आम इनसान तो दूर पढ़ेलिखे और समझदार लोग भी शादी के वादे पर यकीन कर यौन शोषण के शिकार हो जाते हैं. एक महिला डीएसपी ने पुरुष एसपी पर शादी का झूठा भरोसा दे कर सैक्स संबंध बनाने का आरोप लगा कर एक राज्य की सरकार और पुलिस हैडक्वार्टर में एक दफा हड़कंप मचा दिया था.

फोर्स जौयन करने के 2 दिनों के बाद से ही फेसबुक और ह्वाट्सएप के जरीए उन दोनों की दोस्ती और नजदीकी शुरू हो गई थी. कुछ दिनों के बाद एसपी ने शादी करने की इच्छा जाहिर की. शादी की बात आगे बढ़ने के बाद वे दोनों और नजदीक आए और उन दोनों के बीच सैक्स रिश्ते भी बने.

सवाल यह भी उठता है कि मर्दों द्वारा की जाने वाली छेड़छाड़ या शादी का वादा कर किसी महिला साथी को सैक्स के लिए राजी करने के लिए क्या अकेला मर्द ही गुनाहगार है? क्या महिला का इस में कोई गुनाह नहीं है?

कोई मर्द बगैर महिला की रजामंदी के कई दफा कैसे उस के साथ जिस्मानी रिश्ता बना सकता है? ऐसे रिश्ते बनाने के लिए किसी महिला को कोई लालच नहीं होता है? बगैर किसी फायदे या फायदे की उम्मीद के कोई महिला किसी मर्द साथी के साथ क्या बारबार महीनों और सालों तक सैक्स रिश्ता बनाने के लिए तैयार हो जाएगी?

हैरत की बात यह है कि इस मामले में कानून और अदालतें चुप हैं. वे आंखें मूंद कर महिला की बातें ही सुनती हैं और मर्द को ?ाटके में ही गुनाहगार ठहरा देती हैं.

कोईर् भी महिला पुलिस थाने में जा कर आसानी से किसी मर्द पर यौन शोषण का आरोप आसानी से लगा सकती है और इस मामले में मर्द की कहीं भी कोई दलील नहीं सुनी जाएगी.

कानून और अदालत यह सुनने और मानने के लिए कतई तैयार नहीं हैं कि कोई महिला यौन शोेषण का आरोप लगा कर किसी मर्द को ब्लैकमेल कर सकती है. उसे कानूनी पचड़े में फंसा सकती है. उस के परिवार और समाज में उसे बदनाम कर सकती है.

कानून के जानकार कहते हैं कि महिलाओं के साथ जबरन यौन शोषण करने वालों के साथ तो कानून कार्यवाही कर सकता है, लेकिन वैसे मामलों का क्या होगा, जिन में कोई महिला खुद अपनी मरजी से किसी मर्द साथी के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाती है और यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहता है, उस के बाद महिला यह आरोप लगाए कि उस का यौन शोषण किया गया है, तो यह बात कुछ हजम नहीं होती है. इस के पीछे किसी साजिश या कोई डिमांड पूरी न होने पर फंसाने की बू को महसूस किया जा सकता है.

अगर कोई मर्द किसी महिला साथी को शादी का वादा कर सैक्स करने की बात करता है, तो इस में महिला की भी रजामंदी जरूर होती है. महिला की रजामंदी के बगैर कोई भी मर्द कई महीनों और सालों तक सैक्स का रिश्ता नहीं बना सकता है.

मर्द जबरन रिश्ता एक बार ही बना सकता है, जिसे रेप कहा जाता है. कोई भी मर्द कई दफा किसी महिला साथी से जिस्मानी रिश्ता बनाता है, तो इस के पीछे महिला का भी कोई लालच छिपा हो सकता है.

किसी मर्द के शादी करने की बात करने पर जिस्मानी रिश्ता बनाने को तैयार होने के पीछे महिला का भी कोई न कोई लालच होता है.

कई केस में यह देखा गया है कि महिला यह सोच कर किसी मर्द साथी के साथ सैक्स करने को राजी हो जाती है कि उस के बाद मर्द पर आसानी से शादी करने का दबाव बना सकती है. अगर मर्द शादी से इनकार करता है, तो उसे अदालत में घसीट ले जाती है.

जब कोई मर्द किसी महिला को विवाह का ?ांसा दे कर जिस्मानी रिश्ता बनाने की बात करता है, तो महिला को सख्ती के साथ इनकार कर देना चाहिए. महिला को कहना चाहिए कि शादी के बाद ही यह शोभा देता है.

अकसर सैक्सकी रौ में बह कर महिला किसी मर्र्द साथी के बहकावे में आ जाती है. जब यह जिस्मानी रिश्ता दोनों की रजामंदी से हुआ है, तो फिर ?ांसा देने या यौन शोषण की बात करना बेकार है.

कई मामलों में यह देखा गया है कि सैक्स रिश्ता बनाने के बाद महिला मर्द साथी को ब्लैकमेल करना शुरू कर देती है. जब मर्द उस की इच्छा को पूरा नहीं करता है, तो वह महिला उसे कानून के फंदे में फंसा देती है. इस से मर्द की पारिवारिक और सामाजिक इज्जत तारतार हो जाती है.

गौरतलब है कि महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए सरकार ने महिला यौन उत्पीड़न सुरक्षा कानून बनाया था, तो उस समय ही इस पर सवाल उठाए गए थे कि क्या इस कानून से औरतों के साथ होने वाला यौन उत्पीड़न रुक जाएगा या कम हो जाएगा?

यह सवाल आज भी जस का तस  है. इस बात को सब जानते हैं कि यह कानूनी नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक मसला है. जब किसी आदमी की सोच ही गंदी हो तो उस से अच्छे बरताव की उम्मीद भला कैसे की जा सकती है? गंदी सोच और सैक्स का मजा लेने के आरोप केवल मर्दों पर ही लगाना कहां तक सही है?

यौन शोषण रोकने के लिए बने कानून का भी दहेज रोकने के लिए बने कानून 498 (ए) की तरह काफी गलत इस्तेमाल किया जाने लगा है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि हजारों महिलाएं यौन शोषण की शिकार होती रही हैं, लेकिन वैसे मामलों को तो यौन शोषण का केस नहीं मानना चाहिए, जिस में महिलाएं महीनोंसालों सैक्स रिश्ता बनाने के बाद यौन शोषण किए जाने का आरोप किसी पर लगा देती हैं. कानून को ऐसे मामलों में नए सिरे से सोचनेसम?ाने की जरूरत है.

यह सच है कि ज्यादातर लड़कियां और औरतें यौन शोषण के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाती हैं. समाज में बदनामी होने के डर से वे चुप रह जाती हैं. कुछ लड़कियां जब अपने मांबाप को इस के बारे में बताती हैं तो वे भी इज्जत का हवाला दे कर चुप रहने की और अपने काम से मतलब रखने की सलाह दे कर मामले को रफादफा करने की कोशिश करते हैं. रेप, छेड़छाड़ या किसी भी तरह के शारीरिक शोषण के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत ही दर्ज नहीं की जाती है, जिस से गलत सोच वाले लोगों का हौसला बढ़ता ही जा रहा है.

केंद्र सरकार ने महिला यौन उत्पीड़न सुरक्षा कानून 2010 तो बना दिया था, पर इस के बाद भी महिलाओं का यौन शोषण कम नहीं हुआ है.

इस कानून में किसी भी तरह के यौन उत्पीड़न को रेप के बराबर माना गया है. कानून कहता है कि काम करने की जगह पर किसी भी तरह के यौन उत्पीड़न यानी छेड़खानी, भद्दे इशारे, घूरना, टटोलना, गंदे चुटकुले सुनाना, बारबार सामने आना, जिस्मानी संबंध बनाने की पेशकश करना, शादी का ?ांसा दे कर सैक्स करना, अश्लील फिल्म दिखाना या कोई भी अशोभनीय शारीरिक, मौखिक या अमौखिक यौनाचार को इस कानून के दायरे में रखा गया है.

इस तरह की हरकतों पर केवल कानून के डंडे से रोक नहीं लगाई जा सकती है. महिलाओं को खुद ही सचेत रहने और किसी ?ांसे में फंसने से बचना होगा. अगर किसी महिला से उस का कोई मर्द साथी शादी से पहले सैक्स रिश्ता बनाने की बात करे, तो महिला को उस से इनकार करना होगा.

नौकरी देने, शादी करने, कर्ज दिलाने, इम्तिहान पास करा देने, फर्जी डिगरी दिला देने वगैरह के नाम पर महिलाएं यौन शोषण की शिकार होती रही हैं. ऐसे मामलों में पुरुष जितना गुनाहगार है, उतनी ही महिला भी गुनाहगार है. क्या कानून को इस पर नए सिरे से सोचने की जरूरत नहीं है?

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