लेखक- धीरज कुमार   

जिस तरह से अपने देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बढ़ रही है और पूरे देश में संक्रमित लोगों की तादाद रोजाना बढ़ती जा रही है, उस से डाक्टरों के साथसाथ आम लोग भी कोरोना वायरस के बदले हुए स्ट्रेन के चलते चिंतित और परेशान हैं. हर किसी के मन में यह लग रहा है कि कहीं वह कोरोना वायरस से ग्रसित न हो जाए.

कुछ पढ़ेलिखे और समझदार लोग मास्क लगा रहे हैं और दूरी का पालन कर रहे हैं, वहीं कुछ बेपरवाह लोग मौजमस्ती में हाटबाजार और सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं. कुछ सम झदार लोग वायरस से बचाव के लिए काफी एहतियात बरत रहे हैं, ठंडी चीजों से परहेज कर रहे हैं, गरम पानी पी रहे हैं व भीड़भाड़ से अपनेआप को दूर रख रहे हैं.

कुछ लोग टीका लगवाने की भी कोशिश कर रहे हैं, ताकि इस बीमारी के जोखिम से बचा जा सके, वहीं कुछ लोग कोरोना वायरस के चलते जितने ज्यादा चिंतित हो गए हैं कि एक तरह से डिप्रैशन का शिकार हो गए हैं.

वैसे तो लोग बारबार हाथ धो रहे हैं, तरहतरह के सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं, यहां तक तो ठीक है, लेकिन कुछ लोग बारबार अपनी सांसें चैक कर के देख रहे हैं. कुछ लोग टैलीविजन और दूसरे मीडिया में खबरें देख कर जिनजिन लक्षणों के बारे में बताया जा रहा है, उन्हें खुद में ढूंढ़ कर अपनेआप को शक के घेरे में डाल रहे हैं. ऐसा करना सही नहीं है.

शक की इसी बीमारी को कोरोनल डिप्रैशन का नाम दिया जा रहा है. आज इस तरह के डिप्रैशन से सैकड़ों लोग पीडि़त हो चुके हैं. कई लोगों को इस डिप्रैशन की वजह से नींद नहीं आ रही है. कई लोग बारबार नींद खुलने की शिकायतें भी कर रहे हैं. मन में घुसे इस डर की वजह से सिरदर्द और चिंता होना लाजिमी है.

संजीव कुमार रोहतास, बिहार में एक कालेज में पढ़ाते हैं. उन्होंने बताया, ‘‘कई बार बुरे सपनों के चलते मेरी नींद टूट जा रही है. ऐसा लग रहा है कि मुझे कोरोना हो चुका है. खुद के तापमान को बारबार नापने की कोशिश करता हूं. अपनी सांसें रोक कर चैक कर रहा हूं.

‘‘कभी गुड़, तो कभी गोल मिर्च (गोलकी मसाला) खा कर अपनेआप को टैस्ट करने की कोशिश कर रहा हूं कि कहीं खाने का स्वाद तो नहीं चला गया है? कहीं मेरी सांसें तो नहीं अटक रही हैं? सीने में दर्द तो नहीं हो रहा है? ऐसा मन में डर के चलते हो रहा है.

‘‘पर, जब मैं डाक्टर के पास गया, तो उन्होंने मु झे पूरी तरह से ठीक बताया और जरूरत पड़ने पर नींद की गोली खाने को दे दी. अब मैं इस वहम से छुटकारा पा गया हूं.’’

वहीं डेहरी ओन सोन की रहने वाली मंजू देवी का कहना है, ‘‘घर पर कोई आ रहा है, तो मु झे इस बात का डर रहता है कि कहीं उन से मैं भी कोविड 19 से ग्रस्त न हो जाऊं. मैं काफी डरी हुई हूं. ऐसे माहौल में मैं क्या करूं, सम झ में नहीं आ रहा है. दिनरात चिंता के चलते सिर में दर्द और नींद नहीं आने की बीमारी हो गई है.

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‘‘कभीकभी तो शक के चलते जब तक खुद को साफसुथरा नहीं कर लेती हूं, तब तक अपने बच्चों के पास भी  नहीं जा पाती हूं. कभी बीच में उठ कर अपने बच्चों को चैक करती हूं, तो कभी खुद को.’’

इस तरह की बेवजह की चिंता और घबराहट बढ़ने की अहम वजह है कि टैलीविजन और दूसरे मीडिया में यह दिखाया जा रहा है कि श्मशान घाटों पर अनेक लाशें रोजाना जल रही हैं. वहां लंबीलंबी कतारें लगी हुई हैं. अस्पताल के बाहर उन के परिवार वालों को चीखतेचिल्लाते हुए दिखाया जा रहा है. देशभर में औक्सीजन सिलैंडर की काफी कमी हो गई है. उन के लिए जगहजगह मारामारी हो रही है.

इस तरह की खबरें सभी चैनलों पर कमोबेश दिखाई जा रही हैं. यह सब आम लोगों में डर पैदा कर रहा है. इस तरह की खबरों से लोगों में घबराहट बढ़ रही है और इस घबराहट से उन में डिप्रैशन बढ़ रहा है.

कुछ लोगों को तो यह लग रहा है कि इस महामारी के बाद वे अपनेआप को बचा पाएंगे या नहीं?

इतना ही नहीं, कुछ लोग मोबाइल पर और मीडिया में देख रहे वीडियो को एकदूसरे को भेज रहे हैं, जिस से डर का माहौल बनता जा रहा है. ऐसे में सम झ में नहीं आ रहा है कि कुछ लोग अपने परिवार वालों को जागरूक कर रहे हैं या उन्हें डरा रहे हैं? हालांकि यह डर लाजिमी है, लेकिन कुछ लोगों में डर इतना बढ़ गया है कि उन में डिप्रैशन बढ़ता ही जा रहा है.

सासाराम के अर्ष मल्टीस्पैशलिटी नर्सिंगहोम के डायरैक्टर डाक्टर आलोक तिवारी का कहना है, ‘‘कोरोना की वजह से लोगों में घबराहट ज्यादा बढ़ गई है. कोरोना से पीडि़त की मौत कोरोना वायरस से कम, बल्कि घबराहट के चलते हार्टअटैक से ज्यादा हो रही है. कुछ लोग एहतियात के तौर पर पहले से ही काढ़ा पी रहे हैं, अपने ऊपर तरहतरह के प्रयोग कर रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. ऐसी चीजें लिवर के लिए नुकसान देने वाली हो सकती हैं.

‘‘सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करें. पर इस के लिए दहशत में पड़ने की जरूरत नहीं है. अगर किसी आदमी में कोरोना के लक्षण जैसे सर्दी, खांसी, बुखार, पेट खराब, शरीर में दर्द, आंखों का लाल हो जाना, थकावट जैसे लक्षण पाए जाते हैं, तो तुरंत अस्पताल में इस की जांच कराएं.

‘‘अगर जांच के बाद यह पता चलता है कि किसी को कोरोना हो गया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि डाक्टर के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करें.

‘‘वैसे, घर पर ही शरीर के तापमान को माप कर पता किया जा सकता है  कि बुखार है या नहीं. घर पर ही औक्सीमीटर से औक्सीजन लैवल को जांच सकते हैं. अगर औक्सीजन लैवल 94 से नीचे आ रहा है तो अस्पताल में जाने की जरूरत है, वरना घर पर भी इलाज किया जा सकता है.’’

घबराने से काम नहीं चलेगा. घर पर रह कर डाक्टर के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए. पौष्टिक आहार, जैसे फलसब्जियां वगैरह का सेवन करें. सांस लेने की कसरत करनी चाहिए. साफसफाई का ध्यान रखना चाहिए. सब से जरूरी बात है कि खुद को घर के दूसरे लोगों से अलग कमरे में कर लेना चाहिए, ताकि घर के बाकी लोग कोरोना वायरस की चपेट में न आने पाएं.

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सोशल मीडिया पर डाले गए तरहतरह के काढ़ा वगैरह के सेवन के बारे में भरम फैलाया जा रहा है. उस के बहुत ज्यादा सेवन से बचना चाहिए. बेवजह की चिंता भी नहीं करनी चाहिए. सब से जरूरी है कि भरम फैलाती खबरों से दूर रहना चाहिए.

अपने आसपास क्या हो रहा है, इस पर नजर जरूर रखनी चाहिए. घर की छत पर या अपने गार्डन में कसरत  करनी चाहिए. खुद को अफवाहों से दूर रख कर कोरोनल डिप्रैशन से बचा जा सकता है.

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