बौलीवुड में पिछले 18 वर्ष से कार्यरत अभिनेता यशपाल शर्मा ने सिनेमा को कभी भी भाषा की बंदिशों में बांधकर नहीं देखा. वह हिंदी के अलावा भारत की हर क्षेत्रीय भाषा की फिल्में करते रहे हैं. पिछले तीन वर्ष से वह हरियाणा में सिनेमा को विकसित करने के लिए जी जान से जुटे हए हैं. वह हर वर्ष हरियाणा में हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का भी आयोजन करवा रहे हैं.

इन दिनों वह हरियाणा के संत माने जाने वाले लक्ष्मीचंद पर बतौर निर्माता, निर्देशक व अभिनेता ‘‘दादा लक्ष्मी” नामक बायोपिक फिल्म बनाने में लगे हुए हैं. जिसे वह दो भागों में बना रहे हैं.यह हरियाणवी के अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए अंग्रेजी भाषा में भी होगी. हरियाणा के पंडित लक्ष्मीचंद एक फोक कलाकार है, जिन्हे सूरदास,कबीर व सेक्सपिअर सहित कई नाम दिए गए थे. 1903 में जन्में लक्ष्मीचंद का महज 42 साल की उम्र में निधन हो गया था. वह कभी स्कूल नहीं गए थे. मगर वह फोक कलाकार, लेखक, गायक,निर्देषक सहित बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे.

प्रस्तुत है यशपाल शर्मा से हुई बातचीत के अंश

बतौर निर्देशक छोटी फिल्म की बजाय ‘‘दादा लक्ष्मी’’ जैसी बड़ी फिल्म से शुरूआत करने की कोई खास वजह?

मुझे आसान काम करना पसंद ही नही है. हमारा हरियाणा इस समय बहुत पिछड़ा हुआ है. आप भी जानते हैं कि तमिल,कन्नड़, तेलगू, पंजाबी, मराठी,गुजराती सिनेमा बहुत समृद्ध हो गया है. मराठी सिनेमा में तो क्रांति हो रही है.हरियाणवी सिनेमा को कोई जानता ही नहीं है.हरियाणवी सिनेमा के इतिहास में सिर्फ ‘लाड़ो’ व ‘पगड़ी’ सहित तीन फिल्में ऐसी रहीं,जिन्हें हम अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में भेज सके. ‘चंद्रावल’ अच्छी फिल्म है. इसमें गाने हैं, फिल्म को सफलता भी मिली. मगर अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में भेजने योग्य नहीं है. तो मुझे तकलीफ हो रही थी. मैने पाया कि हरियाणवी सिनेमा को आगे लाने का कोई प्रयास नहीं कर रहा है. सुभाष घई भी हरियाणा को भूल गए. सतीष कौशिक ने भी हरियाणा के बारे में नही सोचा. स्व.ओमपुरी, संजय दत्त,रणदीप हुड्डा सहित हरियाणा के कितने लोग बौलीवुड में सफल हैं,पर हरियाणा को भूल गए. इसलिए मैंने सोचा कि हरियाणा के ही बड़े संत लक्ष्मीचंद पर बायोपिक फिल्म बनायी जाए. कठिन विषय है. इसमें जात पांत का भी मुद्दा भी है. यह फिल्म दो भागों में बनेगी. पहले भाग में बचपन से टीएजर की उम्र तक की कहानी होगी.जबकि दूसरे भाग में उसके बाद की कहानी होगी.दूसरे भाग में लक्ष्मीचंद जी का किरदार मैं स्वयं निभाने वाला हूं.

आपने पंडित लक्ष्मीचंद के बारे में जानकारी कैसे हासिल की?

उन पर लिखी हुई 40 से अधिक किताबे हैं. विद्यार्थी कालेज में उन पर पीएचडी करते रहे हैं.आज भी कर रहे हैं.उनके साथ काम करने वाले लोगों ने उन पर कई किताबें लिखी हैं. अब तो उनका कोई शिष्य नही बचा. बचपन के बारे में लोगों को खास जानकारी नहीं दी है. बचपन के बारे में यही लिखा हुआ है कि उनके पिता गरीब किसान थे और लक्ष्मीचंद जी अक्सर घर से भाग जाया करते थे. बचपन को लेकर फिक्षन ही ज्यादा रखा है. उनके परिवार में अब उनके दो पोते व उनकी पत्नि व बच्चे हैं. उनका बेटा व बहू तो नहीं रहे. हरियाणा में उन्हें भगवान मानते हैं.

फिल्म में आजादी के लिए जो आंदोलन हो रहे थे,उसका भी जिक्र आएगा ही?

जी हां वह सब है. भगतसिंह की फांसी,महात्मा गांधी के भाषण और जवाहरलाल नेहरू भी इस फिल्म में नजर आएंगे. पर उनका आजादी के आंदोलन से कोई जुड़ाव नही था, पर उनकी लोकप्रियता जवाहरलाल नेहरु से भी ज्यादा थी.

क्षेत्रीय सिनेमा के विकसित होने और हिंदी सिनेमा के लगातार पतन होने का कारण क्या हैं?

हिंदी सिनेमा का पतन नही हो रहा है,बल्कि काफी उभर रहा है.अब बौलीवुड भी क्षेत्रीय सिनेमा हो गया है.‘सुल्तान’,‘दंगल’,‘तनु वेड्स मनु’,‘पैडमैन’ या जो नयी फिल्में बन रही हैं, उनमें लोग अवधी या बिहारी भाषा बोलते हुए नजर आ रहे हैं. फिल्म ‘मुल्क’ में बनारस की कहानी है. अब बौलीवुड के लोग भी गांव में घुस रहे हैं. अब सभी को देसी तड़का चाहिए. अब राकेश ओमप्रकाश मेहरा, करण जौहर सहित तमाम दिग्गज फिल्मकार राजस्थान से भाग रहे हैं. हमने करीम मोहम्मद को हिमाचल में फिल्माया है. जब लोकेशन अच्छी हो तो काम करने का मजा दोगुना हो जाता. दूसरी बात क्षेत्रीय सिनेमा में क्षेत्रीय मुद्दों को पिरोया जाता है.अब तो मैं हर षहर में जब किसी फिल्म फेस्टिवल में जाता हूं,तो वहां के लोगों से कहता हूं कि उन्हें अच्छा काम करने के लिए मुंबई आने की जरूरत नही है. अब वह जहां रह रहे हैं, वहां भी अच्छा काम कर सकते हैं. अब तो आप घर बैठे कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा को अपनी फोटो ईमेल कर दें, आपके योग्य किरदार होगा तो बुलाया जाएगा.

हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह की प्रगति कैसी है?

बहुत अच्छी है. 2016 और 2017 में इसे बहुत पसंद किया गया. अब तीसरा हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह 14 नवंबर से 18 नवंबर के बीच हिसार में संपन्न होगा. हम इस फिल्म समारोह में हरियाणा व भारतीय सभ्यता व संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ यह प्रयास करते हैं कि हरियाणा के नागरिक भी सिनेमा से जुड़ने के लिए उत्साहित हों.

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