उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले का उमरी खुर्द गांव. वहां के एक लड़के ने एक दिन कागज पर एक बौडी बिल्डर की तसवीर बनाई और लिखा ‘वर्ल्ड चैंपियन’. उस ने वह तसवीर अपनी मौसी की बेटी राधा को थमा दी और कहा कि एक दिन मेरे नाम के आगे ऐसा लिखा होगा. राधा उस लड़के के सपने पर मुसकराई. बात आईगई हो गई.
कौन था वह लड़का जिस के मन में बौडी बिल्डर बनने का फुतूर इस हद तक सवार था कि वह तसवीर बना कर उस ने खुद को ही चैलेंज दे दिया था? क्या वह अपने इस जुनून को पूरा कर पाया?
हां, उस लड़के यतींद्र सिंह ने न सिर्फ अपनी कही बात का मान रखा, बल्कि आज वह जिस मुकाम पर है, लोग उस के गठीले बदन को देख कर दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं.
पेश हैं, बौडी बिल्डिंग में कई नैशनल व इंटरनैशनल मैडल जीतने वाले यतींद्र सिंह से हुई बातचीत के खास अंश:
ऐसी कौन सी वजह थी कि आप बस बौडी बिल्डर ही बनना चाहते थे?
मैं सहारनपुर में एक संयुक्त परिवार में रहा हूं. 7वीं क्लास में मुझे होस्टल वाले एक स्कूल में पंजाब भेज दिया.
वहां सब बच्चों की लंबाई मुझ से ज्यादा थी और शरीर भी गठीले थे. मैं दुबलापतला था और कद में भी काफी छोटा था.
समय बीतने लगा और मैं 10वीं क्लास में पहुंच गया. तब हमारे स्कूल में जिम के लिए सामान आया था. लेकिन जो जिम बनाया गया उस में वे ही बच्चे कसरत कर सकते थे जो 11-12वीं क्लास के थे और जिन्हें स्कूल की तरफ से वेट लिफ्टिंग करने की इजाजत मिली हुई थी.
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