अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के टीकाकरण पर उत्तर प्रदेश का जोर

लखनऊ . कोरोना टीकाकरण को लेकर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की जनता से की गई अपील का असर मंगलवार को नजर आया. खासकर अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लोगों में टीकाकरण को लेकर काफी उत्‍साह नजर आया. लख्‍नऊ के छोटे इमामबाड़े में बनाए गए कोविड टीकाकरण केन्‍द्र पर सुबह से ही टीका लगवाने के लिए लम्‍बी लाइन दिखाई दी. इसे पहले इस्‍लामिक सेंटर आफॅ इंडिया ईदगाह में वैक्‍सीनेशन सेंटर बनाया गया है. इस मौके पर शिया धर्मगुरू मौलाना कल्‍बे जवाद व जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने टीकाकरण केन्‍द्र पहुंच कर व्‍यवस्‍थाओं का जायजा लिया. इस दौरान उन्‍होंने लोगों को टीकाकरण के फायदे बताए .

यूपी में मंगलवार से विश्‍व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरूआत हुई है. इस पूरे अभियान के दौरान एक करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण किया जाएगा. उत्तर प्रदेश में 18 से 44 वर्ष की आयु के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में दो-दो और शहरी क्षेत्र में तीन-तीन विशेष टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं. बड़े जिलों में आवश्यकता के अनुसार दो केंद्र बढ़ाने की अनुमति दी गई है. वहीं 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के अभिभावकों के लिए भी दो-दो विशेष टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं.

अल्‍पसंख्‍यक समुदाय में उत्‍साह

लखनऊ में हुसैनाबाद स्थित  छोटे इमामबाड़े में कोरोना वैक्‍सीनेशन के लिए बड़ा केन्‍द्र बनाया गया था. सुबह से ही लोग उत्‍साह के साथ टीकाकरण अभियान में शामिल हो रहे थे. इस मौके पर इमाम ए जुमा मौलाना कल्‍बे जवाद ने टीकाकरण केन्‍द्र पहुंच कर लोगों को टीके के फायदे बताए . उन्‍होंने कहा कि कोरोना से बचाव का एक मात्र तरीका कोरोना टीका है. उन्‍होंने लोगों से अपील की वह किसी भी तरह की अफवाह में न आए और अपना टीकाकरण कराए. टीकाकरण को लेकर अफवाहे फैलाने वाले मुस्लिम समुदाय के दुश्‍मन है.

हुसैनाबाद निवासी शहजाद ने बताया कि सरकार ने पुराने लखनऊ में बड़ा केन्‍द्र बनाकर लोगों को राहत दी है. पुराने लखनऊ के लोगों को टीका लगवाने के लिए काफी दूर जाना पड़ रहा था. ऐसे में जिन लोगों के पास साधन नहीं थे, वह टीका नहीं लगवा रहे थे. सरकार छोटा इमामबाड़े में केन्‍द्र लगाने से लोगों को काफी राहत पहुंची है. छोटे इमामबाड़े में 18 से 44 साल के लोगों का अलग टीकाकरण किया जा रहा था जबकि 44 से ऊपर के लोगों का टीकाकरण अलग से किया जा रहा था. टीकाकरण केन्‍द्र पर सेल्‍फी प्‍वाइंट भी बनवाया गया था. जहां पर युवाओं ने टीका लगवाने के बाद अपनी सेल्‍फी ली. वहीं, मौके पर मौजूद सिविल डिफेंस कर्मी लोगों के बीच सोशल डि‍स्‍टेंसिंग बनाने का काम कर रहे थे.

टीकाकरण केन्‍द्र पर बड़े पैमाने पर मुस्लिम महिलाएं भी उपस्थित थी. जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने छोटा इमामबाड़ा स्थित टीकाकरण केन्‍द्र का निरीक्षण किया. उन्‍होंने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से आसपास के इलाकों से टीकाकरण केन्‍द्र तक लाने के लिए विशेष बसों का संचालन भी किया गया था. इसमें बिल्‍लौचपुरा, अकबरीगेट आदि से बसें लोगों को टीकाकरण केन्‍द्र तक ला रही थी. वहीं, सरकार ने जून महीने में एक करोड़ टीके लगाकर इस संख्या को तीन करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.

सीरो सर्वे से पता लगेगा कितने लोगों में बन चुकी है एंटीबॉडी

लखनऊ . उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की गहन पड़ताल के लिए 04 जून से सीरो सर्वे शुरू किया जा रहा है. सभी 75 जिलों में होने वाले इस सर्वे के माध्यम से यह पता लगाया जाएगा कि किस जिले के किस क्षेत्र में कोरोना का कितना संक्रमण फैला और आबादी का कितना हिस्सा संक्रमित हुआ. यही नहीं, इससे यह भी सामने आएगा कि कितने लोगों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबाडी बन चुकी है.

सोमवार को राज्य स्तरीय टीम-09 की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीरो सर्वे को लेकर हो रही तैयारियों की जानकारी ली. अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि 04 जून से शुरू हो रहे इस सर्वे को लेकर कार्ययोजना तैयार हो चुकी है. सैम्पलिंग कर लिंग और आयु सहित विभिन्न मानकों पर सर्वेक्षण की रिपोर्ट तैयार की जाएगी. जिलेवार सर्वे करने वाले कार्मिकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके परिणाम जून के अंत तक आने को संभावना है.

पहली लहर में भी हुआ था सीरो सर्वे:

कोरोना की पहली लहर के दौरान पिछले साल सितंबर में 11 जिलों में सीरो सर्वे कराया गया था. यह सर्वे लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, प्रयागराज, गाजियाबाद, मेरठ, कौशांबी, बागपत व मुरादाबाद में हुआ था. उस समय सीरो सर्वे में 22.1 फीसद लोगों में एंटीबाडी पाई गई थी.

कोरोना काल में योगी सरकार ने तोड़े गेंहू खरीद रिकार्ड

लखनऊ . उत्तर प्रदेश में किसानों को लाभ पहुंचाने वाली योगी सरकार प्रत्येक दिन नए मुकाम हासिल कर रही है. सूबे में अभी तक कुल 39.58 लाख मी.टन गेहं खरीद की जा चुकी है. इसके माध्यम से 828697 किसानों को सीधा लाभ मिला है. जबकि पिछले साल आज तक 23.92 लाख मी. टन गेहूं खरीद ही हो पाई थी. कोरोना की लड़ाई में पूरी ताकत से जुटी योगी सरकार किसानों के हित में हर संभव प्रयास करने में जुटी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर किसानों की बकाया 7817.68 करोड़ की राशि में से 6029.27 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है. सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयासों से यूपी के किसान काफी खुश है. उनका कहना है कि पिछली सरकारों में कभी उनको इतनी सहूलियत नहीं मिली थीं.

यह पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद के दौरान किसानों को भुगतान भी तेजी से किया जा रहा है. मात्र 72 घंटों के भीतर पैसा सीधे किसानों के एकाउंट में पहुंच रहा है. इतना ही नहीं ई-पॉप मशीनों का इस्तेमाल होने से मंडियों में बिचौलिये भी खत्म हो गये हैं. वर्षा की चेतावनी को देखते हुए सरकार हर सावधानी बरत रही है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गेहूं खरीद में क्रांति लाते हुए पहली बार मंडियों में न केवल अत्याधुनिक सुविधाओं को बढ़ाया बल्कि किसानों के लिये मंडियों में पानी, बैठने के लिये छायादार व्यवस्था के सख्त निर्देश भी दिये.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली बार किसानों को उनके खेत के 10 किमी के दायरे में गेहूं खरीदकर उनकी दिक्कतों को समाप्त करने का बड़ा काम किया है. इससे यूपी के किसानों को गेहूं खरीद में काफी राहत मिली है. जीवन और जीविका को बचाने के उद्देश्य से योगी सरकार ने कोरोना काल में मंडियो में कोविड प्रोटोकाल का पूरा पालन कराने के निर्देश दिये. जिसके बाद से खरीद केंद्रों पर ऑक्सीमीटर, इफ्रारेड थर्मामीटर की व्यवस्था भी की गई है.

जनप्रतिनिधि लें गांव के अस्पताल गोद

लखनऊ . कोविड के संक्रमण से ठीक हुए लोगों की सेहत को लेकर भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिक्रमंद हैं. करीब तीन हफ्ते पहले ही उन्होंने हर जिला हॉस्पिटल में पोस्ट कोविड केयर सेंटर बनाने के निर्देश दिए थे. इसी क्रम में अपने बस्ती दौरे के दौरान उन्होंने सभी जिलों में सौ बेड का पोस्ट कोविड वॉर्ड शुरू करने का निर्देश दिया.

बस्ती मंडल की समीक्षा बैठक के दौरान सीएम ने कहा कि प्रदेश के सभी जिलो में 01 जून से 18 से 44 वर्ष आयु के लोगों को कोविड-19 का टीका लगाया जाएगा . 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के अभिभावको, न्यायिक अधिकारियों, सरकारी कर्मचारियों तथा मीडिया के प्रतिनिधियों को टीका लगाने के लिए अलग से काउंटर खोले जायेंगे. उन्होने जनप्रतिनिधियों से कहा कि वे एक-एक सीएचसी/पीएचसी गोद लें और वहां नियमित रूप से विजिट करें. अधिकारियों को निर्देश दिया कि टीकाकरण, सैनिटाइजेशन तथा फागिंग की सूचना जनप्रतिनिधियों को भी उपलब्ध कराएं जिससे वे इसका सत्यापन कर सके.

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि   कि प्रत्येक जिले में स्वच्छता, सैनिटाइजेशन एवं फागिंग, निगरानी समिति द्वारा स्क्रीनिंग एंव दवा किट वितरण, कोविड कमांड एवं कंट्रोल सेंटर द्वारा फील्ड में किए जा रहे कार्य का सत्यापन तथा कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के लिए अस्पतालों की तैयारी को  प्राथमिकता दें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बरसात को देखते हुए इंसेफेलाइटिस डेंगू, चिकुनगुनियां आदि बीमारियों से सुरक्षा के लिए भी समुचित प्रबन्ध किए जाएं. इसके लिए हर गांव एवं वार्ड में दिन में सैनिटाइजेशन तथा रात में फागिंग किया जाय.

मच्छरों के लार्वा को खत्म करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए. उन्होंने ग्रामीणों को खुले में शौच न करने तथा शौचालय का उपयोग करने को लेकर जागरूकता बढाने पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर को रोकने में सभी ने अच्छा कार्य किया है, लेकिन तब भी हमें सर्तक रहना होगा. यह एक महामारी है इसलिए सामान्य बीमारी से इसकी तुलना करना उचित नहीं है.

प्रदेश के सभी जिलों को आक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर जिले में प्लांट स्वीकृत किया गया है, उस पर काम भी चल रहा है. उन्होने निर्देश दिया कि प्रत्येक आक्सीजन प्लांट के लिए एक नोडल अधिकारी नामित करें, जो कार्यदायी संस्था से समन्वय स्थापित करके इसको शीघ्र स्थापित कराए . सरकार ब्लैक फंगस से निपटने के लिए विशेष प्रयास कर रही है.

उन्होंने कहा कि सीएचसी/पीएचसी पर अभी ओपीडी शुरू नही की जाएगी, लेकिन जिला अस्पताल में नानकोविड अस्पताल संचालित करके गंभीर रोगों के मरीजो का इलाज किया जायेगा .

अन्य लोग टेली कन्सल्टेन्सी के माध्यम से डाक्टरों से परामर्श कर सकते हैं . साथ ही महिला एवं बच्चों के लिए अलग से अस्पताल संचालित किए जाने पर उन्होंने जोर दिया . सभी सीएचसी/पीएचसी में साफ-सफाई, रंगाई-पोताई अगले एक सप्ताह में कराने और सभी उपकरण एंव मशीन सही कराने के निर्देश दिए . उन्होंने जिले के अस्पतालों में जिलाधिकारी तथा मेडिकल कालेज में वहां के प्रधानाचार्य, पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति के संबंध में कार्रवाई शुरू करने को कहा .

पैरामेडिकल स्टाफ, नर्स को मेडिकल कालेज से सम्पर्क करके टेनिंग दिलाए जाने की बात भी कही. उन्होंने वेंटीलेटर संचालित करने के लिए आईटीआई के छात्रों को ट्रेंड करने के निर्देश दिए.

जिले में कोई भूखा न रहे लिहाजा कम्युनिटी किचन का संचालन हो जिससे अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन, मजदूर, स्ट्रीट वेंडर, पल्लेदार एवं फुटपाथ पर रह कर गुजारा करने वालों को दो वक्त का शुद्ध ताजा भोजन मिल सके.

उन्होने कोरोना कर्फ्यू के नियमों का कड़ाई से पालन कराने को कहा. साथ ही कंटेनमेंट जोन में कड़ाई बरते जाने को लेकर निर्देश दिए . उन्होंने कहा कि उद्योग, कृषि, सब्जी मण्डी खोलने की अनुमति दी गयी है, लेकिन वहां बेवजह की भीड़ एकत्र न होने दें. शादी-विवाह में 25 से अधिक लोगों को जाने की अनुमति न दें और इसका कड़ाई से पालन भी कराएं. जून माह में फ्री खाद्यान्न वितरित किया जाएगा. ऐसी व्यवस्था बनाये की पात्र व्यक्तियों को खाद्यान्न मिल सके .

कोरोना काल में अनाथ बच्चों के नाथ बने योगी आदित्यनाथ

लखनऊ . उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ महामारी के समय एक ओर प्रदेशवासियों को कोरोना के प्रकोप से बचा रहे हैं तो दूसरी कठिन समय में अपनों के दूर चले जाने से मायूस बच्चों के लिए भी संवेदनशील हैं. कोरोना संक्रमण की चपेट में आए माता – पिता के बच्चे जो

18 साल से कम आयु वर्ग के हैं उनकी सुरक्षा, संरक्षण और पुनर्वास के लिए योगी सरकार प्रतिबद्ध है. कई बार सीएम योगी आदित्यनाथ का वात्सल्य रूप सभी को देखने को मिला है. ऐसे में योगी सरकार जल्द ही प्रदेश में एक नई कार्ययोजना पर काम कर रही है. जिससे सीधे तौर पर प्रदेश के ऐसे बच्चों को राहत मिलेगी जिन्होंने कोरोना काल में अपनों को खो दिया है.

प्रदेश में 555 ऐसे बच्चों को किया गया चिन्हित

महिला कल्याण विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया की प्रदेश में अब तक ऐसे करीबन 555 बच्चों को चिन्हित किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि महिला कल्याण विभाग ने प्रदेश के सभी जनपदों के डीएम को ऐसे सभी बच्चों की सूची तैयार कर भेजने के आदेश दिए हैं. जिससे ऐसे सभी बच्चों के संबंध में सूचनायें संबंधित विभागों, जिला प्रशासन को पूर्व से प्राप्त सूचनाओं, चाइल्ड लाइन, विशेष किशोर पुलिस इकाई, गैर सरकारी संगठनों, ब्लाॅक तथा ग्राम बाल संरक्षण समितियों, कोविड रोकथाम के लिए विभिन्न स्तरों पर गठित निगरानी समितियों और अन्य बाल संरक्षण हितधारकों के सहयोग व समन्वय किया जा रहा है.

सीएम जल्द देंगे इन बच्चों को बड़ा तोहफा

कोरोना काल में अपने माता पिता को खो चुके बच्चों के भरण पोषण, आर्थिक ,शिक्षा, काउंसलिंग, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी सहायता राज्य सरकार करेगी. ऐसे में एक बड़ी कार्य योजना के तहत सीएम ने महिला एवम बाल विकास को निर्देश जारी किए हैं. महिला कल्याण विभाग की ओर से जिसका प्रस्ताव तैयार कर सीएम योगी आदित्यनाथ को भेजा गया है.

कोविड-19 महामारी में उत्तर प्रदेश सरकार श्रमिकों एवं कामगारों को देगी भरण-पोषण भत्ता

लखनऊ . प्रदेश सरकार कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण पंजीकृत श्रमिकों, अन्य श्रमिकों, सभी पटरी व रेहड़ी दुकानदारों, रिक्शा व ई-रिक्शा चालको, नाविकों, कुली, पल्लेदारों, नाई, धोबी, मोची, हलवाई आदि रोज कमाकर खाने वालों को 1000 रुपये प्रतिमाह का भरण-पोषण भत्ता देगी.

शासन ने अभी फिलहाल 01 माह के लिए इन सभी को भरण-पोषण भत्ता दिए जाने का निर्णय लिया है. इस संबंध में मुख्य सचिव श्री राजेंद्र कुमार तिवारी ने अपर मुख्य सचिव श्रम विभाग, समस्त मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि सरकार के निर्णय के अनुपालन में समस्त पंजीकृत श्रमिकों को उनके बैंक खाते में 1000 रुपये डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित किया जाए

जिन श्रमिकों का पंजीकरण नहीं हुआ है, उन्हें भी पंजीकृत कर उनके बैंक खाते में 1000 रुपये डीबीटी के माध्यम से धनराशि अंतरित कराई जाएगी.

उन्होंने अपने आदेश में कहा है कि वर्ष 2020-21 में श्रम विभाग में पंजीकृत 20.37लाख निर्माण श्रमिकों के बैंक खाते में 1000 रुपये प्रतिमाह की धनराशि हस्तांतरित करने के निर्देश दिए गए थे. इसमें से जिन श्रमिकों के बैंक खातों का डेटाबेस उपलब्ध नहीं था, उनका शीघ्र ही डेटाबेस तैयार कर सहायता राशि उपलब्ध कराई गई थी. अतः गत वर्ष की भांति इस वर्ष 2021-22 में भी पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बैंक खाते में 1000 रुपये की धनराशि डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित की जायेगी.कोविड-19 महामारी में उत्तर प्रदेश सरकार श्रमिकों एवं कामगारों को देगी भरण-पोषण भत्ता

आक्सीजन पर आत्मनिर्भर बनेगा उत्तर प्रदेश

सहारनपुर. नोएडा, मेरठ, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर के मैराथन दौरे के बाद सहारनपुर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिले में 11 नए आक्सीजन प्लांट लगाने का काम किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि हर जनपद में गन्ना विभाग से आक्सीजन जनरेटर प्लांट लगाये जायेंगे. यहां उन्होंने इंटीग्रेटेड कोविड कमांड एंड कन्ट्रोल सेंटर का निरीक्षण किया और तत्पश्चात जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ समीक्षात्मक बैठक में जरूरी निर्देश दिये. बैठक में सहारनपुर मंडल के मुजफ्फरनगर और शामली जनपद के अधिकारी भी वर्चुअल जुड़े.

इसलिये नहीं लगाया पूरा लाकडाउन

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को देखते हुए हमनें कोरोना कर्फ्यू लगाया है, यह सम्पूर्ण लाकडाउन नहीं है. आवश्यक सेवाएं चालू हैं. मजदूरों को समस्या न आए, उनके समक्ष रोजीरोटी की समस्या ने आये, इसके लिए उद्योग धंधे और कारोबार चालू हैं.

उन्होंने कहा कि हमारा मकसद परेशानी भी न हो, भीड़ भी न हो, साथ ही भुखमरी की समस्या भी न आये. इसके लिए कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की गयी है. सरकारी अस्पतालों में उपचार के साथ भोजन मिल रहा है. नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण शुरू किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी के माडल को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सराहा है. अन्य राज्य भी यूपी का अनुसरण कर रहे हैं. आक्सीजन के मामले में प्रदेश आत्मनिर्भर होता जा रहा है. उन्होंने कहा कि सहारनपुर में 13 हजार युवाओं को वैक्सीन लग चुकी है.

सोरोना और बलवन्तपुर गांव में देखे हालात

मुख्यमंत्री जिले के गांव सोरोना का दौरा किया. जहां उन्होंने होम आइसोलेशन में रह रहे एक ग्रामीण से उसका कुशलक्षेम जाना. उन्होंने अन्य लोगों से व्यवस्था के बाबत पूछताछ की और ग्राम्यवासियों से वैक्सीन लगवाने की अपील की. उसके बाद वे बलवन्तपुर सलेमपुर गांव पहुंचे और वहां निगरानी समिति के लोगों से वार्ता कर वस्तुस्थिति से अवगत हुए. उस गांव में भी मुख्यमंत्री ने लोगों से कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए कहा.

कोरोना की तीसरी लहर से निपटने उत्तर प्रदेश तैयार

नोएडा . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना के खिलाफ युद्धस्तर पर और प्रभावी ढ़ंग से लड़ाई लड़ी जा रही है. यही वजह है कि राज्य में कोरोना के सक्रिय मामले तेजी से घट रहे हैं. कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए हमारी कार्य योजना पूरी तरह से तैयार हैं. पूरी सावधानी के साथ हम काम कर रहे हैं. तीसरी लहर से मुकाबले के लिए खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में समर्पित तौर पर आईसीयू बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं.

मुख्यमंत्री ने फिल्म सिटी नोएडा में कहा कि गांवों में हमें संक्रमण रोकना ही होगा. इसके लिए ट्रेस, टेस्टिंग और ट्रीट की रणनीति बनाई गई है. संक्रमित व्यक्ति की त्वरित पहचान कर अगर उसका त्वरित उपचार शुरू हो जाए, तो मामला क्रिटिकल नहीं होगा. इसलिए हम एंटीजन टेस्ट के साथ ही उन्हें मेडिकल किट दे रहे हैं. आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट भले ही बाद में आए, हम उपचार शुरू कर दे रहे हैं. मरीजों को वाहन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया गया है कि अगर मरीज की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव है और उसमें कोरोना के लक्षण हैं, तो उनकी जांच के लिए डिजिटल एक्सरे करें.

आगे भी युद्धस्तर पर वैक्सिनेशन होगा: योगी

सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश में रोजाना औसतन 2.50 लाख लोगों की टेस्टिंग हो रही है. अब तक 4.5 करोड़ टेस्ट हो चुके हैं. प्रदेश में कोरोना की प्रथम लहर में हमने टीम 11 बनाकर प्रभावी नियंत्रण किया था, दूसरी लहर में टीम-9 बनाकर सबकी जवाबदेही तय की गई है. यही वजह है कि आज बीते 24 घंटे में पाजीटिव केस तकरीबन 10 हजार ही आए हैं.

पहले संक्रमण का रेट 22 फीसद था, जो घटकर पांच फीसद हो गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 1.50 करोड़ लोगों को हम वैक्सीन दे चुके हैं और आगे भी युद्धस्तर पर वैक्सिनेशन होगा. 45 साल से ऊपर के लोगों को भारत सरकार वैक्सिन उपलब्ध करा रही है. गौतमबुद्धनगर समेत 23 ऐसे जिले हैं, जहां 18 से 44 वर्ष की उम्र के लोगों को भी वैक्सिन दिया जा रहा है, जहां संक्रमण दर अन्य जिलों से ज्यादा है. इसके बाद हमारी तैयारी गांवों की है.

हमने निर्देश दिया है कि गांवों में कामन सर्विस एरिया में वैक्सिनेशन का बंदोबस्त किया जाए, ताकि वहीं उनका पंजीकरण कर उनका वैक्सिनेशन किया जा सके. उन्हें दूर न जाना पड़े. इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि भीड़ न बढ़ने पाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं स्वयं सात मई से फील्ड में हूं और मैंने वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, मथुरा, अलीगढ़ और गोरखपुर के गांवों में जाकर व्यवस्था का निरीणण किया है . आगे भी यह कार्यक्रम जारी रहेगा.

इंसेफेलाइटिस के अनुभवों से लाभ लेते हुए दिए निर्देश

एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि हम कोरोना की संभावित तीसरी लहर से मुकाबले की भी व्यापक तैयारी कर रहे हैं. प्रदेश में कई दशकों से इंसेफेलाइटिस का कहर था, हमारी सरकार ने इस पर 98 फीसद तक नियंतत्रण पा लिया है. उससे लड़ते समय हमने व्यापक कार्य योजना बनाई थी. हमारी कार्य योजना का नतीजा ही है कि पहले जहां इंसेफेलाइटिस से 1200 से 1500 बच्चों की मौत होती थी, वहीं विगत वर्ष 63 मौतें हुईं.

इसी कार्य योजना के अनुभवों का लाभ लेते हुए हमने कोरोना की तीसरी लहर से खासकर बच्चों और महिलाओं को बचाने के लिए निर्देश दिए हैं. उनके लिए डेडिकेटेड अस्पताल और आईसीयू बनाए जाने के निर्देश दे दिए गए हैं. समन्वय समिति बनाई है, जो ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में मिलकर काम करती है.

नोएडा में ना हो ऑक्सीजन की कमी

सीएम योगी ने कहा कि पोस्ट कोविड में ब्लैक फंगस की समस्या आई है, हमने एडवाइजरी जारी की है. इसे रोकने के लिए कार्य योजना बनाई गई है. सीएमओ, मेडिकल कालेज और जिला अस्पतालों को एडवाइजरी भेजी है. ब्लैक फंगस को लेकर ट्रेनिंग भी दी जा रही है. उन्होंने नोएडा का जिक्र करते हुए कहा कि 27 अप्रैल को जहां 10 हजार से अधिक केस थे, वहीं आज 400 से भी कम हैं.

पूरे प्रदेश में एक्टिव मामलों की संख्या बीते 24 घंटे में घटकर 1.63 लाख रह गई है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि नोएडा दिल्ली से सटा हुआ है. वहां से आवागमन होता है. ऐसे में प्रशासन से कहा गया है कि मरीजों को आक्सीजन की कमी न होने पाए.

ब्लैक फंगस से निपटने को योगी सरकार ने कसी कमर

लखनऊ . उत्तर प्रदेश में कोविड संक्रमण की धीमी होती रफ्तार के बीच पैर-पसारते ब्लैक फंगस नाम की बीमारी से बचाव की तैयारी सरकार ने शुरू कर दी है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एसजीपीजीआई, लखनऊ में ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार की दिशा तय करने के लिए 12 सदस्यीय वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम गठित कर दी गई है. इस टीम से अन्य चिकित्सक मार्गदर्शन भी ले सकेंगे.

एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमन की अध्यक्षता में विशेष टीम ने प्रदेश के विभिन्न सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों के डॉक्टरों को इलाज के बारे में प्रशिक्षण दिया. ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यशाला में डॉक्टरों को ब्लैक फंगस के रोगियों की पहचान, इलाज, सावधानियों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई.

इंतजाम में देरी नहीं: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में ब्लैक फंगस की स्थिति की जानकारी लेते हुए इस मामले में ‘प्रो-एक्टिव’ रहने के निर्देश दिए है. सीएम योगी ने कहा कि विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड से उपचारित मरीजों खासकर अनियंत्रित मधुमेह की समस्या से जूझ रहे लोगों में ब्लैक फंगस की समस्या देखने मे आई है. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार इसके उपचार में उपयोगी दवाओं की उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित कराई जाए. उन्होंने कहा है कि लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए आवश्यक गाइडलाइन जारी कर दी जाएं. सभी जिलों के जिला अस्पतालों में इसके उपचार की सुविधा दी जाए.

प्लास्टिक सर्जन डॉ. सुबोध कुमार सिंह बताते हैं कि म्यूकर माइकोसिस अथवा ब्लैक फंगस, चेहरे, नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है. इससे आँख सहित चेहरे का बड़ा भाग नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है. इसके लक्षण दिखते ही तत्काल उचित चिकित्सकीय परामर्श लेना बेहतर है. लापरवाही भारी पड़ सकती है.

इन मरीजों को बरतनी होगी खास सावधानी:

1- कोविड इलाज के दौरान जिन मरीजों को स्टेरॉयड दवा जैसे, डेक्सामिथाजोन, मिथाइल प्रेड्निसोलोन इत्यादि दी गई हो.

2- कोविड मरीज को इलाज के दौरान ऑक्सीजन पर रखना पड़ा हो या आईसीयू में रखना पड़ा हो.

3.डायबिटीज का अच्छा नियंत्रण ना हो.

4.कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हो.

यह लक्षण दिखें तो तुरंत लें डॉक्टरी सलाह:-

1.बुखार आ रहा हो, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो, सांस फूल रही हो.

2. नाक बंद हो. नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो.

3. आँख में दर्द हो. आँख फूल जाए, एक वस्तु दो दिख रही हो या दिखना बंद हो जाए.

4. चेहरे में एक तरफ दर्द हो , सूजन हो या सुन्न हो (छूने पर छूने का अहसास ना हो)

5. दाँत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दर्द हो.

6. उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आये.

क्या करें :-

कोई भी लक्षण होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर से तत्काल परामर्श करें. नाक, कान, गले, आँख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ से संपर्क कर तुरंत इलाज शुरू करें.

बरतें यह सावधानियां :-

  1. स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर के, दोस्त मित्र या रिश्तेदार की सलाह पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू ना करें.

2. लक्षण के पहले 05 से 07 दिनों में स्टेरॉयड देने से दुष्परिणाम होते हैं. बीमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड शुरू ना करें.

इससे बीमारी बढ़ जाती है.

3. स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 05-10 दिनों के लिए देते हैं, वह भी बीमारी शुरू होने के 05-07 दिनों बाद केवल गंभीर मरीजों को. इसके पहले बहुत सी जांच आवश्यक है.

4. इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें कि इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है. अगर है, तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं?

5. स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें.

6. घर पर अगर ऑक्सीजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबाल कर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नार्मल सलाइन डालें. बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों.

हर साँस को संजीदगी से सहेजने की कोशिश में लगी उत्तर प्रदेश सरकार

लखनऊ . मार्च/अप्रैल में कोरोना की आयी दूसरी लहर की संक्रमण दर पहले की तुलना में 30 से 50 गुना संक्रामक थी. इसी अनुपात में ऑक्सीजन (सांस) की चौतरफा मांग भी निकली. मांग में अभूतपूर्व वृद्धि के नाते ऑक्सीजन की कमी को लेकर देश के अधिकांश राज्यों को परेशान होना पड़ा. उत्तर पदेश में भी ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाहाकार मचा. लोग ऑक्सीजन के सिलिंडर को पाने के लिए परेशान हुए. और कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले अस्पताल भी मरीजों की साँस को सहेजने के लिए सरकार से ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की मांग करने लगे.

ऑक्सीजन रीफिलर के पास ऑक्सीजन के सिलिंडर लेने वालों की भीड़ लगने लगी तो ऑक्सीजन की इस भयावह कमी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूर करने का बीड़ा उठाया. उन्होंने कोरोना संक्रमित हर मरीज की सांसों को सहेजने के लिए अपनी बीमारी की भी परवाह ना करते हुए ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए जो योजना तैयार की, उसके चलते आज यूपी में ऑक्सीजन की कहीं कोई कमी नहीं है. राज्य के हर जिले में मरीजों की सांसों को सहेजने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन के सिलेंडर मौजूद हैं.

ऑक्सीजन की इस उपलब्धता के चलते अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होम आइसोलेशन में कोरोना संक्रमण का इलाज कर रहे लोगों को भी ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराये जाने का निर्देश दिया. यह काम शुरू भी हो गया और बीते 24 घंटे के दौरान होम आइसोलेशन में 3471 कोरोना संक्रमितों को 26.44 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई.

ऑक्सीजन को लेकर चंद दिनों पहले ऐसा सकारात्मक माहौल नहीं था. अभी भी प्रदेश से सटी दिल्ली में ऑक्सीजन कमी बनी हुई है. फिर उत्तर प्रदेश ने ऑक्सीजन की कमी को कैसे दूर किया? तो इसका जवाब है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह पर टीम -9 के अफसरों का एक सैनिक की तरह अपने टास्क को पूरा करने का जुनून. जिसके चलते आज यूपी में ना सिर्फ ऑक्सीजन की कमी खत्म हुई है बल्कि अब ऐसी व्यवस्था की जा रही है, जिसके चलते यूपी में कभी भी किसी अस्पताल को ऑक्सीजन की कमी होने ही नहीं पायेगी.

आखिर वह क्या योजना थी, जिसके चलते यूपी में ऑक्सीजन की कमी खत्म हुई. इस बारे चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले यह जाना कि ऑक्सीजन की कमी क्यों हो रही है और इसे कैसे दूर करने के लिए क्या -क्या किया जाए? इस पर उन्हें बताया गया कि मेडिकल ऑक्सीजन विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल है. कोरोना वायरस मरीजों के फेफड़ों को क्षति पहुंचाता है, जिससे बॉडी में ऑक्सीजन लेवल गिर जाता है. तब जान बचाने के लिए पेशेंट को ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ती है.

कोरोना की दूसरी लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बहुत ज्यादा बढ़ी है और खपत भी. लेकिन आपूर्ति में बाधा से कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी सामने आ रही है. ऑक्सीजन के वितरण की व्यवस्था की कमी इसकी कमी का सबसे प्रमुख कारण है.

यह जानने के बाद मुख्यमंत्री ने भविष्य की जरूरतों को  ध्यान में रखते हुए सभी जिलों में ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का फैसला किया है. इसके लिए बजट भी सरकार ने जारी कर दिया है. इसके साथ ही भारत सरकार, राज्य सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की कार्यवाही भी शुरू की गई है. विभिन्न पीएसयू भी अपने स्तर पर प्लांट स्थापित करा रही हैं. इसके साथ ही गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग और आबकारी विभाग द्वारा ऑक्सीजन जनरेशन की दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. यह विभाग प्रदेश के सभी 75 जिलों में ऑक्सीजन जनरेटर लगाएगा. एमएसएमई इकाइयों की ओर से भी ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के मामले में सहयोग मिल रहा है. इसके अलावा सरकार ने सीएचसी स्तर से लेकर बड़े अस्पतालों तक में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए हैं. यह सभी क्रियाशील रहें, इसे सुनिश्चित किया गया. और जिलों की जरूरतों के अनुसार और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे जाने की अनुमति भी दी गई है. इसके अलावा उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाने का निर्देश दिया. और  ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए 24 घंटे साफ्टवेयर आधारित कंट्रोल रूम, ऑक्सीजन टैंकरों में जीपीएस और ऑक्सीजन के वेस्टेज को रोकने के लिए सात प्रतिष्ठित संस्थाओं से ऑडिट की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा दूसरे राज्यों से ऑक्सीजन मंगाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस और वायु सेना के जहाजों की भी सहायता ली.

प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए उन्होंने टैंकरों की संख्या में इजाफा करने का भी फैसला किया. यूपी में ऑक्सीजन लाने के लिए 64 ऑक्सीजन टैंकर थे, जो अब बढ़कर 89 ऑक्सीजन टैंकर हो गए हैं. केंद्र सरकार ने भी प्रदेश को 400 मीट्रिक टन के 14 टैंकर दिए हैं. मुख्यमंत्री के प्रयासों से रिलायंस और अडानी जैसे निजी औद्योगिक समूहों की ओर से भी टैंकर उपलब्ध कराए गए हैं. इसे बाद भी ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर चिकित्सा विशेषज्ञों ने टैंकरों की संख्या बढ़ाने की सलाह दी. तो सरकार ने क्रायोजेनिक टैंकरों के संबंध में ग्लोबल टेंडर करने की कार्यवाही ही है. जिसके चलते अब ऑक्सीजन की और बेहतर उपलब्धता के लिए देश में क्रायोजेनिक टैंकरों के लिए ग्लोबल टेंडर करने वाला पहला राज्य यूपी बन गया है.

अब यूपी में ऑक्सीजन की कमी को पूरी तरह दूर कर दिया गया है. बीती 11 मई को 1011 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया. इसमें रीफिलर को 632 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कालेजों तथा चिकित्सालयों को 301 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई. जबकि 12 मई को प्रदेश में 1014.53 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया. जिसके तहत रीफिलर को 619.59 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कालेजों तथा चिकित्सालयों को 302.62 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई. और होम आइसोलेशन में इलाज कर रहे 4105 कोरोना संक्रमितों को 27.9 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई. इसी प्रकार 13 मई को प्रदेश में 1031.43 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया. जिसके तहत रीफिलर को 623.11 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कालेजों तथा चिकित्सालयों को 313.02 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई. और होम आइसोलेशन में इलाज कर रहे 3471 कोरोना संक्रमितों को 26.44 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई. प्राइवेट अस्पतालों को 95.29 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई है.

जाहिर है कि लोगों की सांसों को संजीदगी से सहेजने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ऑक्सीजन उपलब्धता की रणनीति कारगर साबित हो रही है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें