कोरोना के इस बिजूके से अमेरिका, स्पेन, ब्रिटेन, ईरान, पाकिस्तान समेत भारत भी इस से अछूता नहीं रहा है. इस के चलते देश की मोदी सरकार ने भी तमाम बंदिशें लगाई हैं. इन्हीं बंदिशों के चलते पूरे देश में 3 मई तक लाॅकडाउन है. भले ही कुछ जगहों पर काम करने की छूट दी है, पर इस के तहत लोग अभी भी काम पर नहीं जा पा रहे यानी अपने घरों में कैद हैं. बैंकें खुली हुई हैं, सरकारी अस्पताल खुले हुए हैं, सफाई वाले हर रोज कूड़ा उठाने आ रहे हैं, सब्जी बेचने वाले गलियों में दिख रहे हैं वहीं आदेश का पालन कराने के लिए पुलिस भी अपना काम मुस्तैदी से कर रही है.
इस महामारी को ले कर सरकार के साथसाथ पुलिस भी बारबार अपील कर रही है कि छिपाइए मत, अपना चैकअप कराइए. अगर कोई पॉजिटिव है भी तो इलाज कराइए. वहीं डाक्टरों की चैकअप टीम भी अलगअलग राज्यों के गांवगांव, गलीगली घूम कर कोरोन मरीज खोजने में जुटी है. पर इतना समझाने के बाद भी अपढ़ता व नासमझी के चलते कई लोग अब भी खुलेआम उल्लंघन करते दिख जा रहे हैं.
ऐसा ही एक मामला तब सामने आया, जब दिल्ली के निजामुददीन मरकज में मार्च माह में तबलीगी जमात का जलसा हुआ. इस जलसे में हजारों लोग शामिल हुए थे. जलसा हो जाने के बाद भी लोग अपने धर्म का प्रचार करने के लिए टूरिस्ट वीजा पर रुके हुए थे.
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निजामुददीन मरकज में तमाम जमातियों के पकडे़ जाने पर खुलासा हुआ था कि इन में से कई जमाती कोराना पोजिटिव हैं. साथ ही, ये जमाती पूरे देश में फैले हुए हैं, तब पुलिस ने अलगअलग राज्यों में इन की धरपकड़ शुरू की. इन जमातियों को सामने आने और क्वारंटीन होने को कहा गया, फिर भी प्रयागराज में कई जमाती छिपे हुए थे क्योंकि इन जमात के लोगों कों अपने मौलानाओं पर ज्यादा भरोसा था, सरकार पर नहीं.
उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी सख्त हिदायत दी थी कि समय रहते ये जमाती सामने आ जाएं, पर ऐसा हो न सका. प्रयागराज में 20 अप्रैल की रात उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक प्रोफेसर के अलावा 16 विदेशी जमातियों समेत कुल 30 लोगों को पकड़ा.
प्रोफेसर को शहर में जमातियों को चोरीछिपे शरण देने और कोरोना महामारी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया. जबकि ये सभी जमाती दिल्ली के निजामुददीन मरकज में आयोजित तबलीगी जमात के जलसे में शरीक हुए थे.
कुछ दिन पहले पुलिस को खबर मिली थी कि शिवकुटी के रसूलाबाद के रहने वाले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर मो. शाहिद दिल्ली में आयोजित तबलीगी जमात के जलसे में शामिल हो कर लौटे हैं और चुपचाप शहर में रह रहे हैं. इस के बाद उन्हें क्वारंटीन कर दिया गया. पर तबलीगी जमातियों की मदद करने यानी उन के रहनेखाने का इंतजाम करना ही उन की भूल बन गया.
यही वजह थी कि 20 अप्रैल की रात इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मो. शाहिद सहित 30 लोगों को पकड़ लिया. इन में 16 विदेशी थाईलैंड के 9 व इंडोनेशिया के7 नागरिक हैं. अगले दिन मैडिकल चैकअप के बाद सभी आरोपी खुल्दाबाद थाने में मजिस्टेट के सामने पेश हुए और कड़ी सुरक्षा के बीच इन सभी को नैनी जेल भेज दिया.
इन विदेशियों को विदेशी अधिनियम का उल्लंघन करने, साजिश में शामिल होने और मदद करने के आरोप में पकड़ा गया.
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जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि सभी जमाती टूरिस्ट वीजा के जरिए भारत आ कर अपने धर्म का प्रचार कर रहे थे. उन के वीजा में प्रयागराज आने पर रोक थी, इस के बावजूद वे यहां आ कर छिपे थे, जो गलत था. इस पर उन के खिलाफ करेली व शाहगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई. इंडोनेशियाई जमातियों के गुप्त रूप से रहने व खानेपीने का इंतजाम इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मो. शाहिद ने कराया था.
एक अनपढ़, नासमझ ऐसी हरकत करता तो बात समझने की थी, पर प्रोफेसर मो. शाहिद तो पढे़लिखे थे. समझदार थे, पर उन की यह गुस्ताखी समझ से परे है? इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर मो. शाहिद जैसे लोग समाज को आईना दिखाने का काम करते हैं, यानी अच्छी सीख देने की कोशिश करते हैं, पर जब ऐसी करतूतें सामने आती हैं तो चेहरा शर्मसार हो जाता है.
इन जमातियों का अपने धर्म के प्रचार के अलावा और क्या मकसद था, समझ से परे है, जब इन्हें प्रयागराज आने की मनाही थी, तो क्यों आ कर छिपे वहां? वहीं प्रोफेसर जैसे पद पर काम करने वाले मो. शाहिद का इन की मदद करना गले के नीचे नहीं उतर रहा?
वे खुद तो धरे ही गए, साथ ही 30 लोगों को भी अपने साथ ले डूबे. मजिस्टेट ने इन सभी को नैनी जेल भेज दिया. पर कोर्ट में ये लोग अपने को कैसे बेकुसूर साबित कर पाएंगे, कहना मुश्किल है.