उत्तर प्रदेश में एक इंजीनियर पकड़ा गया है जिस के पास 200 करोड़ की दौलत है जो उस ने दिल्लीनोएडा के पास जेवर के इलाके में इंजीनियर के पद पर रहते हुए कमाई थी. उस ने 2 शादियां कर रखी थीं पर दोनों से हुए बच्चों के एकजैसे नाम रखे हुए थे ताकि हेराफेरी में आसानी रहे. उस ने बीसियों कंपनियां खोल रखी थीं जबकि वह सरकारी पद पर है.

सरकार में इतनी भयंकर रिश्वत लेने के बाद कोई पकड़ा जाए, यह सरकार का सब से बड़ा निकम्मापन है. यह साफ करता है कि हमारी सरकार को अपनी नाक तले अपराधों का कुछ पता नहीं होता, वह नागरिकों को जुर्म होने से पहले कैसे बचा सकती है? इतनी बड़ी संपत्ति जिस में आलीशान मकान, विदेशी गाडि़यां, ठाठ की जिंदगी जीता अफसर हो और सरकार को दिखे ही न, ऐसा कैसे हो सकता है और हो सकता है तो समझ लें कि सरकार पर भरोसा ही नहीं करा जा सकता है.

सरकार बड़ी शान से इनकम टैक्स की इस रेड के बारे में बताती है जिस में यह पैसा निकला पर सवाल है कि क्या यह नोटबंदी के बाद ही जमा किया गया पैसा है? यदि नहीं तो नोटबंदी का क्या फायदा हुआ जिस पर नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस से काला धन खत्म हो जाएगा? क्या सरकारी अफसरों के हाथों में काला धन काला नहीं है?

जिस देश में आम जनता पैसेपैसे को तरस रही हो वहां महज 50-60 हजार मासिक वेतन पाने वाला इंजीनियर 200 करोड़ का मालिक बन जाए और वर्षों तक किसी को खबर न हो, यह अगर हो रहा है तो साफ है कि इस में मिलीभगत 5-7 की नहीं सैकड़ों अफसरों और बाबुओं की है जिस में हरेक ने मोटा पैसा बनाया होगा. इस पोस्ट पर कहीं से पैसा लगातार बरसता होगा वरना 200 करोड़ रुपए कमाना आसान तो नहीं है. यह तो सभी के साथ मिल कर कमाने होते हैं और यह बात दूसरी है कि यह इंजीनियर पकड़ा गया है.

कुछ साल पहले यादव सिंह नाम का इंजीनियर भी पकड़ा गया था पर पूरे मुकदमे के फैसले का इंतजार किए बिना सुप्रीम कोर्ट ने न जाने किस कारण उसे हाल में जमानत पर भी रिहा कर दिया. यह ब्रजपाल चौधरी सहायक इंजीनियर भी जल्दी ही छूट जाएगा, यह इस देश के साथ वादा है. कोई काला धनपति नहीं बच पाएगा यह मंचों पर बोलने वाले बोलते रहें पर उन्हें शायद मालूम रहता है कि जिस ने मंच बनवाया था वह पक्का रिश्वतखोर ही था और जनता को बहलाफुसला या धमका कर वसूलता है.

यह तो देश का दस्तूर है. यहां पैसा मेहनत से नहीं पद से बनता है और इसीलिए सरकारी नौकरी या सरकारी नेतागीरी के पीछे सब भागते हैं. यहां काम की पूजा नहीं होती पद की होती है.

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