कार्यालय में चर्चा का बाजार कुछ ज्यादा ही गरम था. पता चला कि नेहा ने अपने से उम्र में 15 साल बड़े अधिकारी प्रतीक से विवाह रचा लिया है. एक हफ्ते बाद जब नेहा से मुलाकात हुई तो वह बेहद खुश नजर आ रही थी. अपने से ज्यादा उम्र के व्यक्ति से विवाह करने की कोई लाचारी या बेचारगी का भाव उस के चेहरे पर नहीं था.

चूंकि उन के बीच चल रहे संबंधों की चर्चा पहले से होती थी, सो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ. ऐसे एक नहीं अनेक किस्सों को हम हकीकत में बदलते देखते हैं. विशेषकर कार्यक्षेत्र में तो यह स्थिति अधिक देखने को मिलती है कि लड़कियां अपने से बड़ी उम्र के पुरुषों के प्रति अधिक आकर्षित हो रही हैं. आजकल यह आश्चर्यजनक नहीं, बल्कि सामान्य बात हो गई है.

अकसर नौकरीपेशा लड़कियां या महिलाएं अपने दफ्तर के वरिष्ठ अधिकारी के प्रेमजाल में फंस जाती हैं और जरूरी नहीं कि वे उन के साथ कोई लंबा या स्थायी रिश्ता ही बनाना चाहें, लेकिन कई बार लड़कियां इस चक्कर में अपना जीवन बरबाद भी कर लेती हैं. ऐसे रिश्ते रेत के महल की तरह जल्द ही ढह जाते हैं.

बात जब विवाह की हो तो ऐसे रिश्तों की बुनियाद कमजोर होती है. पर मन की गति ही कुछ ऐसी है, जिस किसी पर यह मन आ गया, तो बस आ गया. फिर उम्र की सीमा और जन्म का बंधन कोई माने नहीं रखता. हालांकि यह स्थिति बहुत अच्छी तो नहीं है, फिर भी कई बार कुछ परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं कि मन बस वहीं ठहर जाता है.

सुरक्षा का भाव

कई बार कम उम्र की लड़कियां अपने से काफी अधिक उम्र के व्यक्ति के साथ अपनेआप को सुरक्षित महसूस करती हैं. ऐसा अकसर तब होता है जब कोई लड़की बचपन से अकेली रही हो. परिवार में पिता या भाई जैसे किसी पुरुष का संरक्षण न मिलने के कारण उसे अपमान या छेड़खानी का सामना करना पड़ा हो तो ऐसी लड़कियां सहज ही अपने से अधिक उम्र के व्यक्ति के साथ अपनेआप को सुरक्षित महसूस करती हैं. कई बार लड़कियों के इस रुझान का फायदा पुरुष भी उठाते दिख जाते हैं.

परिस्थितियां

कार्यक्षेत्र की परिस्थितियां कई बार ऐसा संपर्क बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं. कई दफ्तरों में फील्डवर्क होता है. काम सीखनेसमझने के मद्देनजर लड़कियों को सीनियर्स के साथ दफ्तर से बाहर जाना पड़ता है. गैरअनुभवी लड़कियों को इस का फायदा मिलता है. धीरेधीरे लड़कियां पुरुष सहयोगियों के करीब आ जाती हैं. काम के सिलसिले में लगातार साथ रहतेरहते कई बार दिल भी मिल जाते हैं.

स्वार्थी वृत्ति

पुरुषों की स्वार्थी वृत्ति भी कई बार कम उम्र की लड़कियों को अपने मोहजाल में फंसा लेती है. लड़कियां यदि केवल सहकर्मी होने के नाते पुरुषों के साथ वार्त्तालाप कर लेती हैं, काम में कुछ मदद मांग लेती हैं तो स्वार्थी प्रवृत्ति के पुरुष इस का गलत फायदा उठाने की कोशिश करते हैं और लड़कियां उन के झांसे में आ जाती हैं.

मजबूरियां

कई बार मजबूरियां साथ काम करने वाले अधिक उम्र के सहकर्मी के करीब ले आती हैं. तब मुख्य वजह मजबूरी होती है, संबंधित पुरुष की उम्र नहीं. आजकल कार्यस्थलों पर काम की अधिकता हो गई है, जबकि समय कम होता है. कम समय में अधिक कार्य का लक्ष्य पूरा करने के लिए लड़कियां अपने सहकर्मी पुरुषों का सहयोग लेने में नहीं हिचकतीं, यह जरूरी भी है. किंतु मन का क्या? सहयोग लेतेदेते मन भी जब एकदूसरे के करीब आ जाता है तब उम्र का बंधन कोई माने नहीं रखता.

प्रलोभन

प्रलोभन या लालचवश भी कमसिन लड़कियां उम्रदराज पुरुषों के चंगुल में फंस जाती हैं. कई लड़कियां बहुत शौकीन और फैशनेबल होती हैं. उन की जरूरतें बहुत ज्यादा होती हैं, पर जरूरतों को पूरा करने के साधन उन के पास सीमित होते हैं. ऐसी स्थिति में यदि कोई अधिक उम्र का व्यक्ति, जो साधनसंपन्न है, पैसों की कोई कमी नहीं है, समाज में रुतबा है तो लड़कियां उस की ओर आकर्षित हो जाती हैं. उस समय उन्हें दूरगामी परिणाम नहीं दिखते, तात्कालिक लाभ ही उन के लिए सर्पोपरि होता है. कई लड़कियां कैरियर के मामले में शौर्टकट अपनाना चाहती हैं और ऊंची छलांग लगा कर पदोन्नति प्राप्त कर लेना चाहती हैं. यह लालच अधिकारी की अधिक उम्र को नजरअंदाज कर देता है.

किसी भी अधिक उम्र के व्यक्ति का अपना प्रभाव, व्यक्तित्व, रुतबा या रहनसहन भी लड़कियों को प्रभावित करने का माद्दा रखता है. राजनीति और कारोबार जगत से जुड़ी कई हस्तियों के साथ कम उम्र की लड़कियों को उन के मोहपाश में बंधते देखा गया है. बहरहाल, जरूरी नहीं कि ऐसे संबंध हमेशा बरबाद ही करते हों. कई बार ऐसे संबंध सफल होते भी देखे गए हैं. बात आपसी संबंध और परिपक्वता की है जहां सूझबूझ, विवेक और धैर्य की आवश्यकता होती है. फिर असंभव तो कुछ भी नहीं होता.

यह भी एक तथ्य है कि आकर्षण तो महज आकर्षण ही होते हैं और ज्यादातर आकर्षण क्षणिक भी होते हैं. दूर से तो हर वस्तु आकर्षक दिख सकती है. उस की सचाई तो करीब आने पर ही पता चलती है, कई बार यही आर्कषण आसमान से सीधे धरातल पर ले आता है. आकर्षण, प्यार, चाहत और जीवनभर का साथ ये सब अलगअलग तथ्य होते हैं. इन्हें एक ही समझना गलत है. किसी अच्छी वस्तु को देख कर आकर्षित हो जाना एक सामान्य बात है. पर इस आकर्षण को जीवनभर का बोझ बनाना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा हो सकता है, क्योंकि हर चमकती चीज सोना नहीं होती. फिर भी बदलते वक्त की जरूरत कहें या बढ़ती हुई जरूरतों को जल्दी से जल्दी बिना मेहनत किए पूरा करने की होड़, अधिक उम्र के पुरुषों की तरफ लड़कियों का आकर्षित होना एक अच्छी शुरुआत तो नहीं कही जा सकती. इस नादानी में उन का भविष्य जरूर दावं पर लग सकता है.

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