सारा खेल कुर्सी का है. कल तक ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ के चेयरमैन पद पर आसीन होकर पहलाज निहलानी हर फिल्म को दिए जाने वाले ‘कट’ को जायज ठहरा रहे थे. उस वक्त फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ को दिए गए कट को लेकर वह काफी विवादो में थे. यहां तक कि बाद में मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ ने ‘उड़ता पंजाब’ को प्रमाणपत्र जारी किया था. अब जबकि उनसे यह कुर्सी छिन चुकी है और अब इस कुर्सी पर प्रसून जोशी आसीन हैं. तो अब एक फिल्म निर्माता की हैसियत से पहलाज निहलानी को ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ और इसके चेयरमैन प्रसून जोशी से शिकायत है. पहलाज निहलानी की नाराजगी इतनी बढ़ गयी है कि उन्होंने ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ के खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पर मंगलवार, छह नवंबर को मुंबई उच्च न्यायालय की वोकेशन बेंच ने पहलाज निहलानी की याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इंकार कर उन्हे एक झटका दे दिया है. पर पहलाज निहलानी हार नहीं मानना चाहते. अब वह मुंबई उच्च न्यायालय की छुट्टियां खत्म होने पर 12 नवंबर को फिर से कोर्ट में पहुंचे.
असल में पहलाज निहलानी ने गोविंदा, मिषिका चैरसिया, अनुमा अग्निहोत्री व दिगंगना सूर्यवंशी को लेकर फिल्म ‘‘रंगीला राजा’’ का निर्माण किया है, जिसे वह 16 नवंबर को सिनेमाघरों में प्रदर्षित करना चाहते हैं. पहले ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ उनकी फिल्म को देख नहीं रहा था, तो चालिस दिन बाद पहलाज निहलानी ने मीडिया में ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ तथा आमीर खान व प्रसून जोषी के रिश्ते को रेखांकित करते हुए कई आरोप लगाए थे. उसके बाद ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ की परीक्षण समिति ने ‘‘रंगीला राजा’’ देखा और फिल्म में बीस कट लगा दिए. इससे पहलाज निहलानी नाराज होकर ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ के खिलाफ मुंबई उच्च न्यायालय पहुंच गए हैं.
मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से पहले पहलाज निहलानी से मीडिया से कहा-‘‘मैं ऐसी फिल्में नहीं करता हूं, जिन पर सेंसर को आपत्ति हो.’’
‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ ने फिल्म ‘‘रंगीला राजा’’ के जिन संवादों पर कैंची चलाई है उनमें से कुछ संवाद इस प्रकार हैं.
- मेरा ध्यान पूजा में था -इस संवाद के साथ हाथों का जो एक्शन है, उसे हटाएं.
- घेवर कितना रस भरा है, आहिस्ता आहिस्ता खोलना.
- तलवार म्यान से बाहर निकलेगी तो तुम्हे लेने के देने पड़ जाएंगे.
- जब जब रावण सीता का अपहरण करेगा, तब तब हनुमान राम का साथ देने आएगा… इस संवाद से राम शब्द हटाएं.
- रात को आप अर्जुन की तरह तीर निकाल के बाहर जाते हो.
- खाना स्वादिस्ट है.
पहलाज निहालनी ने मीडिया से कहा- ‘‘वर्तमान समय में सेंसर ने तमाम ऐसी फिल्में पारित की हैं, जिनमें काफी गंदे संवाद हैं. जबकि मेरे उपरोक्त साफ सुथरे संवादों को द्विअर्थी संवाद बताकर कैंची चला दी गयी. मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है. मैं हार मानने वाला नहीं हूं. न्याय की लड़ाई लड़ता रहूंगा.
इतना ही नही पहलाज निहलानी ने ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ के क्षेत्रीय अधिकारी तुषार करमरकर की क्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा- ‘‘तुषार करमरकर महज 35 साल के हैं. उन्हें सिनेमा का कोई अनुभव नहीं है. क्या प्रसून जोशी ने नियमों के तहत उन्हे पद देने से पहले उनका इंटरव्यू लिया था?’’ ज्ञातब्य है कि तुषार करमरकर का सिनेमा से कभी कोई संबंध नहीं रहा. ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ के मुंबई आफिस में क्षेत्रीय अधिकारी के रूप में नियुक्त होने से पहले वह दो साल तक रायपुर, छत्तीसगढ़ में दूरदर्शन में समाचार विभाग में नौकरी कर चुके हैं.
पहलाज ने प्रसून जोशी को कटघरे में खड़े करते हुए आगे कहा- ‘‘प्रसून ने फिल्म परीक्षण समिति के नियमों की भी अनदेखी कर रहे हैं. नियम के तहत फिल्म परीक्षण समिति में दो पुरूष और दो महिलाएं होनी चाहिए. मगर मेरी फिल्म देखने के लिए प्रसून जोशी ने जो परीक्षण समिति गठित की, उसमे तीन महिलाएं व एक पुरूष था. मेरी फिल्म को गलत रेटिंग दी गयी. मेरी फिल्म सेक्स दृश्य, चुंबन और अहिंसा के दृश्य नही हैं. यह पूरी तरह से संगीत व हास्य प्रधान मनोरंजक फिल्म है. मेरी फिल्म को जो कट दिए गए हैं, वह भी सेंसर की गाइड लाइन्स के खिलाफ हैं. अनुराग कष्यप की फिल्म ‘मनमर्जियां’ में चुंबन दृश्यों के अलावा तमाम अश्लील दृश्य थे, पर इस फिल्म को ‘यूए’ प्रमाणपत्र दिया गया था. मुझे आज भी जानना है कि मेरी फिल्म के 20 दिनों बाद जमा की गयी फिल्म ‘ठग्स आफ हिंदुस्तान’ को मेरी फिल्म से पहले देखकर कैसे पारित किया गया.’’
उसके बाद सोमवार को 5 नवम्बर शाम तक पहलाज निहलानी मुंबई उच्च न्यायालय की वोकेषनल बेंच के सामने ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’के खिलाफ याचिका लेकर पहुंच गए. पहलाज ने आरोप लगाया कि उनके साथ निजी दुश्मनी निकाली जा रही है. मगर मंगलवार ,छह नवंबर को मुंबई उच्च न्यायालय की वेकेशन बेंच ने पहलाज निहलानी की याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इंकार कर उन्हे एक झटका दे दिया है. पर पहलाज निहलानी हार नही मानना चाहते. अब वह मुंबई उच्च न्यायालय की छुट्टियां खत्म होने पर 12 नवंबर को पुनः मुंबई उच्च न्यायालय में दस्तक दिया.
पहलाज निहलानी ने एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा- ‘‘मैं अगस्त 2017 तक ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ का चेयरमैन था. तब फिल्म उद्योग के कई लोग मुझसे नाराज थे. अब मेरी फिल्म के साथ वह सभी अपना फ्रस्टेशन निकाल रहे हैं.’’