Diwali Festival 2023 : भारतीय जनजीवन में त्योहारों (Festivals) और उत्सवों का आदिकाल से ही काफी महत्त्व रहा है. यहां मनाए जाने वाले सभी त्योहार मानवीय गुणों को स्थापित कर लोगों में प्रेम, एकता व सद्भावना को बढ़ाने का संदेश देते हैं. दरअसल, ये त्योहार ही हैं जो परिवारों (Family) और समाज (Society) को जोड़ते हैं. त्योहार हमारी संवेदनाओं और परंपराओं (Rituals) के ऐसे जीवंत रूप हैं जिन्हें मनाना या यों कहे कि बारबार मनाना हमें अच्छा लगता है क्योंकि अनोखे रंग समेटे त्योहार हमारे जीवन में उमंग और उत्साह की नई लहरों को जन्म देते हैं.

क्यों जरूरी हैं त्योहार

  1. त्योहार जीवन को खुशहाल व रिश्तों को मजबूत बनाने में एक अटूट कड़ी की भूमिका निभाते हैं.
  2. होली का त्योहार जहां मस्ती और मौज का संदेश देता है वहीं दीवाली अंधकार को दूर कर के जीवन में रोशनी भरने का.
  3. त्योहार अच्छा खाना, अच्छा पहनना, खुश रहने और जीवन को खुशनुमा बढ़ाने का श्रेष्ठ माध्यम होते हैं.
  4. ऐतिहासिक विरासत और जीवंत संस्कृति के सूचक ये त्योहार विदेशियों के समक्ष भी हमारे सरस और सजीले सांस्कृतिक वैभव का प्रदर्शन करते हैं और हमें गौरवान्वित होने का अवसर देते हैं.
  5. जीवन को नई ताजगी देते त्योहार जीवन में जीने का उत्साह और उल्लास का रंग भरते हैं जिस से जीने का हौसला दोगुना हो जाता है. रोजमर्रा की परेशानियों को भुला कर हमें सजनेसंवरने और नए स्वाद चखने का भी अवसर देते हैं ये त्योहार.

रोशनी का त्योहार

अमावस्या के अंधकार में ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ यानी अंधेरे से रोशनी की तरफ जाने का संदेश देता दीवाली का त्योहार आकाश में पटाखों की रोशनी  और समृद्धि की अभिव्यक्ति है. आशाओं के उत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस त्योहार का महत्त्व जीवन के अनमोल पहलुओं से जुड़ा हुआ है. इस का उद्देश्य भाईचारे को बढ़ाते हुए एकदूसरे के दुखसुख का हमसफर बनना है.

नएपन का एहसास

बदलते समय के साथ बदल रहा है समाज और बदल रहा है त्योहारों को मनाने का अंदाज भी. ‘मैं तो लूंगा खीलखिलौने तुम भी लेना भाई’ की जगह अब औनलाइन गिफ्टिंग, हाईटैक डिजिटल दीवाली और मौल संस्कृति का नया रूप देखने को मिल रहा है. आइए, नजदीक से देखें दीवाली के बदले रूप को.

औनलाइन गिफ्टिंग

उद्योग जगत के एक अनुमान के अनुसार, औनलाइन गिफ्टिंग का बाजार 1,000 करोड़ रुपए से अधिक का है. औनलाइन गिफ्टिंग के जरिए दूर बैठे अपनों को उपहारों के जरिए दीवाली की खुशियां बांटने का यह माध्यम दिनोंदिन जोर पकड़ रहा है. गिफ्टिंग का यह बदला अंदाज दूरियों को नजदीकियों में बदलने का बेहतर माध्यम सिद्ध हो रहा है.

मिठाइयों, चौकलेट्स, कार्ड्स, फ्लावर बुके, ज्वैलरी, कौर्पोरेट गिफ्ट्स सभीकुछ औनलाइन शौपिंग साइट्स पर मौजूद हैं. इन साइट्स पर पीवीआर मूवी गिफ्ट कार्ड्स, कैफेकौफी डे गिफ्ट वाउचर्स, स्पा सैलून की अनेक स्कीम्स भी मौजूद हैं जिन्हें आप बस एक क्लिक पर अपनों को, वे चाहे कहीं भी हों उपहारस्वरूप दे कर उन की खुशियों में अपनी खुशियां ढूंढ़ सकते हैं.

बढ़ते उपयोगी उपहार

चौकलेट के विज्ञापनों ने भारतीय रिश्तों व परिवार के आपसी प्रेम को त्योहारों से जोड़ दिया है, फिर चाहे वह रोशनी का त्योहार दीवाली हो या भाईबहन के अटूट बंधन का रक्षाबंधन. विदेशी कंपनियां भारतीय त्योहारों को ध्यान में रख कर अपने प्रौडक्ट लौंच कर रही हैं. हाटबाजारों, मेलों की जगह मौल संस्कृति जन्म ले रही है. बाजारों में सस्ते और विभिन्न वैरायटी के इतने उपहार मौजूद हैं कि आप के लिए चुनना मुश्किल हो जाएगा. यह बदलाव व नयापन अच्छा तभी होगा जब वह समाज के हर वर्ग के हित में हो, विदेशी कंपनियों के कुचक्र में छोटे व्यापारियों के हितों की बलि न चढ़े और बाजारीकरण हावी न हो.

दीयों की रात वादों की सौगात

दीवाली की खुशियां आप की जिंदगी में ताउम्र बनी रहें, इस के लिए आप भी पूरे करें वे वादे जो आप को और आप के अपनों को सही माने में दीवाली की खुशियां दें.

बड़ों को खुशियां देने का वादा : रोहित के बुजुर्ग पिता घुटनों में दर्द की शिकायत से परेशान रहते थे. प्राइवेट नौकरी की भागदौड़ में रोहित समझ नहीं पा रहा था कि कैसे वह अपने पिता की तकलीफ दूर करे. ऐसे में रोहित के एक दोस्त ने उसे सलाह दी कि वह अपने पिता को एक मसाजर गिफ्ट करे. रोहित ने दोस्त की सलाह मान कर अपने पिता को मसाजर गिफ्ट किया. मसाजर से रोहित के पिता की तकलीफ दूर हो गई और रोहित को यह खुशी हुई कि उस ने अपने पिता के लिए कुछ किया.

दरअसल, कई बार नौकरी व व्यवसाय की भागदौड़ में हम उन की परेशानियों और जरूरतों को समझ नहीं पाते. ऐसे में छोटीछोटी बातों से कुछ ऐसा करें जिन से वे खुश रहें, वे खुश रहेंगे तो आप भी खुश रहेंगे.

बच्चों को समय देने का वादा : बच्चे हमारे जीवन की सब से बड़ी पूंजी होते हैं. उन के विकास के लिए हम उन्हें अच्छी शिक्षा, सुखसुविधाओं के साथसाथ समयसमय पर उपहार दे कर उन्हें खुशियां देने का प्रयास करते हैं. लेकिन कई बार हम उन की सब से जरूरी जरूरत यानी उन्हें समय देना भूल जाते हैं, उन के साथ हंसीखुशी के पल बांटना भूल जाते हैं. पेरैंटिंग का सब से जरूरी नियम है बच्चों की भावनात्मक जरूरतों को समझना, उन के विचारों, मनोभावों को जानना.

स्वस्थ रहने का वादा : इस दीवाली आप खुद से एक वादा कीजिए कि आप अपने साथसाथ पूरे परिवार को फिट व हैल्दी रखने की जिम्मेदारी उठाएंगे यानी हैल्थ पर विशेष ध्यान देंगे.

देर से सोने व जागने की आदत को करेंगे अलविदा.

घर से बिना ब्रैकफास्ट किए नहीं निकलेंगे.

अतिरिक्त वजन घटाएंगे.

जंकफूड की जगह हैल्दी फूड को खानपान का हिस्सा बनाएंगे.

साल में 1 बार स्वास्थ्य जांच अवश्य कराएंगे.

मौर्निंग वाक और ऐक्सरसाइज को दिनचर्या का हिस्सा बनाएंगे.

ईकोफ्रैंडली दीवाली : जीवन से अंधेरे को दूर कर के रोशनी फैलाने वाले इस त्योहार पर आप खुद से वादा करें कि आप ‘सेव नेचर सेव लाइफ’ पर आधारित ईकोफ्रैंडली दीवाली मनाएंगे और पर्यावरण को प्रदूषणमुक्त रखने में अपना योगदान देंगे.

  1. दीवाली सैलिब्रेशन का समय निर्धारित कर के मात्र 3-4 घंटे ही दीवाली मनाएंगे.
  2. ईकोफ्रैंडली पटाखों का इस्तेमाल करेंगे, कैमिकल बेस्ड पटाखों का इस्तेमाल नहीं करेेंगे. बिजली की झालरों की जगह परंपरागत मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करेंगे. इस से बिजली की बचत होगी.
  3. रंगोली में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करेंगे, जैसे सफेद रंग के लिए चावल पाउडर, लाल रंग के लिए कुमकुम, पीले के लिए हल्दी वगैरह.
  4. घर की सजावट ताजे गेंदे व रजनीगंधा के फूलों से करेंगे. आम के पत्तों व गेंदे के ताजे फूलों की बंदनवार से घर सजाएंगे.
  5. पटाखे अकेले अपने परिवार के साथ छोड़ने के बजाय दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ मिल कर छोड़ेंगे.

बचत का वादा : दीवाली के नजदीक आते ही जहां एक ओर बाजार व शौपिंग मौल रंगबिरंगे उपहारों व सजावटी सामानों से भर जाते हैं वहीं कंपनियां इस समय विभिन्न औफर्स ला कर ग्राहकों को लुभाने का प्रयास करती हैं. नतीजतन, लोगों में ‘मौका भी है और दस्तूर भी’ की राह पर शौपिंग का क्रेज उमड़ने लगता है, जो बाद में जेब व बजट दोनों पर भारी पड़ता है. इसलिए इस दीवाली में खुद से वादा कीजिए कि व्यर्थ की फुजूलखर्ची करने के बजाय किफायत से काम लेंगे.

वैसे, ध्यान रखिए कि स्मार्ट होममेकर स्मार्ट चीजें ही खरीदते हैं. इस दीवाली फुजूलखर्ची न कर के आप ने जो बचत की है उसे विभिन्न निवेश प्लान में लगा कर घर और परिवार के भविष्य को सुरक्षित करेंगे और बचत में समझदारी के वादे को पूरा करेंगे.

दोस्तों से वादा : आज की व्यस्त जिंदगी में रिश्तों के साथ दोस्त भी कहीं पीछे छूट जाते हैं. तो इस दीवाली अपनेआप से वादा कीजिए कि दोस्तों के हमेशा टच में रहेंगे. अपने हर सुखदुख उन के साथ बांटेंगे. टच में रहने के लिए आप मैसेजेस, सोशल नैटवर्किंग साइट्स के साथसाथ महीने में 1 बार वीकेंड पर और त्योहारों पर गेटटुगेदर पार्टी का सहारा ले सकते हैं. पार्टी का आयोजन आप घर पर कर सकते हैं, इस से बचत तो होगी ही साथ ही, दोस्तों का एकदूसरे के परिवार से मेलजोल बढ़ेगा. ऐसी पार्टियों से पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं और माहौल खुशनुमा हो जाता है.

आडंबरों को न ढोने का वादा : दीवाली के दिन हर घर में जलने वाले दीये की रोशनी का उद्देश्य मन में छिपे व्यर्थ के अंधविश्वासों व आडंबरों को दूर करना है लेकिन व्यर्थ की पूजापाठ व पंडेपुजारियों के चक्कर में पड़ कर लोग मेहनत व ईमानदारी के बजाय ऐसे काम करते हैं जिन से वे अकर्मण्यता की ओर अग्रसर होते हैं. इस दीवाली आप वादा कीजिए कि आप अंधविश्वासों व आडंबरों के बजाय समाज की प्रगति में निवेश करेंगे. उदास चेहरों पर खुशियां ला कर दीवाली की जगमगाहट को और फैलाएंगे न कि व्यर्थ की परंपराओं को ढो कर खुशियों के त्योहार को बोझ बनाएंगे.

ये सारे वादे आप को न सिर्फ करने हैं बल्कि निभाने भी हैं. इन्हीं वादों के बीच एक वादा यह भी कि आप न सिर्फ दीवाली के दिन बल्कि हर दिन अपनेआप को प्रैजैंटेबल बनाए रखेंगे. खुद को खूबसूरत दिखने का कोई मौका न छोड़ेंगे. तो, इस तरह खुद से किए गए आप के ये वादे आप को सब की नजरों में प्रशंसा का पात्र बना देंगे और फिर आप को हर दिन हर पल खास नजर आएगा.

हर साल नई आशा नई चुनौती : हर बार की तरह दीवाली एक बार फिर आ गई है. घर सज गए हैं, बाजारों में रौनक हैं, सभी जम कर खरीदारी कर रहे हैं, नए कपड़े, घर की साजसजावट, उपहारों का आदानप्रदान हो रहा है लेकिन इन सभी के बीच हर साल कुछ चुनौतियां और कुछ नई आशाएं होती हैं कि यह दीवाली पिछली दीवाली से और अच्छी हो, सब के चेहरों पर खुशियों की रोशनी जगमगाए लेकिन यह तभी होगा जब हम कुछ खास बातों का ध्यान रखें :

सेहत का न निकालें दिवाला : हर साल दीवाली पर मिठाइयों में मिलावट के अनेक मामले सामने आते हैं. खोये में मैदा, सिंथेटिक दूध, डिटर्जेंट पाउडर, यूरिया, चांदी के वर्क की जगह एल्यूमिनियम फौयल, नकली रंग का कैमिकल, सस्ती सैक्रीन जो एक प्रकार का कैमिकल होती है, का प्रयोग किया जाता है. जिस में लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ होता है और खुशियों का त्योहार दुख के मातम में बदल जाता है. त्योहारों के अवसर पर ऐसे अपराध समाज के लिए चुनौती हैं और उम्मीद करते हैं कि ऐसे अपराध करने वाले लोग दूसरों की जिंदगियों से नहीं खेलेंगे.

पर्यावरण के लिए चुनौती : दीवाली के अवसर पर पटाखों का शोर और उन से निकलने वाले हानिकारक धुएं से न सिर्फ पर्यावरण संबंधी समस्याएं जन्म लेती हैं स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ती हैं. डाक्टरों के अनुसार, 90 डैसीबल से अधिक तेज आवाज वाले पटाखे सुनने की शक्ति के लिए हानिकारक होते हैं जबकि दीवाली पर बिकने वाले अधिकांश पटाखे 120 डैसीबल से अधिक आवाज वाले होते हैं.

त्योहारों का रिश्ता सारे समाज से है उन्हें केवल निजी खुशियों तक सीमित न रख कर पूरे समाज के सुखदुख की दृष्टि से देखना ही लोगों के जीवन से अंधकार को दूर करेगा और जीवन में रंगों की रंगोली व खुशियों का प्रकाश फैलाएगा.

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