Wrirter- Supriya Sharma

दफ्तर में आज सिर्फ सना के ही चर्चे थे. सना ने सेल्स टीम में ज्वाइन किया था. लड़कों में उसकी खूबसूरती और लड़कियों में एटिट्यूट के चर्चे थे. एचआर असिस्टेंट ने पूरे फ्लोर पर एक-एक एम्लॉई से उसे मिलवाया. संभवत: ये पहला ऐसा मौका था जब दफ्तर में हर कोई हाथ मिलाकर नए एम्पालॉइ का स्वागत करना चाह रहा था. वैसे इसमें गलत भी क्या है, ये तो कॉरपोरेट कल्चर है. लेकिन उसकी बला की खूबसूरती एक बार तो उसे छूकर देख लेने की हसरत पूरी करा ही रही थी.

लंच ब्रेक में नई तरह की चर्चा ऑफिस में शुरू हो गई. ऑफिस की कैंटीन से दिखने वाली बाहर की चाय की थड़ी पर सना सिगरेट पी रही थी. अब चर्चा उसके सौन्दर्य की कम, उसके बोल्ड होने की ज्यादा होने लगी. कहीं ‘जज’ करने सरीखे व्यंग्य, कहीं ‘बायगॉड की कसम, तेरी भाभी मिल गई’ जैसी मजाक.

सना कैंटीन के रास्ते ऊपर फिर से फ्लोर पर लौट ही रही थी, कि पंचिंग गेट पर रौनक अपना कंधा उसे छूते हुए निकला. ‘ओह सॉरी’ बोल कर रौनक आगे बढ़ गया.

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सना को ये ‘सॉरी’ आर्टीफिशियल सा लगा. वो बार-बार सोच रही थी कि कंधा टकराना नॉर्मल हो सकता है लेकिन पूरे हाथ को छूते हुए निकलना और सॉरी बोलते वक्त उसका आंखों की बजाये शरीर की ओर घूरना, एक सामान्य घटना नहीं थी. कुछ मिनट तक इस पर सोचने के बाद वो इस घटना को इग्नोर करते हुए फिर से एचआर विंग में जाकर बैठ गई. वहां पहुंचते ही रूमा ने उसे कहा- ‘छू गया तुम्हें भी वो हरामी ?’

‘सॉरी, क्या कहा आपने’, सना ने चौंक कर रूमा की ओर देखा. ‘देख रही थी मैं, गेट पर वो तुमसे कैसे टकरा कर गया.’

‘हां, वो सॉरी बोल रहे थे, हू इस ही ?’  सना ने रूमा की बात का जवाब दिया.

रूमा बोली- ‘वो रौनक है, बास्टर्ड साला… बस मौका चाहिए उसे टकराने का. तीन साल में कभी एक बार भी उसकी आंखे शरीर की तांक झांक से हटते नहीं देखी मैंने. इस फ्लोर पर कोई ऐसी लड़की नहीं, जिससे वो एक्सीडेंटली टकराता नहीं. बॉस का खास चमचा है, सब्जी पहुंचाने से लेकर बच्चों को टूशन ले जाने तक का जिम्मा इसी का है, इसलिए इसे कुछ बोल नहीं सकते. बस सहना पड़ता है.’

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सना की ज्वाइनिंग और उस टक्कर को आज दो साल बीत चुके हैं. सना तीन दिन पहले रिजाइन भी कर चुकी है. रौनक वहीं उसी दफ्तर में रौनक फैला रहे हैं. अब भी वो किसी से भी टकरा जाते हैं.

न किसी ने उसे कुछ कहा, न किसी ने उसके ऊपर वालों से कुछ कहा. रौनक का प्रमोशन हो चुका है.  कैबिन मिल गया है. आते-जाते आजकल वो कंधे की बजाये सीधे-सीधे टकरा जाते हैं. ऑफिस फीमेल स्टाफ थोड़ा संभल कर चलता है तो वो फीमेल विजिटर्स से टकरा जाते हैं. पर हां, शराफत बरकरार है, ‘सॉरी’ जरूर बोलते हैं.

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