एनर्जैटिक और हंसमुख रणवीर सिंह मुंबई से हैं. अभिनय उन का पैशन है, लेकिन कालेज के दिनों में कई बार उन्हें लगा था कि अभिनय का खयाल करना उन के लिए ठीक नहीं. इसलिए वे लेखन के क्षेत्र में उतरे. जब वे विदेश पढ़ाई के लिए गए, तो एक बार फिर अभिनय की ओर आकर्षित हुए, जहां उन्होंने कई नाटकों में काम किया और खूब प्रशंसा पाई. इस के बाद वे भारत आए और अभिनय की ओर रुख किया. कई औडिशन के बाद उन्हें यशराज की फिल्म ‘बैंड बाजा बारात’ मिली. यहीं से उन के अभिनय की शुरुआत हुई. उन की अभी तक की फिल्मों में ‘बाजीराव मस्तानी’ उन की एक यादगार फिल्म है, जिस में उन्होंने बाजीराव की भूमिका बखूबी निभाई. उन्हें सब से बड़ा सैक्स सिंबल कहलाना पसंद है.

फिल्म ‘बेफिक्रे’ के किरदार से अपनेआप को कैसे रिलेट करते हैं?

‘बेफिक्रे’ एक फिलौसफी है, जिस का अर्थ जीवन है अधिक सोचना नहीं वर्तमान में जीना. मेरे हिसाब से पूरी तरह जीया जाना चाहिए. मैं जब फिल्में करता हूं या दोस्तों, परिवार वालों से मिलता हूं, तो पूरी तरह उन के साथ रहता हूं. इस के अलावा जो दिल में आए उसे करना पसंद करता हूं.

आप अपनी सफलता को कैसे देखते हैं?

सफलता की परिभाषा मेरे लिए अलग है. मैं ने औरों के लिए क्या किया, समाज को क्या वापस किया, कितनी अच्छाई आप चारों ओर बिखेर रहे हैं? ये सब देखता हूं. इस के अलावा क्या मैं अपनी शर्तों पर काम कर सकता हूं? मेरी सफलता छोटी है. अपने टर्म पर जो लाइफ को जीए, वही इंसान सफल है. मुझे नहीं लगता कि मैं सफल हूं. हालांकि कई फिल्में सफल हुई हैं पर मैं अभी लार्जर विजन से दूर हूं.

पेरिस की शूटिंग का अनुभव कैसा था?

वहां मेरे लिए निर्देशक ने एक आलीशान अपार्टमैंट खरीद दिया था. बहुत ही अच्छा अनुभव था. जगह बहुत खूबसूरत है. वहां के लोग भी बहुत अच्छे हैं. वहां का खाना, वहां की बोली अद्भुत है. मूड भी वैसा ही रहा.

क्या आप को स्टारडम खत्म हो जाने का डर कभी सताता है?

अभी तक सोचा नहीं है. मैं हमेशा चाहता हूं कि मुझे काम मिलता रहे. ‘मनी’ और ‘फेम’ मुझे कभी भी आकर्षित नहीं करती. मुझे पैसा पसंद है जिस से मुझे हर तरह का ऐशोआराम मिल रहा है. ये सही है कि जितना अधिक पैसा और प्रसिद्धि आप के पास रहेगी, जिंदगी उतनी ही कठिन होगी, जिस में आप के खुद का व्यक्तित्व प्रभावित होता है.

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