अगर आप भी करते हैं तंबाकू का सेवन तो हो जाइए सावधान

तंबाकू से बनी बीड़ी व सिगरेट में कार्बन मोनोऔक्साइड, थायोसाइनेट, हाइड्रोजन साइनाइड व निकोटिन जैसे खतरनाक तत्त्व पाए जाते हैं, जो न केवल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को जन्म देते हैं, बल्कि शरीर को भी कई खतरनाक बीमारियों की तरफ धकेलते हैं. जो लोग तंबाकू या तंबाकू से बनी चीजों का सेवन नहीं करते हैं, वे भी तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों खासकर बीड़ीसिगरेट पीने वालों की संगत में बैठ कर यह बीमारी मोल ले लेते हैं. इसे अंगरेजी भाषा में ‘पैसिव स्मोकिंग’ कहते हैं.

नुकसान ही नुकसान

तंबाकू के सेवन में न केवल लोगों की कमाई का ज्यादातर हिस्सा बरबाद होता है, बल्कि इस से उन की सेहत पर भी कई तरह के गलत असर देखने को मिलते हैं, जो बाद में कैंसर के साथसाथ फेफड़े, लिवर व सांस की नली से जुड़ी कई बीमारियों को जन्म देने की वजह बनते हैं. तंबाकू या सिगरेट का इस्तेमाल करने से सांस में बदबू रहती है व दांत गंदे हो जाते हैं. इस में पाए जाने वाला निकोटिन शरीर की काम करने की ताकत को कम कर देता है और दिल से जुड़ी तमाम बीमारियों के साथसाथ ब्लड प्रैशर की समस्या से भी दोचार होना पड़ता है.

पहचानें कैंसर को

डाक्टर वीके वर्मा का कहना है कि पूरी दुनिया में जितनी तादाद में मौतें होती हैं, उन में से 20 फीसदी मौतों की वजह सिर्फ कैंसर है. गाल, तालू, जीभ, होंठ व फेफड़े में कैंसर की एकमात्र वजह तंबाकू, पान, बीड़ीसिगरेट का सेवन है. अगर कोई शख्स तंबाकू या उस से बनी चीजों का इस्तेमाल कर रहा है, तो उसे नियमित तौर पर अपने शरीर के कुछ अंगों पर खास ध्यान देना चाहिए.

अगर आप पान या तंबाकू का सेवन करते हैं, तो यह देखते रहें कि जिस जगह पर आप पान या तंबाकू ज्यादातर रखते हैं, वहां पर कोई बदलाव तो नहीं दिखाई पड़ रहा है. इन बदलावों में मुंह में छाले, घाव या जीभ पर किसी तरह का जमाव, तालू पर दाने, मुंह का कम खुलना, लार का ज्यादा बनना, बेस्वाद होना, मुंह का ज्यादा सूखना जैसे लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जा कर अपनी जांच कराएं. बताए गए सभी लक्षण कैंसर की शुरुआती दशा में दिखाई पड़ते हैं.

बढ़ती तंबाकू की लत

अकसर स्कूलकालेज जाने वाले किशोरों व नौजवानों को शौक में सिगरेट के धुएं के छल्ले उड़ाते देखा जा सकता है. यह आदत वे अपने से बड़ों से सीखते हैं. सरकार व कोर्ट द्वारा सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है और अगर ऐसा करते हुए किसी को पाया जाता है, तो उस पर जुर्माना भी लगाए जाने का कानून है, लेकिन यह आदेश सिर्फ आदेश बन कर ही रह गया है. हम गुटका खा कर जहांतहां थूक कर साफसुथरी जगहों को भी गंदा कर बैठते हैं, जो कई तरह की संक्रामक बीमारियों की वजह बनता है.

पा सकते हैं छुटकारा

एक सर्वे का आंकड़ा बताता है कि 73 फीसदी लोग तंबाकू खाना छोड़ना चाहते हैं, लेकिन इस का आदी होने की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाते हैं. अगर आप में खुद पर पक्का यकीन है, तो आप तंबाकू की बुरी लत से न केवल छुटकारा पा सकते हैं, बल्कि तंबाकू को छोड़ कर दूसरों के लिए भी रोल मौडल बन सकते हैं.

तंबाकू या उस से बनी चीजों का सेवन करने वाला शख्स अगर कुछ देर इन चीजों को न पाए, तो वह अजीब तरह की उलझन यानी तलब का शिकार हो जाता है, क्योंकि उस का शरीर निकोटिन का आदी बन चुका होता है. ऐसे में लोग तंबाकू के द्वारा निकोटिन की मात्रा को ले कर राहत महसूस करते हैं, लेकिन यही राहत आगे चल कर जानलेवा लत भी बन सकती है.

इन सुझावों को अपना कर भी तंबाकू की लत से छुटकारा पाया जा सकता है:

* तंबाकू की लत को छोड़ने के लिए अपने किसी खास के जन्मदिन, शादी की सालगिरह या किसी दूसरे खास दिन को चुनें और आदत छोड़ने के लिए इस दिन को अपने सभी जानने वालों को जरूर बताएं.

* कुछ समय के लिए ऐसी जगह पर जाने से बचें, जहां तंबाकू उपयोग करने वालों की तादाद ज्यादा हो, क्योंकि ये लोग आप को फिर से तंबाकू के सेवन के लिए उकसा सकते हैं.

* तंबाकू, सिगरेट, माचिस, लाइटर, गुटका, पीकदान जैसी चीजों को घर से बाहर फेंक दें.

* तंबाकू या उस से बनी चीजों के उपयोग के लिए जो पैसा आप द्वारा खर्च किया जा रहा था, उस पैसे को बचा कर अपने किसी खास के लिए उपहार खरीदें. इस से आप को अलग तरह की खुशी मिलेगी.

* तंबाकू की तलब होने के बाद मुंह का जायका सुधारने के लिए दिन में 2 से 3 बार ब्रश करें. माउथवाश से कुल्ला कर के भी तलब को कम कर सकते हैं.

* हमेशा ऐसे लोगों के साथ बैठें, जो तंबाकू या सिगरेट का सेवन नहीं करते हैं और उन से इस बात की चर्चा करते रहें कि वे किस तरह से इन बुरी आदतों से बचे रहे हैं.

* बीड़ीसिगरेट पीने की तलब महसूस होने पर आप अपनेआप को किसी काम में बिजी करना न भूलें. पेंटिंग, फोटोग्राफी, लेखन जैसे शौक पाल कर तंबाकू की लत से छुटकारा पा सकते हैं.

इस मुद्दे पर डाक्टर मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन का कहना है कि अकसर उन के पास ऐसे मरीज आते रहते हैं, जो किसी न किसी वजह से नशे का शिकार होते हैं और वे अपने नशे को छोड़ना चाहते हैं. लेकिन नशे के छोड़ने की वजह से उन को तमाम तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है, जिस में तंबाकू या सिगरेट छोड़ने के बाद लोगों में दिन में नींद आने की शिकायत बढ़ जाती है और रात को नींद कम आती है.

सिगरेट छोड़ने वाले को मीठा व तेल वाला भोजन करने की ज्यादा इच्छा होती है. इस के अलावा मुंह सूखने का एहसास होना, गले, मसूढ़ों व जीभ में दर्द होना, कब्ज, डायरिया या जी मिचलाने जैसी समस्या भी देखने को मिलती है. इस की वजह से वह मनोवैज्ञानिक रूप से मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाता है.

ऐसी हालत में तंबाकू की लत के शिकार लोगों को एकदम से इसे छोड़ने की सलाह दी जाती है, क्योंकि धीरेधीरे छोड़ने वाले अकसर फिर से तंबाकू की लत का शिकार होते पाए गए हैं. तंबाकू छोड़ने के बाद अकसर कोई शख्स हताशा का शिकार हो जाता है. इस हालत में उसे चाहिए कि वह समयसमय पर किसी अच्छे मनोचिकित्सक से सलाह लेना न भूले.

नशे को छोड़कर जिंदगी को चुनें

नशे की लत वह भयंकर बीमारी है, जो न केवल उस शख्स को, बल्कि उस के पूरे परिवार को खोखला कर देती है. इस की भयावहता का अंदाजा उस परिवार को देख कर आसानी से लगाया जा सकता है, जिस का मुखिया ही नशे की गिरफ्त में हो. नशेड़ी बेरोजगार हो जाता है और तरहतरह की बीमारियों का शिकार हो जाता है. उस के परिवार की हालत दरदर भटकते भिखारी जैसी हो जाती है और उस की समाज में इज्जत वगैरह सब खत्म हो जाती है. नशेड़ी 2 तरह के होते हैं. एक वे, जो नशा करने को बुरा नहीं मानते हैं. दूसरे वे, जो इसे बुरा मानते हैं, पर लत से मजबूर हैं. जो बुरा नहीं मानते हैं, उन को कुछ भी समझाओ, उन के पास जवाब पहले से हाजिर होते हैं. आओ उन के जवाब देखते हैं :

सवाल : अरे भैया, देखो तो नशे से तुम्हारा शरीर कैसा हो गया है?

नशेड़ी : कैसा हो गया है. एक दिन तो सब का शरीर मिट्टी में मिलना ही है.

सवाल : पर उस दिन के आने से पहले ही क्यों मरना चाहते हो?

नशेड़ी : आप को पता है क्या, मौत कब आएगी? मौत तो जब आनी है, तब आएगी.

सवाल : देखो कितना पैसा इस में लग जाता है. सही कहा न?

नशेड़ी : मैं अपने पैसे की पीता हूं, आप से मांगने तो नहीं आता?

सवाल : तुम्हारी पत्नी, मांबाप, बच्चे सब दुखी होंगे?

नशेड़ी : उन की चिंता मुझे करनी है. आप अपने काम से काम रखो.

इस दर्जे के नशेडि़यों से नशा नहीं छुड़ा सकते. नशा छुड़ाने के लिए इन्हें ‘नशा मुक्ति केंद्र’ में ले जाना ही उचित रहेगा. दूसरे नशेड़ी वे हैं, जो नशे को बुरा मानते हैं. वे इसे छोड़ना भी चाहते हैं, पर लत से मजबूर हैं. ऐसे नशेड़ी अगर कोशिश करें, तो नशा छोड़ सकते हैं. कुछ सुझाव पेश हैं:

1. बुरी संगत से दूर रहें

नशा देखादेखी का शौक है. अगर ऐसे लोगों से दूर रहें जो नशा करते हैं, तो आप की इच्छा नहीं होगी या इच्छा होगी भी, तो आप दबा पाएंगे. ऐसे लोगों को आप को बताना भी नहीं चाहिए कि आप ने नशा करना छोड़ दिया है, वरना वे आप को जबरदस्ती उस जगह ले जाएंगे और तरहतरह से आप को फुसलाएंगे. फिर आप खुद को रोक नहीं पाएंगे, इसलिए ठीक यही है कि ऐसे लोगों की संगत से दूर रहें.

2. अपनी सेहत पर ध्यान दें

कभी जिम में जाना शुरू करें, सुबह घूमने जाना शुरू करें. हर रोज आईने में देखें और अपनेआप से कहें कि अब चेहरा कितना सुंदर होता जा रहा है. अच्छे कपड़े पहनें और बनठन कर रहना शुरू करें.

3. परिवार के साथ रहें

आमतौर पर नशे की तलब एक खास समय पर होती है. उस समय अपने परिवार के साथ बिताएं. परिवार को भी चाहिए कि उस समय नशे करने वाले सदस्य को जितना हो सके, बिजी रखें. प्यार भरा बरताव करें और किसी भी बात पर उन्हें गुस्सा न दिलाएं.

4. जेब में पैसे न रखें

जहां तक हो सके, जेब में पैसे ही न रखें या बहुत ही कम रखें. जब जेब में पैसे ही नहीं होंगे, तो आप नशा खरीद नहीं पाएंगे और तलब का समय निकल जाएगा.

5. ऐसी जगह से बचें

आनेजाने का रास्ता बदल लें, जहां आप नशा करते थे. कितनी भी तलब उठे, उस जगह न जाएं. इसी तरह से शादी या दूसरे कार्यक्रमों में जहां नशे की पार्टी चल रही हो, वहां न जाएं. आप खुद को शाबाशी दें कि आप में कितनी मजबूती है. इस से तलब धीरेधीरे कम हो जाएगी. शुरू में ज्यादा तलब होगी, पर अगर आप मन को मजबूत रखेंगे और नशा नहीं करेंगे, तो जैसेजैसे दिन बीतते जाएंगे, आप की तलब कम होती जाएगी और धीरेधीरे खत्म हो जाएगी.

6. शपथ ले लीजिए

आप शपथ भी ले सकते हैं कि चाहे कोई मुझ पर कितना भी दबाव डाले, मैं  प्रतिज्ञा करता हूं कि अब किसी तरह का नशा नहीं करूंगा.

इसे रोजाना 3 बार बोलिए. जब भी आप को नशे की तलब उठे, तो मन को मजबूत बनाए रखें. कुलमिला कर आप को हर हाल में अपने मन की मजबूती बनाए रखनी है. न तो यह सोचें कि आज नशा कर लेते हैं, कल से नहीं लेंगे. बहादुर बनिए. गम का डट कर सामना कीजिए. इस बात पर भरोसा रखिए कि समय के साथसाथ सब ठीक हो जाता है. पहले भी आप की जिंदगी में कितने ही गम आए होंगे, पर आज वे बीती बात बन गए हैं. इसी तरह से ये भी आने वाले समय में बीती बात बन जाएंगे. आप इस दुनिया में नशेड़ी बनने के लिए नहीं आए हैं. आप की जिंदगी बहुत कीमती है. यह दोबारा नहीं मिलेगी. इसे नशे की भेंट न चढ़ाइए.

रेव पार्टीज का बढ़ता क्रेज

आज युवाओं में पार्टी देने या लेने का शगल तेजी से बढ़ता जा रहा है. वे बातबात पर पार्टियां आयोजित करते हैं जिन में भरपूर मस्ती होती है. ये पार्टियां देर तक चलती हैं. ऐसी ही एक पार्टी है रेव पार्टी. रेव पार्टियों की शुरुआत 20वीं सदी के छठे दशक में लंदन में हुई थी. पहले इस प्रकार की पार्टियां जंगल में आयोजित की जाती थीं, लेकिन 1960 के बाद इन्हें शहर के गुमनाम पबों और गैराजों में आयोजित किया जाने लगा. इस दौरान इन पार्टियों के लिए एक विशेष संगीत तैयार किया गया जिस में इलैक्ट्रौनिक वा-यंत्रों का प्रयोग भी किया गया. जिस का 28, जनवरी 1967 को राउंड हाउस में सार्वजनिक प्रदर्शन किया गया था. 1970 के दशक में यह संगीत काफी लोकप्रिय हुआ था.

1970 में जब कुछ हिप्पी गोआ घूमने आए तो उन के द्वारा गुपचुप तरीके से इन पार्टियों की शुरुआत गोआ के पबों में भी कर दी गई.

धीरेधीरे इन पार्टियों में हिप्पियों के साथ कुछ स्थानीय युवा भी जुड़ने लगे, क्योंकि हिप्पियों द्वारा शुरू की गई इन रेव पार्टियों में शराब, ड्रग्स, म्यूजिक, नाचगाना और सैक्स का कौकटैल परोसा जाता था.

धीरेधीरे भारत के धनकुबेरों में इन पार्टियों का क्रेज बढ़ता जा रहा है. इन पार्टियों का विस्तार मैट्रो शहरों के साथ ही जयपुर, नोएडा व गुड़गांव जैसे शहरों में भी हो चुका है.

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रेव पार्टी का शाब्दिक अर्थ है मौजमस्ती की पार्टी. रेव का अर्थ मदमस्त और उत्तेजित होना भी है. मदमस्त और उत्तेजित होने के लिए अमीर अपनी गर्लफ्रैंड व बौयफ्रैंड्स के साथ एसिड, एक्सटैसी, हशीश, गांजा, हेरोइन, अफीम, चरस, साथ ही शराब का भी भरपूर प्रयोग करते हैं.

दिल्ली स्थित एक डिएडिक्शन सैंटर की वरिष्ठ डा. अनीता चौधरी का कहना था कि आधुनिक धनकुबेरों की बिगड़ी संतानें रेव पार्टियों के प्रति जनूनी बन रही हैं. यह बात दीगर है कि ड्रग्स लेने से कुछ समय के लिए उत्तेजना और शक्ति बढ़ जाती है. इसलिए वे ड्रग्स लेने के बाद काफी समय तक थिरकते और मटकते रहते हैं, लेकिन ये ड्रग्स युवाओं में आक्रामकता भी पैदा करते हैं. बचपन बचाओ आंदोलन के प्रमुख कैलाश सत्यार्थी की मानें तो हमारे देश के लगभग 19 फीसदी किशोर व युवा किसी न किसी नशे के आदी हैं.

रेव पार्टियों के शौकीन युवा फ्री सैक्स में विश्वास रखते हैं. इसलिए इन पार्टियों में सैक्स है, नशा है, खुमार है और मस्ती के नाम पर अश्लीलता है.

इस संस्कृति को दिन के उजाले से नफरत और रात के अंधेरे से बेइंतहा प्यार होता है. कमाओ, ऐश करो और मरो या मारो, इस अपसंस्कृति का मूलमंत्र है. कुछ लोग इसे निशाचर संस्कृति भी कहते हैं.

20वीं सदी के अंत तक केवल कुछ बिगड़े हुए युवा ही रात रंगीन किया करते थे, लेकिन वर्तमान में युवतियां भी ऐश व रात रंगीन करने के इस जश्न में बराबर की भागीदार हैं. रेव पार्टियों की रंगबिरंगी रोशनी और मदहोश करने वाले संगीत में ये आधुनिक युवतियां भी पूरी तरह मदमस्त हो जाती हैं. वे अपने जीवन की सार्थकता उन्मुक्त आनंद और मौजमस्ती को ही मान रही हैं. इन रेव पार्टियों का प्रवेश शुल्क 5 से 10 हजार रुपए तक होता है.

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इस प्रकार की रेव पार्टियां पांचसितारा होटल, क्लब व आधुनिक फौर्म हाउसों में आयोजित की जाती हैं, जहां पर नृत्य व संगीत के आनंद के साथ ही लेजर तकनीक के जरिए साइकेडेलिक रोशनियों से चकाचौंध पैदा की जाती है और रंगबिरंगे इस माहौल में युवा मैसमेराइज होने लगते हैं.

एक कड़वा सच यह भी है कि इन रेव पार्टियों में जबरदस्त कानफोड़ू म्यूजिक, लाइट शो के साथ ही नशीले पदार्थों का भी भरपूर प्रयोग होता है. इन नशीले पदार्थों में जो सब से फेवरिट और डिमांड वाले हैं वे हैं, एसिड और एक्टैसी. इन्हें लेने के बाद युवा लगातार 8 घंटे तक डांस कर सकते हैं.

ये ड्रग्स उन में लगातार नाचने का जनून पैदा करते हैं. इन पदार्थों को लंबे समय तक सैक्स करने के लिए भी युवाओं द्वारा उपयोग में लाया जाता है. इन रेव पार्टियों में धोखे से युवतियों को डेट रेप ड्रग दे कर उन का बलात्कार तक किया जाता है.

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