यह कहानी है 23 साल की रितिका की. पैसों की तंगी ने उसे लौंडिया डांसर यानी शादीब्याह में नाचने वाली बना दिया. रितिका उन सैकड़ों लड़कियों का चेहरा है जो बिहार, उत्तर प्रदेश में लौंडिया डांस करती हैं. किसी गांव में एक दबंग के घर की शादी में रितिका आई हुई थी. एक तंग, बंद खिड़की वाले कमरे में वह अपनी साथी कलाकार लड़कियों के साथ तैयार हो रही थी. साथ में कई बैग रखे हुए थे.
उन में चमकीलीभड़कीली मेकअप किट और झीनेचमकीले कपड़े रखे थे. लड़कियां साथ में तैयार होते हुए अपने घरों की बातें कर रही थीं. वे किसी पिछली शादी के तजरबे दोहरा रही थीं कि कैसे शराब के नशे में धुत्त लड़के स्टेज पर चढ़ आए थे. कैसे किसी लड़की की कमर में एक लड़के ने हाथ डाल लिया था. रितिका का तजरबा भी इस से अलग नहीं था. शादियों में ऐसा होता रहता है. ऐसा डांस देखने वाले नशे में रहते हैं. गाने या नाचने वाली ज्यादा पसंद आ जाए तो सीधे ऊपर स्टेज पर चढ़ आते हैं, हाथ पकड़ते हैं, कमर में हाथ डाल लेते हैं. देश के पूर्वी हिस्से में शादियों में नाचगाने का चलन पुराना है.
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पहले लड़की वाले जनवासे यानी बरातियों के ठहरने की जगह में नाचने वालों को बुलाया करते थे. लड़के वाले भी शादी के बाद लौंडिया नाच का इंतजाम रखते थे. रितिका मजबूरी के तहत इस सब का हिस्सा बन गई. वह याद करते हुए कहती है, ‘‘मुझे डांस का शौक था. मैं डांस सीखा करती थी. मैं थिएटर करना चाहती थी, लेकिन यह सब नहीं. फिर पापा बीमार रहने लगे. वे अस्पताल में थे. घर पर पैसों की सख्त जरूरत थी. मुझे किसी ने इस बारे में बताया और मैं ने हां कर दी.’’ मजबूरी में रितिका लौंडिया डांस का हिस्सा तो बन गई, लेकिन वहां का माहौल उसे काम का हिस्सा बनने नहीं दे रहा था. वह धीमी आवाज में कहती है, ‘‘वहां पर लोग गाली से भी ज्यादा गंदा बोलते हैं. मर्द ही ज्यादा होते हैं. अश्लील गाने बजते हैं, उस पर सीटियां और भद्दे कमैंट्स. लोग स्टेज पर पैसे फेंकते हैं. रात बिताने का औफर देते हैं. एक रात के इतने मिलेंगे, 2 रातों के उतने, ऐसे चिल्लाचिल्ला कर बोलते हैं. ‘‘उन्हें थप्पड़ लगाने का जी होता है लेकिन कुछ भी नहीं कर सकते. जोर से भी बोलेंगे तो शो रुक जाएगा और पैसे नहीं मिलेंगे.’’ ‘हिफाजत के बंदोबस्त’ पर रितिका लंबी चुप्पी के बाद बोलती है, ‘‘मजबूरी है, नाच रही हूं. कई शादियों में कपल डांस के लिए लड़के भी साथ जाते हैं. वे ही हमें बचाते हैं. कोई नाच के बीच स्टेज पर चढ़ आता है. कोई कमर पकड़ लेता है. कोई छूने लगता है. तब साथी लड़के धीरेधीरे हमें स्टेज से नीचे ले जाते हैं. वे भी गुस्सा नहीं कर सकते. शांति से सब संभालना होता है. ‘‘कभी कुछ बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाए तो परदा गिराना पड़ता है, लेकिन ‘वैडिंग और्गनाइजर’ ऐसा कम ही करते हैं. ऐसा करने से उन का काम खराब होता है. अगली शादी में बुलावा नहीं आता.’’
जिस कमरे में लड़कियां तैयार हो रही होती हैं, उस की एक झलक से भी डांस की तासीर पता चल सकती है. सीलनभरे कमरे में पंखा पूरी रफ्तार से घूमता होता है ताकि मेकअप न उतरे. नकली पलकें, बालों के छल्ले यहांवहां झूलते हुए और उस पर गहरी लाल लिपस्टिक. रितिका बताती है, ‘‘गांव की शादियों में लोगों को इसी तरह का मेकअप देखना अच्छा लगता है. झीना गाउन होता है, पेट दिखता है, बैकलैस होता है. चोली के साथ हौट पैंट पहन लेते हैं. झीने ही कपड़े पहनने होते हैं. अमूमन भोजपुरी गानों पर नाचते हैं.’’ लौंडिया डांस दूसरे डांस से इसलिए भी अलग है कि इस में डांस की कोई खास प्रैक्टिस नहीं होती. ठुमके लगाने आना लड़कियों के लिए एकलौती शर्त है तो कपल डांस में लड़कों को लड़कियों को उठाना होता है.
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रितिका के साथ की कई लड़कियों को ‘उस’ लाइन में जाते देखा गया है, जिस के रास्ते इस डांस से खुलते हैं. 23 साल की रितिका याद करती है, ‘‘ग्रुप की एक लड़की हमारे पास आई थी. वह बहुत रो रही थी. उसे पैसों की सख्त जरूरत थी. हमारे हाथ में पैसे नहीं थे. मजबूरन वह उसी लाइन में चली गई. हर शो में मर्द रात बिताने की बात करते हैं. जो मजबूर होती हैं, वे चली जाती हैं. शादी में 2 घंटे के शो के 5,000 रुपए मिलते हैं. वह पूरे ग्रुप में बंटता है. जैसी गंदगी झेल कर हम नाचती हैं, उस के मुकाबले यह कुछ भी नहीं.’’ रितिका अपने ग्रुप की स्टार डांसर है. डांस को जुनून की तरह जीने वाली रितिका कहती है, ‘‘मर्दों के सामने नाचना होता है. दूसरे गांवों में जाना होता है. अनजान लोगों के साथ रहती हूं. लोग नशे में धुत्त रहते हैं. पहले डर लगता था, पर अब नहीं. डांस तो डांस है, फिर चाहे वह शादी में हो या फिर कहीं और. ‘‘स्टेज पर भले ही मैं रितिका लौंडिया हूं, नीचे उतरते ही मैं रितिका रह जाती हूं, जो अपनी डांस एकेडमी चलाना चाहती है.’’