कश्मीर : काला दिवस या फिर …!

कश्मीर में सन्नाटा है. जम्मू और लद्दाख में पटाखे छूट रहे हैं. आवाम खुशियां मना रहा है. लोगों के रोंगटे खड़े हो गए हैं और कश्मीर मसले पर दुनिया विशेषकर पाकिस्तान अमेरिका हतप्रभ है. 370 धारा और कश्मीर…. भारत के कोने कोने में सदैव चर्चा का विषय रहे. विगत 40 वर्षों से कश्मीर में आग के शोले उठते रहे जो बुझाए नहीं बुझ रहे थे. इसके पीछे सीधे-सीधे पाकिस्तान का हाथ था. भारत का अभिन्न अंग कश्मीर सिर्फ नाम का था. यह एक बड़ी त्रासदी थी ट्रेजेडी थी. जिसे भारतवासी मुंह छुपाकर मानने को विवश थे.

संविधान और तत्कालीन परिस्थितियों ने कश्मीर को भारत का “लाड़ला अतिथि” बना रखा था. जिसके हर नाज- नखरे, खून- खराबा सहता भारत आथित्य में लगा हुआ था. मगर अब नरेंद्र दामोदरदास मोदी के साहसिक कदम से परिस्थितियां बिल्कुल बदल गई है . कश्मीर अब भारत का विधिवत अभिन्न अंग बन गया है यह एक ऐतिहासिक मौका है…।

कश्मीर में घनघोर अंधेरा है !

हमारा देश एक विचित्र स्थिति में रहा .देश एक, मगर संविधान दो ! देश एक मगर झंडे दो !! देश एक मगर नागरिकता दो !!!

जी हां यह स्थिति पीड़ादायक थी .कश्मीर अखंड भारत का हिस्सा रहा है किसी दूसरी दुनिया से अचानक तो टपका नहीं है.फिर ऐसी परिस्थितियां क्यों कर रही ? आजादी के पश्चात राजनीतिक मजबूरियों के चलते यह सब करना पड़ा सहना पड़ा. मगर कब तलक….!

इसी विचारधारा के तहत प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की व्यवस्था से लोग खफा थे. और अपनी आवाज बुलंद करते रहे.
धारा 370 खत्म करने और जम्मू कश्मीर को सहसा केंद्र शासित प्रदेश घोषित करते ही जहां जम्मू के नागरिकों में खुशी व्याप्त हो गई मिठाई,फटाके चलने लगे वहीं कश्मीर में भयंकर अंधेरा व्याप्त हो गया. 43 विधानसभा क्षेत्रों में बंटा कश्मीर का राजनीतिक ड्रामा खत्म हो गया. महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला, परिवार का खेल खत्म होने से सन्नाटा पसर गया. वहीं कश्मीर जो राज्य का मात्र 17 फ़ीसदी भूभाग है, मे रहस्यमय सन्नाटा , अंधेरा, उजाले में भी देखा जा सकता है… केंद्र सरकार के साहसी फैसले से कश्मीर पर मानो बिजली गिर गई है .इन पंक्तियों के लिखे जाने वक्त तलक एक शब्द समर्थन में नहीं फूटा है. जो बताता है यह सन्नाटा एक तूफां का संकेत है. जिसे साहस, समझदारी से हैंडल करना केंद्र सरकार की जवाबदारी और जवाबदेही दोनों है.

भाजपा और सरकार की जय जय…

कश्मीर के बहुप्रतीक्षित मसले पर ब्रह्मास्त्र चला कर जहां भाजपा ने अपने एक बहुत पुराने इरादे को पूरा कर दिया. वहीं केंद्र सरकार नरेंद्र दामोदरदास मोदी और अमित शाह की साख देश दुनिया में बढ़ गई.
नि:संदेह 370 धारा का मसला बहुत कठिन और पेचीदा था. जब भाजपा और उसके गणमान्य नेता धारा 370 की समाप्ति की बातें करते थे तब कांग्रेस और उनके विरोधी विद्रूष मुस्कान बिखेर चैलेंज किया करते थे कि ऐसा नहीं हो सकता .आज की परिस्थितियों में कश्मीर के दिग्गज नेता फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने भी कल्पना नहीं की थी की केंद्र सरकार आनन-फानन में ऐसा कर गुजरेगी मगर ऐसा हो गया क्योंकि एक मुहावरा है न… ‘मोदी है तो मुमकिन है !!’

आप तो ऐतिहासिक पुरुष बन गए

जी हां! यह सच है कि नरेंद्र दामोदरदास मोदी और अमित शाह भारतीय इतिहास में अपना नाम लिखाने में कामयाब हो गए हैं .आजादी के 72 वर्षों के इतिहास काल में फिर एक ऐसा मौका आया है जब देश रुक गया है और सरकार अपने भविष्य की ओर तक रहा है.

धारा 370 और कश्मीर मसले पर आमूल चूल करने वाला फैसला कोई मामूली बात नहीं है.
मगर जिस धैर्य और साहस का परिचय नरेंद्र मोदी और अमित शाह की युति ने दिया है वह अद्भुत है. इस पेचीदा मसले पर एक एक करके विजय प्राप्त करना यह दिखाता है की राजनीति भी एक अद्भुत खेल है. जिसमे पग- पग पर कांटे हैं,रहस्य है रोमांच है.
कश्मीरी पंडितों के लिए अविस्मरणीय पल बन गया यह मौका. वही लद्दाख जो लंबे समय से स्वायत्ता मांग रहा था उसकी मांग पूरी हुई. बेहद नफसत के साथ केंद्र सरकार ने एक नासूर का इलाज किया है यही कारण है कि मायावती, अरविंद केजरीवाल जैसे धुर विरोधियों ने भी धारा 370 कश्मीर मसले पर नरेंद्र मोदी का खुलकर साथ दिया.

कांग्रेस “दिवालियेपन” की ओर…

नरेंद्र मोदी अमित शाह के राजनीतिक मास्टर स्ट्रोक के खेल में सबसे बड़ी क्षति अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की हुई. जिसके राज्यसभा के मुख्य सचेतक ने आलाकमान को धत्ता बता राज्यसभा सांसद पद से ही इस्तीफा दे दिया और व्हीप भी जारी नहीं की.
यही नहीं गुलाब नबी आजाद ने कांग्रेस के पैरों में खूब कुल्हाड़ी चलाई. राज्य सभा में उन्होंने कहा अमित शाह की कार्यवाही मानो बम चलाने जैसी है यह संविधान का मर्डर है !
आजाद जैसे परिपक्व राजनेता का यह बेहद बचकाना बयां है . कांग्रेस पार्टी का यह स्टैंड उसे नेस्तनाबूद करेगा क्योंकि देश की आवाम धारा 370 के खिलाफ खड़ी है और कश्मीर में ताजा हवा देशवासियों को मुफीद है. ऐसे में धारा के विपरीत चलना कांग्रेस की छवि, लोकप्रियता को चोटिल करेगा. राहुल गांधी, प्रियंका, सोनिया गांधी का मौन यह बता रहा है की उनके हाथ-पांव भी बंधे हुए हैं और देश की आवाम की भावना को महसूस कर रहे हैं मगर मन से कसक है.

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