लेखक- डा. विकास सिंगला
युवा कामकाजी प्रोफैशनल्स में अल्कोहल सेवन, धूम्रपान के बढ़ते चलन और गालस्टोन के कारण पैनक्रियाटिक रोगों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पैनक्रियाज से जुड़ी बीमारियों में एक्यूट पैनक्रियाटाइटिस, क्रोनिक पैनक्रियाटाइटिस और पैनक्रियाटिक कैंसर के मामले ज्यादा हैं. लेकिन आधुनिक एंडोस्कोपिक पैनक्रियाटिक प्रक्रियाओं की उपलब्धता और इस बीमारी की बेहतर सम झ व अनुभव रखने वाली विशेष पैनक्रियाटिक केयर टीमों की बदौलत इस से जुड़े गंभीर रोगों पर भी अब आसानी से काबू पाया जा सकता है.
आधुनिक पैनक्रियाटिक उपचार न्यूनतम शल्यक्रिया तकनीक के सिद्धांत पर आधारित है और इसे मरीजों के लिए सुरक्षित व स्वीकार्य इलाज माना जाता है.
पेट के पीछे ऊपरी हिस्से में मौजूद पैनक्रियाज पाचन एंजाइम और हार्मोन्स (ब्लडशुगर को नियंत्रित रखने वाले इंसुलिन सहित) को संचित रखता है. पैनक्रियाज का मुख्य कार्य शक्तिशाली पाचन एंजाइम को छोटी आंत में संचित रखते हुए पाचन में सहयोग करना होता है. लेकिन स्रावित होने से पहले ही जब पाचन एंजाइम सक्रिय हो जाते हैं तो ये पैनक्रियाज को नुकसान पहुंचाने लगते हैं जिन से पैनक्रियाज में सूजन यानी पैनक्रियाटाइटिस की स्थिति बन जाती है.
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एक्यूट पैनक्रियाटाइटिस इन में सब से आम बीमारी है, जो प्रतिदिन 50 ग्राम से ज्यादा अल्कोहल सेवन, खून में अधिक वसा और कैल्शियम होने, कुछ दवाइयों के सेवन, पेट के ऊपरी हिस्से में चोट, वायरल संक्रमण और पैनक्रियाटिक ट्यूमर के कारण होती है. गालब्लैडर में पनपी पथरी पित्तवाहिनी तक पहुंच सकती है और इस से पैनक्रियाज नली में रुकावट आ सकती है, जिस कारण एक्यूट पैनक्रियाटाइटिस होता है. बुजुर्गों में ट्यूमर ही इस का बड़ा कारण है. इस में पेट के ऊपरी हिस्से से दर्द बढ़ते हुए पीठ के ऊपरी हिस्से तक पहुंच जाता है. कुछ गंभीर मरीजों को सांस लेने में तकलीफ और पेशाब करने में भी दिक्कत आने लगती है.
इस बीमारी का पता लगने पर ज्यादातर मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल में रहना पड़ता है. मामूली पैनक्रियाटाइटिस आमतौर पर एनलजेसिक और इंट्रावेनस दवाइयों से ही ठीक हो जाती है. लेकिन थोड़ा गंभीर और एक्यूट पैनक्रियाटाइटिस जानलेवा भी बन सकती है और इस में मरीजों को लगातार निगरानी व सपोर्टिव केयर में रखना पड़ता है.
ऐसी स्थिति में मरीज को नाक के जरिए ट्यूब डाल कर भोजन पहुंचाया जाता है. पैनक्रियाज के आसपास की नलियों से संक्रमित द्रव को कई बार एंडोस्कोपिक तरीके से या ड्रेनट्यूब के जरिए बाहर निकाला जाता है. उचित इलाज और विशेषज्ञों की देखरेख में एक्यूट पैनक्रियाटाइटिस से पीडि़त ज्यादातर मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं.
इस बीमारी की पुनरावृत्ति से बचने के लिए अल्कोहल का सेवन छोड़ देना चाहिए और गालब्लैडर से सर्जरी के जरिए पथरी निकलवा लेनी चाहिए. लिपिड या कैल्शियम लैवल को दवाइयों से नियंत्रित किया जा सकता है. इस के अलावा, क्रोनिक पैनक्रियाटाइटिस की डायग्नोसिस और इलाज में एंडोस्कोपिक स्कारलैस प्रक्रियाओं की अहम भूमिका होती है. इस में मरीज को लगातार दर्द या पेट के ऊपरी हिस्से में बारबार दर्द होता है. लंबे समय तक बीमार रहने पर भोजन पचाने के लिए जरूरी पैनक्रियाटिक एंजाइम की कमी और इंसुलिन के अभाव में डायबिटीज होने के कारण डायरिया की शिकायत हो जाती है. पैनक्रियाज और इस की नली की जांच के लिए इस में एमआरसीपी और एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड जैसे टैस्ट कराने पड़ते हैं.
पैनक्रियाटिक ट्यूमर भी धूम्रपान, डायबिटीज मेलिटस, क्रोनिक पैनक्रियाटाइटिस और मोटापे के कारण होता है. इस के लक्षणों में पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, पीलिया, भूख की कमी और वजन कम होना है. ऐसे मरीजों का सब से पहले सीटी स्कैन किया जाता है. जरूरत पड़ने पर ही ईयूएस और टिश्यू सैंपलिंग कराई जाती है. इस में लगभग 20 फीसदी कैंसर का पता लगते ही सर्जरी कराई जाती है, बाकी मरीजों को कीमोथेरैपी दी जाती है.
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कीमोथेरैपी के बाद बहुत कम जख्म रह जाता है और फिर मरीज की सर्जरी की जाती है. कीमोथेरैपी से पहले मरीज के पीलिया के इलाज के लिए कई बार ईआरसीपी और स्टेंटिंग भी कराई जाती है. ईआरसीपी के दौरान पित्तवाहिनी में स्टेंट डाला जाता है ताकि ट्यूमर के कारण आए अवरोध को दूर किया जा सके.
पैनक्रियाटिक कैंसर से पीडि़त कुछ मरीजों को तेज दर्द भी हो सकता है. ऐसे में उन्हें दर्द से नजात दिलाने के लिए ईयूएस गाइडेड सीपीएन (सेलियक प्लेक्सस न्यूरोलिसिस) कराया जाता है.
(लेखक मैक्स सुपरस्पैशलिटी हौस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली के गैस्ट्रोएंट्रोलौजी विभाग के निदेशक हैं.)
ब्रेन पावर के लिए खाएं ये फूड्स
हमारा ब्रेन पावर बढ़ाने में खानपान की अहम भूमिका होती है. अपने खानपान में निम्न चीजों को शामिल कर के आप तेज याद्दाश्त और दिमाग पा सकते हैं :
हरी पत्तेदार सब्जियों, जैसे पालक आदि में मैग्नीशियम और पोटैशियम प्रचुर मात्रा में होता है. इन के सेवन से मैमोरी शार्प होती है और दिमाग की क्षमता भी बढ़ती है.
नट्स और बीज में कई पोषक तत्त्व पाए जाते हैं और इन में विटामिन ई, स्वस्थ वसा और प्रोटीन होते हैं जोकि दिमाग के लिए काफी फायदेमंद हैं.
मसाले एंटीऔक्सीडैंट के अच्छे सोर्स होते हैं. हलदी, दालचीनी और अदरक का सेवन दिमाग के लिए फायदेमंद रहता है और ये मस्तिष्क में आने वाली सूजन को भी कम करते हैं.
कौफी मूड को अच्छा और शरीर को एक्टिव रखने में मदद कर सकती है. कैफीन और एंटीऔक्सीडैंट गुणों के कारण अल्जाइमर जैसी कुछ बीमारियों से भी कौफी बचाती है.
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वसायुक्त मछली, जैसे सैल्मन, ट्यूना या कौड ओमेगा-3 फैटी एसिड के अच्छे स्रोत हैं. याद्दाश्त तेज करने और मूड को बेहतर बनाने में ओमेगा-3 एस की अहम भूमिका है.
कई अध्ययनों से साफ हो चुका है कि दिमाग की ताकत बढ़ाने के लिए ब्लैकबेरी का सेवन फायदेमंद रहता है. शौर्ट टर्म मैमोरी लौस वाले इस का सेवन कर सकते हैं.
– किरण आहूजा