रेसक्यू करने वाली टीम ने गणेशा को रायगढ़ वन प्रांतर से बड़ी जद्दोजहद के पश्चात बेहोश करके काबू में किया था और रायगढ़ के बहेरामार से लाकर उसे कुदमुरा वन परिक्षेत्र जिला कोरबा में रखा गया था . इसी बीच 24 -25 जुलाई की रात्रि 12:00 बजे जैसे ही उसका नशा कमतर हुआ गणेशा भयंकर हो उठा और हाथ पैर पटकने लगा उसकी ताकत का अंदाजा वन विभाग अमला लगा नहीं पाया था यही कारण है कि यह खतरनाक दंतैल हाथी जिसने 9 लोगों की कुचलकर हत्या कर दी है ने बड़े बड़े सांकल जंजीरों को देखते ही देखते तोड़कर फेंक दिया और वन विभाग के अमले की घिग्घी बंध गई. वह अपनी जान बचाकर इघर उधर भागे, ऐसी हालत में आप समझ सकते हैं कि वन विभाग की क्या दुर्गति हुई होगी.
और इस खतरनाक गणेशा हाथी के वन विभाग कैद से भाग खड़े होने से समीपस्थ गांव में पुन: हंगामाखेज स्थिति पैदा हो गई है लोग भयभीत हैं.
भयंकर शक्तिशाली ज़िद्दी और गुस्सैल है गणेशा !
छत्तीसगढ़ के रायगढ़,अंबिकापुर और कोरबा जिला के जंगलों में स्वच्छंद विचरण करने वाला यह गणेशा हाथी जंगल में अकेला ही स्वच्छंद घूमता रहता है. आमतौर पर हाथी समूह में रहते हैं मगर गणेशा अकेला ही कहीं भी निकल पड़ता है और अगर कोई उसके आसपास भी फटक गया तो उसे दौड़ा कर मारता है वन अधिकारी एम. वेंकटरमन (आई एफ एस ) बताते हैं गणेशा ने अभी तक आधा दर्जन से ज्यादा करीब 9 लोगो को कुचल कुचल कर हत्या की है. यह सभी आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते थे और जंगल के बीच गांव में रहते थे.
रायगढ़, कोरबा जिले के निवासी थे और सरकार ने उन्हें चार-चार लाख रूपय मुआवजा दिया है .
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आईएफएस प्रणव मिश्रा के अनुसार गणेशा युवा है और बिगड़ेल भी. यह छुप कर खड़ा हो जाता है और राहगीरों पर अचानक हमला करके उन्हें खेत कर देता है . यही कारण है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने गणेशा को पकड़ कर उसके रेस्क्यू को मंजूरी दी तांकि तीन जिलों के रहवासियों को राहत मिल सके. मगर बीती रात्रि गणेशा के जिद्दी तेवर, उसकी असीम ताकत के सामने छत्तीसगढ़ का वन अमला बौना दिखाई पड़ा.
कुमकी हाथियों के सहयोग से….
लगभग दो दिनों तक वन विभाग का अमला गणेशा को अपनी गिरफ्त में लेने के लिए जूझता रहा .कोरबा से रायगढ़ पहुंचे गणेशा को बहेरामार के जंगल में देखा गया तब टरेकयूलाइन करने की प्रक्रिया शुरू हो सकी गणेशा को काबू करने के लिए तीन कुमकी हाथी जो प्रशिक्षित हैं का सहयोग लिया गया. आगे वन विभाग के परांगत अमले ने उसे नशे का इंजेक्शन दिया तब गणेशा ठंडा पड़ने लगा तो 2 जेसीबी की मदद से उसे ट्रक पर चढ़ाया गया और रायगढ़ से कोरबा जिला के कुदमूरा में चारों पैरों में बड़े-बड़े साकंर लगाकर बांध,काबू में करके सरगुजा के अभ्यारण भेजने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई . प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ट्रक मे ही जैसे ही गणेश को कुछ होश आना शुरू हुआ उसने वही तोड़फोड़ और चिघांड शुरू कर दी . वन अमले ने उसे कुदमुरा के रेस्ट हाउस में लाकर रखा जहां रात्रि को वह बड़ी-बड़ी जंजीर तोड़कर भाग निकला.
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अभी गणेशा हाथी औपरेशन गणेशा को विफल कर के कोरबा जिला से पुणे जाएगा जिला की और आगे बढ़ रहा है इधर वन अधिकारियों ने पुनः औपरेशन गणेशा की तैयारी शुरू कर दी है. देखना होगा आगे चलकर क्या गणेशा को वन विभाग अभ्यारण कब भेज पाता है मगर तब तक कोरबा रायगढ़ जिला के लोगों में हाथी को लेकर दहशत कायम रहेगी