लेखिका-  डा. संगीता बलवंत

एक दिन एक रिश्तेदार ने बताया, ‘‘एक लड़का पुलिस में है और शहर में उस का मकान है. मातापिता गुजर चुके हैं और भाईबहन हैं नहीं. लड़का अच्छा है, चाहो तो बात कर लो.’’

माधुरी के पिता राम नगीना दूसरे दिन ही लड़के के घर पहुंच गए. लड़का राजन उन्हें पसंद आ गया. राम नगीना ने राजन से लड़की देखने को कहा.

राजन ने माधुरी को देखा और उसे देखते ही रिश्ता मंजूर करते हुए बोला, ‘‘बाबूजी, आप शादी की तैयारी कीजिए और दहेज की चिंता मत कीजिए. मुझे दहेज में कुछ नहीं चाहिए.’’

दहेज विरोधी राजन की बात सुन कर माधुरी खुशी से निहाल हो गई. उस की लेखनी होने वाले पति के बारे में चल पड़ी :

‘तुम मिले तो जिंदगी से मुहब्बत  हो गई,

जो बोझ थी जिंदगी वह जन्नत  हो गई.’

शादी के बाद माधुरी ने राजन को अपनी लिखी हुई पंक्तियां भेंट की. राजन ने माधुरी की भावनाएं जान कर उसे गले लगा लिया.

माधुरी के आ जाने से राजन के घर में चहलपहल बढ़ गई. राजन घर का सारा काम खाना, बरतन, झाड़ू सब बड़ी कुशलता से करता था, लेकिन माधुरी ने जब घर का कामकाज  अपने हाथों में लिया और घर को अपने तरीके से सजाया, तो घर देखते ही बनता था.

माधुरी को सुबहसुबह पढ़ाने के लिए स्कूल जाना था. शादी से पहले मायके से स्कूल की दूरी कम थी, अब शादी के बाद शहर में आ जाने पर स्कूल की दूरी बढ़ गई थी. माधुरी और राजन दोनों ने शादी के लिए कुछ दिनों की छुट्टी ले ली थी.

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माधुरी घर का कोई काम करती तो राजन उस में हाथ जरूर बंटाता. माधुरी के मना करने पर राजन कहता, ‘‘तुम घरगृहस्थी संभालने के साथसाथ अगर नौकरी कर सकती हो तो मैं नौकरी के साथसाथ घरगृहस्थी की जिम्मेदारी क्यों नहीं संभाल सकता?’’

राजन के ऐसे प्यार भरे जवाब से माधुरी के दिल में उस के प्रति प्यार और बढ़ जाता. कुछ दिन बाद शादी के लिए ली गई छुट्टियां खत्म हो गईं. राजन ने तय किया कि माधुरी के स्कूल के समय में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता, इसलिए माधुरी सुबहसुबह स्कूल जाएगी और वह घर की देखरेख करेगा और पहले की तरह नाइट ड्यूटी जाएगा.

सुबह उठ कर माधुरी झाड़ूपोंछा और खाना बनाने की तैयारी में लग गई. राजन ने माधुरी को काम करने से रोकते हुए कहा, ‘‘सुबह का सारा काम मैं करूंगा, तुम अपने स्कूल जाने की तैयारी करो.’’

‘‘मैं स्कूल की तैयारी भी कर लूंगी और घर का सारा काम भी कर लूंगी.’’

‘‘इन नाजुक हाथों को इतना काम करने की जरूरत नहीं?है.’’

‘‘फिर मैं क्या करूंगी?’’

‘‘तुम चुपचाप बैठ कर मुझे देखती रहना. जितने अपनेपन से तुम मुझे देखोगी, उतना ही स्वादिष्ठ खाना मैं तुम्हारे लिए बनाऊंगा.’’

‘‘इतना प्यार करते हो मुझ से?’’

‘‘कोई शक?’’

‘‘कोई शक नहीं.’’

‘‘यानी मैं और मेरा प्यार दोनों पसंद आए हैं तुम्हें…’’

राजन के इतना कहते ही माधुरी शरमा गई और बात बदलते हुए बोली, ‘‘छोड़ो ये सब बातें, यह बताओ कि स्कूल जाने के लिए मुझे कौन सा साधन मिलेगा?’’

‘‘तुम्हारे पास तुम्हारा पति है, तुम्हें कोई साधन खोजने की जरूरत नहीं हैं. मैं तुम्हें रोज अपनी मोटरसाइकिल से सुबह स्कूल ले जाऊंगा और शाम को स्कूल से ले भी आऊंगा.’’

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‘‘अरे वाह, आटोरिकशा खोजने का कोई झंझट नहीं. यह तो बहुत अच्छी बात है,’’ खुश होते हुए माधुरी बोली.

‘‘यह खुशी आटोरिकशा के झंझट से बचने की है या स्कूल आतेजाते समय उतनी देर और साथसाथ रहने की है?’’ राजन बोला.

बात तो यही थी, पर माधुरी मन के बाहर से इस बात को अस्वीकार करते हुए बोली, ‘‘तुम को तो बस यही सब समझ में आता है,’’ और मन के अंदर से राजन की बात पर सहमत होते हुए मन ही मन मुसकराते हुए वह दूसरे कमरे में चली गई.

इस तरह की प्यारभरी बातें अब घर में रोज ही होने लगीं. राजन और माधुरी एकदूसरे को पा कर बहुत खुश थे. हंसीखुशी कब शादी का एक साल हो गया, पता ही नहीं चला.

शादी की सालगिराह वाले दिन राजन माधुरी को रोजाना की तरह स्कूल छोड़ आया. माधुरी स्कूल आ तो गई, पर उस का मन स्कूल में नहीं लग रहा था. उस ने आधे दिन के बाद स्कूल से छुट्टी ले ली. राजन को खुशी देने के लिए वह बिना बताए घर पहुंची. बाजार से राजन के लिए एक खूबसूरत सा गिफ्ट भी पैक करवाया.

राजन उस के बिना अकेला कैसे रहता है? वह क्या करता है? इस उत्सुकता से माधुरी सामने वाला दरवाजा खुलवा कर अंदर नहीं गई, बल्कि पिछले दरवाजे से चुपचाप घर में घुसी. उस ने मन ही मन सोचा कि राजन को पहले गिफ्ट दे कर फिर गले लगूंगी या पहले गले लग कर फिर गिफ्ट दूंगी. उस ने फैसला ले लिया कि पहले गिफ्ट देगी, ताकि उस के दोनों हाथ खाली हो जाएं और वह अच्छे से गले लग सके.

जोश से भरी माधुरी धीरे से दरवाजे को धक्का दिया. तो दरवाजा खुल गया. सामने उस का पति राजन तो था, पर वह अकेला नहीं था. माधुरी के हाथों से गिफ्ट जमीन पर गिर गया. राजन अपनी प्रेमिका के साथ बिस्तर पर था.

‘इतना बड़ा धोखा? कौन है यह? कब से चल रहा है यह सब? मुझ से प्यार का झूठा नाटक?

‘तुम्हारे बारे में इस तरह की बातें कोई मुझ से कसम खा कर भी कहता तो मैं यकीन नहीं मानती. पर, मैं अपनी आंखों से सबकुछ देख चुकी हूं. काश, मैं अंधी होती और तुम सिर्फ मेरे हो इस भरम में मैं अपनी पूरी जिंदगी सुकून से गुजार लेती. लेकिन तुम्हारा सच देखने के बाद मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगी. मुझे तलाक चाहिए…’

पर माधुरी ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा. वह चुपचाप बगल वाले कमरे में चली गई. कमरा अंदर से बंद कर लिया. कमरे में एक राजन की तसवीर रखी थी. रोज स्कूल के लिए घर से निकलने के पहले माधुरी राजन की तसवीर देखती. आज उस ने उस तसवीर को उठा कर कूड़ेदान में  फेंक दिया.

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राजन के सामने जिन आंसुओं को माधुरी ने रोक लिया था, अब जब कमरे में अकेली हुई तो खूब रोई. राजन माधुरी से माफी मांगने की कोशिश करता रहा, पर माधुरी ने उसे देखना भी बंद कर दिया था.

2 दिन से माधुरी स्कूल भी नहीं गई. तीसरे दिन राजन जब बाथरूम में नहा रहा था. माधुरी कमरे से निकल कर छत पर गए और छत पर गई और वहां से कूद गई.

राजन थोड़ी देर में नहाने के बाद कपड़े फैलाने छत पर गया. उस की नजर अचानक छत से नीचे गई. वह दौड़ता हुआ माधुरी के पास गया. माधुरी का सिर फट गया था और बहुत तेजी से खून बह रहा था. माधुरी की सांसें चल रही थीं, लेकिन वह बेहोश थी.

राजन एंबुलैंस से उसे अस्पताल ले गया. वहां माधुरी को जब होश आया और राजन को अपने पास देखा तो नफरत से चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया और जोरजोर से चिल्लाचिल्ला कर रोने लगी.

डाक्टर को लगा कि वह दर्द से चिल्ला कर रो रही है. पर राजन समझ रहा था कि उस का यह रोना शरीर के दर्द के चलते नहीं है, बल्कि उस दर्द के चलते है, जिसे उस ने माधुरी के दिल को तोड़ कर रख दिया था.

कुछ देर तक माधुरी चीखचीख कर चिल्लाई, फिर अचानक चुप हो गई. डाक्टर ने राजन को बताया कि वह अब इस दुनिया में नहीं है.

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माधुरी राजन से बिना बोले, उसे बिना देखे नाराज ही चली गई.

डाक्टर ने राजन को एक और बात बताई, ‘‘माधुरी पेट से थी.’’

माधुरी की खुदकुशी करने जैसी बड़ी घटना के बाद राजन की प्रेमिका किसी बवाल में फंसने के डर से शहर छोड़ कर चली गई.

अब वह बिलकुल अकेला था.

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