भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता को लेकर अंजना सिंह ने दिया ये बयान

अंजना सिंह भोजपुरी की हॉट केक कही जाने वाली अदाकारा अंजना सिंह ने 2008 से अब तक रवि किशन,पवन सिंह,दिनेश लाल यादव जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ मेनलीड में भोजपुरी फिल्में करती रही हैं.शुरूआती दौर में अंजना सिंह ने महज दो साल के अंदर 22 फिल्में साइन कर ली थीं.

भोजपुरी फिल्मों में उनकी पहचान उनकी बोल्ड अदाएं ही रही हैं. अंजना सिंह ने कई फिल्मों में अति बोल्ड गाने भी किए. मसलन फिल्म ‘‘मुन्ना मवाली’’ के गाने ‘‘लह लह लह जरता जवानी’’ में वह काफी सेक्सी अदाओं में नजर आयीं थी. फिर भी वह भोजपुरी फिल्मों की बजाय द्विअर्थी गीतों वाले म्यूजिक अलबमों को ही गलत ठहराती हैं.

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इन दिनों एक तरफ वह अपनी ‘‘बिछिया’,‘हमार स्वाभिमान’ और ‘लव एक्सप्रेस’ जैसी भोजपुरी फिल्मों को लेकर उत्साहित हैं, वहीं वह इन दिनों ‘‘दंगल टीवी’’ पर प्रसारित हो रहे सीरियल ‘‘नथ: जेवर या जंजीर’’ में पद्मा का किरदार निभाते हुए शोहरत बटोर रही हैं.

अपनी अब तक की यात्रा पर रोशनी डालेंगी?

मेरी यात्रा काफी रोचक रही है.मेरा जन्म बहराइच, उत्तरप्रदेश में हुआ. मेरी प्रारंभिक शिक्षा वहीं के स्कूल में हुई. मेरे पिता इंजीनियर हैं, तो हम लोग बाद में लखनउ में रहने लगे. इस तरह बाकी पढ़ाई लखनउ में हुई. बचपन से ही मैं हर सांस्कृतिक गतिविधि में हिस्सा लेती थी. पर फिल्म अभिनेत्री बनने के बारे में नहीं सोचा था. मैं तो एअर होस्टेस बनने का सपना देखा करती थी. मगर मुझे नृत्य व संगीत में भी रूचि थी.

जब मैं कालेज पहुंची, तो मैंने ब्यूटी कांटेस्ट में हिस्सा लिया और विजेता बनी. उसके बाद मैने ग्लाडरस के अलावा ‘‘जी सिनेस्टार की खोज’’ में भी हिस्सा लिया. और मुंबई आ गयी थी. यहां से रूचि बढ़ती गयी. मुंबई में जी सिनेस्टार के अन्य प्रतिभागियों को अभिनय करते देख मैने भी अभिनेत्री बनने की ठान ली. ऑडीशन देने के बाद मुझे टीवी सीरियल ‘‘भाग न बाचे कोई’’ में अभिनय करने का अवसर मिला. यह सीरियल मेरे लिए लक्की रहा.

इसके बाद मैंने रवि किशन के साथ पहली फिल्म ‘‘एक और फौलाद’’ मिली. इस फिल्म के प्रदर्शन से पहले ही मुझे दूसरी फिल्म ‘ट्क ड्रायवर’ मिल गयी थी. तब से लगातार काम करती जा रही हूं. बहराइच जैसे इलाके में पहले फिल्मों का इतना अधिक प्रसार नहीं था.

उत्तर प्रदेश व बिहार के परिवार की लड़कियों को फिल्मों से जुड़ने से रोका जाता रहा है. आपके साथ ऐसा कुछ हुआ?

पहली बात तो में बहराइच में कम रही हूं. मैं लखनउ में ही ज्यादा रही हूं. दूसरी बात मुझे लगता है कि वक्त बदल चुका है. अब हर माता पिता अपने बच्चे को मुंबई लाकर डांस या संगीत आदि के रियालिटी शो का हिस्सा बनवाकर उनकी प्रतिभा का विकास करवाने का प्रयास करता है. मेरे पिता इंजीनियर हैं. उनका मुझे पूरा सपोर्ट मिला. पर फिल्म इंडस्ट्री में लक बहुत मायने रखता है. मेरी तकदीर ने भी मेरा साथ दिया. मुझे ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा.

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आप भोजपुरी फिल्मों में स्टार अभिनेत्री बन गयी.मगर आपने हिंदी फिल्मों से दूरी बनाकर रखी?

-मैं हर काम को अपनी तरफ से सौ प्रतिशत देती हूं. शायद मेरी किस्मत में भोजपुरी फिल्मों से ही सर्वाधिक शोहरत पानी लिखी थी. वैसे कहा जाता है कि कहीं का भी राजा होना बेहतर है. तो मैं भोजपुरी फिल्मों की रानी हूं. लोग मेरा सम्मान करते हैं. मैने बहुत कम समय में काफी सिनेमा किया. भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में लोगों से मिले प्यार के चलते एक नाम बना हुआ है. लेकिन इसका यह अर्थ नही है कि हिंदी फिल्मों में मेरी रूचि नहीं है.

हर कलाकार चाहता है कि वह अपने कैरियर में और अधिक अलग सा तथा बेहतर काम करे. मेरा सपना हिंदी सिनेमा में अच्छा काम करने की है. मैं चाहती हूं कि जिस तरह से मैं भोजपुरी सिनेमा में अच्छा काम कर रही हूं, उसी तरह का बेहतरीन काम मुझे हिंदी सिनेमा में भी करने को मिले. तथा मैं बॉलीवुड में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व कर सकूं.

भोजपुरी सिनेमा पर अश्लीलता के आरोप लगते रहते हैं?

मैं इससे पूरी तरह से सहमत नहीं हूं. क्योंकि अब भोजपुरी सिनेमा में काफी बदलाव आए हैं. काफी वैचारिक, मकसदपूर्ण, गंभीर तथा यथार्थपरक फिल्में बन रही हैं.

भोजपुरी अभिनेता व सांसद रवि किशन ने संसद में भोजपुरी फिल्मों में बढ़ती अश्लीलता को लेकर आवाज उठायी.इसे आप किस तरह से देखती हैं?

-रवि किशन ने भोजपुरी सिनेमा को लेकर नहीं, बल्कि भोजपुरी भाषा में जो संगीत के अति अश्लील अलबम बन रहे हैं, उनके खिलाफ आवाज उठायी है. भोजपुरी भाषा में पिछले कुछ वर्षों से द्विअर्थी व अश्लील गाने गाए जा रहे हैं, ऐसे अश्लील व द्विअर्थी गानों के वीडियो बाजार में आ रहे हैं, जिसका हमारे बच्चों पर गलत असर पड़ रहा है. रवि किशन ने मांग की है कि इन म्यूजिक वीडियो को भी सिनेमा की ही तरह सेंसर किया जाना चाहिए. उनकी यह आवाज एकदम सही है.

देखिए,सिनेमा का ग्राफ एक अलग स्तर का होता है, लोग टिकट लेकर सिनेमाघर में फिल्म देखने जाते हैं. जबकि म्यूजिक वीडियो तो यूट्यूब पर मुफ्त में मिल रहा है. तथा दूसरे देश में बैठे लोग भोजपुरी के इन अश्लील गानों को देखकर भोजपुरी सिनेमा के प्रति गलत राय बनाते हैं. जबकि भोजपुरी सिनेमा में ‘ए’ ग्रेड फिल्मों का ग्राफ बहुत अलग होता है. कुछ नए लड़के या लड़कियां सोचते है कि भोजपुरी में द्विअर्थी व अयलील गीत गाकर वह सफलता के पायदान पर चढ़ जाएंगे. यह एक गलत सोच है.इस पर लगाम लगनी ही चाहिए.

इस वक्त आप कोई दूसरी भोजपुरी फिल्म कर रही हैं?

-जी हां! कर रही हूं. मेरी फिल्म ‘बिछिया’ का ट्रेलर बाजार में आ चुका है, जिसे काफी पसंद किया गया. इसके अलावा मेरी फिल्म ‘‘लव एक्सप्रेस’’ को भी काफी पसंद किया गया. इस वर्ष पवन सिंह के साथ ‘हमार स्वाभिमान’,एक नारी प्रधान फिल्म ‘‘एक किलो आटा’’ कर रही हूं. इसी के साथ ‘दंगल’ टीवी के सीरियल ‘नथः जेवर या जंजीर’ में पद्मा का किरदार निभा रही हूं.

बिछिया और लव एक्सप्रेसमें किस तरह के किरदार हैं

-दोनो में एकदम अलग तरह के किरदार निभाया है. बिछिया मे एक मध्यम वर्गीय इंटीरियर गांव की लड़की उमा के किरदार में नजर आने वाली हूं. बचपन में उमा के छोटे भाई को छोड़कर परिवार के सभी सदस्य मार दिए जाते हैं. तो वह घर की बड़ी बेटी होने के नाते खुद को भी संभलती है. और परिवार को भी संभालती है. एक लड़की और औरत के उपर किस तरह की मुसीबतों का पहाड़ टूटता है, जब उसके सिर पर मां बाप का साया नहीं होता है, इसी का मार्मिक चित्रण फिल्म ‘‘बिछिया’’ में किया गया है.

जबकि इसके ठीक विपरीत किरदार फिल्म ‘‘लव एक्सप्रेस’’ में है. इसे देखते हुए लोगों कों फिल्म ‘जब वी मेट’ की करीना कपूर की याद आएगी. हमारी इस फिल्म की कहानी ट्रेन के अंदर ही है. वह अपनी हो रही शादी छोड़कर घर से भागती है, क्योंकि उसे फिल्मों के एक सुपर स्टार से प्यार होता है. जब इस सुपर स्टार की एक फिल्म की शूटिंग उसके गांव में ही नहीं बल्कि उसके अपने घर के अंदर हुई थी, तब उसे देखकर वह उस पर लट्टू हो गयी थी. वो उस वक्त उस सुपर स्टार का फोन नंबर भी लेती है. फिर घर से भाग जाती है कि उसे तो उसी सुपर स्टार से ही शादी करनी है. इस फिल्म में ट्रेनन के अंदर उसकी पूरी यात्रा का चित्रण है.

इसी तरह फिल्म ‘हमार स्वाभिमान’ में भी बहुत ही अलग किस्म का किरदार निभा रही हूं. इसमें मैं लोगों को तलवार बाजी और एक्शन करते हुए नजर आने वाली हूं.‘प्यार मेाहब्बत जिंदाबाद’’ के प्रदर्शन के लंबे समय बाद मैने पवन सिंह के साथ फिल्म ‘‘हमार स्वाभिमान’ की है.

आप इन दिनों सीरियल नथः जेवर या जंजीर’’ कर रही हैं, जिसकी कहानी का केंद्र तो सदियों से चली आ रही नथ उतराईकी कुप्रथा है. इस कुप्रथा से आप पहले से वाकिफ थीं?

– सच तो यही है कि मुझे ‘नथ उतराई’ प्रथा के बारे में कुछ भी पता नहीं था. हां! पहले के जमाने में गरीब परिवार की बेटी को अमीर परिवार वाले खरीदकर अपने घर का काम करवाते थे. इतना ही मुझे पता था. लेकिन इस सीरियल से जुड़ने पर मुझे पता चला कि हमारे देश में कुछ जगहें व गांव ऐसे हैं, जहां इस तरह की कुप्रथा अस्तित्व में है.

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उसी प्रथा के प्रति लोगों में जागरूकता लाने व इसे सामूल बंद करने के मकसद से ही हम इस मनोरंजक सीरियल को बना रहे हैं. हम सभी चाहते हैं कि किसी भी लड़की की ‘नथ उतराई’ न हो, उनकी इज्जत के साथ शादी हो.

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