बाड़मेर के किसान छात्रावास में छात्राओं द्वारा हवनयज्ञ करते हुए देख कर आप को मान लेना चाहिए कि अब रामराज्य का आगाज हो गया है. अब स्कूलों में किताबकौपियों का भारी थैला कंधे पर लाद कर बच्चों को नहीं ले जाना पड़ेगा. इस देश के बड़ेबड़े शिक्षाविद व बुद्धिजीवी काफी समय से गंभीर चिंता जता रहे थे कि नन्हेनन्हे कंधों पर ज्यादा बोझ ठीक नहीं है, लेकिन वे इस का समाधान नहीं खोज पाए.

हमें रामराज्य के आविष्कारी पुरोधाओं का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि अब छात्रावासों में रातरातभर आंखें फाड़ कर बच्चों को पढ़ने की जरूरत नहीं होगी, सिर्फ एक साप्ताहिक यज्ञ किया और बन गए एकदम वैज्ञानिक टाइप समझदार प्रोफैशनल. न किताबों का खर्च, न कौपियों का खर्च. पंडितजी एक शास्त्र ले कर आएंगे और हवनकुंड से निर्मित विशेष चक्रीय वातावरण में बच्चों को बैठा कर उन के दिमाग में डेटा ट्रांसफर कर देंगे. स्कूलों में तो बचपन में हम ने भी खूब चिल्लाचिल्ला कर सरस्वती वंदना की थी. अगर गुरुजी को होंठ हिलते नहीं दिखते थे तो डंडों की बौछार हो जाती थी और अगर जोर से गुरुजी को आवाज सुनाई दे जाती तो वे मुसकरा देते थे. ऐसा लगता जैसे सरस्वती का स्वर व विद्या हमारे बदले गुरुजी के दिमाग में घुस रही हो और गुरुजी को ठंडेठंडे नवरत्न तेल वाली कूलिंग का अनुभव हो रहा हो.

अभी कुछ दिनों पहले बाड़मेर के ही एक स्कूल की प्रार्थना का वीडियो देख रहा था, जिस में गुरुजी हारमोनियम बजा रहे थे. दिल को ऐसा सुकून मिल रहा था कि भई, भाड़ में जाए संविधान व धर्मनिरपेक्षता. हमें तो रामराज्य ही चाहिए. आप खुद सोचो कि छोटेछोटे बच्चे उठ कर हनुमान चालीसा पढ़ें, स्कूलों में तुलसीदास की चौपाइयां गाते लड़केलड़कियां नाचते रहें, शांत फिजाओं में वानर एकाएक उड़ने लग जाएं, बीचबीच में पुष्पक विमान के करतब दिखते रहें, हम घर से बाहर निकलें और आदमी के शरीर पर हाथी का सिर लगे विशेषटाइप के इंसान घूमते नजर आएं तो हमें और क्या चाहिए.

क्या करेंगे वैज्ञानिक शिक्षा से. हर जगह महंगाई का रोना. गाडि़यों के लिए महंगे पैट्रोलडीजल के चक्कर में हमारा तेल निकला जा रहा है. ऐसे में बिना ईंधन के पुष्पक विमान दोबारा उड़ने लगेंगे तो कितनी खुशी की बात होगी. नदियोंसमुद्रों को पार करने के लिए वानरभालू हम इंसानों के लिए पुल बनाएंगे. ग्लोबल वार्मिंग से मुक्ति के लिए हनुमानजी को बोल दें, वे 4-5 दिनों के लिए सूरज को ही गटक जाएंगे.

मालगाडि़यों व ट्रकों में बेतहाशा ईंधन फूंका जा रहा है, सड़कों पर पैसे बरबाद किए जा रहे हैं. आप सोचो, एक हाथ से द्रोणगिरि पर्वत को उठा कर उड़ने वाले हनुमानजी अकेले ही मालढुलाई का काम नहीं कर देंगे. सर्जिकल स्ट्राइक, सर्जिकल स्ट्राइक चीखने की अब जरूरत ही नहीं रहेगी. हनुमानजी अकेले ही इसलामाबाद को आग लगा कर फूंक आएंगे. हथियारों की होड़ में देश का अकूत धन फूंका जा रहा है जबकि हमारे पास महामृत्युंजय जाप से दुश्मनों को खत्म करने वाले पंडितों की भरमार है. इन का उपयोग करेंगे तो पैसों की बचत होगी व हंगर इंडैक्स में शतक मारने की जलालत से इस देश को मुक्ति मिल जाएगी.

रोज मीडिया को हम गालियां देते हैं कि ये बिके हुए लोग हैं. तो सोचो, मीडिया का काम खुद नारदमुनि करने लगेंगे तो विश्वसनीयता में चारचांद लगेंगे कि नहीं. महाभारत वाला संजय बिना डिश के खर्चे के घटनाओं का लाइव टैलीकास्ट करेगा तो कितना मजा आएगा. तोड़नेमरोड़ने और एडिटिंग के सारे आरोपों से मुक्ति मिल जाएगी. बिगड़ते लिंगानुपात से जूझते देश में जब मिट्टी के घड़ों से लड़कियां निकलने लगेंगी तो एक तो हर कुंआरे के लिए पत्नी का इंतजाम हो जाएगा, दूसरा, मेरे जैसे ठालेबैठे व फोन में माथा मार रहे युवा लोग हल ले कर खेतों में जाएंगे तो किसानों की आय दोगुनी तो क्या, दसगुनी हो जाएगी.

अब बाड़मेर वाले गुरु ही इस देश को विश्वगुरु बनाएंगे. दिल्ली ने तो अकर्मण्यता की चादर ओढ़ ली है. ऐसे में वीरों की धरती वाले मरुस्थल के महापुरुष ही इस देश का कल्याण करेंगे.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...