सवाल
कुछ महीने पहले मेरे नानाजी गुजर गए. वे मुझे बहुत मानते थे. उन्होंने मुझे कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं होने दी. उन के बगैर मेरा मन बहुत दुखी रहता है. मैं क्या करूं?
जवाब
जीनामरना तो जिंदगी का दस्तूर है. आज नानाजी गए हैं, कल को और लोग भी जाएंगे. आप नानाजी की मौत को सहजता से स्वीकार करें.
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चीनी सामान के बौयकाट के लिये आवाज देना एक साजिश का हिस्सा है. इसके जरीये समय समय पर भक्तों को दुश्मन से लडने के लिये उकसाया जाता है. जिससे भारत की परेशानियों पर बातचीत ना हो सके. कुछ दिन पहले तक चीनी कंपनियों को दावतें दी जा रही थी. एक साल भी नहीं बीता कि अब चीनी कंपनियों के बौयकाट की बात की जा रही है. ऐसा केवल चीन को लेकर ही हो यह सही बात नहीं है. नेपाल के साथ भी यही व्यवहार होता रहता है. दो बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति को भारत बुलाया. उनको भारत यहां घुमाया और यह दिखाने का प्रयास किया कि चीन और भारत के संबंध मजबूत होने से देश को लाभ होगा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर खाना खाने भी प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी गये. उसके बाद पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध खराब हो गये.
केवल देश के बाहर ही नहीं देश के अंदर भी प्रधानमंत्री मोदी की सोच का यही हाल है. कश्मीर में महबूबा मुफ्रती के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाई बाद में कश्मीर में धारा 370 खत्म करने से लेकर उसके विभाजन तक का फैसला ले लिया. व्यवहारिक तौर पर देखा जाये तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले ऐसे ही होते है. देश की आर्थिक नीतियों को लेकर जीएसटी और नोटबंदी जैसी कामों में भी यही देखा गया कि उनका काम बेहद हडबडी वाला होता है. एक बार जो फैसला हो जाता है उसको ही आगे बढाया जा सकता है. नोटबंदी के समय यह कहा गया कि इससे भ्रष्टाचार और आतंकवाद पर रोक लगेगी. नोटबंदी की तमाम मुसीबत के बाद भी भ्रष्टाचार और आतंकवाद पर रोक नहीं लग सकी.
चीन के राष्ट्रपति का अदभुत स्वागत
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अक्टूबर 2019 मे दो दिन के दौरे पर भारत आये थे. उस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मादी ने उनका भव्य स्वागत किया था. दोनो नेताओ की मुलाकात के लिये महाबलीपुरम को चुना गया. तमिलनाडु का महाबलिपुरम समुद्र के किनारे बसा एक खूबसूरत शहर है. महाबलिपुरम का महत्व पल्लव और चोलों के काल में भी बहुत था. यह शहर चीन और दक्षिण एशिया से व्यापार के लिए बड़ा केंद्र था. महाबलीपुरम समुद्र के रास्ते चीन से जुड़ा था. महाबलिपुरम के बंदरगाह से चीनी बंदरगाहों के लिए सामान जाता था. दक्षिण भारतीय समुद्रतटीय महाबलीपुरम शहर में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारत के प्रधानमंत्री की बैठक को इस तरह से दिखाया गया कि इस मुलाकात के बाद दक्षिण पूर्व एशिया और चीन से भारत के व्यापार संबंधों को और मजबूती मिलेगी.
महाबलीपुरम का अपना ऐतिहासिक महत्व भी है. इस शहर को दिखाने के बहाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महाभारत काल का वर्णन भी पूरी दुनिया को दिखाना चाहते थे. मीडिया के जरीये दोनो नेताओं की मुलाकात पूरी दुनिया के लोग देख सके इसका पूरा उपाय भी किया गया था. महाबलिपुरम में मुलाकात कम समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का स्वागत तमिल लिबास में किया. इस दौरान वह वेष्टि यानि सफेद धोती और आधे बाजू वाले सफेद शर्ट पहनी थी और कंधे पर अंगवस्त्रम लिया हुआ था. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग कैजुएल पोशाक सफेद शर्ट और काले रंग का ट्राउजर पहने थे. दोनों नेताओं ने महाबलीपुरम के मनोरम दृश्यों को देखा इसके अलावा इन दोनो ने महाबलीपुरम में महाभारत कालीन अर्जुन की तपस्या स्थली देखा.
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अर्जुन महाभारत काल के एक ऐसे पात्र हैं जिनको सत्ता के अन्याय के खिलाफ भारतीय आध्यात्मिक दर्शन का सबसे दृढ़ लेकिन मानवीय चेहरा माना जाता है. इसी जगह पर अर्जुन ने तपस्या की थी. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी एक टूरिस्ट गाइड की तरह चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग को सभी चीजों के बार में विस्तार से बता रहे थे. कौन सी आकृति अर्जुन की है कौन सी कृष्ण की और कौन सी युधिष्ठिर और भीम की. ऐसा लग रहा था मानो एक-एक पत्थर की आकृति से प्रधानमंत्री मोदी खुद परिचित हो. महाबलीपुरम में मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अर्जुन तपस्या स्थल के अलावा पंच रथ और शोर मंदिर घुमाया. पंच रथ को ठोस चट्टानों को काटकर बनाया गया है. ये सभी अंखड मंदिर के रूप में मुक्त तौर पर खड़े किए गए हैं. पंच रथ के बीच में एक विशाल हाथी और शेर की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ‘कृष्ण का माखन लड्डू’ दिखाया. ‘कृष्ण का माखन लड्डू’ एक विशाल पत्थर है, जिसकी ऊंचाई 6 मीटर और चैड़ाई करीब 5 मीटर है. इसका वजन 250 टन है. इसी अनोखे गोल पत्थर को कृष्ण के माखन के गोले के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर दोनो नेताओं ने तस्वीर भी खिंचाई. मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लेकर शोर मंदिर भी गये. यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल है. माना जाता है कि शोर मंदिर सात मंदिरों या सात पैगोडा का हिस्सा है और उनमें से छह समुद्र के नीचे डूबे हुए थे.
पर्यटन स्थलों को घुमाने के बाद मोदी और शी जिनपिंग लोकनृत्य और डिनर का आनंद लिया और एक अच्छे मेजबान की तरह से मेहमान को उपहार भी दिया. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उपहार में तंजावुर की पेंटिंग और नचियारकोइल-ब्रांच अन्नम लैंप दिया. तंजावुर की पेंटिंग में सरस्वती की तस्वीर खींची गई है. इस पेंटिंग को बी लोगनाथन ने तैयार किया है. इसको तैयार करने में 45 दिन का समय लगा. वहीं, नचियारकोइल-ब्रांच अन्नम लैंप को 8 मशहूर कलाकारों ने मिलकर बनाया है. इसको बनाने में 12 दिन का समय लगा. यह विशेष रूप से चीनी राष्ट्रपति के लिये तैयार किये गये थे.