहीं देगी.

तब सबलेट कंपनी सोलर प्लांट का कार्य अधूरा छोड़ कर भाग गई. सबलेट कंपनी ने स्थानीय ठेकेदारों को जो ठेके दिए थे, उस का पेमेंट भी सबलेट ने आधा दिया और आधा डकार गई. तब एमइएस ने मूल कंपनी नैचुरल पावर एशिया प्रा. लि. के एमडी को बुलाया. मददगार बन कर शैतान चौधरी, भीखाराम उर्फ विक्रम चौधरी और मोहनराम उन से मिले.

उन के लिए यह इलाका नया था. इसलिए उन्हें लगा कि वे अच्छे लोग होंगे, जो मददगार के रूप में उन्हें साइट वगैरह दिखाएंगे. मगर ये तीनों ठेकेदारों के आदमी थे, जो दबंग और आपराधिक प्रवृत्ति के थे.

इन्होंने ही उन का अपहरण कर एक करोड़ रुपए की फिरौती मांगी. एमडी रेड्डी ने इस अचानक आई आफत से निपटने के लिए अपनी तेलुगु और अंग्रेजी भाषा का प्रयोग कर के न सिर्फ स्वयं को बल्कि अपने दोस्त को भी बचा लिया.

पुलिस अधिकारियों ने थाने में तीनों अपहर्त्ताओं से पूछताछ की. पूछताछ में आरोपियों ने अपने अन्य साथियों के नाम बताए, जो इस मामले में शामिल थे और जिन के कहने पर ही इन तीनों ने एमडी और उन के दोस्त का अपहरण कर एक करोड़ की फिरौती मांगी थी.

तीनों अपहर्त्ताओं से पूछताछ के बाद पुलिस ने 25 अक्तूबर, 2019 को अर्जुनराम निवासी बलदेव नगर, बाड़मेर, कैलाश एवं कानाराम निवासी जायड़ु को भी गिरफ्तार कर लिया. इस अपहरण में कुल 6 आरोपी गिरफ्तार किए गए थे. आरोपियों को थाना पुलिस ने 26 अक्तूबर 2019 को बाड़मेर कोर्ट में पेश कर के उन्हें रिमांड पर ले लिया.

पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन लोगों का ठेकेदारी का काम है. कुछ ठेकेदार थे और कुछ ठेकेदारों के मुनीम व कमीशन पर काम ले कर करवाने वाले. अर्जुनराम, कैलाश एवं कानाराम छोटे ठेकेदार थे, जो ठेकेदार से लाखों रुपए का काम ले कर मजदूर और कारीगरों से काम कराते थे.

सबलेट कंपनी ने जिन बड़े ठेकेदारों को ठेके दिए थे. बड़े ठेकेदारों से इन्होंने भी लाखों रुपए का काम लिया था. मगर सबलेट कंपनी बीच में काम छोड़ कर बिना पैसे का भुगतान किए भाग गई तो इन का पैसा भी अटक गया.

मजदूर और कारीगर इन ठेकेदारों से रुपए मांगने लगे, क्योंकि उन्होंने मजदूरी की थी. जब ठेकेदारों ने पैसा नहीं दिया तो ये लोग परेशान हो गए.

ऐसे में इन लोगों ने जब नैचुरल पावर कंपनी के एमडी के आने की बात सुनी तो इन्होंने उस का अपहरण कर के फिरौती के एक करोड़ रुपए वसूलने की योजना बना ली.

इन लोगों ने सोचा था कि एक करोड़ रुपए वसूल लेंगे तो मजदूरों एवं कारीगरों का पैसा दे कर लाखों रुपए बच जाएंगे.

सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

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