बिहार के भोजपुर इलाके के संदेश थाना क्षेत्र में इनसानियत को शर्मसार करने वाली एक घटना घटी. 65 साल के एक बुजुर्ग ने 7 साला बच्ची के साथ मंदिर में रेप किया. एक नौजवान ने उस का वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. वह बुजुर्ग घर के ओसारे में खेल रही बच्ची को टौफी का लालच दे कर मंदिर के एक कमरे में ले गया और उस के साथ रेप किया.
संदेश के थाना प्रभारी सुदेह कुमार के मुताबिक, आरोपी और वीडियो बनाने वाले को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. इधर हाल के दिनों में रेप की घटनाएं पूरे देश में तेजी से बढ़ी हैं. सजा और कानून की बातें अपनी जगह पर हैं और इस तरह की घटनाएं अपनी जगह पर. मंदिर में तो लोग मन्नत मानते हैं, तरहतरह की उम्मीद रखते हैं और जब इन मंदिरों में देवीदेवताओं के सामने किसी बच्ची के साथ इस तरह का कुकर्म हो और ये कुछ नहीं कर पाएं तो इन पर यकीन करने वाले लोगों पर भी सवालिया निशान लग जाता है.
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आज तो धर्म का खूब महिमा मंडन किया जा रहा है और गांवगांव में मंदिर बनाने, अखंड कीर्तन, यज्ञ, हवन और तरहतरह के पूजापाठ में लोग लीन हैं और इस तरह की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. हम किस तरह का समाज और देश बनाना चाहते हैं, इस पर भी इस देश के नागरिकों को सोचने और सम झने की जरूरत है. कौन करते हैं रेप 94 फीसदी रेप सगेसंबंधी, रिश्तेदार, पारिवारिक दोस्त और पड़ोसी द्वारा किए जाते हैं. ऐसी लिस्ट में पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बल के वे लोग भी शामिल हैं, जिन के ऊपर सुरक्षा की गारंटी है. 3 सांसदों और 48 विधायकों ने कबूल किया है कि उन के ऊपर औरतों के साथ हिंसा करने के आरोप हैं, जिस में रेप भी शामिल है.
इतना ही नहीं, बलात्कारियों का दूसरे समुदाय, जाति, धर्म के नाम पर बदले की भावना से दलित और अल्पसंख्यक औरतों के साथ सामूहिक रेप की भी घटनाएं घटती रहती हैं. इस तरह के हालात पैदा हो गए हैं कि घर और घर के बाहर कहीं भी लड़कियां और औरतें महफूज नहीं हैं. दुधमुंही बच्ची से ले कर 80 साल की औरतें तक रेप की शिकार हो रही हैं. झारखंड राज्य साइंस फौर सोसाइटी के राज्य सचिव देवनंदन शर्मा आनंद ने रेप की घटनाओं पर कहा कि देश के नागरिकों में वैज्ञानिक सोच और नजरिया पैदा करने का टारगेट संविधान के पन्नों में ही सिमट कर रह गया और समाज की हालत लगातार बदतर होती चली गई.
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धर्म के धंधेबाजों ने लोगों में मौजूद डर व असुरक्षा का फायदा उठाते हुए आस्था व विश्वास की भावनाओं का जम कर दोहन किया. नतीजतन, आज बाबा के आश्रमों समेत मंदिरों और मदरसों से रेप की खबरें सामने आ रही हैं. देश में स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटी, तकनीकी शिक्षण संस्थान, कलकारखाने व अस्पताल की भले ही कमी हो, पर रोज नए मंदिरों, धार्मिक स्थलों के बनने में कहीं कोई कमी नहीं है. राजनीतिक व चुनावी फायदे के लिए नेता इसे संरक्षण देते हैं. इस से जमीन के कब्जे व कमाई का रास्ता खुल जाता है.
इस के अलावा अंधभक्त बाबा की कृपा, लोकपरलोक सुधारने, पुण्य हासिल कर के स्वर्ग तक पहुंचने का रास्ता तय करने के लिए घर की बहूबेटियों को आश्रम पहुंचाने में कोई संकोच नहीं करते. मंदिरों को दान में भारी चढ़ावा देते हैं. नतीजतन, लोग भूख, गरीबी, अशिक्षा, बदहाली, बेरोजगारी की पीड़ा झेलने को मजबूर हैं, पर मंदिरों, धार्मिक स्थलों का फायदा मुट्ठीभर लोग ही उठाते हैं. हालत यह है कि उपग्रहों के प्रक्षेपण व ऐसे ही तकनीकी मामलों में भी धार्मिक कर्मकांड कर ऊपर वाले की कृपा की व्यवस्था कर ली जाती है.
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आधुनिक ज्ञानविज्ञान के विकास के बावजूद धर्म के धंधेबाजों की अंधेरगर्दी जारी है. लुटेरी ताकतों, नेताओं की मदद और संरक्षण उन्हें हासिल होता है. इन्हीं नेताओं, अफसरों पर देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी है, पर मौजूदा हालात देश को कहां ले जाएंगे, इसे सम झना मुश्किल नहीं है. द्य सुलग रहा है तनबदन जो छोड़ा था राह में निभाने के लिए आ, मु झ को मेरी खामियां बताने के लिए आ. थोड़ाबहुत जो प्यार था मेरे लिए दिल में, गर थी जरा नफरत तो जताने के लिए आ. अब घुट रहा है दम मेरा चैन ओ सुकून से, देने खुराक ए गम तू सताने के लिए आ. सुलग रहा है तनबदन तनहाई की तपिश में, बस मिल के फिर से भूल जाने के लिए आ. थोड़ाबहुत लिहाज कर उलफत का मेरी तू, इक बार अपना चेहरा दिखाने के लिए आ. -पुखराज सोलंकी