आशुतोष राणा : गांव की मिट्टी से उपजा कलाकार

गांवकसबों के रंगमंच से भी अदाकारी की बारीकियां सीख कर कलाकार फिल्म इंडस्ट्री में अपना मुकाम बना सकते हैं. इस बात को बौलीवुड के मशहूर कलाकार आशुतोष राणा ने साबित कर के दिखा दिया है.

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में धमाकेदार प्रदर्शन करने वाले विलेन के रोल के लिए शानदार कलाकरों में शुमार आशुतोष राणा का जन्म मध्य प्रदेश के छोटे से कसबे गाडरवारा में हुआ था. गाडरवारा में ही स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वे ग्रेजुएशन करने मध्य प्रदेश के सागर इलाके में चले गए था.

आशुतोष राणा को कालेज के दिनों से ही अदाकारी से बेहद लगाव हो गया था और दशहरे पर वे पुरानी गल्ला मंडी, गाडरवारा में होने वाली रामलीला में रावण का किरदार निभाने लगे थे.

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कालेज की पढ़ाई के दौरान  आशुतोष राणा को ऐक्टिंग कोर्स के लिए उन के गुरु देव प्रभाकर ने बढ़ावा दिया था. गौरतलब है कि साल 1994 में आशुतोष राणा ने दिल्ली के एनएसडी यानी नैशनल स्कूल औफ ड्रामा में दाखिला लिया. एनएसडी में पढ़ाई करने के बाद वे काम की तलाश में मुंबई चले गए और महेश भट्ट के टीवी सीरियल ‘स्वाभिमान’ से टेलीविजन पर ऐंट्री की.

‘जख्म’, ‘दुश्मन’ और ‘संघर्ष’ जैसी बेहतरीन फिल्मों में अपनी अदाकारी का लोहा मनवा चुके आशुतोष राणा की जिंदगी में एक दिन ऐसा भी आया था, जब महेश भट्ट ने उन्हें सैट से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. इस की वजह सिर्फ यह थी कि आशुतोष ने उन के पैर छू लिए थे.

आशुतोष राणा ने एक रोचक किस्सा सुनाते हुए कहा, “मुझे फिल्मकार और डायरैक्टर महेश भट्ट से मिलने को कहा गया. मैं उन से मिलने गया और जा कर भारतीय परंपरा के मुताबिक उन के पैर छू लिए. पैर छूते ही वे भड़क उठे, क्योंकि उन्हें पैर छूने वालों से बहुत नफरत थी. उन्होंने मुझे अपने फिल्म सैटट से बाहर निकलवा दिया और असिस्टैंट डायरैक्टरों पर भी काफी गुस्सा हुए कि आखिर उन्होंने मुझे कैसे फिल्म के सैट पर घुसने दिया.’’

आशुतोष राणा ने आगे बताया कि इतनी बेइज्जती के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और जब भी महेश भट्ट मिलते या कहीं दिखते तो वे लपक कर उन के पैर छू लेते और वे बहुत गुस्सा होते.

आखिरकार एक दिन महेश भट्ट ने  आशुतोष राणा से पूछ ही लिया, “तुम मेरे पैर क्यों छूते हो जबकि मुझे इस से नफरत है.”

आशुतोष ने जवाब दिया, “बड़ों के पैर छूना मेरे संस्कार में है, जिसे मैं नहीं छोड़ सकता.’’

यह सुनकर महेश भट्ट ने उन्हें गले से लगा लिया और साल 1995 में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले टीवी सीरियल ‘स्वाभिमान’ में एक गुंडे ‘त्यागी’ का रोल दिया. बाद में तो उन्होंने महेश भट्ट के साथ कई फिल्मों में काम किया, जिन में ‘जख्म’ और ‘दुश्मन’ खास हैं.

एनएसडी के 1994 बैच के छात्र रहे आशुतोष राणा कहते हैं कि  प्रशिक्षण के बाद में उन्हें एनएसडी में ही नौकरी का औफर हुआ और वह भी मोटी तनख्वाह पर, लेकिन उन्होंने फिल्म जगत में आने का रास्ता चुना.

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सागर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान आशुतोष राणा के साथ पढ़ने वाले शिक्षक व साहित्यकार सुशील शर्मा बताते हैं, “उस समय हम एमटैक के छात्र थे. आशुतोष विवेक होस्टल के कमरा नंबर 65 में रहते थे. गाडरवारा के होने के चलते हमारी अकसर मुलाकात होती थी. वे उस समय दृश्य और श्रव्य विभाग के छात्र हुआ करते थे. हमें देख कर आशुतोष अकसर बुंदेली भाषा में कहा करते थे, ‘बड्डे तुम तो बड़े पढ़ने वाले हो और हम से जा पढ़ाई होत नैया कछु जड़ीबूटी दे दो हमे भी.'” आज भी आशुतोष राणा जब गाडरवारा आते हैं तो अपने दोस्तों और परिचितों से उसी सहजता से मिलतेजुलते हैं और उन की बोलती आंखें आज भी बिना कुछ कहे संवाद करती हैं.

रेणुका को चुना जीवनसाथी

कभी जीटीवी के फेमस रिएलिटी गेम शो ‘अंताक्षरी’ में अन्नु कपूर की कोहोस्ट रही और फिल्म ‘हम आप के हैं कौन’ में सलमान खान की भाभी के रोल से मशहूर हुई रेणुका शहाणे से आशुतोष राणा ने शादी की. आशुतोष राणा की रेणुका से पहली मुलाकात फिल्म ‘जयति’ की शूटिंग के समय हुई थी.  रेणुका और आशुतोष की दोस्ती मेलमुलाकात के बाद प्यार में बदल गई और आशुतोष और रेणुका ने साल 2001 में शादी कर ली.

शादी के बाद आशुतोष राणा जब रेणुका को ले कर गाडरवारा आते थे, तो रेलवे स्टेशन से घर तक की दूरी उस समय चलने वाले ‘घोड़ा तांगा’ से तय करते थे. आज उन के 2 बेटे शौर्यमान और सत्येंद्र हैं.

आशुतोष का  फिल्मी सफर

साल 1996 में आशुतोष राणा की पहली फिल्म ‘संसोधन’ थी, इस के बाद उन्होंने ‘कृष्ण अर्जुन’, ‘तमन्ना’, ‘जख्म’ ‘गुलाम’ समेत कई फिल्मों में भी काम किया,लेकिन उन्हें असली पहचान साल 1998 में आई काजोल स्टारर फिल्म ‘दुश्मन’ ने दिलाई. ‘बादल’, ‘अब के बरस’, ‘कर्ज’, ‘कलयुग’ और ‘आवारापन’ जैसी फिल्मों में विलेन के किरदार के लिए आशुतोष को जाना जाने लगा.

फिल्म ‘दुश्मन’ में आशुतोष राणा ने साइको किलर गोकुल पंडित का किरदार निभाया था. इस किरदार से आशुतोष ने दर्शकों का दिल जीत लिया था. उन्हें फिल्म ‘दुश्मन’ और ‘संघर्ष’ के लिए बैस्ट विलेन के फिल्मफेयर अवार्ड से भी नवाजा गया था. बायोपिक फिल्म ‘शबनम मौसी’ के किरदार को भी लोगों ने काफी पसंद किया था.

आशुतोष राणा ने कई हिंदी, तेलुगू, मराठी, तमिल जैसी भाषाओं की फिल्मों में काम किया है. अपनी शुद्ध हिंदी बोलने और ऐक्टिंग के अंदाज की वजह से उन्होंने क‌ई टीवी शो ‘बाजी किसकी’, ‘सरकार की दुनिया’ जैसे टीवी शो में होस्ट के रूप में काम किया है. वर्तमान में वे दिल्ली प्रैस की मनोहर कहानियां की अपराध कथाओं पर बने एक शो में होस्ट के रोल में नजर आ रहे हैं.

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वैसे, आशुतोष राणा हालिया सालों में करण जौहर की फिल्म ‘हंप्टी शर्मा की दुलहनिया’ में आलिया भट्ट और फिल्म ‘धड़क’ में जाह्नवी कपूर के पिता के किरदार में नजर आए थे.

राणा का हिंदी प्रेम

आशुतोष राणा अपनी लाजवाब हिंदी के लिए भी काफी फेमस हैं. साहित्य का माहौल उन्हें अपने घर से ही मिला था. 7 भाई और 5 बहनों के परिवार में उन से बड़े भाई प्रभात नीखरा ‘दादा भैया’ बुंदेली भाषा के जानेमाने कवि थे.  अमरावती, महाराष्ट्र के हास्यव्यंग्य कवि किरण जोशी एक किस्सा साझा करते हुए बताते हैं कि कविताओं से आशुतोष का बड़ा लगाव रहा है. 1991 में जब गाडरवारा में कवि सम्मेलन हुआ था, तो उन्होंने मंच पर आ कर सभी कवियों से आटोग्राफ लिए थे, जबकि आज बौलीवुड में वे जिस मुकाम पर हैं, तो लोग उन से आटोग्राफ लेने की ख्वाहिश रखते हैं.

आशुतोष राणा अच्छे कवि होने के साथसाथ अच्छे लेखक भी हैं. हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति उन का आकर्षण कई बार देखा गया है. यही वजह है कि उन को बड़ेबड़े मंचों पर बुलाया जाता है.उन की कविताओं में देशप्रेम का अथाह सागर है.

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