छत्तीसगढ़ में आए दिन वन्य प्राणी हाथियों को मारा जा रहा है. कभी जहर दे कर, अभी करंट से और कभी भूख प्यास से हाथी मारे जा रहे हैं. आज 28 सितंबर को सुबह सुबह छत्तीसगढ़ के गरियाबंद के "धवलपुर वन परीक्षेत्र" से एक हाथी के करंट से मारे जाने की दुखद खबर आई है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार को दुर्लभ वन्य प्राणियों के संरक्षण की गंभीर पहल करनी चाहिए मगर जमीनी हालात यह है कि बेवजह हाथी मारे जा रहे हैं,और हत्यारे साफ बच निकलते हैं. विपक्ष भाजपा नेता इस मसले पर निरंतर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व वन मंत्री मोहम्मद अकबर को घेर रहे हैैं. सामाजिक कार्यकर्ता हाई कोर्ट तक अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. मगर सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही . अब स्थिति यह है कि आए दिन अखबारों में यह समाचार सुर्खियों में रहता है कि एक और हाथी मरा बिजली के कर्रेंट से......धरमजयगढ़ बना हाथियों का "मौतगढ़"..... बिजली करंट से प्रदेश में हुई मौतों में से आधी सिर्फ धरमजयगढ़ में!
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जबकि हकीकत यह है कि सरकार के कुंभकरणी नींद के कारण वन विभाग और बिजली कंपनी में मिलीभगत से लगातार हाथी जैसे विशालकाय वन्य प्राणी की मौत हो रही है. और सरकार का वन अमला सिर्फ कागजी खाना पुर्ती में लगा रहता है.
नर हाथी कैसे मारा गया?
छत्तीसगढ़ के जिला रायगढ़ के धरमजयगढ़ के मेंढ़रमार गांव में बोर के लिए खींचे गए नंगे तार की चपेट में आने से हुई नर हाथी की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने वन विभाग और बिजली कंपनी के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि इन दोनों विभागों की मिलीभगत के कारण विलुप्ति के कगार पर खड़े मूक प्राणी "हाथियों" की मौतें हो रही है.
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