उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके में कुछ ही समय में आधा दर्जन ऐसी घटनाएं घटीं, जिन से करीबी रिश्तों में बढ़ रहे अपराध का पता चलता है.
वैसे, यह बात केवल एक जगह की नहीं है. समाज में हर जगह एक सा हाल है. अपराध की घटनाओं की पड़ताल करने पर यह सच उजागर हो जाता है.
प्रेमी संग मंगेतर की हत्या
शहाबुद्दीन की शादी हसमतुल निशा के साथ तय हुई थी. निशा लखनऊ पीजीआई अस्पताल के पास ही एकता नगर में रहती थी. वह अपने 2 भाइयों में सब से छोटी और लाड़ली भी थी.
शहाबुद्दीन भी अपने घर में सब से छोटा था. वह बंथरा में रहता था. दोनों के घर के बीच 35 किलोमीटर की दूरी थी. शहाबुद्दीन ट्रासपोर्ट नगर में दुकान पर नौकरी करता था, जो दोनों के घरों के बीच थी.
हसमतुल निशा ने अपने घर वालों के कहने पर शहाबुद्दीन के साथ शादी के लिए हामी तो भर दी थी, पर वह अपने प्रेमी शाने अली को भूलने के लिए भी तैयार नहीं थी. ऐसे में जैसेजैसे शहाबुद्दीन के साथ शादी का दिन करीब आ रहा था, दोनों के बीच तनाव बढ़ रहा था.
हसमतुल निशा को लगता था कि वह शादी का दिखावा ही करेगी. बाकी वह मन से अपने प्रेमी शाने अली के साथ रहना चाहती थी.
शहाबुद्दीन के साथ हसमतुल निशा की सगाई होने के बाद उन दोनों के बीच बातचीत होने लगी. शहाबुद्दीन अकसर उसे फोन करने लगा और मिलने के लिए भी दबाव बनाने लगा.
यह बात हसमतुल निशा को अच्छी नहीं लग रही थी. शाने अली भी चाहता था कि हसमतुल निशा अपने होने वाले पति शहाबुद्दीन से मिलने न जाए. जब भी उसे यह पता चलता था कि दोनों की फोन पर बातचीत होती है और वह आपस में मिलते भी हैं, इस बात को ले कर हसमतुल निशा और शाने अली के बीच झगड़ा होता था.
उन दोनों के बीच लड़ाई झगड़े के बाद यह तय हुआ कि अब शहाबुद्दीन को रास्ते से हटाना ही होगा.
शहाबुद्दीन को अपनी होने वाली पत्नी और उस के प्रेमी के बारे में कुछ भी पता नहीं था. वह उन दोनों को आपस में रिश्तेदार सम झता था और उन पर भरोसा भी करता था.
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अपनी होने वाली पत्नी हसमतुल निशा को शादी के पहले वह अच्छी तरह से जाननेसम झने के लिए करीब आने की कोशिश कर रहा था. उसे यह नहीं पता था कि उस की यह कोशिश उसे मौत की तरफ ले जा सकती थी.
शहाबुद्दीन अपनी होने वाली पत्नी के साथ संबंधों को मधुर बनाने का काम कर रहा था, पर प्रेमी के मायाजाल में फंसी हसमतुल निशा खुद को उस से दूर करना चाहती थी. परिवार के दबाव में वह खुल कर बोल नहीं पा रही थी.
हसमतुल निशा ने अपने प्रेमी शाने अली के साथ मिल कर योजना बनाई. हसमतुल निशा चाहती थी कि शाने अली उस के मंगेतर शहाबुद्दीन को रास्ते से हटा दे. योजना को सही आकार देने के लिए शाने अली ने अपने जन्मदिन पर 11 मार्च, 2021 को शहाबुद्दीन को मिलने के लिए बुलाया.
गुरुवार की रात तकरीबन साढ़े 8 बजे शाने अली और उस के दोस्त बाराबंकी निवासी अरकान, मोहनलालगंज निवासी संजू गौतम, अमन कश्यप और पीजीआई निवासी समीर मोहम्मद बाबूखेड़ा में जमा हुए. जैसे ही शहाबुद्दीन वहां पहुंचा, शाने अली और उन के दोस्तों ने उस पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया.
कई वार होने के बाद भी शहाबुद्दीन ने हार नहीं मानी और अपनी जान बचाने के लिए वह हमलावरों से भिड़ गया.
शाने अली और उस के हमलावर दोस्तों को जब लगा कि शहाबुद्दीन बच निकलेगा तो उन लोगों ने कुत्ते को बांधी जाने वाली जंजीर से शहाबुद्दीन का गला घोंट दिया, जिस से वह अपना बचाव नहीं कर पाया और मर गया.
बाद में हसमतुल निशा ने पुलिस को बताया कि उस ने अपने प्रेमी शाने अली के साथ मिल कर मंगेतर शहाबुद्दीन की हत्या कर दी.
चौथे पति का बेरहमी से कत्ल
लखनऊ के नगराम थाने के महगुआ गांव की रहने वाली ज्ञानवती ने अवधेश के साथ चौथी शादी की थी.
ज्ञानवती की पहली शादी 20 साल की उम्र में नगराम के रहने वाले दिलीप से हुई थी. शादी के कुछ दिन बाद ही उन दोनों के बीच अनबन शुरू हो गई.
दिलीप को केवल ज्ञानवती की याद तब ही आती थी, जब उसे उस का जिस्म चाहिए होता था. पतिपत्नी के रिश्ते में जिस्मानी संबंधों के साथ जिम्मेदारी भरा अहसास भी होता है. ज्ञानवती को कभी यह नहीं लगा कि दिलीप उस के साथ ऐसे संबंधों को निभा पाएगा.
अच्छी बात यह थी कि ज्ञानवती के समाज में तलाक लेने में कोई दिक्कत नहीं आती थी. पंचायत के फैसलों पर ही तलाक हो जाता था. शादी के कुछ साल बाद ज्ञानवती और दिलीप अलग हो गए.
ज्ञानवती की दूसरी शादी चौराहपुर के श्यामलाल के साथ हुई. श्यामलाल से उस के एक बच्चा भी हो गया, जिस का नाम सूरज रखा गया था.
सूरज के आने के बाद भी ज्ञानवती की जिंदगी में बहुत दिनों तक उजाला नहीं रह सका. जिस तरह से दिलीप के साथ ज्ञानवती का मनमुटाव शुरू हुआ था, उसी तरह से श्यामलाल के साथ भी होने लगा.
मनमुटाव झगड़े में बदला और ज्ञानवती ने अलग रहने का फैसला कर लिया. श्यामलाल ने भी कह दिया कि बेटा सूरज उस के साथ ही रहेगा.
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इस के बाद भी ज्ञानवती ने अपना फैसला नहीं बदला. अब वह फिर से अपनी शादीशुदा जिंदगी बसाने के लिए कोशिश करने लगी.
इस बार ज्ञानवती ने सुखलाल खेड़ा नवी नगर निवासी सुनील रावत के साथ तीसरी शादी कर ली.
ज्ञानवती ने अब सोच लिया था कि सुनील ही उस की जिंदगी को सुखमय बनाएगा. पहले की दोनों शादियों के मुकाबले ज्ञानवती की तीसरी शादी उसे अच्छी लग रही थी.
सुनील का स्वभाव भी बहुत अच्छा था. ज्ञानवती के साथ उस का समय अच्छा गुजर रहा था. दोनों के 2 बच्चे राम और नरेश पैदा हुए. बच्चों के होने के बाद सुनील और ज्ञानवती के बीच संबंध पहले जैसे मधुर नहीं रहे थे. अब दोनों के बीच टकराव होने लगा था.
ज्ञानवती ने झुकना नहीं सीखा था और सुनील से अलग रास्ता उस ने बना लिया. अब उस ने मंहगुआ गांव के रहने वाले अवधेश से अपनी चौथी शादी कर ली. 14 साल में चौथी शादी करने के बाद भी ज्ञानवती को संतोष नहीं हो रहा था.
ज्ञानवती का स्वभाव विद्रोही होने लगता था. अवधेश जब भी नशा कर के आता था. इस वजह से ज्ञानवती की उस से लड़ाई होने लगती थी. ज्ञानवती और अवधेश के बीच संबंध एक साल के अंदर फिर से हाशिए पर पहुंच गए थे.
पहले 3 पतियों को छोड़ कर शादी करने वाली ज्ञानवती ने चौथे पति को रास्ते से हटाने के लिए उस की हत्या ही कर दी.
ज्ञानवती ने पुलिस को बताया, ‘‘अवधेश मेरे चौथे पति थे. मैं ने सोचा था कि चौथी शादी के बाद मैं सुकून और शांति के साथ रह सकूंगी. अवधेश ने भी मु झ से यही वादा किया था.
‘‘पर शादी के कुछ ही दिनों के बाद हमारे बीच लड़ाई झगड़ा शुरू हो गया. तब मैं इस रिश्ते से भी छुटकारा पाने की सोचने लगी. 24 मई को इच्छाखेड़ा में मेरे रिश्तेदार के यहां शादी थी. वहीं मेरे दोनों लड़के गए थे. घर में मैं और अवधेश ही थे.
‘‘अवधेश कहीं गए थे. वहां से नशा कर के जब वे वापस घर आए तो पीने के लिए पानी मांगा. मु झे लगा कि यही सही मौका है. मैं ने सिंघाड़ा बोने में काम आने वाली कीटनाशक दवा पानी में मिला दी. इस के बाद मु झे डर लगने लगा कि वे यहीं मर जाएंगे तो मैं फंस जाऊंगी.
‘‘इस के बाद डंडे से सिर पर वार कर दिया और लकड़ी की 2 फट्टी गले के दोनों तरफ रख कर दबा दिया. जब वे बेहोश हो गए, तो खींच कर चारपाई से नीचे गिरा दिया.
‘‘ब्लेड से शरीर के कई हिस्सों हाथ और सीने पर पचासों निशान बना दिए. आंख की पलक भी काट दी और पूरे शरीर पर मिट्टी लगा दी, जिस से यह लगे कि कहीं और से मारपीट कर के यहां डाल दिया गया है.’’
प्रेमी से कराई अपने घर चोरी
रसूलपुर आशिक अली थाना गोसाईंगंज जिला लखनऊ के रहने वाले मनोज कुमार की 19 साल की बेटी खुशबू कुमारी का पुरवा मलौली थाना गोसाईंगंज के रहने वाले विनय यादव के साथ प्रेम हो गया. विनय खुशबू को बेहद प्यार करता था. दोनों के बीच जातपांत की गहरी खाई थी.
दोनों ही परिवारों को इन की दोस्ती पसंद नहीं थी. इस के बाद भी विनय और खुशबू अपनी दोस्ती को छोड़ना नहीं चाहते थे. लेकिन परेशानी यह थी कि उन को साथ रहने का रास्ता नहीं दिख रहा था.
अच्छी बात यह थी कि विनय और खुशबू के बीच एक तालमेल बना हुआ था. दोनों ही अपने विचारों का आदानप्रदान कर लेते थे. दोनों ने सोचा था कि विनय नौकरी करेगा, तो फिर वे दोनों शहर में अपना अलग घर ले कर रहेंगे.
कोरोना काल में लौकडाउन के चलते जिस तरह से कामधंधों पर रोक लगी, उस से विनय और खुशबू जैसे नौजवानों के सामने भी अपने भविष्य को ले कर सवालिया निशान लगा दिया. बेरोजगारी ने आगे के सभी रास्ते बंद कर दिए. यह उम्मीद थी कि 3 महीने के बाद जब लौकडाउन खुलेगा, तो सबकुछ वापस पटरी पर आ जाएगा. इस के बाद भी कोई कामधंधा नहीं बढ़ा.
मार्च, 2021 में जब कोरोना का संकट फिर से बढ़ा, तो विनय को जो कामधंधा मिल जाता था, वह भी बंद हो गया. ऐसे में खुशबू ने योजना बनाई कि विनय उस के घर में रखे रुपए चोरी कर ले.
खुशबू को उस के घर वाले भी मानसिक रूप से इतना परेशान करते थे कि वह किसी भी तरह से अपने घर में रहने को तैयार नहीं थी. अपने घर में चोरी की योजना बनाते समय उसे किसी भी तरह का डर नहीं हुआ.
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इधर विनय ने अपने साथी अपने ही गांव के रहने वाले शुभम यादव को भी इस योजना में जोड़ लिया. खुशबू के साथ योजना बनाते समय विनय ने उसे नींद की 8 गोली दी और कहा कि 4-4 गोली काढ़े में डाल कर रात में अपने मम्मी और पापा को पिला देना, जिस से वे रातभर आराम से सोते रहेंगे.
खुशबू ने 28 मई की रात ऐसा ही किया. जब मांबाप दोनों गहरी नींद में सो गए, तो विनय और शुभम ने खुशबू के साथ मिल कर उस के घर से 13 लाख रुपए नकद और 3 लाख रुपए के जेवर चोरी कर लिए.
खुशबू के पिता मनोज कुमार ने थाना गोसाईंगंज में चोरी का मुकदमा लिखाया. पुलिस ने खुशबू, विनय और उस के दोस्तों को जेल भेज दिया.
अशिक्षा और गरीबी
निगोहां गांव के रहने वाले राधेश्याम के बेटे संदीप की दिमागी हालत खराब हो गई थी. तंग आ कर राधेश्याम ने उसे घर के पास के बिजली के खंभे से जंजीर से जकड़ कर बांध दिया.
जब यह बात समाजसेवियों को पता चली, तो उन्होंने विरोध किया और तब निगोहां इंस्पैक्टर नंदकिशोर ने जंजीर में जकड़े संदीप को खुलवा कर चचेरे भाई संजय को देखभाल के लिए सौंप दिया.
मोहनलालगंज थाना क्षेत्र में ही एक बेटे ने 3 बिस्वा जमीन के लिए अपनी मां की हत्या कर दी और लाश को मोहनलालगंज तहसील के पीछे फेंक दिया. ऐसी घटनाओं के पीछे मूल वजह अशिक्षा, गरीबी और बेरोजगारी है.
पुलिस अफसर पूर्णेंदु सिंह कहते हैं, ‘‘गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी के साथसाथ लोगों में सहनशीलता और संस्कार खत्म हो गए हैं. इस की वजह से बेटा अपनी बूढ़ी मां की हत्या कर दे रहा है.
‘‘हत्याओं के पीछे निजी संबंधों का हाथ सब से ज्यादा पाया जा रहा है. चाहे वह करीबी संबंधी हो या करीबी दोस्त हो. पैसों का लालच इस कदर है कि लोग अपराध में हिस्सा ले लेते हैं. उस समय वे उस के अंजाम की बात भी नहीं सोचते हैं.’’
नशे और संगत का असर
लंबे समय से पत्रकारिता और समाजसेवा में लगे अखिलेश द्विवेदी कहते हैं, ‘‘बड़ी घटनाएं तो प्रकाश में आ जाती हैं, पर छोटीछोटी घटनाओं पर चर्चा कम होती है. अगर सभी आपराधिक घटनाओं को मिला कर देखें, तो पता चलता है कि अपराध करने वाले नशे का शिकार होते हैं, जिस की वजह से वे सहीगलत का फैसला नहीं कर पाते हैं और आपराधिक घटनाओं में शामिल हो जाते हैं.
‘‘वे एक बार छोटे अपराध करते हैं, फिर बड़ेबड़े अपराध करने से भी पीछे नहीं हटते. नौजवान तबका ऐसे लोगों के निशाने पर होता है, जो अपने गलत कामों के लिए उस का इस्तेमाल करने की कोशिश में रहते हैं.’’
इस सिलसिले में पत्रकार अनुपम मिश्र कहते हैं, ‘‘नौजवान तबके में संबंधों के प्रति सहनशीलता खत्म हो रही है. इस वजह से वे अपराध करने के पहले किसी भी तरह से सोचविचार नहीं कर रहे. सब से खतरनाक बात यह है कि महिलाएं भी अपराध करने से पीछे नहीं रह रही हैं. ये घटनाएं समाज के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं.
‘‘अब समाज को इस से बचने का उपाय देखना होगा. कानून की भूमिका भी अहम है. अपराधों में जल्दी सुनवाई और सजा का मिलना शुरू हो जाए, तो अपराध करने से लोग डरेंगे. साथ ही साथ समाज में इस के प्रति जागरूकता भी बढ़ानी होगी.’’