भोजपुरी सिनेमा में अगर कामयाब हीरोइनों की बात की जाए, तो रूपा सिंह का नाम सब से ऊपर आता है. वे भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की सब की चहेती हीरोइनों में शुमार हैं. उन्होंने दर्जनों हिट फिल्में दी हैं, जिन में ‘नरसिम्हा’, ‘मिशन पाकिस्तान’, ‘ग्रेट भइयाजी’ और ‘परदेश’ खास हैं.

भोजपुरी फिल्म ‘भोजपुरिया में दम बा’ के सैट पर रूपा सिंह से हुई मुलाकात में उन के फिल्मी सफर को ले कर लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

भोजपुरी सिनेमा में चर्चित चेहरा बनने का आप का सफर कैसा रहा?

मेरी भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत बहुत अच्छी रही, क्योंकि मुझे स्ट्रगल नहीं करना पड़ा था. मुझे शुरू से ही बड़े बजट की लीड रोल वाली फिल्में मिलती गईं और मैं कामयाबी की सीढि़यां चढ़ती गई.

आप जितनी खूबसूरत हैं, उस से कहीं ज्यादा अपने काम के प्रति समर्पित रहती हैं. आप अपने काम और खूबसूरती का यह तालमेल कैसे बना पाती हैं?

जब मुझे फिल्म की स्क्रिप्ट सुनाई जाती है, तो सब से पहले मैं अपने किरदार को समझती हूं. मुझे लगता है कि फिल्म का कंटैंट भोजपुरी के चलन से हट कर है, जो दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने में कामयाब रहेगी. मैं ऐसी ही फिल्मों को साइन करती हूं. रही बात काम और खूबसूरती के तालमेल की, तो मैं फालतू के मेकअप से दूर रहती हूं, क्योंकि मेकअप आप को जितना खूबसूरत बनाता है, उतना ही ज्यादा मेकअप आप के चेहरे की स्किन को बिगाड़ भी सकता है.

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आप ने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में जो जगह बनाई है, उस के लिए आप को कितनी मेहनत करनी पड़ी?

किसी भी क्षेत्र में पैर जमाने के लिए मेहनत तो करनी पड़ती है. अगर मैं एक कलाकार के तौर पर अपना अनुभव बताऊं, तो मुझे फिल्म के हिसाब से डांस, खानपान, ऐक्सरसाइज वगैरह पर बहुत ध्यान देना पड़ता है. मैं आप को बता दूं कि अब भोजपुरी में मोटी हीरोइनों का चलन कम हो गया है. ऐसे में खुद को स्लिम फिट रखने के लिए भी काफी मेहनत करनी पड़ती है.

आप विनय आनंद जैसे सुपरस्टार के साथ बहुचर्चित फिल्म ‘भोजपुरिया में दम बा’ में काम कर रही हैं. आप को विनय आनंद कैसे इनसान लगे?

मेरे लिए स्टार के साथ काम करना बड़ी बात नहीं है. मेरे लिए छोटा कलाकार हो या बड़ा, मैं अपनी शर्तों पर काम करती हूं. मैं उसी फिल्म में काम करती हूं, जो साफसुथरी हो. ऐसे में मैं पहले तय कर लेती हूं, उसी के बाद फिल्म करती हूं.

जहां तक विनय आनंद का सवाल है, तो वे एक अच्छे इनसान हैं. वे सैट पर सभी का मनोरंजन करते रहते हैं.

इस फिल्म में आप का क्या रोल है?

फिल्म ‘भोजपुरिया में दम बा’ में आप मुझे एक बेहद ही नटखट, चुलबुली और सुलझी हुई लड़की के रूप में देखने वाले हैं.

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डायरैक्टर हेमराज वर्मा के साथ काम कर के क्या सीखा?

हेमराज वर्मा एक अच्छे और सुलझे हुए डायरैक्टर हैं. वे सैट पर सभी कलाकारों के साथ प्यार और इज्जत के साथ पेश आते हैं, साथ ही गलतियों को सुधारने के लिए बारबार मौका देते रहते हैं.

फिल्म ‘भोजपुरिया में दम बा’ में  किए गए आप के रोल में अलग क्या है?

मुझे जब इस फिल्म में काम करने का औफर आया था, तो डायरैक्टर हेमराज वर्मा ने मुझे औनलाइन फिल्म की स्क्रिप्ट सुनाई थी, जिस की कहानी मुझे बहुत अच्छी लगी.

इस फिल्म में गरीबी के बीच जूझते हुए अपने फर्ज को निभाते हुए समाज को जागरूक करने की जिम्मेदारी पूरी करने वाले 2 भाइयों की दिल को छू जाने वाली कहानी को फिल्माया जा रहा है. यह फिल्म ऐक्शन, इमोशन, रोमांस और रोमांच से भरपूर है, जो पूरे परिवार के साथ देखने लायक है. इस फिल्म की कहानी दूसरी फिल्मों से अलग है. यह दर्शकों को देखने के बाद खुद एहसास होगा.

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लोग कहते हैं कि आप बहुत बातूनी भी हैं?

बहुत तो नहीं, हां, थोड़ीबहुत बातूनी जरूर हूं.

क्या आप को नहीं लगता कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में हीरोइनों को पैसा कम मिलता है?

यह सही है कि मेल ऐक्टर्स की अपेक्षा फीमेल ऐक्टर्स को समान काम का समान पैसा नहीं मिल पाता है, जबकि मेहनत दोनों की बराबर लगती है. यह भी सच है कि न ही बिना हीरो के फिल्म चल सकती है और न ही बिना हीरोइन के. इस हिसाब से पैसे भी दोनों को समान मिलने चाहिए.

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