बाबा रामदेव और सफेद झूठ

भगवा कपड़े पहन कर, योग के जरीए बाबा का खिताब हासिल कर रामदेव ने देश और दुनिया में खूब नाम कमाया और फिर दाम कमाने के चक्कर में वह सबकुछ कर डाला, जो मोहमाया में फंसे हुए आम लोग कर बैठते हैं.

सारे देश ने देखा कि जब बाबा रामदेव पर कानून का चाबुक चला तो देश की सुप्रीम अदालत में उन्हें बारबार माफी मांगनी पड़ी. नतीजतन, रामदेव ने योग सेवा में जो नाम कमाया था, उस पर दाग लग गया.

बाबा रामदेव को इस देश में बहुत प्यार दिया है. उन्होंने योग सेवा की देश में जो अलख जगाई है, उसे अपनेआप में खास कह सकते हैं, मगर पैसे के लालच में आ कर लगातार लोगों के विश्वास और आस्था का फायदा उठा कर उन्होंने जो काम किया है, वह माफी के काबिल नहीं कहा जा सकता और रामदेव का पूरी जिंदगी पीछा नहीं छोड़ेगा. सब से बड़ी बात तो यह है कि रामदेव ने शायद अभी तक सबक नहीं सीखा है, क्योंकि पतंजलि संस्थान और उस के बरताव में तबदीली नहीं आई है.

कहा जाता है कि जब कोई गेरुए कपड़े पहन लेता है तो वह मोहमाया से दूर हो जाता है और आध्यात्मिक जीवन जीता है. मगर इस के उलट बाबा रामदेव ने गेरुए कपड़े पहन कर अरबों रुपए का बिजनैस अंपायर खड़ा कर लिया. रुपए की यह चाहत उन की कम नहीं हो रही है, नतीजतन सफेद झूठ कह कर वे अनेक दवाएं बेचते रहे और मजे की बात तो यह है कि लोगों ने विश्वास कर के उन दवाओं को खरीदा भी. नरेंद्र मोदी की सरकार तो रामदेव के चरणों में लोट रही थी, पर देश की सब से बड़ी अदालत ने आखिरकार दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया.

बाबा रामदेव हाजिर हों

बाबा रामदेव से जुड़े एक और मामले के तहत कोझिकोड की एक अदालत से ताजा नोटिस आया है. मामला पतंजलि के ब्रांड एंबैसडर बाबा रामदेव व मैनेजिंग डायरैक्टर आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ इंगलिश और मलयालम अखबारों में फर्जी इश्तिहार छपवाने का है.

यह याचिका कोझिकोड के सहायक औषधि नियंत्रक कार्यालय में तैनात ड्रग्स इंस्पैक्टर द्वारा दायर की गई है. रामदेव पर आरोप है, ‘पतंजलि ने कुछ बीमारियों के इलाज का दावा करने वाली दवाओं के लिए भ्रामक विज्ञापन जारी करवाए थे.’

अब बाबा रामदेव को ड्रग्स और जादुई उपचार अधिनियम, 1954 की धारा 10, धारा 3(बी), 3 (डी) और 7 (ए) का सामना करना है. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कोझिकोड की एक लोअर कोर्ट में 3 जून, 2024 को पेश होना है.

दरअसल, पतंजलि के एक उत्पाद दिव्य लिपिडोम ने कोलैस्ट्रॉल और डिस्लिपिडेमिया को कम करने का दावा किया था. इस के अलावा पतंजलि के न्यूट्रेला डायबिटिक केयर ने ब्लड शुगर के लैवल को कम करने और शरीर के वजन को काबू में करने का दावा भी किया था. वहीं, कानूनन अधिनियम की धारा 3 (डी) कुछ बीमारियों और विकारों के इलाज के लिए कुछ दवाओं के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाती है. इस में कुसूर साबित होने पर 6 महीने तक की जेल या जुर्माना हो सकता है.

अच्छा तो यह होगा कि बाबा रामदेव ने योग का जो रास्ता अख्तियार किया है, वे केवल उस पर ही ध्यान दें. याद है हमें, जब बाबा रामदेव योग शिविर लगाते थे और लाखों लोग सीधे उन से जुड़ते थे. इस से उन की इज्जत बढ़ती गई थी. मगर जब से उन्होंने बिसकुट और दुनियाभर के सामान बेचने का बिजनैस शुरू किया है, तब से उन पर पैसे तो खूब बरस रहे हैं, मगर इज्जत जाती रही.

प्लास्टिक के बर्तन और जमीन पर बिछौना, जेल में यूं कटी पी. चिदंबरम की पहली रात

“सदा ऐश दौरां दिखाता नहीं, गया वक्त फिर हाथ आता नहीं…” ये शेर है जनाब मीर हसन साहब का. जिसमें वो बताते हैं कि हमेशा वक्त एक जैसा नहीं होता, जो वक्त गुजर जाता है फिर वो लौटकर नहीं आता.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं. चिदंबरम को तिहाड़ जेल के बैरक नंबर 7 में रखा गया है. कभी इस सेल में उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को भी रखा गया था. पी. चिदंबरम के लिए तिहाड़ जेल की दमघोंटू बैरक में रात-दिन गुजार पाना उतना आसान नहीं रहा जितना गृहमंत्री की कुर्सी पर बैठकर इसी तिहाड़ जेल का करोड़ों रुपये का बजट पास कराना आसान था. गुरुवार को शाम ढले जेल की देहरी पर पांव रखते ही उन्हें तिहाड़ जेल की खतरनाक हकीकत से दो-चार करा दिया गया. रुह कंपा देने वाला यह मंजर उनके सामने तब आया जेल के अदना से वार्डर ने उनसे कहा, ‘उल्टे हाथ का अंगूठा स्याही में रंगकर कागज पर लगाओ.’

कागज पर अंगूठा लगाने की प्रक्रिया के दौरान जेल की देहरी (ड्यूढ़ी) पर जेल और सीबीआई की टीम दोनों के अधिकारी मौजूद थे. यही वह वक्त था जब विचाराधीन हाईप्रोफाइल कैदी पी. चिदंबरम को सीबीआई की टीम जेल स्टाफ के हवाले करने संबंधी तमाम कानूनी और कागजाती खानापूर्ति कर रही थी. कैदी के लेन-देन के वक्त ही जेल स्टाफ पी. चिदंबरम से उनके परिवार वालों के नाम, पते, उम्र, संपर्क इत्यादि का ब्योरा पूछकर जेल रिकौर्ड में दर्ज किया. जेल में उनसे मिलने कौन-कौन आयेगा? उन तमाम संबंधित नामों की तालिका या ब्योरा भी चिदंबरम को जेल में प्रवेश के वक्त ही देना पड़ा.

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पी. चिदंबरम की उम्र 70 साल से ऊपर है. लिहाजा ऐसे में जेल पहुंचते ही जेल के चिकित्सक द्वारा उनका मेडिकल चैकअप किया गया. साथ ही संभव है कि मामला हाईप्रोफाइल होने के चलते किसी भी आपात स्थिति के लिए रात भर जेल में चिकित्सक को रोक लिया जाए, ताकि रात में रक्तचाप बगैरह की जांच तुरंत की जा सके.”

इसी जेल सूत्र के मुताबिक, “अमूमन पी. चिंदबरम जैसे हाईप्रोफाइल कैदी जब पहली बार जेल पहुंचते हैं तो उन्हें सबसे ज्यादा शिकायत रक्तचाप की ही अक्सर देखने में आई है. वे पहले से ही जांच एजेंसियों की पूछताछ से थके-हारे होते हैं. रही सही कसर तिहाड़ जेल में पहली बार रात काटने का भय पूरी कर देता है.”

जेल के एक सूत्र ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, “गुरुवार रात जेल पहुंचने के वक्त भी जेल चिकित्सकों ने चिदंबरम का स्वास्थ्य परीक्षण किया था, मगर उस वक्त उन्होंने इस हाईप्रोफाइल कैदी को सोने के लिए लकड़ी के तख्त की संस्तुति नहीं की थी. ऐसे में जेल जाने वाले देश के पहले पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम को जेल की कोठरी में पहली रात जमीन पर कंबलों को सहारे काटनी पड़ी.”

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चिदंबरम की पहली रात जेल में जैसे-तैसे कट गई. सुबह होते ही उन्होंने कोठरी के बाहर निकल कर थोड़े खुले वातावरण में खुली हवा लेने की इच्छा जाहिर की, तो जेल की सुरक्षा में तैनात वार्डन्स ने कोठरी के बाहर निकल कर टहलने की अनुमति उन्हें दे दी.”

चिदंबरम ने शुक्रवार सुबह जेल में बना नाश्ता ही लेने की इच्छा जताई. पूर्वाह्न् में जेल चिकित्सकों ने उनकी दुबारा स्वास्थ्य जांच की. इसी जांच के बाद चिकित्सकों ने जेल प्रशासन को आदेश दिया कि चिदंबरम को सोने के लिए लकड़ी का तख्त मुहैया कराया जाए.” जेल चिकित्सकों की सलाह के मुताबिक आज (शुक्रवार) लकड़ी का तख्त उन्हें (चिदंबरम) उपलब्ध करा दिया गया है.”

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